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30 दिसंबर, 2010

गुर्दे के बदले जेल से रिहाई



अमरीका में दो बहनें ग्लेडिस और जेमी उम्र क़ैद की सज़ा काट रही हैं. उन्हें अनिश्चितकाल के लिए रिहाई मिल सकती है लेकिन इसके लिए प्रशासन की एक अजीबो-ग़रीब शर्त है. शर्त ये है कि अगर ग्लेडिस स्कॉट बड़ी बहन जेमी को अपना गुर्दा दान में देती है तो रिहाई हो सकती है.

दरअसल जेमी बीमार हैं और उनका गुर्दा जल्द ही प्रतिरोपित किया जाना है.मिसीसिपी के गर्वनर ने कहा है कि अगर ग्लेडिस अपना एक गुर्दा जेमी को देने के लिए तैयार होती हैं तो उनकी जेल की सज़ा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी जाएगी. दोनों बहनों को 1994 में 16 साल पहले एक चोरी में शामिल होने के सिलसिले में जेल हुई थी और आरोप था कि दो व्यक्तियों से 11 डॉलर छीने गए थे. उस समय बहनों की 19 और 22 साल की थीं और दोषी पाए जाने पर उन्हें उम्र क़ैद की सज़ा हुई. अब बड़ी बहन जेमी स्कॉट का गुर्दा काम करना बंद कर चुका है और उसे नियमित रूप से डायलसिस की ज़रूरत है और साथ ही प्रतिरोपण की भी.

ज़्यादा कड़ी सज़ा : ---
 
इनदिनों स्कॉट बहनों का मामला सुर्ख़ियों में है. इसकी एक वजह जेमी की ख़राब सेहत और जेल में उचित इलाज न हो पाना है. लेकिन इससे भी ज़्यादा बहस इस बात को लेकर है कि क्या दोनों को अपने जुर्म के लिए कुछ ज़्यादा ही कड़ी सज़ा नहीं दी गई. कई संस्थानों ने इस सज़ा की आलोचना की थी. अब मिसीसिपी के गवर्नर हेली बारबर ने नई पेशकश कर मामले को नया मोड़ दे दिया है. हालांकि उन्होंने अपने शब्दों का चयन काफ़ी सावधानीपूर्वक किया है. गर्वनर ने ये नहीं कहा है कि वे दोनों बहनों को माफ़ी दे रहे हैं या सज़ा ख़त्म कर रहे हैं.बल्कि उन्होंने ये कहा है कि वे दोनों की सज़ा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर रहे हैं क्योंकि अब ये बहनें समाज के लिए ख़तरा नहीं है.लेकिन अगर ग्लेडिस अपनी बड़ी बहन को गुर्दा नहीं देती हैं तो उन्हें जेल में वापस आने के लिए कहा जा सकता है.

हालांकि वकीलों का कहना है कि ऐसी नौबत ही नहीं आएगी क्योंकि ग्लेडिस ने ख़ुद इस बात की पहल की है कि वे अपनी बहन को गुर्दा देना चाहती हैं. एजेंसी

28 दिसंबर, 2010

प्रख्यात सिने-निर्देशक स्व. श्री सुब्रत बोस की सगी बहन वृद्धाश्रम में ?

 रायपुर से 15 कि.मी. दूर माना कैम्प स्थित वृद्धाश्रम में रह रहे वृद्धों से आज मुलाकात हुई . मै पहली बार इस आश्रम में पहुंचा था . मुझें यह कहने में कतई संकोंच नहीं कि  यह प्रेरणा मुझे छत्तीसगढ़ भवन दिल्ली में 19/12/2010  को दिल्ली के ब्लोगरों की बैठक में मिली . भाई खुशदीप सहगल ने सुझाव दिया कि ब्लोगरों को सामाजिक सरोकार के विषय पर ध्यान देना चाहिए .उन्होंने यह भी जानकारी दी कि वे सप्ताह में एक बार वृद्धों के बीच जाते है . उनका हालचाल पूछते है  उन्हें काफी सुकून मिलाता है .वृद्धों को भी  बड़ा अच्छा लगता है . सभी ब्लोगरों को में यह सहमति बनी कि ब्लोगिंग के साथ सामाजिक सरोकार पर भी ध्यान दिया जाय . सो आज हमने शहर के पास माना कैम्प में वृद्ध-जनों से मिलने का प्रोग्राम तय किया . मेरे साथ पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग के संयुक्त संचालक श्री एन0एस0 ठाकुर, भाजपा कार्यकर्ता- श्री नारायण यादव, श्री भगवती धनगर एवं  श्री टी0टी0 बेहरा भी थे .वरिष्ठ ब्लोगर  श्री ललित शर्मा को भी मैंने फोन कर दिया था बात होते ही वे ऐसे  आ धमके जैसे उन्हें कोई पूर्व सूचना हो .हमने माना कैम्प  स्थित स्व0 कुलदीप निगम स्मारक वृद्ध आश्रम पहुंचकर वहॉं निवासरत् सभी वृद्धजनों से एक-एक कर भेंट की तथा उनका कुशलक्षेम पूछा. वृद्धाश्रम में लगभग तीन घंटे रहे. हमने  वृद्धजनों से भेंट के दौरान  उनके वृद्धाश्रम आने का कारण एवं उनके परिजनों के संबंध में भी जानकारी प्राप्त की. कुछ वृद्धजनों ने बताया कि वे स्वेच्छा से वृद्धाश्रम में दाखिल हुए हैं वहीं कुछ वृद्धजनों द्वारा पारिवारिक परिस्थिति वश वृद्धाश्रम आने की जानकारी दी  . हमने वहॉं निवासरत् सभी वृद्धजनों को शाल एवं अल्पाहर वितरित किया । वृद्धजनों ने प्रसन्नतापूर्वक  आशीर्वाद दिया. वृद्धाश्रम में सबसे चौकाने वाली बात यह थी कि एक वृद्धा   श्रीमती अपर्णा ने अपने आप को  प्रख्यात सिने-निर्देशक  स्व . श्री सुब्रत बोस की सगी बहन होने का दावा किया . ललित को तो सहसा विश्वास नहीं हुआ सो उसने कन्फर्म करने के  कुछ परिजनों के नाम पूछ लिए . वृद्धा के जवाब के बाद ललित को महिला का दावा सही लगा .

   
वृद्धाश्रम में निवासरत् जिन  वृद्धजनों से आज हम मिलें उनके नाम है : --
  01.    श्री रामसेवक दुबे                02.    श्री गणेश भट्टाचार्य              03.    श्री विप्रो मुखर्जी
    04.   श्री सुकेश सरकार               05.    श्री आर0 के0 सिंह               06.    श्रीमती रजिया
    07.   श्रीमती पुष्पा                      08.    श्रीमती सुलोचनी                09.    श्रीमती आरती
    10.  श्रीमती फुलमाला              11.    श्रीमती लक्ष्मी                     12.    श्रीमती मलिना

    13.    श्रीमती मयना                    14.    श्रीमती सुनिती                   15.    श्रीमती आकाश
    16.    श्रीमती रमा                        17.    श्रीमती अपर्णा
    18.    श्रमती सारोती                     19.    श्रीमती रामकली

25 दिसंबर, 2010

देश के सर्वाधिक लोकप्रिय एवं सर्वमान्य नेता श्री अटल बिहारी वाजपेयी ( 87 वे जन्म दिन पर विशेष )

  
देश  और दुनिया की राजनीतिक क्षितिज पर ध्रुव तारे की तरह अटल एक सितारा कोई है तो वह है हमारे अपने तथा देश के लाडले नेता माननीय अटलबिहारी वाजपेयी . वे देश के सर्वाधिक लोकप्रिय एवं सर्वमान्य नेता है . एक ऐसे उदार नेता जिनकी कथनी और करनी  में कभी  अंतर नहीं रहा . वे देश के एक मात्र नेता है जो भाषण के जरिये लाखों लोंगों को घंटो तक बाँधें रखने की क्षमता रखते है . ह्रदय से अत्यंत ही भावुक लेकिन तेजस्वी  नेता माननीय अटलबिहारी वाजपेयी का आज 87 वां जन्म दिन है  . श्री वाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर, 1924 को ग्वालियर (मध्यप्रदेश) में हुआ था. इनके पिता का नाम श्री कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम श्रीमती कृष्णा देवी है.श्री वाजपेयी के पास 40 वर्षों से अधिक का एक लम्बा संसदीय अनुभव है. वे 1957 से सांसद रहे हैं. वे पांचवी, छठी और सातवीं लोकसभा तथा फिर दसवीं, ग्यारहवीं, बारहवीं , तेरहवीं और चौदहवीं लोकसभा के लिए चुने गए और सन् 1962 तथा 1986 में राज्यसभा के सदस्य रहे.वे लखनऊ (उत्तरप्रदेश) से लगातार पांच बार लोकसभा सांसद चुने गए. वे ऐसे अकेले सांसद हैं जो अलग-अलग समय पर चार विभिन्न राज्यों-उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश तथा दिल्ली से निर्वाचित हुए हैं.
 
श्री अटल बिहारी वाजपेयी 16 से 31 मई, 1996 और दूसरी बार 19 मार्च, 1998 से 13 मई, 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे. प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने के साथ पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद वे ऐसे अकेले प्रधानमंत्री रहे हैं जिन्होंने लगातार तीन जनादेशों के जरिए भारत के प्रधानमंत्री पद को सुशोभित किया.  श्री वाजपेयी, श्रीमती इन्दिरा गांधी के बाद ऐसे  पहले प्रधानमंत्री रहे हैं जिन्होंने निरन्तर चुनावों में विजय दिलाने के लिए अपनी पार्टी का नेतृत्व किया.

वे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन जो देश के विभिन्न क्षेत्रों की विभिन्न पार्टियों का एक चुनाव-पूर्व गठबन्धन है और जिसे तेरहवीं लोकसभा के निर्वाचित सदस्यों का पूर्ण समर्थन और सहयोग हासिल है, के नेता चुने गए. श्री वाजपेयी भाजपा संसदीय पार्टी जो बारहवीं लोकसभा की तरह तेरहवीं लोकसभा में भी अकेली सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है, के निर्वाचित नेता रहे हैं.

उन्होंने विक्टोरिया (अब लक्ष्मीबाई) कॉलेज, ग्वालियर और डी.ए.वी. कॉलेज, कानपुर (उत्तरप्रदेश) से शिक्षा प्राप्त की. श्री वाजपेयी ने एम.ए. (राजनीति विज्ञान) की डिग्री हासिल की है तथा उन्होंने अनेक साहित्यिक, कलात्मक और वैज्ञानिक उपलब्धियां अर्जित की हैं. उन्होंने राष्ट्रधर्म (हिन्दी मासिक), पांचजन्य (हिन्दी साप्ताहिक) और स्वदेश तथा वीर अर्जुन दैनिक समाचार-पत्रों का संपादन किया. उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं--''मेरी संसदीय यात्रा''(चार भागों में); ''मेरी इक्यावन कविताएं''; ''संकल्प काल''; ''शक्ति से शांति'' और ''संसद में चार दशक'' (तीन भागों में भाषण), 1957-95; ''लोकसभा में अटलजी'' (भाषणों का एक संग्रह); ''मृत्यु या हत्या''; ''अमर बलिदान''; ''कैदी कविराज की कुंडलियां''(आपातकाल के दौरान जेल में लिखीं कविताओं का एक संग्रह); ''भारत की विदेश नीति के नये आयाम''(वर्ष 1977 से 1979 के दौरान विदेश मंत्री के रूप में दिए गए भाषणों का एक संग्रह); ''जनसंघ और मुसलमान''; ''संसद में तीन दशक''(हिन्दी) (संसद में दिए गए भाषण 1957-1992-तीन भाग); और ''अमर आग है'' (कविताओं का संग्रह),1994.

श्री वाजपेयी ने विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में हिस्सा लिया है. वे सन् 1961 से राष्ट्रीय एकता परिषद् के सदस्य रहे हैं. वे कुछ अन्य संगठनों से भी सम्बध्द रहे हैं जैसे-(1) अध्यक्ष, ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर्स एंड असिस्टेंट मास्टर्स एसोसिएशन (1965-70);(2) पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मारक समिति (1968-84); (3) दीनदयाल धाम, फराह, मथुरा (उत्तर प्रदेश); और (4) जन्मभूमि स्मारक समिति, (1969 से) .

पूर्ववर्ती जनसंघ के संस्थापक-सदस्य (1951), अध्यक्ष, भारतीय जनसंघ (1968-73), जनसंघ संसदीय दल के नेता (1955-77) तथा जनता पार्टी के संस्थापक-सदस्य (1977-80), श्री वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष (1980-86) और भाजपा संसदीय दल के नेता (1980-1984,1986 तथा 1993-1996) रहे.  वे ग्यारहवीं लोकसभा के पूरे कार्यकाल तक प्रतिपक्ष के नेता रहे. इससे पहले वे 24 मार्च 1977 से लेकर 28 जुलाई, 1979 तक मोरारजी देसाई सरकार में भारत के विदेश मंत्री रहे.

पंडित जवाहरलाल नेहरु की शैली के राजनेता के रुप में देश और विदेश में अत्यंत सम्मानित श्री वाजपेयी के प्रधानमंत्री के रुप में 1998-99 के कार्यकाल को ''साहस और दृढ़-विश्वास का एक वर्ष'' के रुप में बताया गया है. इसी अवधि के दौरान भारत ने मई 1998 में पोखरण में कई सफल परमाणु परीक्षण करके चुनिन्दा राष्ट्रों के समूह में स्थान हासिल किया. फरवरी 1999 में पाकिस्तान की बस यात्रा का उपमहाद्वीप की बाकी समस्याओं के समाधान हेतु बातचीत के एक नये युग की शुरुआत करने के लिए व्यापक स्वागत हुआ। भारत की निष्ठा और ईमानदारी ने विश्व समुदाय पर गहरा प्रभाव डाला. बाद में जब मित्रता के इस प्रयास को कारगिल में विश्वासघात में बदल दिया गया, तो भारत भूमि से दुश्मनों को वापिस खदेड़ने में स्थिति को सफलतापूर्वक सम्भालने के लिए भी श्री वाजपेयी की सराहना हुई . श्री वाजपेयी के 1998-99 के कार्यकाल के दौरान ही वैश्विक मन्दी के बाबजूद भारत ने 5.8 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृध्दि दर हासिल की जो पिछले वर्ष से अधिक थी. इसी अवधि के दौरान उच्च कृषि उत्पादन और विदेशी मुद्रा भण्डार जनता की जरुरतों के अनुकूल अग्रगामी अर्थव्यवस्था की सूचक थी . ''हमें तेजी से विकास करना होगा। हमारे पास और कोई दूसरा विकल्प नहीं है  '' वाजपेयीजी का नारा रहा है जिसमें विशेषकर गरीब ग्रामीण लोगों को आर्थिक रुप से मजबूत बनाने पर बल दिया गया है . ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने, सुदृढ़ आधारभूत-ढांचा तैयार करने और मानव विकास कार्यक्रमों को पुनर्जीवित करने हेतु उनकी सरकार द्वारा लिए गये साहसिक निर्णय ने भारत को 21वीं सदी में एक आर्थिक शक्ति बनाने के लिए अगली शताब्दी की चुनौतियों से निपटने हेतु एक मजबूत और आत्म-निर्भर राष्ट्र बनाने के प्रति उनकी सरकार की प्रतिबध्दता को प्रदर्शित किया . 52वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले की प्राचीर से बोलते हुए उन्होंने कहा था, ''मेरे पास भारत का एक सपना है: एक ऐसा भारत जो भूखमरी और भय से मुक्त हो, एक ऐसा भारत जो निरक्षरता और अभाव से मुक्त हो. ''

श्री वाजपेयी ने संसद की कई महत्वपूर्ण समितियों में कार्य किया है. वे सरकारी आश्वासन समिति के अध्यक्ष (1966-67); लोक लेखा समिति के अध्यक्ष (1967-70); सामान्य प्रयोजन समिति के सदस्य (1986); सदन समिति के सदस्य और कार्य-संचालन परामर्शदायी समिति, राज्य सभा के सदस्य (1988-90); याचिका समिति, राज्य सभा के अध्यक्ष (1990-91); लोक लेखा समिति, लोक सभा के अध्यक्ष (1991-93); विदेश मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष (1993-96) रहे.

श्री वाजपेयी ने स्वतंत्रता संघर्ष में हिस्सा लिया और वे 1942 में जेल गये . उन्हें 1975-77 में आपातकाल के दौरान बन्दी बनाया गया था .

व्यापक यात्रा कर चुके श्री वाजपेयी अंतर्राष्ट्रीय मामलों, अनुसूचित जातियों के उत्थान, महिलाओं और बच्चों के कल्याण में गहरी रुचि लेते रहे हैं . उनकी कुछ विदेश यात्राओं में ये शामिल हैं- संसदीय सद्भावना मिशन के सदस्य के रुप में पूर्वी अफ्रीका की यात्रा, 1965; आस्ट्रेलिया के लिए संसदीय प्रतिनिधिमंडल 1967; यूरोपियन पार्लियामेंट, 1983; कनाडा 1987; कनाडा में हुई राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की बैठकों में भाग लेने हेतु भारतीय प्रतिनिधिमंडल 1966 और 1984; जाम्बिया, 1980; इस्ले आफ मैन, 1984; अंतर-संसदीय संघ सम्मेलन, जापान में भाग लेने हेतु भारतीय प्रतिनिधिमंडल, 1974; श्रीलंका, 1975; स्वीट्जरलैंड 1984; संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल, 1988, 1990, 1991, 1992, 1993 और 1994; मानवाधिकार आयोग सम्मेलन, जेनेवा में भाग लेने हेतु भारतीय प्रतिनिधिमंडल के नेता, 1993.

श्री वाजपेयी को उनकी राष्ट्र की उत्कृष्ट सेवाओं के लिए वर्ष 1992 में पद्म विभूषण दिया गया. उन्हें 1994 में लोकमान्य तिलक पुरस्कार तथा सर्वोत्तम सांसद के लिए भारत रत्न ,पंडित गोविन्द बल्लभ पंत पुरस्कार भी प्रदान किया गया. इससे पहले, वर्ष 1993 में उन्हें कानपुर विश्वविद्यालय द्वारा फिलॉस्फी की मानद डाक्टरेट उपाधि प्रदान की गई. 

श्री वाजपेयी काव्य के प्रति लगाव और वाक्पटुता के लिए जाने जाते हैं और उनका व्यापक सम्मान किया जाता है. श्री वाजपेयीजी पुस्तकें पढ़ने के बहुत शौकीन हैं। वे भारतीय संगीत और नृत्य में भी काफी रुचि लेते हैं.
 वे निम्नलिखित पदों पर आसीन रहे :---
•1951 -          भारतीय जनसंघ के संस्थापक-सदस्य (B.J.S)
•1957 -          दूसरी लोकसभा के लिए निर्वाचित
•1957-77 -     भारतीय जनसंघ संसदीय दल के नेता
•1962 -          राज्यसभा के सदस्य
•1966-67 -    सरकारी आश्वासन समिति के अध्यक्ष
•1967 -         चौथी लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (दूसरी बार)
•1967-70 -    लोक लेखा समिति के अध्यक्ष
•1968-73 -    भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष
•1971 -         पांचवीं लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (तीसरी बार)
•1977 -        छठी लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (चौथी बार)
•1977-79 -    केन्द्रीय विदेश मंत्री
•1977-80 -   जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य
•1980 -        सातवीं लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (पांचवीं बार)
•1980-86 -   भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष
•1980-84, 1986 और 1993-96 -  भाजपा संसदीय दल के नेता
•1986 -          राज्यसभा के सदस्य; सामान्य प्रयोजन समिति के सदस्य
•1988-90 -    आवास समिति के सदस्य; कार्य-संचालन सलाहकार समिति के सदस्य
•1990-91 -    याचिका समिति के अध्यक्ष
•1991 -          दसवीं लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (छठी बार)
•1991-93 -    लोकलेखा समिति के अध्यक्ष
•1993-96 -    विदेश मामलों सम्बन्धी समिति के अध्यक्ष; लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता
•1996 -         ग्यारहवीं लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (सातवीं बार)
•16  मई 1996 - 31 मई 1996 तक -  भारत के प्रधानमंत्री; विदेश मंत्री और इन मंत्रालयों/विभागों के प्रभारी .मंत्री-रसायन तथा उर्वरक; नागरिक आपूर्ति, उपभोक्ता मामले और .सार्वजनिक वितरण; कोयला; वाणिज्य; संचार; पर्यावरण और वन;.खाद्य प्रसंस्करण उद्योग; मानव संसाधन विकास; श्रम; खान; .गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत; लोक शिकायत एवं पेंशन; पेट्रोलियम और .प्राकृतिक गैस; योजना तथा कार्यक्रम कार्यान्वयन; विद्युत; रेलवे,ग्रामीण क्षेत्र और रोजगार; विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी; इस्पात; भूतल परिवहन; कपड़ा; जल संसाधन; परमाणु ऊर्जा; इलेक्ट्रॉनिक्स; जम्मू व कश्मीर मामले; समुन्द्री विकास; अंतरिक्ष और किसी अन्य केबिनेट मंत्री को आबंटित न किए गए अन्य विषय।
•1996-97 -        प्रतिपक्ष के नेता, लोकसभा
•1997-98 -        अध्यक्ष, विदेश मामलों सम्बन्धी समिति
•1998 -             बारहवीं लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (आठवीं बार)
•1998-99 -      भारत के प्रधानमंत्री; विदेश मंत्री; किसी मंत्री को विशिष्ट रूप से आबंटित न किए गए    मंत्रालयों/विभागों का भी प्रभार
•1999 -             तेरहवीं लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (नौवीं बार)
•13 अक्तूबर 1999 से 13 मई 2004 तक-           भारत के प्रधानमंत्री और किसी मंत्री को विशिष्ट रूप से .आबंटित न किए गए  मंत्रालयों/विभागों का भी प्रभार
•2004 -          चौदहवीं लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (दसवीं बार)

इन दिनों वे काफी अस्वस्थ  है ,19-20 दिसंबर 2010 को मै दिल्ली में था , उनसे मिलने के लिए मैंने काफी हाथ पैर मारा लेकिन मुझे सफलता नहीं मिली .मैंने मा. राजनाथ जी से भी गुजारिश की ,उन्होंने भी असमर्थता व्यक्त कर दी अंततः मुझे निराश होकर वापस रायपुर लौटना पढ़ा  . आज उनका  87 वां जन्म-दिन है . श्री अटल जी को जन्म दिन की ढेर सारी शुभकामनाएं एवं बधाई . ईश्वर  से प्रार्थना है कि अटल जी को दीर्घायु दें तथा स्वस्थ होकर वे देश का पुनः नेतृत्व करें . 

आज क्रिसमस- डे यानी प्रभु ईशु मसीह का भी जन्म दिन है . ईसाई धर्म के सभी अनुयाइयों को क्रिसमस- डे की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं .   
 ( भाजपा मीडिया सेंटर से साभार )    

23 दिसंबर, 2010

राज्य भण्डार गृह निगम के नये कार्यालय का शुभारंभ एवं पदभार ग्रहण समारोह

 

 

   छत्तीसगढ़ राज्य भण्डार गृह निगम के नवनियुक्त अध्यक्ष श्री अशोक बजाज ने आज यहां अवंति विहार स्थित निगम के नए कार्यालय का शुभारंभ किया। इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री चंद्रशेखर साहू, लोक निर्माण मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल, छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम के अध्यक्ष श्री बद्रीधर दीवान, राज्य बीज विकास निगम के अध्यक्ष श्री श्याम बैस, छत्तीसगढ़ ब्रेव्हरेज कार्पोरेशन के अध्यक्ष श्री देवजी भाई पटेल, छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ के अध्यक्ष श्री राधाकृष्ण गुप्ता, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष श्री यशवंत जैन, जिला पंचायत रायपुर की अध्यक्षा श्रीमती लक्ष्मी वर्मा, जिला सहकारी बैंक रायपुर के अध्यक्ष श्री योगेश चंद्राकर, श्रम कल्याण मण्डल के अध्यक्ष श्री अरूण चौबे,नगर निगम रायपुर के सभापति श्री संजय श्रीवास्तव, श्री रामसेवक पैकरा, श्री राम प्रताप सिंह, श्री सचिदानंद उपासने सहित विभाग के प्रबंध संचालक डॉ. जितिन कुमार उपस्थित थे। सभी लोगों ने श्री बजाज को बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किये जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बधाई और शुभकामनाएं दी। मंत्री द्वय श्री साहू और श्री अग्रवाल ने श्री बजाज के सार्वजनिक जीवन की लम्बे अनुभवों का उल्लेख करते हुए उम्मीद जताई कि श्री बजाज के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ राज्य भण्डार गृह निगम  निगम के विकास में उल्लेखनीय भूमिका निभाएगा और निगम सफलता की नई ऊंचाईयों तक पहुंचेगा। श्री बजाज ने इस अवसर पर कहा कि प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा सौपी गई इस नयी जिम्मेदारी को पूरी गंभीरता से निभाएंगे और उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रयास करेंगे। श्री बजाज ने कहा कि अनाजों के सुरक्षित भण्डारण के लिए पुख्ता इंतजाम करने का प्रयास किया जाएगा।