पिछले गुरुवार को भारत -पाकिस्तान वार्ता विफल हो गई ,भारत के विदेश मंत्री एस.एम् .कृष्णा बैरंग लौट आये .सिवाय अपमान के भारत को कुछ हासिल नहीं हुआ. ना जाने इस प्रकार की वार्ता कब तक चलती रहेगी ,कब तक भारत को अपमान का घूंट पीना पड़ेगा . पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भारतीय विदेश मंत्री के खिलाफ जो टिपण्णी की है वह बहुत ही अमर्यादित एवं असहनीय है .इस अमर्यादित टिपण्णी के बाद प्रधान मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का यह कहना कि सभी मुद्दों पर बातचीत होगी ,बड़ा आश्चर्य जनक है. गुरूवार की घटना के बाद पाकिस्तान से मर्यादा की आस करना व्यर्थ है. एक तरफ तो भारत की शांति की नीति रही है तो दूसरी तरफ पाकिस्तान क्रांति चाहता है.
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