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12 मार्च, 2012

फल फूल एवं सब्जी के लिए बनेगा कोल्ड स्टोरेज




भण्डार गृह निगम को 21.90 करोड़ रूपए का मुनाफा


प्रदेश सरकार के सार्वजनिक उपक्रम छत्तीसगढ़ राज्य भण्डार गृह निगम को चालू वित्तीय वर्ष के दौरान 21 करोड़ 90 लाख रूपए का विशुध्द मुनाफा हुआ है, जो पिछले वर्ष की तुलना में तीन प्रतिशत ज्यादा है। निगम की भण्डारण क्षमता आज की स्थिति में बढ़कर करीब सात लाख मीटरिक टन हो गयी है, जबकि वर्ष 2002 में इसकी भण्डारण क्षमता केवल चार लाख 24 हजार मीटरिक टन थी। यह जानकारी आज यहां आयोजित निगम की 9वीं वार्षिक साधारण सभा में दी गयी। निगम मुख्यालय में आयोजित साधारण सभा की बैठक की अध्यक्षता निगम अध्यक्ष श्री अशोक बजाज ने की। श्री बजाज ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की मंशा के अनुरूप निगम द्वारा राज्य में अनाज भण्डारण के अलावा फल-फूलों और सब्जियों के सुरक्षित भण्डारण के लिए कोल्ड स्टोरेज निर्माण की योजना भी तैयार की जा रही है। इस अवसर पर केन्द्रीय भण्डार गृह निगम के प्रतिनिधि श्री अविनाश गायमुखे, राज्य शासन के प्रतिनिधि, खाद्य विभाग के अवर सचिव श्री एम.के. गुप्ता और निगम महाप्रबंधक श्री जन्मेजय महोबे सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। DPR

06 मार्च, 2012

तोर पैरी के झनर झनर....



सम्मान समारोह
त्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में अंचल की दो महान हस्तियों के सम्मान का सुअवसर मिला. एक है प्रथम छत्तीसगढ़ी फिल्म के निर्माता/निर्देशक श्री मनु नायक तथा दूसरे है आज के छत्तीसगढ़ी फिल्म स्टार सही अनुज शर्मा . फ़िल्मी दुनिया से जुड़े इन महान हस्तियों का सम्मान समारोह आयोजित किया था मोहनलाल देवांगन ने जो रेडियो के नियमित श्रोता  है. सम्मान समारोह में ज्यादातर रेडियो श्रोता ही थे . ब्लॉगर ललित शर्मा भी आ गए थे . रेडियो श्रोताओं की जब भी जमघट होती है आकाशवाणी के वरिष्ठ एनाउंसर श्री श्याम वर्मा पहुँच ही जाते है .
 
श्री मनु नायक एक जाना पहचाना नाम है ,इन्होने दशकों पहले १९६५ में  छत्तीसगढ़ी फिल्म बनाने का साहस किया . फिल्म का नाम था- " कहि देबे सन्देश "  उस समय यह फिल्म खूब चर्चित हुई थी . श्री नायक ने इस फिल्म के कुछ गाने मोहम्मद रफ़ी साहब से गवाए थे . कुछ गाने आज भी जेहन पर है जैसे--" झमकत नदिया बहिनी लागे, पर्वत मोर मितान ..." 

                   

 

 

 इस फिल्म का एक और चर्चित गाना था --" तोर पैरी के झनर झनर ,तोर चुरी के खनर खनर ....  "

 

                   



01 मार्च, 2012

एक ब्लॉगर का यू टर्न



ब्लाग पंडित श्री ललित शर्मा ने फेसबुक से मोह त्याग कर पुनः ब्लागिंग का रास्ता पकड़ लिया है .कुछ माह पूर्व तक इस शख्स को अपने चर्चित ब्लाग ललित डाट काम में  नई पोस्ट लगाये बिना नींद नहीं आती थी. विषय कोई  ढंग का हो या ना हो लेकिन अपनी लेखनी से उसे रोचक बना देने की कला में माहिर इस शख्स ने  हाथी,घोडा,गधा,घड़ी,रेडियो,साइकल,खेत,खलिहान,नदी,पहाड़,बैल,भैस,कुत्ता,धर्म,संस्कृति,भाषा,बोली,रीति-रिवाज   और ना जाने कितने विषयों पर पोस्ट लिखा है.यहाँ तक कि झाड़ू जैसे निकृष्ट विषय पर भी इसने पोस्ट लिखी है .सर्च इंजिन  में कुछ भी सर्च करो ब्लाग पंडित सर्च हो जाते थे .कमेन्ट बटोरने में भी इसका कोई जवाब नहीं . एक-एक पोस्ट में सौ-सौ कमेन्ट कैसे प्राप्त करना है यह कला कोई इसी से सीखे . चिट्ठाजगत की सक्रियता क्रमांक में हमेशा टॉप टेन में रहने वाले इस शख्स को एक दिन फेसबुक का नशा चढ़ गया फिर क्या था वह फेसबुक का ही होकर रह गया . लेखनी बंद हो गई , कमेंट्स बंद हो गए और सर्च इंजिन भी फेल हो गया . बहुत सारे साथी भी छुट गए. फेसबुक तो आखिर फेसबुक है उसके कारण इतनी कुर्बानी तो देनी ही पड़ेगी .
ब्लाग पंडित श्री ललित शर्मा


     शायद भूलन कांदा के प्रभाव से अचानक आज उसने यूं टर्न  लिया और फेसबुक से नाता तोड़ कर पुनः ब्लोगिग की दुनिया में प्रवेश कर लिया . अभी भी ऐसे बहुत से ब्लागर है जो ब्लोगिंग से कट चुके है . एक समय मुझे भी लग रहा था कि ब्लोगिंग कहीं संग्रहालय की वस्तु तो नहीं बन जायेगी . वैसे मै भी अपनी सामाजिक ,राजनैतिक व्यस्तताओं के चलते पिछले तीन माह से ब्लोगिंग के लिए वक्त नहीं निकाल पा रहा हूँ,सो फेसबुक से ही संतोष करना पड़ रहा है . लेकिन मैंने ब्लोगिंग के प्रति बेरुखी नहीं दिखाई . जब भी थोड़ा वक्त मिलता है लिख ही लेता हूँ . चुनाव प्रचार के लिए लंबे समय तक उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में रहना पड़ा . वहां सर्वर धीमी गति से चलता था ,ऊपर से कड़कड़ाती ठण्ड . वहां रजाई में दुबकने में ही भलाई थी .

बहरहाल आज जब ललित ने  फेसबुक से मुंह मोड़ा तो इस पोस्ट के लिए समय निकालना लाजिमी हो गया . आशा है कि अब नियमित रूप से ललित डाट काम में विभिन्न विषयों पर लेख पढ़ने को मिलेगा.