चंपारण
में आज दिनांक 1 जुलाई 2012 को "मेडागास्कर पध्दति" (श्री पध्दति) से धान
की खेती का शुभारंभ हुआ. छत्तीसगढ़ के किसान इस पद्धति से धान का उत्पादन
दो से तीन गुना तक बढ़ा सकते हैं.राज्य सरकार किसानों को कृषि की नई व
उन्नत तकनीक के इस्तेमाल पर भी जोर दे रही है ताकि धान का उत्पादन और अधिक
बढ़ सके. मेडागास्कर पध्दति छत्तीसगढ़ की कृषि जलवायु के अनुकूल है.इस पद्धति
में नर्सरी में तैयार किए गए धान के 12 -15
दिन की उम्र के केवल एक-एक पौधें खेतों में लाईन से रोपे जाते हैं.पौधों
को रोपाई के लिए तैयार खेतों में एक से दो सेंटीमीटर की गहराई में सीधी
लाईन में लगाया जाता है. रोपाई किए जाने वाले पौधों की आपस में दूरी बीस
सेंटीमीटर रखी जाती है. मेडागास्कर पध्दति में पौधों की रोपाई वर्गाकार
तरीकें से की जाती है, ताकि निंदाई-गुड़ाई का काम आसानी से किया जा सकें. इस
पध्दति में धान के खेतों में लगातार पानी भरने के आवश्यकता नहीं है, केवल
भूमि को नम रखना पड़ता है इससे पानी की बहुत बचत होती है. इस विधि में धान
की रोपाई के दस दिन बाद से ही निंदाई शुरू कर दी जाती है और पौधों की
केनॉपी घनी होने तक दस-दस दिन के अन्तराल में निंदाई की जाती है.
मेडागास्कर पध्दति में गोबर खाद या कस्पोस्ट खाद का अधिकाधिक मात्रा में
प्रयोग करना चाहिए.चंपारण के उन्नतशील कृषक श्री शोभाराम साहू इस पद्धति के
प्रति काफी रूचि ले रहे है , उन्हें हमारी शुभकामनाएं.
हमारी ढेरों शुभकामनायें, धरती सोना उगले...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें,
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