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07 दिसंबर, 2010

गूगल : दुनिया का सबसे बड़ा ई बुक पुस्तकालय


गूगल ने  इलेक्ट्रॉनिक बुक स्टोर की दुनिया में कदम रखते हुए अमेजन को जोरदार टक्कर दी. गूगल पर पढ़ी जा सकने वाली मुफ्त किताबों के कारण भी विवाद हुआ. लेकिन गूगल का कहना है कि इससे ज्यादा लोग किताबें पढ़ सकेंगे.
         गूगल की प्रवक्ता जेनी होर्नुंग का कहना है, हमें विश्वास है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा ई बुक पुस्तकालय होगा. मुफ्त पढ़ी जा सकने वाली किताबों को मिला कर इनकी कुल संख्या तीस लाख से ज्यादा है. मैकमिलन, रैन्डम हाउस, साइमन एंड शूस्टर जैसे मशहूर प्रकाशकों की हजारों डिजिटल किताबें ई बुक स्टोर में बेची जाएंगी. गूगल का कहना है कि अगले साल वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करेगा. गूगल ई बुक्स इंटरनेट क्लाउड पर ऑनलाइन रखी जाएंगी और वेब से जुड़े किसी भी कंप्यूटटर या फिर एप्पल के आईफोन, आईपैड, आई पॉड टच और ऐसे स्मार्ट फोन्स जिस पर गूगल के एन्ड्रॉइड सॉफ्टवेयर हो, उन पर पढ़ी जा सकेंगी. ईबुक्स पर बेची गई किताबें सोनी रीडर, बार्नेस और नोबल के नूक सहित दूसरे ई रीडर पर पढ़ी जा सकेंगी लेकिन अमेजन के किंडल पर नहीं. गूगल का मानना है कि अधिकतर लोग लॉग इन करके किताबें ऑनलाइन पढ़ना पसंद करेंगे और इसके लिए वे जो भी गेजेट आसानी से उपलब्ध होगा उसका इस्तेमाल करेंगे. ठीक उसी तरह से जैसे वह वेब पर जीमेल अकाउंट चेक करते हैं, हॉर्नुंग का कहना है, आप एक किसी भी किताब को क्लाउड की एक लायब्रेरी में जमा कर के रख सकेंगे और गूगल अकांउट के जरिए कहीं से भी उस किताब को पढ़ सकेंगे. गूगल बुक्स के इंजीनियरिंग डायरेक्टर जेम्स क्रॉफर्ड का कहना है, मुझे विश्वास है कि आने वाले सालों में हम किसी भी बुक स्टोर से सिर्फ ईबुक्स ही खरीदेंगे, उन्हें वर्चुअल रैक में रखेंगे और किसी भी डिवाइस पर उसे पढ़ेंगे. अभी उस सपने की शुरुआत है. स्वतंत्र बुक स्टोर पॉवेल, ऑनलाइन बुक शॉप एलिब्रिस और अमेरिकी पुस्तक विक्रेता संघ गूगल के लॉन्चिंग डे पार्टनर्स हैं जो गूगल की डिजिटल किताबें बेचेंगे. ईबुक स्टोर न्यूयॉर्क टाइम्स के बेस्ट सेलर उपन्यासों से लेकर तकनीकी पुस्तकों तक सब कुछ उपलब्ध हो सकेगा और इसके वर्चुअल पन्नों पर ग्राफिक्स भी आसानी से देखे जा सकेंगे. जहां तक कीमतों का सवाल है, ई बुक्स स्टोर की किताबें बाजार के हिसाब से होंगी जबकि कई फ्री किताबें पहले ही गूगल पर उपलब्ध हैं. गूगल पुस्तक प्रेमियों की सोशल वेबसाइट गुड रीड्स के साथ हाथ मिलाएगा ताकि ऐसा नेटवर्क बने जहां लोग आसानी से ऑनलाइन ई बुक्स खरीद सकें. होर्नुंग ने बताया कि विचार कुछ ऐसा है कि आप अपनी पसंद के विक्रेता से पुस्तक खरीदें और आपके पास जो डिवाइस मौजूद है उस पर उसे जहां चाहे वहां पढ़ें. गूगल के साथ फिलहाल चार हजार प्रकाशक हैं. 2004 में गूगल बुक्स प्रजेक्ट शुरू होने के बाद से गूगल ने सौ देशों से, चार सौ भाषाओं में करीब डेढ़ करोड़ किताबें डिजिलाइस की हैं. हालांकि इस पर विवाद भी हुआ और अमेरिकी कोर्ट का फैसला अभी इस मुद्दे पर आना है. लेखकों और प्रकाशकों ने गूगल के किताबें डिजिटलाइज करने पर आपत्ति उठाई थी. जिन किताबों का कॉपीराइट है या फिर जिनके लेखकों का कोई अता पता नहीं है ऐसी किताबें ई बुक स्टोर पर नहीं बेची जाएंगी. उम्मीद की जा रही है कि इस साल अमेरिका में ई बुक्स पर 96.6 करोड़ डॉलर खर्च किए जाएंगे और 2015 तक ये बढ़ कर 2.81 अरब डॉलर हो जाएगा. एक शोध के मुताबिक अमेरिका में ई बुक डिवास का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या इस साल के आखिर तक एक करोड़ से ज्यादा हो जाएगी. और 2015 तक 2 करोड़ 94 लाख अनुमानित है. फॉरेस्टर सर्वे के मुताबिक ई बुक पढ़ने वाले लोगों में 35 फीसदी लोग लैपटॉप पर किताब पढ़ते हैं, 32 फीसदी अमेजन के किंडल पर और 15 फीसदी लोग एप्पल के आई फोन पर पढ़ते हैं. hindi@dw-world.de



02 दिसंबर, 2010

बारात लेकर सड़क पर ना निकलें वरना पुलिस बजाएगी बैंड

शहर के मुख्य मार्ग में जब बारात निकलती है तब ट्रेफिक का बड़ा बुरा हाल होता है . वैवाहिक जुलुस के कारण घंटों तक आवाजाही रूक जाती है इससे आम लोग तो परेशान होते ही हैं, कई बार एंबुलेंस, पीसीआर वैन और फायर ब्रिगेड जैसे इमर्जेंसी वाहन भी जाम में फंस जाते हैं. ऐसे में किसी की जान भी जा सकती है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए दिल्ली पुलिस ने सड़क पर बारात निकालने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने का फैसला लिया है . यदि आप दिल्ली की सड़कों पर बारात लेकर निकलना चाहते हैं या किसी बारात में शामिल होना चाहतें है तो कृपया सावधान हो जाइये, यदि बारात पर दिल्ली पुलिस की नजर पड़ गई तो दुल्हे सहित पूरी बारात को शादी के मंडप के बजाय थाने जाना पड़ सकता है.दिल्ली पुलिस एक्ट के प्रावधान के तहत आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.

अब प्रश्न उत्पन्न होता है लोग बारात सडकों पर ना निकालें तो कहाँ निकालें ? भारत में शादी सबसे बड़ा मांगलिक कार्य है , वर-वधु को एक नहीं सात जन्मों तक जोड़ने की यह रस्म है . हर व्यक्ति चाहे वह अमीर हो या गरीब इस पल को अविस्मरनीय बनाना चाहता है ,इस स्थिति में दिल्ली पुलिस अपने प्रयास में सफल हो पायेगी इसमें संदेह है . यह सही है कि बारात के कारण चाहे-अनचाहे हमेशा जाम लग जाता है पर इसके लिए अन्य उपाय भी किये जा सकतें है , जैसे-

(1) उन बारातियों के खिलाफ कार्यवाही की जा सकती है जो शराब पीकर असामान्य हरकतें करके यातायात को बाधित करतें है ;

(2) बारातियों की संख्या को सीमित किया जा सकता है ;

(3) सड़कें निर्धारित की जा सकतीं है ;

(4) समय-सीमा तय की जा सकती है ;

(5) वाहनों की संख्या को सीमित किया जा सकता है ; आदि आदि

बारात लेकर सड़क पर ना निकलें वरना पुलिस बजाएगी बैंड "

01 दिसंबर, 2010

" जलवायु परिवर्तन सम्मलेन " कानकुन बनाम कोपेनहेगन


क्रिस्टीना फिगरेस






        मेक्सिको के  कानकुन शहर में संयुक्त राष्ट्र "जलवायु सम्मेलन  " प्रभावी कदमों और समझौतों की अपीलों के साथ आज  शुरू हुआ . पिछले साल इसी प्रकार का सम्मेलन कोपेनहेगन में हुआ था . नतीजा आपके सामने है . कानकुन  में 194 सदस्यों वाली संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन संधि संरचना यू एन एफ सी सी के तहत  12  दिन तक चलने वाले इस  सम्मेलन में 15,000 से अधिक आधिकारिक प्रतिनिधि, पर्यावरण कार्यकर्ता और पत्रकार भाग ले रहे हैं. यह सम्मेलन क्योटो पर्यावरण संधि के बाद के समय के लिए कार्बन उत्सर्जन पर लगाम लगाने के प्रयासों के तहत हो रहा है. क्योटो संधि 2011 में समाप्त हो रही है.

सम्मेलन में हिस्सा ले रहे विभिन्न देशों के  विशेषज्ञों को पिछले साल कोपेनहेगन सम्मेलन के हश्र को देखते हुए इस सम्मेलन से किसी बड़ी उपलब्धि की उम्मीद नहीं है .कोपेनहेगन में हुए सम्मेलन में कार्बन उत्सर्जन के लिए ज़िम्मेदार विभिन्न देशों में मतभेद उभरने की वजह से किसी बाध्यकारी संधि पर हस्ताक्षर नहीं हो सका था.कोपनहेगन में जलवायु परिवर्तन को लेकर जिन बिन्दुओं पर मतभेद उभरे थे वो अब भी बरकरार हैं.
 
 उत्पादन गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित कर  वैश्विक मंदी के दौर से उबर रही अर्थव्यवस्थाओं की पृष्ठभूमि में हो रहे इस सम्मेलन में कार्बन का उत्सर्जन बढ़ने और औसत वैश्विक तापमान में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी को रोकने के उपायों पर चर्चा हो रही है . संयुक्त राष्ट्र जलवायु प्रमुख क्रिस्टीना फिगरेस ने विश्व के बढ़ते तापमान पर गहरी चिंता प्रगट करते हुए कहा कि  जलवायु परिवर्तन की समस्या के समाधान की दिशा में काम करने के लिए एक दूसरे की जरुरतों को समझना होगा.

ऐसी संभावना जताई जा रही है कि वनों की सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से निपटने में गरीब देशों की मदद की दिशा में कुछ प्रगति हो सकती है. मुख्य रूप से सम्मेलन का लक्ष्य गरीब देशों की मदद के लिए ग्रीन फंड बनाना, वनों का विनाश रोक कर कार्बन उत्सर्जन को कम करना और विकसित देशों से टेक्नॉलॉजी ट्रांसफर को बढ़ावा देना है. सम्मेलन में गरीब देशों को  2012 तक जलवायु परिवर्तन के लिए तैयार करने के लिए अमेरिका द्वारा दिए 30 बिलियन डॉलर के ‘फास्ट ट्रैक फण्ड’ पर भी विमर्श किया जाएगा .इस सबके बावजूद कानकुन सम्मलेन से कुछ नतीजा निकलेगा इसकी उम्मीद कम ही है .