ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है * * * * नशा हे ख़राब झन पीहू शराब * * * * जल है तो कल है * * * * स्वच्छता, समानता, सदभाव, स्वालंबन एवं समृद्धि की ओर बढ़ता समाज * * * * ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है

17 अप्रैल, 2011

|जय हनुमान ज्ञान गुन सागर


 ।।दोहा।। श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुर सुधार

                    बरनौ रघुवर बिमल जसु , जो दायक फल चारि

 बुद्धिहीन तनु जानि के , सुमिरौ पवन कुमार
 बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरहु कलेश विकार

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिंहु लोक उजागर
रामदूत अतुलित बल धामा अंजनि पुत्र पवन सुत नामा

महाबीर बिक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी
कंचन बरन बिराज सुबेसा, कान्हन कुण्डल कुंचित केसा

हाथ ब्रज औ ध्वजा विराजे कान्धे मूंज जनेऊ साजे
शंकर सुवन केसरी नन्दन तेज प्रताप महा जग बन्दन

विद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया रामलखन सीता मन बसिया

सूक्ष्म रूप धरि सियंहि दिखावा बिकट रूप धरि लंक जरावा
भीम रूप धरि असुर संहारे रामचन्द्र के काज सवारे

लाये सजीवन लखन जियाये श्री रघुबीर हरषि उर लाये
रघुपति कीन्हि बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरत सम भाई

सहस बदन तुम्हरो जस गावें अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावें
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद सारद सहित अहीसा

जम कुबेर दिगपाल कहाँ ते कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा राम मिलाय राज पद दीन्हा

तुम्हरो मन्त्र विभीषन माना लंकेश्वर भये सब जग जाना
जुग सहस्र जोजन पर भानु लील्यो ताहि मधुर फल जानु

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख मांहि जलधि लाँघ गये अचरज नाहिं
दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते

राम दुवारे तुम रखवारे होत न आज्ञा बिनु पैसारे
सब सुख लहे तुम्हारी सरना तुम रक्षक काहें को डरना

आपन तेज सम्हारो आपे तीनों लोक हाँक ते काँपे
भूत पिशाच निकट नहीं आवें महाबीर जब नाम सुनावें

नासे रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा
संकट ते हनुमान छुड़ावें मन क्रम बचन ध्यान जो लावें

सब पर राम तपस्वी राजा तिनके काज सकल तुम साजा
और मनोरथ जो कोई लावे सोई अमित जीवन फल पावे

चारों जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा
राम रसायन तुम्हरे पासा सदा रहो रघुपति के दासा

तुम्हरे भजन राम को पावें जनम जनम के दुख बिसरावें
अन्त काल रघुबर पुर जाई जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई

और देवता चित्त न धरई हनुमत सेई सर्व सुख करई
संकट कटे मिटे सब पीरा जपत निरन्तर हनुमत बलबीरा

जय जय जय हनुमान गोसाईं कृपा करो गुरुदेव की नाईं
जो सत बार पाठ कर कोई छूटई बन्दि महासुख होई

जो यह पाठ पढे हनुमान चालीसा होय सिद्धि साखी गौरीसा
तुलसीदास सदा हरि चेरा कीजै नाथ हृदय मँह डेरा

।।दोहा।। पवन तनय संकट हरन मंगल मूरति रूप
             राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप

हनुमान जयंती पर आपको हार्दिक बधाई !!!
photo by google

11 अप्रैल, 2011

रामनवमी के पावन पर्व पर हार्दिक बधाई

आज भगवान श्री रामचन्द्र जी का जन्म दिन है ,भगवान के जन्म काल की तिथि ,समय और महिने का चित्रण गोस्वामी तुलसी दास  यूं किया है -

नौमी तिथि मधुमास पुनीता । सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता।
मध्य दिवस अति सीत न धामा ।   पावन काल लोक विश्रामा ।।

अर्थात जब भगवान श्रीराम का प्रादुर्भाव हुआ तब नवमी तिथि, चैत्र का पवित्र महीना, शुक्ल पक्ष और अभिजीत मुहूर्त था। ऎसा समय सब लोकों को शांति देने वाला होता था।


भये प्रगट कृपाला  दीनदयाला  कौसल्या  हितकारी ।
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी ।।

लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी ।
भूषन वनमाला नयन बिसाला सोभा सिन्धु खरारी ।।

कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता ।
माया   गुन   ग्यानातीत     अमाना वेद पुरान भनंता ।।

करुना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता ।
सो मम हित लागी जन अनुरागी भयौ प्रकट श्रीकंता ।।

ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै ।
मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहै ।।

उपजा जब ग्याना प्रभु मुसुकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै ।
कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै ।।

माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा ।
कीजे सिसुलीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा ।।

सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा ।
यह चरित जे गावहि हरिपद पावहि ते न परहिं भवकूपा ।।

बिप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार ।
निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन गो पार ।।


श्री रामनवमी के पावन पर्व पर आप सब को हार्दिक बधाई  एवं शुभकामनाएं ! - अशोक बजाज 

10 अप्रैल, 2011

शराबियों को चुटकुलों पर हँसी नहीं आती

नशेबाजों का मजाक को समझने का हिस्सा कुंद

जर्मनी में लगभग 25 लाख लोग शराब के नशे के शिकार है। शराब का घातक असर गुर्दे, आँत, व साथ ही हृदय की माँसपेशियों पर भी पड़ता है। इसके अलावा मस्तिष्क में चयापचय की प्रक्रिया पर भी उसका नकारात्मक असर देखा जा सकता है।

मिसाल के तौर पर देखा गया है कि शराब के नशेड़ी चुटकुले नहीं समझ पाते हैं। जर्मन न्यूरोसाइकोलॉजिस्ट जेनिफर उएकरमान्न व ब्रिटिश वैज्ञानिकों के एक शोध से पता चला है कि चुटकुलों पर मस्तिष्क के जिस हिस्से में प्रतिक्रिया होती है, शराब के नशेड़ियों में वह हिस्सा कुंद हो जाता है। जेनिफर उएकरमान्न बताती हैं कि इस अध्ययन में उनका काम था इंटरनेट से चुटकुलों को छाँटना।
इसकी खातिर उन्होंने लगभग 20 हजार चुटकुले पढ़े। उनको चुनने के मामले में कुछ एक बातों पर ध्यान देना पड़ा। मिसाल के तौर पर यह कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ कोई चुटकुला न हो।

अंततः 24 चुटकुले छाँटे गए, जिनके जरिये पता लगाना था कि चुटकुलों में छिपे सामाजिक मुद्दों पर नशेड़ियों की क्या प्रतिक्रिया होती है।

जेनिफर उएकरमान्न कहती हैं कि वे देखना चाहते थे कि क्या उनके चेहरे पर प्रतिक्रिया होती है या वे कुछ कहते हैं। इन परीक्षणों में उन्होंने भी हिस्सा लिया। उनकी इस बात में खास दिलचस्पी थी कि जब कोई कहानी या चुटकुला पेश किया जाता है तो दिमाग के अंदर क्या होता है।

चुटकुलों में सामाजिक अंतरसंबंधों की झलक मिलती है। वैज्ञानिक परिभाषा के अनुसार दो स्तरों में उन्हें ग्रहण किया जाता है। पहली बात कि उसमें छिपे विरोधाभास को पहचानना पड़ता है, उससे निपटना पड़ता है, और इसके अलावा उसे मजेदार समझना पड़ता है।

यह तभी संभव है अगर इंसान अपने आपको दूसरे की जगह पर सांच सके. न्यूरोसाइकोलॉजी की भाषा में इस क्षमता को थियोरी ऑफ माइंड कहा जाता है. इस अध्ययन के तहत 29 स्वस्थ लोगों और 29 शराब के नशेड़ियों के अधुरे चुटकुले सुनाए गए, और चार विकल्पों में से कोई एक चुनकर उन्हें हर चुटकुले को पूरा करना था

सही जवाब के मामले में दोनों वर्गों के बीच काफी अंतर पाए गए, जैसा कि जेनिफर उएकरमान्न कहती हैं कि शराब के नशेड़ियों के बीच लगभग 68 फीसदी जवाब सही थे। और जिन स्वस्थ लोगों के साथ उनकी तुलना की गई थी, उनमें यह नतीजा 90 फीसदी के बराबर था।

कहाँ पहुँचते हैं चुटकुले

चुटकुले, शराब और ठहाके ? को समझने की यह समस्या मस्तिष्क के एक खास हिस्से से जुड़ी हुई है। जेनिफर उएकरमान्न कहती हैं कि दूसरे परीक्षणों के आधार पर पता चला है कि चुटकुलों को समझने के मामले में मस्तिष्क के कुछ खास हिस्से सक्रिय होते हैं। खासकर प्रीफ्रॉन्टल कोर्टेक्स, यानी सिर के अगले हिस्से से कुछ अंदर का हिस्सा। यह हिस्सा इंसानों के बीच संबंधों के सिलसिले में एक प्रमुख भूमिका अदा करता है, मसलन नियोजन और समस्याओं के समाधान की खातिर सामाजिक तनावों और याददाश्त के मामलों में। अगर यहाँ किसी चुटकुले पर ठीक से प्रतिक्रिया नहीं होती है, तो इसका मतलब है कि सामाजिक संबंधों के सिलसिले में भी समस्याएँ पैदा हो रही हैं। इस अध्ययन के नतीजों के आधार पर नशेड़ियों के सामाजिक व्यवहार में सुधार के लिए नुस्खे तैयार किए जा सकते हैं।

वैसे अगर चुटकुला सुनने पर अगर हँसी न आए, तो घबराने की भी कोई जरूरत नहीं है, जेनिफर उएकरमान्न का मानना है कि किस चुटकुले पर हँसी आए, ये हर किसी का अपना मसला है।

हँसी और चुटकुले पर अध्ययन करते हुए कहीं उनकी अपनी हँसी तो गायब नहीं हो गई है? इस सवाल के जवाब में जेनिफर उएकरमान्न हँसते हुए कहती हैं कि उनकी हँसने की काबिलियत बनी हुई है। खासकर वह खुद पर हँसने के काबिल हैं, लेकिन चालू चुटकुलों पर हँस पाना अब थोड़ा मुश्किल हो जाता है। सही भी है, आखिर उन्हें 20 हजार चुटकुलों का अध्ययन करना पड़ा है।

07 अप्रैल, 2011

छत्तीसगढ़ के 13 जिलों में एक भी गधा नहीं...?

डंकी और मंकी की कहानी अब केवल कहानी
 रायपुर । मध्यप्रदेश का अंग रहे छत्तीसगढ़ राज्य से एक बुरी खबर आ रही हैं। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्य के विभाजन के समय इस बात का ध्यान दे दिया होता तो आज इस राज्य को इन तकलीफो का सामना नहीं करना पड़ता। अब कितनी शर्म की बात हैं कि पूरे मध्यप्रदेश में हर क्षेत्र में गधो की भरमार हैं और छत्तीसगढ़ राज्य के एक नहीं बल्कि पूरे तेरह जिलो में एक भी गधा नहीं हैं....?

इसका मतलब यह कदापि नही हैं कि पूरे प्रदेश में सभी होशियार ही हैं...? छत्तीसगढ़ राज्य के पशुधन विकास विभाग द्वारा जारी सनसनीखेज खबर के अनुसार राज्य के मात्र तीन जिलो में गधे हैं बाकी तेरह जिलो में एक भी गधा आपको कहीं देखने को भी नहीं मिलेगा। डंकी और मंकी कहानी की तरह इन तेरह जिले के बच्चों को अब गधे के दर्शन करवाना मुश्कील हो जाएगा।लोगो के लिए जीविका पार्जन का साधन बना गधा अब छत्तीसगढ़  के तेरह जिलो में लोगो का बोझ ढोने से तो बच जाएगा लेकिन यदि यही हाल रहा तो पर्यावरणविदो ने सरकार से कहा हैं कि  कहीं से गधा लाओं  क्योकि हम आने वाली पीढ़ी को विलुप्त होती चली जा रही इस प्रजाति को कैसे बता या दिखा पाएगें। छत्तीसगढ़  राज्य के पशुधन विकास विभाग द्वारा उपलब्ध करवाई गई जानकारी के अनुसार राज्य में 1 करोड़ 44 लाख 18 हजार पशु हैं।

राज्य में पक्षियो की संख्या 1 करोड़ 42 लाख 46 हजार हैं। राज्य में कुल 640 घोड़े तथा 148 गधे हैं। सबसे आश्चर्य की बात तो यह भी हैं कि राज्य के तीन जिलो में धमतरी , जशपुर , दंतेवाड़ा में एक भी घोड़ा नहीं हैं। राज्य के तीन जिलो में गधो की संख्या कुछ इस प्रकार हैं कोरबा में 68 , दुर्ग में 48 , तथा राजनांदगांव में 32 गधे हैं। अब इसे क्या कहे कि पूरे राज्य की राजधानी रायपुर में एक भी गधे नहीं हैं। राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह प्रदेश में गधो की कमी से चिंतित तो हैं लेकिन वे गधो की पैदावार बढ़ाने के लिए कोई ठोस कारगार नीति बनाने का फैसला भी अपनी केबिनेट पर छोड़ चुके हैं।

इधर इस खबर के बाद अपने उज्जवल भविष्य का सपना साकार होता देख मध्यप्रदेश के गधो ने भी छत्तीसगढ़ सरकार से यदि पासपोर्ट या वीजा के लिए आवेदन करने शुरू कर दिये तो किसी को आश्चर्य चकित नहीं होना चाहिए। रोजगार की तलाश में जब आदिवासियों का मध्यप्रदेश के कई जिलो से पलायन प्रदेश की सरकार नहीं रोक सकी है तब ऐसे में यदि गधे पलायन करने लगे तो कोई बड़ी बात नहीं होगी।