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14 जनवरी, 2011

शराब के सेवन से पक्षियों की मौत ?


रोमानिया में कुछ दिन पहले बड़ी संख्या में मृत पक्षी मिले थे और इसकी वजह पंछियों में पाया जाने वाला फ़्लू बताया जा रहा था.लेकिन अब आशंका जताई जा रही है कि ये पक्षी शराब पीने से मरे.पूर्वी रोमानिया में शनिवार को कॉन्सटांटा के लोगों ने कई मरे हुए पक्षियों को देखा और अधिकारियों को सर्तक किया कि शायद ये पंछी फ़्लू का शिकार हुए हैं.अब स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि मौत ज़हरीली शराब पीने से हुई है.अधिकारियों के मुताबिक अंगूरों से वाइन बनाने की प्रक्रिया के बाद जो सामग्री बचती है पक्षियों ने उसे पी लिया जो घातक साबित हुआ.

पिछले कुछ दिनों में अमरीका और स्वीडन समेत कई देशों में रहस्यमयी तरीके से पक्षियों की बड़ी संख्या में मौत की ख़बरें आई हैं.अमरीका में नए साल में हज़ारों पक्षियों की मौत के लिए आतिशबाज़ी को ज़िम्मेदार ठहराया गया था.नए साल की आधी रात को एक हज़ार से ज़्यादा ब्लैक बर्ड पक्षी अचानक आसमान से गिरने लगे.सुबह घरों की छतों, सड़कों और गलियारों में हर तरफ़ ब्लैक बर्ड के शव बिखरे पड़े थे.कुछ विशेषज्ञों का अंदाज़ा है कि नए साल के मौके पर न्यूयॉर्क में हुई आतिशबाज़ी से यह पक्षी अत्यधिक तनाव से गुज़रे और ये उनके लिए जानलेवा साबित हुआ होगा.जबकि स्वीडन में अधिकारियों का मानना है कि करीब 100 पक्षियों पर किसी ने गाड़ी चढ़ा दी थी.bbc

10 जनवरी, 2011

कैसे पाएं शराब से छुटकारा




राब बहुत बुरी चीज है ,अगर एक बार किसी को इसकी लत लग जाय तो इससे छुटकारा पाना बहुत मुश्किल है। इस ब्लॉग में हम  नशामुक्ति से सम्बंधित लेख लगातार लिखते रहें है, लेकिन प्रस्तुत लेख श्री दिलीप लाल ने नभाटा के लिए लिखा है ,यह लेख काफी महत्वपूर्ण है कृपया  आप भी पढ़े  ताकि  किसी  की  मदद  कर  सकें .

         शराब की लत (ऐल्कॉहॉलिजम)  के शिकार लोगों को जब तक शराब न मिले, तब तक वे बेचैन रहते हैं। ऐसे लोग नशे के सेवन से पहले असामान्य रहते हैं और उसे पाने के बाद खुद को सामान्य स्थिति में पाते हैं। यह स्थिति ऐसे लोगों को पूरी तरह बीमार बना देती है। शराब की लत एक लाइलाज बीमारी है। यह कई बहाने से शरीर में प्रवेश करती है और धीरे-धीरे जिंदगी को अपनी गिरफ्त में ले लेती है। जब यह हद से बढ़ जाती है तो मुक्ति पाने के लिए शराबी छटपटाने लगता है।

शराब पीने की लत एक चतुर,  शक्तिशाली और मायावी बीमारी है। इसकी गिरफ्त में आने वाला इसे पाने के लिए तरह-तरह के बहाने बनाता है। शराबी को जब इसकी तलब होती है तो वह झूठ बोलने, कसमें खाने से भी परहेज नहीं करता। वह इस लत के सामने खुद को कमजोर पाता है।

लत के लक्षण
अगर किसी शख्स में नीचे दिए गए लक्षण नजर आते हैं तो उसे शराब की लत हो सकती है। ये लक्षण व्यक्ति विशेष में अलग-अलग पाए जाते हैं।

- घबराहट, बेचैनी, चिड़चिड़ापन, अति उत्सुकता।

- गुस्सा आना, मूड में अचानक बदलाव।

- तनाव, मानसिक थकावट।

- फैसला लेने में कठिनाई।

- याददाश्त कमजोर पड़ना।

- नींद न आना।

- सिर में तेज दर्द होना।

- ज्यादा पसीना निकलना, खासकर हथेलियों और पैर के तलवे से।

- जी मिचलाना और भूख कम लगना।

- शरीर थरथराना और पलक झपकते रहना।

- शरीर में ऐंठन और मरोड़ होना।

लत लगने की वजह -

आनुवांशिक गुण

विशेषज्ञ मानते हैं कि शराब की लत एक आनुवांशिक बीमारी है। स्वीडन में हुई एक रिसर्च से पता चला है कि जिनके माता-पिता शराबी हैं, उनके बच्चों में सामान्य बच्चों के मुकाबले शराब की लत पड़ने के ज्यादा चांस होते हैं। उनमें ऐसे जीन पाए गए हैं जिनसे वे जल्द ही शराब के प्रति आकर्षित होते हैं और उन्हें इसकी लत लग जाती है। ऐसे लोगों को शराब छोड़ने में भी काफी तकलीफ होती है।

घरेलू माहौल
कई बार घरेलू हालात से परेशान होकर महिला-पुरुष शराब का सहारा ले लेते हैं। धीरे-धीरे यह उनकी आदत बन जाती है। घर का कोई बड़ा सदस्य अगर शराब पीता है तो इसका असर भी दूसरे सदस्यों पर पड़ता है। खासतौर से बच्चों पर इसका ज्यादा असर होता है। कभी ऐसा भी होता है कि पति शराब ले रहा हो तो पत्नी से भी इसकी जिद करता है और बाद में पत्नी को भी इसकी आदत हो जाती है।

साथियों की संगति
शराबी साथियों की संगति में रहने वाले ऐसे लोगों को भी इसकी लत पड़ जाती है जो इसका बिल्कुल सेवन नहीं करते।

खास अवसर
परिवार में कोई आयोजन हो,किसी की लॉटरी लगी हो या कोई त्योहार हो, शराब का नाम हमेशा आगे आता है। कभी-कभी लेने की बात करने वाले लोग धीरे-धीरे शराब के करीब आ जाते हैं।

तरह-तरह के शराबी
कितनी पीने पर समझें कि लत है, कितने पर रेग्युलर हैं, कितने पर सोशल हैं, कितनी लेने पर शरीर को कोई नुकसान नहीं होता,वह लिमिट जिसे क्रॉस करना गलत है?

ऐल्कॉहॉलिक:
दुनिया में 10 फीसदी लोग ऐसे हैं जो शराब की लत या ऐल्कॉहॉलिजम नाम की बीमारी से ग्रसित होते हैं। ऐसे लोगों के शरीर में ऐसे केमिकल विकसित हो जाते हैं, जिनकी वजह से एक बार शराब पीने के बाद वे बार-बार शराब पीने को मजबूर होते हैं। इस केमिकल का नाम है टेट्राहाइड्रोआइसोक्वीनोलिन।

अन्य
शराब पीने वाले 90 फीसदी लोग ऐसे होते हैं, जो या तो सोशल ड्रिंकिंग करते हैं या फिर रेग्युलर ड्रिंकर हैं। रेग्युलर ड्रिंकर में वे हैं, जो 30-40 एमएल शराब रोजाना रात को लेते हैं और खाना खाकर सो जाते हैं। ऐसे शराबी खास मौकों पर कभी-कभार दिन में भी शराब ले लेते हैं। कुछ शौकिया तौर पर लेते हैं। सोशल और रेग्युलर ड्रिंकर में से कुछ ऐल्कॉहॉलिक हो जाते हैं और वे अपने जीवन को ही शराब से जोड़ लेते हैं।

नुकसान
- शराब से शारीरिक और मानसिक बीमारियां तो होती ही हैं, साथ ही ऐसे लोग अपराध से भी जुड़ जाते हैं।

- शराब मानसिक बीमारी का एक आधार है। यह तंत्रिका तंत्र, लिवर और पेट की बीमारियों की वजह बन सकती है।

- इससे दिल के रोग का भी डर रहता है।

- शराबी की वजह से सबसे पहले पारिवारिक समस्या बढ़ती है। वे तरह-तरह की घरेलू हिंसा करते हैं।

- शराब की लत कैंसर से भी घातक बीमारी है। कैंसर से सिर्फ एक शख्स बीमार होता है, पर शराब की लत सीधे तौर पर कई लोगों को बीमार बना देती है।

- शराब में इथाइल ऐल्कॉहॉल का इस्तेमाल होता है। यह इंसान के खून में आसानी से घुल जाता है। यही वजह है कि शराब लेने के साथ ही शरीर के तमाम अंगों पर इसका असर पड़ने लगता है। लंबे समय तक इसे लेने से लिवर सिरोसिस की समस्या हो सकती है। यह मुश्किल से छूटने वाली बीमारी है। इथाइल ऐल्कॉहॉल से पाचन क्रिया में भी गड़बड़ी होती है।

मिथक

1. गर्भावस्था में शराब फायदा करती है।
यह एक मिथक है कि गर्भावस्था में शराब लेने से फायदा होता है। डॉक्टरों का कहना है कि अगर महिला शराब लेती है, तो गर्भ में पल रहे बच्चे पर इसका बुरा असर होता है। बच्चे का वजन कम हो जाता है। दूसरी तरफ गर्भवती महिला का ब्लड प्रेशर अनियंत्रित हो जाता है।

2. शराब तो सर्दी-खांसी की दवा है।
शराब कभी सेहत के लिए फायदेमंद नहीं हो सकती है। लोगों में ऐसा भ्रम है कि सर्दी के मौसम में या सर्दी-खांसी होने पर शराब लेने से तुरंत राहत मिलती है,  लेकिन इससे ब्लडप्रेशर असंतुलित हो जाता है। शराब की तासीर गर्म है। इससे सर्द-गर्म की समस्या हो सकती है। सर्दी-खांसी में शराब लेने से गले का इन्फेक्शन भी हो सकता है।

3. इससे पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है।
कुछ लोग कब्ज होने पर शराब लेते हैं। ऐसा देखा जाता है कि शराब लेने के बाद लोग ठीक से खाना तक नहीं खा पाते। ऐसे में पाचन क्रिया सही होने का सवाल ही नहीं उठता। दूसरी तरफ शराब में अम्लीय गुण पाया जाता है, जिससे हमेशा असिडिटी होने की आशंका बनी रहती है।

4. शराब सेहत के लिए फायदेमंद है।
रोजाना शराब लेने और ठीक से भोजन करने से सेहत ठीक रहती है, यह भी भ्रम है। शराब से शरीर में फैट बढ़ने का खतरा रहता है। शराब लेने के बाद लोग खाना खा लेते हैं और सो जाते हैं। ऐसे लोगों के शरीर में सामान्य के मुकाबले ज्यादा फैट जमा हो जाता है। इसकी वजह से मोटापा और तोंद निकलने जैसी समस्या हो सकती है।

5. सोशल स्टेटस का प्रतीक है।
पार्टियों में तमाम लोग इसलिए ड्रिंक करते हैं कि कहीं उन्हें कोई पिछड़ा न कह दे। वोडका ज्यादा बदबू नहीं करती,  इसलिए कुछ महिलाएं इसे भी एक बहाना मानकर ड्रिंक्स ले लेती हैं। 13-14 साल के बच्चे बियर यह मानकर लेते हैं कि वे अब बड़े होने लगे हैं। बाद में यही उनकी आदत बन जाती है। शराब स्टेटस का प्रतीक कभी नहीं हो सकती।

शराब छुड़ाने के तरीके
शराब छुड़ाना मुश्किल काम है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक,  दुनिया में कोई चिकित्सा पद्धति ऐसी नहीं है, जो शराब की लत से मुक्ति दिला सके। शराब की वजह से होने वाली बीमारियों का इलाज हो सकता है। विभिन्न पद्धतियों में उपचार के साथ-साथ परामर्श और अल्कॉहॉलिक्स एनॉनिमस की मीटिंग शराब से मुक्ति दिलाने में कारगर साबित हो रही हैं।

आयुर्वेद
ऐल्कॉहॉल से लिवर में सूजन, पेट और तंत्रिका तंत्र से जुड़ी बीमारियां हो जाती हैं। आयुर्वेद में इन बीमारियों को दूर करने की दवा दी जाती है और साथ-साथ शराब का विकल्प दिया जाता है जिसमें ऐल्कॉहॉल की मात्रा काफी कम हो।
ऐलोवेरा लिवर के लिए फायदेमंद है,  जबकि अश्वगंधा तंत्रिका तंत्र और मस्तिष्क को पुष्ट बनाता है। इसके अलावा जटामांसी भी दिया जाता है। सार्थक चूर्ण, ब्राह्मी घृतम आदि शरीर से शराब के जहर को कम करते हैं। इसके अलावा शंखपुष्पी, कुटकी, आरोग्य वर्धनी आदि दिए जाते हैं। शराब के विकल्प के रूप में सुरा का सेवन कराया जाता है। शराब के बदले मृतसंजीवनी सुरा 30-40 एमएल दी जाती है। इसके बाद धीरे-धीरे इसे कम किया जाता है। इसके साथ ही, ऐसे रोगियों को परामर्श केंद्र भेजा जाता है। आयुर्वेद विशेषज्ञों की सलाह है कि डॉक्टर या वैद्य की सलाह से ही इन औषधियों का इस्तेमाल करें।

होम्योपथी
काउंसलिंग के साथ-साथ होम्योपथी की दवा नियम से ली जाए, तो शराब की लत के शिकार लोगों को राहत मिल सकती है। ये दवाएं न सिर्फ ऐल्कॉहॉल से शरीर को होने वाली बीमारियों को ठीक करती हैं,  बल्कि मनोवैज्ञानिक नजरिये से भी फायदा पहुंचाती हैं। कुछ खास दवाएं यहां दी जा रही हैं, लेकिन कोई भी दवा शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें।

क्यूरकस क्यू 
आधे कप पानी में इसकी 10 बूंद मिलाकर दिन में तीन बार लेने से शराब की वजह से शरीर में फैला जहर दूर हो जाता है। यह लिवर की पुरानी बीमारी और स्प्लिन पर होने वाले असर को रोकती है।

सिनकोना ऑफिसिनैलिस 
सिनकोना ऑफिसिनैलिस 30/200 शराब की वजह से लिवर को होने वाले नुकसान को रोकती है और इसे ठीक करती है। यह जॉन्डिस और ऐल्कॉहॉल की वजह से शरीर को होने वाली कमजोरी को भी दूर करती है।

कैलिडोनियम 
 यह एक्यूट हेपेटाइटिस, जॉन्डिस और पेट दर्द से राहत देती है। इसका टिंचर रूप ज्यादा कारगर रहता है। रोजाना 10 बूंद दिन में तीन बार ले सकते हैं।

मुद्रा, ध्यान और योगाभ्यास
शराब पीने वालों का आत्मविश्वास कमजोर होने लगता है। उनकी एकाग्रता भी क्षीण पड़ती जाती है। साथ ही, पूरे शरीर में शराब का जहर फैल जाता है। मुद्रा, ध्यान तथा योग क्रियाओं के माध्यम से उनके शरीर से विकार को दूर किया जाता है। इन विकारों के दूर होने से ऐल्कॉहॉलिजम के शिकार लोगों को राहत मिल सकती है।

ज्ञान मुद्रा 
ज्ञान मुद्रा से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और इससे मन का शुद्धिकरण होता है। ज्ञान मुद्रा करने के लिए दाहिने हाथ के अंगूठे को तर्जनी के टिप पर लगाएं और बाईं हथेली को छाती के ऊपर रखें। सांस सामान्य रहेगी। सुखासन या पद्मासन में बैठकर भी इस क्रिया को किया जा सकता है। इस क्रिया को लगातार 45 मिनट तक करने से काफी फायदा मिलता है। चलते-फिरते भी इस क्रिया को किया जा सकता है।

ध्यान
ध्यान करने से शरीर के अंदर से खराब तत्व बाहर हो जाते हैं। एकाग्रता लाने के लिए त्राटक किया जाता है। इसमें बिना पलक झपकाए प्रकाश की रोशनी को लगातार देखने का अभ्यास किया जाता है। अभ्यास करते-करते एक समय ऐसा आता है जब व्यक्ति को मात्र बिंदु दिखाई देता है।

योगक्रिया 
 कुछ योग क्रियाओं के माध्यम से शरीर में फैले विष को निकाला जाता है।

कुंजल क्रिया: नमक मिला गुनगुना पानी भर पेट पिया जाता है। बाद में इसकी उलटी कर दी जाती है। इससे पेट के ऊपरी हिस्से का शुद्धीकरण हो जाता है।

वस्ति : इस क्रिया के माध्यम से शरीर के निचले हिस्से की सफाई की जाती है। इसे एनिमा भी कहते हैं।

शंख प्रक्षालन : हल्का गुनगुना नमक मिला पानी पेट भरकर पीने के बाद भुजंगासन किया जाता है। इससे पेट शंख की तरह धुल जाता है। इसके बाद हरी पत्ती पालक, मूली, मैथी आदि का सेवन किया जाता है। इससे शरीर को पर्याप्त ऊर्जा भी मिलती है और पूरी पाचन क्रिया ठीक रहती है।

शंख प्रक्षालन में सावधानी: क्रिया करने के बाद ठंडे पानी का सेवन न करें और ठंडी हवा से बचें। हरी पत्ती के साथ मूंग दाल, चावल की खिचड़ी शुद्ध घी में मिलाकर खाएं। इसके अलावा कुछ न खाएं। खाते समय पानी न पिएं।

ज्ञान मुद्रा दिन में दो बार और कुंजल, बस्ती और अर्द्ध शंखप्रक्षालन हफ्ते में दो बार करने की सलाह दी जाती है। इन क्रियाओं को किसी योग प्रशिक्षक के सामने ही करें।

घरेलू नुस्खे
- संतरा और नीबू के रस तथा सेव, केला आदि के सेवन से ऐल्कॉहॉल की वजह से शरीर में जमा जहर कम हो जाता है।

- खजूर काफी फायदेमंद रहता है। 3-4 खजूर को आधे गिलास पानी में रगड़कर देने से शराब की आदत छोड़ने में मदद मिलती है।

- धूम्रपान करना बिल्कुल बंद कर दें। धूम्रपान से ऐल्कॉहॉल लेने की इच्छा प्रबल होने लगती है।

- आधा गिलास पानी और समान मात्रा में अजवाइन से बने रस को मिलाकर रोजाना एक महीने तक पीने से काफी फायदा मिलता है।

समाज और कानून की जिम्मेदारी
किसी शराबी को सही रास्ते पर लाने का काम उसके घर से शुरू होता है। जिस दिन पता चले कि महिला या पुरुष ने शराब पी है, उसी दिन से उसका विरोध शुरू हो जाना चाहिए। बाद में यही शराबी घरेलू हिंसा को अंजाम देने लगते हैं। ऐसे में पुलिस को भी इसकी सूचना दी जा सकती है या परामर्श केंद्र में भी लेकर जाया जा सकता है। शराब पीकर सड़क पर हंगामा करने वालों को पुलिस विभिन्न धाराओं के तहत पकड़ सकती है। हालांकि घर के सदस्य, दोस्त आदि जमानत ले सकते हैं। जेल में भी परामर्श केंद्र होता है।

ऐल्कॉहॉलिक्स एनॉनिमस
ऐल्कॉहॉलिक्स एनॉनिमस (एए) एक ऐसी संस्था है जिसके सभी सदस्य ऐल्कॉहॉलिक रह चुके हैं। संस्था न कहकर इसे ऐल्कॉहॉलिजम के शिकार महिला, पुरुषों का परिवार कहें तो बेहतर होगा। यहां किसी तरह की फीस नहीं ली जाती। इस परिवार से जुड़ने वाले हर नए सदस्य का पूरे सम्मान के साथ यहां स्वागत किया जाता है। यहां होने वाली मीटिंग में सभी सदस्य अपने अनुभव और उन गलतियों को शेयर करते हैं, जो उन्होंने शराब की वजह से कीं। नए सदस्य को एक ट्रेनर को सौंप दिया जाता है जिसे स्पॉन्सर कहते हैं। स्पॉन्सर उनके साथ हमेशा कॉन्टैक्ट बनाए रखता है। रात-दिन कभी भी वह नए सदस्य से बात कर लेता है।

माना जाता है कि व्यक्तित्व में बदलाव होने के बाद ही किसी शराबी में शराब छोड़ने की ताकत पैदा हो सकती है। इसके लिए लगातार 90 मीटिंग अटेंड करने की सलाह दी जाती है। अगर किसी ने शराब भी पी रखी है तो भी वह मीटिंग अटेंड कर सकता है। मीटिंग जॉइन करने वाले नए सदस्य से उनके बीते दिनों के अनुभवों को लिखवाया जाता है। अगर कोई अनपढ़ है तो उसकी बातों को टेप किया जाता है या कोई साथी सदस्य उसके कहे अनुसार लिखने में मदद करता है। इसके बाद समाज में या परिवार में कहां किससे क्या-क्या गलतियां कीं, उनसे माफी मांगने या नुकसान की भरपाई की कोशिश की जाती है। वैसे व्यक्तित्व में बदलाव के लिए पूरे 12 सूत्र बनाए गए हैं। लेकिन एए के सदस्य बताते हैं कि तीन मुख्य सूत्र पर सबसे ज्यादा जोर दिया जाता है।

1. ईश्वर पर आस्था: इसमें पूजा, प्रार्थना, ध्यान या दूसरी धार्मिक गतिविधियां हो सकती हैं।

2. बुरी आदतों को दूर करना: शराबी को अपनी बुरी आदतों को नोट कर उन्हें छोड़ने पड़ता है।

3. सेवा: किसी शराबी को शराब से मुक्ति दिलाने के लिए बातें करना, घर जाकर समझाना आदि।

अलनोन
एए की तरह ही अलनोन एक ग्रुप है। इसमें किसी शराबी से पीड़ित परिवार के लोगों को मार्गदर्शन मिलता है। शराब छुड़ाने में क्या-क्या मदद करें। इसके अलावा दूसरे क्या तरीके हो सकते हैं, यहां से जानने को मिलता है। दरअसल, शराबी का पूरा परिवार भी बुरी तरह प्रभावित होता है। ऐसे परिवार को सहानुभूति देने के लिए अलनोन की मीटिंग्स फायदेमंद साबित होती हैं।

अलटिन
अलटिन शराब से पीड़ित परिवार से जुड़े बच्चों का ग्रुप है। इसमें बच्चों को अपने पैरंट्स से होने वाली परेशानियों से राहत मिलती है। बच्चे अपने मन की बात और पैरंट्स के व्यवहार को कहीं शेयर नहीं कर सकते। ऐसी स्थिति में इस मीटिंग में बच्चों को बेहतर परामर्श दिया जाता है ताकि उनके करियर को संवारा जा सके। नभाटा से साभार





09 जनवरी, 2011

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का कमाल : फेसबुक से पूछेगा हाल



भारी ट्रैफिक के बीच भी कार चलेगी बिना ड्राइवर के, सेलफोन में होगी ऐसी आंख जो देखेगी इंसान की तरह,  फेसबुक खुद ही दोस्तों से हालचाल पूछेगा और उनके सवालों के जवाब भी देगा. ये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का कमाल है.

दो दशक पहले तक नामुमकिन लगने वाली चीजों को बच्चों का खेल बना देने वाले आज के विज्ञान के पिटारे में कुछ साल बाद हमें देने के लिए ये नई सौगातें होंगी. ये सब कुछ मुमकिन होगा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बदौलत जो हमारी जिंदगी में घुसने को बेताब है. वैज्ञानिक उस फॉर्मूले को तैयार करने में जुटे हैं जो मशीनों के भीतर इंसानी दिमाग फिट कर सकेगा. फिर इन मशीनें को चलाने के लिए इंसान की जरूरत नहीं होगी यानी पटरियों पर दौड़ती ट्रेन के इंजन में कोई ड्राइवर नहीं होगा ना ही सड़क पर दौड़ती टैक्सी में. इतना ही नहीं नई तकनीक हमारी रोजमर्रा की जिंदगी और पर्यावरण से जुड़ी कई मुश्किलें भी हल कर देगा. आखिर ये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है क्या ? आईआईटी दिल्ली के कंप्यूटर साइंस विभाग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की प्रोफेसर सरोज कौशिक ने बताया," आर्टिफिसियल मूल रूप से इंसान की बुद्धि को कंप्यूटर के भीतर डालने की तकनीक को कहते हैं.इसमें मुख्य रूप से इस बात पर जोर होता है कि ऐसे कंप्यूटर बनाएं जाएं जो इंसान की तरह सोच सके, इंसान की तरह काम कर सकें और वो भी तार्किक तरीके से. कुछ तय नियमों के आधार पर नई जानकारी हासिल कर सकें और चूंकि ये कृत्रिम तरीके से होता है इसलिए इसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कहते हैं."

कुछ दिन पहले गूगल ने एक ऐसा ही दिमाग बनाया और उसके सहारे कैलिफोर्निया में करीब सवा दो लाख किलोमीटर तक कार चलाई. नेविगेशन सिस्टम और सेंसर से लैस इस कार में कैमरे भी लगाए गए थे. कार ट्रैफिक की भीड़ भाड़ से आसानी से निकली और हाईवे पर भी उसने खूब फर्राटा भरा, ट्रैफिक की लाइटों को उसने आसानी से समझ लिया और स्टीयरिंग के पीछे बैठा इंसान बस उसे कुलांचे भरते देखता रहा. मुश्किल तब सामने आई जब रेडलाइट पर एक साइकिल सवार अचानक गलती से कार के सामने आ गया. कार ने उसे धक्का तो नहीं मारा लेकिन वो समझ नहीं पाई कि उसे क्या करना है तब स्टीयरिंग के पीछे अब तक खामोश बैठे शख्स ने उसे इस मुश्किल से निकाला. मतलब सब कुछ इतना आसान भी नहीं है. सरोज कौशिक कहती हैं,"इसमें जितनी चीजें हम सोच सकते हैं उन्हीं चीजों को डालते हैं साथ में कुछ ऐसी चीजें भी जिनकी आशंका होती है लेकिन इसके बावजूद बहुत कुछ ऐसा है जिनके बारे में पहले से सोचा नहीं जा सकता जाहिर है कि बिल्कुल इंसान का दिमाग बना पाना संभव नहीं है."

एक सवाल ये भी है कि इंसान का दिमाग तो लगातार विकास के दौर से गुजरने के बाद इस स्तर तक पहुंचा है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए बना दिमाग भी क्या समय के साथ इसी तरह विकसित होगा. प्रोफेसर सरोज ने बताया कि इस तरह के एजेंट्स आ गए हैं जो अपनी समझ और आस पास के वातावरण से कुछ चीजों को लेकर लगातार विकास कर रहे हैं. ऐसे में उनके भीतर लगातार सुधार की प्रक्रिया चलती रहती है और उनकी समझ विकसित होती रहती है.

आर्टिफिशियल दिमाग विकास कर सकता है तो फिर क्या इसकी समझदारी और इंसान की समझदारी में कोई फर्क नहीं होगा और क्या इस दिमाग के फैसले भी उतने ही तार्किक होंगे जितने की इंसान के. प्रोफेसर सरोज ऐसा नहीं मानती. उनका कहना है,"एक छोटी सी बात से समझा जा सकता है कि आजतक सबकुछ होने के बाद भी हमारी मशीनें सोचने का काम कर सकें, कल्पना कर सकें ये मुमकिन नहीं है. एक छोटा सा बच्चा सोच कर कहानी गढ़ लेता है लेकिन कंप्यूटर ऐसा नहीं कर सकता. हां उसने कुछ काम ऐसे जरूर किए हैं जो इंसान के वश की बात नहीं थी और वो ऐसे काम आगे भी करते रहेंगे." पर अगर इंसान का बनाया दिमाग उसके जैसा ही हो गया तो मुश्किलें नहीं आएंगी. इसके अलावा एक बड़ा मसला ये भी तो है कि हमारी जिंदगी में तकनीक का दखल जितना ज्यादा बढ़ रहा है उससे जुड़ी नई परेशानियां भी सामने आ रही हैं. अब बच्चे के हाथ में खिलौना बना मोबाइल ऐसे भी खेल दिखा रहा जिसने हम सब के माथे पर चिंता की लकीरें खींची हैं. ये हालत अभी की है, आने वाले वक्त में जब हमारे ड्राइंग रूप से बेडरूम और हमारे दिल से दिमाग तक में घुस जाने वाला विज्ञान हमारी सोच में भी घुसने लगेगा तब क्या होगा...क्या नई मुसीबतें हमारे सामने नहीं आ जाएंगी. वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि हमारे जीवन में तकनीक का विकास तो हो रहा है लेकिन इंसानों के लिए बुनियादी मूल्य नहीं बदले उस तरफ विकास की कोई बयार नहीं चली.विज्ञान से होने वाले नुकसान की यही वजह है जिस दिन विकास का पहिया इस तरफ मुड़ा ये समस्या अपने आप ही खत्म हो जाएगी. DW NEWS




04 जनवरी, 2011

भारतीय मूल का व्यक्ति बनेगा अमेरिका का राष्ट्रपति ?




BOBBY JINDAL

'पब्लिक पॉलिसी पोलिंग ' द्वारा किए गए एक जनमत संग्रह के मुताबिक भारतीय मूल के बॉबी जिंदल अमरीका के गवर्नरों में सबसे लोकप्रिय गवर्नर हैं. बॉबी जिंदल रिपब्लिकन पार्टी के नेता हैं और वर्ष 2008 में लुइज़ियाना राज्य के गवर्नर बने थे.जिंदल को इस सर्वेक्षण में 58 प्रतिशत मत पक्ष में मिले और 34 प्रतिशत लोगों ने उनके कामकाज के तरीक़ों पर नाराज़गी ज़ाहिर की.

इस जनमत संग्रह के मुताबिक कैलिफ़ोर्निया के गवर्नर और हॉलीवुड अभिनेता अर्नॉल्ड श्वार्ज़नेगर को केवल 25 प्रतिशत मत मिले.यानी बॉबी जिंदल लोकप्रियता के मामले में फिल्मी स्टार अर्नॉल्ड श्वार्ज़नेगर से भी आगे है .भारतीय मूल के किसी व्यक्ति के लिए अमरीका में यह एक नया मुक़ाम है.पिछले कई दशकों के अमरीकी इतिहास में जिंदल पहले अश्वेत व्यक्ति हैं जो लुइज़ियाना के गवर्नर के पद तक पहुँचे हैं. वर्ष 2011 में लुइज़ियाना में दोबारा चुनाव होने हैं और जिंदल आगामी चुनाव में भी लड़ने का मन बना रहे हैं.

बॉबी जिंदल को रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर भी देखा जा रहा है . यदि भाग्य ने साथ दिया तो अमेरिका के राष्ट्रपति पद को सुशोभित करने वाले बॉबी जिंदल भारतीय मूल के पहले व्यक्ति होंगे . इसके लिए उन्हें अपनी लोकप्रियता को राष्ट्रपति चुनाव तक बरकरार रखना एक बडी चुनौती है .हम उन्हें व्हाईट हाउस काबिज होते देखना चाहते है . शुभकामनाएं !!!