हरियाली के लिए पानी और पानी के लिए हरियाली जरूरी है |
आज हरियाली का पर्व है, छत्तीसगढ़ में इस पर्व को हरेली कहा जाता है. यह पर्व हमें धरती को हरा भरा कर वायुमंडल को शुद्ध व स्वच्छ बनाये रखने का सन्देश देता है. हमें यदि शुद्ध आक्सीजन चाहिए तो अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने होंगे. वनों को विनाश से बचाना होगा.
छत्तीसगढ़ में इस पर्व की विशेष महत्ता है, एक ओर किसान जहाँ अपने कृषि औजारों की पूजा करते है तो दूसरी ओर बच्चे बांस की गेड़ी में चढ़कर घूमते व मस्ती करते है. आज से ही त्योहारों का सिलसिला भी शुरू हो जाता है, इसीलिये हरेली त्यौहार को इस सीजन का प्रथम त्यौहार माना जाता है. आगे एक के बाद एक पर्व आयेंगें जैसे रक्षा बंधन, पोला, तीज, श्री गणेशोत्सव आदि आदि. उसके बाद नव-रात्रि, दशहरा और दिवाली भी तो सामने है. परन्तु किसानों के लिए तो खरीफ पर्व चल रहा है, इसके लिए पर्याप्त वर्षा जरुरी है. इस बार मानसून की बेरूखी के कारण वर्षा कम हुई है. सावन के महीने में भी गर्मी सता रही है. तालाब, कुएं व बांध अभी तक भरे नहीं है जबकि सावन में इन्हें ओवर फ्लो हो जाना था. हरियाली के लिए पानी और पानी के लिए हरियाली जरूरी है, शायद इसीलिये बुजुर्गों ने सावन की अमावस्या को हरियाली पर्व के रूप में मनाने की परंपरा डाली होगी.
आप सबको हरियाली अमावस्या की ढेर सारी बधाइयाँ एवं शुभकामनाएं .