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21 जुलाई, 2010

भामाशाह जिन्दा है

दानवीर लाहावती एंव दुकलहीन बाई बनी प्रेरणा श्रोत 


भारत में दान देने की परम्परा आदिकाल से चली आ रही है। राजा हरिश्चंद्र से लेकर भामाशाह तक की कथा हम लोग नित्य पढ़ते-सुनते है। जिन्होने देश-धर्म के लिए सर्वस्व न्योछावार कर दिया था। इसी श्रेणी में भील आदिवासी एकलव्य का भी नाम आता है जिसने गुरू द्रोणाचार्य के कहने पर अपना अंगूठा ही दान कर दिया। इसीलिए भारत को त्यागियों,तपस्यिों एवं बलिदानियों का देश कहा जाता है।

वर्तमान समय में जो संस्कृति विकसित हुई हैं उसमें दानशीलता का कहीं कोई स्थान नहीं है। हर कोई हड़पने में लगा है। लोग देश व समाज के बजाय ”मैं और मेरा परिवार” की भावना लेकर चल रहे हैं। देश व समाज के प्रति कर्तव्यों की अनदेखी कर रहे हैं, तथा केवल अधिकार की बात करते हैं।

प्रायः सभी लोग मानते है कि शिक्षा, स्वास्थ, सड़क, पानी व बिजली जैसी अति-आवश्यक चीजों को मुहैया कराना केवल सरकार का काम है। हमारा काम केवल उपभोग करना है। एक जमाना था जब लोग तालाब और   कुंआ खुदवाते थे,बगीचे लगवाते थे ताकि पर्यावरण की सुरक्षा हो सके लेकिन अब ऐसी बातें  काल्पनिक लगने लगी है।

दिनांक २१-०७-२०१० को गांव के एक गरीब परिवार ने 10 लाख रू. का हाईस्कूल भवन बनाकर शासन को दान किया। यह प्रसंग है छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर जिले के अंतर्गत अभनपुर विकासखण्ड के ग्राम कुर्रू का। इस गांव की अनुसूचित जाति वर्ग की महिला श्रीमती लाहाबती पति श्री बुधारू कोठारी ने अपने पिता स्व. सुखरू राम बंजारे के स्मृति में न केवल 10 लाख रू. का हाईस्कूल भवन बनाया बल्कि दो लाख रू. अतिरिक्त दिया। श्रीमती लाहाबती कोठारी ने शिक्षा की ज्योति जलाने के लिए अनुकरणीय कार्य किया है। छत्तीसगढ़ के महामहिम राज्यपाल शेखरदत्त ने आज स्वयं कुर्रू गांव जाकर श्रीमती लाहाबती एवं उसके पति का सम्मान किया। राज्यपाल महोदय का यह कदम वास्तव में बहुत ही सराहनीय है। समाज को नई   प्रेरणा   देने वाले ऐसे शख्शियत का सम्मान करने यदि राज्य के सत्ता प्रमुख स्वयं उसके गांव पहुंचे तो अन्य लोगों को प्रेरणा तो मिलेगी ही.

ऐसा ही एक प्रसंग 24 अप्रैल 2010 को देखने को मिला जब अभनपुर ब्लाक के ग्राम मुड़रा की आदिवासी वृद्ध महिला श्रीमती दुकलहीन बाई ने एक-एक रूपिये एकत्र कर 5 लाख रूपिये का शाला भवन बनाकर दान किया। मजे की बात तो यह है श्रीमती दुकलहीन बाई ध्रुव  स्वयं अनपढ़ है। उसकी कोई संतान नहीं है तथा जीवन के अंतिम पड़ाव में है। शासन के ग्राम सुराज अभियान के अंतर्गत जिले के शिक्षा मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल जब ग्राम मुड़रा पहुंचे तो वह फूले नहीं समा रही थी। मंत्री जी के हाथों सम्मानीत होते उसकी आखें भर आई।

वर्तमान समय मे ऐसे प्रसंग कम ही आते हैं। यदि ऐसे दानवीरों को सुर्खियां मिलेगी, सम्मान मिलेगा तो नई पीढ़ी को इससे प्रेरणा मिलेगी। जब महामहिम राज्यपाल महोदय ने श्रीमती लाहाबती का सम्मान किया उस अवसर पर न केवल पूरा कुर्रू गांव बल्कि पचेड़ा, खंडवा, चेरिया, पौंता, बंजारी, उपरवारा, सुन्दरकेरा, कठिया, जामगांव, खोला, तूता, निमोरा,मानिकचौरी , गोबरा नवापारा, पटेवा, सिवनी, डोमा, मोखेतरा, तामासिवनी, तोरला, पोड़, मंदलोर, तेन्दूवा के अलावा न्यू रायपुर से जुड़े गांव के लोग भी भारी संख्या में उपस्थित थे।

   

18 जुलाई, 2010

मनुष्य

मनुष्य   पद ,  पैसे   व   जाति   से  महान   नहीं  बनता ;  मनुष्य     महान  बनता  है  अपने   कर्म , व्यवहार  एवं  ज्ञान से      -  कबीर

17 जुलाई, 2010

भारत पाक वार्ता : शांति बनाम क्रांति

पिछले गुरुवार को भारत -पाकिस्तान वार्ता विफल हो गई ,भारत के विदेश मंत्री एस.एम् .कृष्णा बैरंग लौट आये .सिवाय अपमान के भारत को कुछ  हासिल नहीं हुआ.  ना जाने इस प्रकार की वार्ता कब तक चलती रहेगी ,कब तक भारत को अपमान का घूंट पीना पड़ेगा . पाकिस्तान के विदेश मंत्री   शाह महमूद कुरैशी  ने भारतीय विदेश मंत्री के खिलाफ  जो टिपण्णी  की है वह बहुत ही अमर्यादित एवं असहनीय है .इस अमर्यादित टिपण्णी के बाद प्रधान मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह  का यह कहना कि  सभी मुद्दों पर बातचीत होगी ,बड़ा आश्चर्य जनक है. गुरूवार की घटना के बाद पाकिस्तान से मर्यादा की आस करना व्यर्थ है. एक तरफ तो  भारत की शांति की नीति रही है तो दूसरी तरफ पाकिस्तान क्रांति चाहता है.   

प्रदूषण के खिलाफ जंग-- हरियर अभियान

            




 छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 20 कि. मी. दूर रायपुर में आज एक लाख पौधे रोप कर नया इतिहास रचा है। छत्तीसगढ़ के गर्वनर शेखरदत्त, मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह, उनके मंत्रीमंडल के सदस्य, जनप्रतिनिधि, अधिकारी, कर्मचारी, किसान, मजदूर एवं स्कूली बच्चे सबने इस पावन कार्य पर होम दिया। चारो तरफ उत्साह और उमंग का माहौल दृष्टिगोचर हो रहा था । स्कूली बच्चो में काफी उत्साह दिखाई दे रहा था। नई राजधानी स्थल में पहली बार आने की खुशी भी थी । सबने पेड़ लगाये। कितना अदभुत दृश्य था। हजारो के संख्या में लोग पौधे रोप रहे थे ।

        हरियर अभियान का शुभारंभ नई राजधानी से किया गया । नई राजधानी हरी भरी एवं खूबसूरत होगी इसकी कल्पना की जा सकती है। एक साल बाद जब नई राजधानी में जब काम काज शुरू होगा तब तक ये पौधे अपना जड़ जमा लेगें । पर्यावरण को स्वच्छ और सुन्दर बनायेगें । आज का अभियान पर्यावरण की रक्षा के लिये आवश्यक था । नई पीढ़ी ने पेड़ के महत्ता  को आज समझा है । दरअसल हरियर अभियान प्रदुषण के खिलाफ एक जंग है इसमें सबको ‘शामिल होना चाहिए। प्रदूषण से देश को बचाना है । हर नागरिक को  शुद्ध वातावरण में जीने का अधिकार  है । प्रदूषण के खिलाफ इस जंग में जनता की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है।

खूबसूरत राजधानी का सपना :-
                    इस कार्यक्रम के बहाने बहुतों ने आज नई राजधानी का सिंहावलोकन किया । चारो तरफ सड़को का जाल बिछ रहा है । रायपुर,अभनपुर, आरंग व मंदिरहसौद से नई राजधानी को जोड़ने के लिए फोरलेन व सिक्सलेन की सड़को का निर्माण हो रहा है । मंत्रालय एवं अन्य कार्यालयीन भवनो का निर्माण व्यवस्थित ढंग से हो रहा है देश की सबसे खूबसूरत राजधानी बनाने का वर्तमान सरकार का सपना साकार होता दिखाई दे रहा है ।