ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है * * * * नशा हे ख़राब झन पीहू शराब * * * * जल है तो कल है * * * * स्वच्छता, समानता, सदभाव, स्वालंबन एवं समृद्धि की ओर बढ़ता समाज * * * * ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है

19 अगस्त, 2010

ब्लागिंग में अर्धशतक

मेरे 50 वे पोस्ट में आपका हार्दिक स्वागत है

आप सब ब्लागर मित्रों के सहयोग एवं हौसला अफजाई का ही परिणाम है कि मैं मात्र 88 दिनों के सफ़र में  अर्धशतक तक पहुँच पाया हूँ . मेरा पहला पोस्ट "जल जो न होता तो ये  जग जाता जल" दिनांक 22 मई को प्रकाशित हुआ था, उसके.बाद मैंने ब्लाग में.ज्यादा रूचि नहीं दिखाई लेकिन एक दिन अचानक धुरंधर लिख्खाड़ भाई ललित शर्मा से भेंट हुई चर्चा के दौरान मैने पर्यावरण  से सम्बंधित लेख की चर्चा की तब मुझे नहीं मालूम था कि वह ब्लागिंग की दुनिया में काफी लम्बा मुकाम तय  कर चुका है उसने मुझे नियमित  लिखने की सलाह दी. लिखने का शौक मुझे बचपन से है लेकिन अन्य व्यस्तताओं के चलते कई अरसे से लेखनी का कार्य बंद सा हो गया था कभी कभी अख़बारों के लिए लिखता रहा. लेकिन ललित भाई की सलाह मिलते ही मैं ब्लागिंग में नियमित रूप से आने लगा. मैं लिखता गया प्रशंसक बनते गए सब ने मेरा हौसला अफजाई किया इसका  नतीजा आपके सामने है.   मैं आप सब का ह्रदय से आभारी हूँ. जय हिंद....!!!!  


माह अगस्त-2010

अमेरिका ने माना भारत का लोहा

आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ
विचार तत्व

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद ही अंतिम विकल्प

भारत की विश्व को देन

अर्जुन सिंह ने राज को और गहरा दिया ?

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद

E.V.M. पर विवाद

देशबंधु में अगस्त क्रांति

शिवालयों में जलाभिषेक

हरियाली

 रेडियो श्रोता सम्मेलन

 ब्लॉग 4 वार्ता

महंगाई डायन और छत्तीसगढ़

आभार - 2

बेमौसम शादी ?

चुनाव आयोग और ई. व्ही.एम. की विश्वसनीयता

आभार

सपनों की सच्चाई को जिसने दिया आकार है

अगस्त यानि क्रांतिकारी महीना

बेड़ा पार

विचार तत्व
 
    माह जुलाई 2010  
 
राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन की जयंती पर विशेष

यथार्थवादी साहित्यकार मुंशी प्रेमचन्द

छत्तीसगढ़ में राम

विचार तत्व

समाचार पत्रों का आभार - 2

महंगाई व नक्सलवाद मुद्दे पर उलझी लोकसभा व विधानसभा...

सावन की झड़ी

आया सावन : भाया सावन : छाया सावन

अपरम्पार है गुरू की महिमा

समाचार पत्रों का आभार

रेडियो प्रसारण दिवस

भामाशाह जिन्दा है

मनुष्य

भारत पाक वार्ता : शांति बनाम क्रांति

प्रदूषण के खिलाफ जंग-- हरियर अभियान

महंगाई डायन खाय जात है.........

रुपए की धाक

पहले अंडा आया या मुर्गी ?

ब्लॉग 4 वार्ता: सावधान! खतरनाक जीवों से,विश्वास का...

भविष्यवक्ता पॉल बाबा

दिन है सुहाना आज पहली तारीख है
 
  माह जून - 2010 
 
माँ

नशाखोरी की बढ़ती प्रवृति समाज के लिए घातक

मोदी-नीतिश विवाद

नवां अंजोर
 
  माह मई -2010
 
जल है तो कल है

जल जो न होता तो ये जग जाता जल 00260

अमेरिका ने माना भारत का लोहा


अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे 




    आखिरकार अमेरिका ने भारत का लोहा मान ही लिया। अमेरिकी  राष्ट्रपति  बराक   ओबामा  ने  आज स्वीकार किया   कि भारत एक ग्लोबल ताकत है। उन्होंने कहा कि वह भारत के साथ सामरिक संबंधों को मजबूत बनाना चाहते हैं ताकि 21 वीं सदी की चुनौतियों और क्षेत्रीय मुद्दों से निपटा जा सके। दक्षिण एशिया मामलों के सहायक विदेशमंत्री रॉबर्ट ब्लैक ने अमेरिकी सीनेट  की विदेश मामलों की समिति के समक्ष  कहा कि ओबामा भारत और अमेरिका के बीच मौजूदा सामरिक संबंधों को मजबूत करने के लिए दॄढ संकल्पित   हैं। ओबामा के नए प्रशासन में भारत अमेरिकी संबंधों के भविष्य के बारे में सेनेटर टॉम कासे के सवाल पर रॉबर्ट  ब्लैक ने बताया कि  , 'ओबामा ने कहा है कि अमेरिका भारत को एक वैश्विक ताकत के रूप देखता है। उनका मानना है कि भारत     21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए अमेरिका का अहम साथी हो सकता है। अमेरिका की इस स्वीकारोक्ति से यह कहावत चरितार्थ हो गई कि " अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे ।"  इस घटना से  अब  भारत के प्रति बैर-भाव  रखने वाले अन्य  देश के राष्ट्राध्यक्षों  को सबक  लेना  चाहिए । ००२६७



18 अगस्त, 2010

आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ



आचार्य श्रीराम शर्मा की सूक्तियाँ



(1)    किसी को आत्म-विश्वास जगाने वाला प्रोत्साहन देना ही सर्वोत्तम    उपहार है।

(2)    दुनिया में आलस्य को पोषण देने जैसा दूसरा भयंकर पाप नहीं है।


(3)   सज्जनता ऐसी विधा है जो वचन से तो कम; किन्तु व्यवहार से अधिक परखी जाती है।
 
 
(4)   अच्छाइयों का एक-एक तिनका चुन-चुनकर जीवन भवन का निर्माण होता है,पर बुराई का एक हल्का झोंका ही उसे मिटा डालने के लिए पर्याप्त होता है।
 
 
(5)    परमात्मा की सृष्टि का हर व्यक्ति समान है। चाहे उसका रंग वर्ण, कुल और गोत्र कुछ भी क्यों न हो
 
 
(6)   मनुष्य जन्म सरल है, पर मनुष्यता कठिन प्रयत्न करके कमानी पड़ती है।


(7)   साधना का अर्थ है-कठिनाइयों से संघर्ष करते हुए भी सत्प्रयास जारी रखना।


(8)   सज्जनों की कोई भी साधना कठिनाइयों में से होकर निकलने पर ही पूर्ण होती है।00268

17 अगस्त, 2010

विचार तत्व


स्वामी विवेकानन्द के विचार




मेरी दृढ धारणा है कि तुममें अन्धविश्वास नहीं है। तुममें वह शक्ति विद्यमान है, जो संसार को हिला सकती है, धीरे - धीरे और भी अन्य लोग आयेंगे। 'साहसी' शब्द और उससे अधिक 'साहसी'कर्मों की हमें आवश्यकता है। उठो! उठो! संसार दुःख से जल रहा है। क्या तुम सो सकते हो?



 हम बार - बार पुकारें, जब तक सोते हुए देवता न जाग उठें, जब तक अन्तर्यामी देव उस पुकार का उत्तर न दें। जीवन में और क्या है? इससे महान कर्म क्या है?वत्स, धीरज रखो, काम तुम्हारी आशा से बहुत ज्यादा बढ जाएगा। हर एक काम में सफलता प्राप्त करने से पहले सैंकडो कठिनाइयों का सामना करना पडता है। जो उद्यम करते रहेंगे, वे आज या कल सफलता को देखेंगे। परिश्रम करना है वत्स, कठिन परिश्रम्! काम कांचन के इस चक्कर में अपने आप को स्थिर रखना, और अपने आदर्शों पर जमे रहना, जब तक कि आत्मज्ञान और पूर्ण त्याग के साँचे में शिष्य न ढल जाय निश्चय ही कठिन काम है। जो प्रतिक्षा करता है, उसे सब चीज़े मिलती हैं। अनन्त काल तक तुम भाग्यवान बने रहो।


 प्रायः देखने में आता है कि अच्छे से अच्छे लोगों पर कष्ट और कठिनाइयाँ आ पडती हैं। इसका समाधान न भी हो सके, फिर भी मुझे जीवन में ऐसा अनुभव हुआ है कि जगत में कोई ऐसी वस्तु नहीं, जो मूल रूप में भली न हो। ऊपरी लहरें चाहे जैसी हों, परन्तु वस्तु मात्र के अन्तरकाल में प्रेम एवं कल्याण का अनन्त भण्डार है। जब तक हम उस अन्तराल तक नहीं पहुँचते, तभी तक हमें कष्ट मिलता है। एक बार उस शान्ति-मण्डल में प्रवेश करने पर फिर चाहे आँधी और तूफान के जितने तुमुल झकोरे आयें, वह मकान, जो सदियों की पुरानी  चट्टान पर बना है, हिल नहीं सकता। 00271