छत्तीसगढ़ में सहकारिता आन्दोलन को मिला व्यापक जनाधार
- अशोक बजाज
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार के नौ वर्ष पूर्ण
होने और उनके द्वितीय कार्यकाल के पांचवें वर्ष के शुभारंभ के अवसर पर आज
यहां रायपुर जिला सहकारी संघ द्वारा 'छत्तीसगढ़ में नये क्षितिज को छूती
सहकारिता' विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। चौबे कॉलोनी स्थित सहकारी
सदन में मुख्य वक्ता के रूप में छत्तीसगढ़ राज्य भण्डारगृह निगम के अध्यक्ष
श्री अशोक बजाज और प्रदेश के जाने-माने अर्थशास्त्री द्वय डॉ. अशोक पारख
तथा डॉ. हनुमंत यादव ने संगोष्ठी को सम्बोधित किया। रायपुर दुग्ध संघ के
अध्यक्ष श्री रसिक परमार सहित अनेक प्रबुध्द नागरिक और सहकारी संस्थाओं के
प्रतिनिधि इस अवसर पर उपस्थित थे।
श्री अशोक बजाज ने इस अवसर पर कहा कि डॉ. रमन सिंह ने प्रदेश के विकास की अपनी कार्यसूची में सहकारिता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। उनके गतिशील नेतृत्व में सहकारिता आन्दोलन का लगातार विस्तार हो रहा है और इसे व्यापक जनाधार मिला है। इस रचनात्मक आन्दोलन के प्रति सामाजिक चेतना भी बढ़ी है। श्री बजाज ने कहा कि सहकारिता मनुष्य को उन्नति के शिखर पर ले जाती है। रमन सरकार ने विगत नौ वर्षो में छत्तीसगढ़ में सहकारिता आन्दोलन को सुदृढ़ बनाकर प्रदेश के लाखों किसानों, मजदूरों और वनवासी परिवारों की आर्थिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त किया है। छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के सुचारू संचालन के फलस्वरूप 34 लाख गरीब परिवारों को हर महीने मात्र एक रूपए और दो रूपए किलो में 35 किलो चावल तथा नि:शुल्क दो किलो नमक नियमित रूप से मिल रहा है। इसके फलस्वरूप राज्य के गरीबों को भूख की पीड़ा से मुक्ति मिली है।
श्री बजाज ने कहा कि सहकारिता के माध्यम से ही प्रदेश में एक हजार 333
प्राथमिक सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों का एक-एक दाना धान समर्थन
मूल्य नीति के तहत खरीदने और राशि के भुगतान की समुचित व्यवस्था की गई है।
उन्होंने कहा कि सहकारिता पर आधारित छत्तीसगढ़ की सार्वजनिक वितरण प्रणाली
को देश भर में एक मॉडल के रूप में देखा जा रहा है। कृषि ऋणों पर ब्याज दर
को तेरह-चौदह-पन्द्रह प्रतिशत से घटाकर मात्र एक प्रतिशत किए जाने का
निर्णय किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है। उन्होंने कहा कि रमन सरकार
ने महंगाई के इस दौर में खेती की बढ़ती लागत से किसानों को राहत दिलाने के
लिए सहकारी समितियों में कृषि ऋणों पर ब्याज दर को लगातार कम किया है। वर्ष
2001-02 में जब यह ब्याज दर तेरह से पन्द्रह प्रतिशत थी, उस समय केवल तीन
लाख 95 हजार किसानों ने 152 करोड़ 42 लाख रूपए का ऋण लिया था, जबकि आज उनके
ब्याज दर मात्र एक प्रतिशत करने पर नौ लाख 45 हजार से ज्यादा किसानों ने एक
हजार 687 करोड़ रूपए का ऋण इन समितियों से प्राप्त किया है। यह किसानों के
हित में रमन सरकार की महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इससे यह स्पष्ट होता है कि
छत्तीसगढ़ में गांव, गरीब और किसानों के लिए सहकारिता के क्षेत्र में रमन
सरकार की नीति काफी उपयोगी और सार्थक साबित हो रही है। श्री बजाज ने
छत्तीसगढ़ में सहकारी आन्दोलन को बढ़ावा देने और सहकारिता को नई ऊंचाईयों तक
पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री और उनकी सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया। इस
मौके पर छत्तीसगढ़ के सुप्रसिध्द अर्थशास्त्री और छत्तीसगढ़ के द्वितीय राज्य
वित्त आयोग के सदस्य डॉ. अशोक पारख ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सहकारिता
आन्दोलन कई मामलों में देश के अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर स्थिति में
है। डॉ. पारख ने कहा कि प्रदेश में कार्यरत महिला स्व-सहायता समूहों की भी
इसमें महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। डॉ. हनुमंत यादव ने कहा कि छत्तीसगढ़
में सहकारिता के क्षेत्र में जहां लघु वनोपज समितियों के माध्यम से लाखों
तेन्दूपत्ता संग्राहकों को बेहतर पारिश्रमिक के साथ बोनस भी दिया जा रहा है
वहीं सहकारी समितियां धान खरीदी के साथ-साथ दूध के उत्पादन और व्यवसाय में
भी अपना योगदान दे रही हैं। उन्होंने कहा कि हम सहकारिता के माध्यम से
स्वदेशी वस्तुओं के कारोबार का अभियान चलाकर एफडीआई और विदेशी उत्पादकों का
मुकाबला कर सकते हैं। डॉ. यादव ने कहा कि किसानों, ग्रामीणों और
वनवासियों के उत्थान में सहकारिता की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत
माता के चित्र पर माल्यार्पन कर तथा दीप प्रज्जवलन के साथ संगोष्ठी का
शुभारंभ हुआ। आभार प्रदर्शन श्री लियाकत अली ने किया।