16 मार्च, 2014
22 फ़रवरी, 2014
रेडियो आज भी संचार का सशक्त माध्यम - बजाज
विश्व रेडियो दिवस
(13 फरवरी)
रायपुर / विश्व रेडियो दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में दिनांक 13.02.2014 को छत्तीसगढ़ रेडियो श्रोता संघ के तत्वावधान में रेडियो श्रोता सम्मलेन का आयोजन किया गया, जिसमें अति प्राचीन रेडियों सेटों एवं फिल्मों से जुड़ी पुस्तकों की प्रदर्शनी लगाई गई. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रेडियो श्रोता संघ के सरंक्षक श्री अशोक बजाज ने कहा कि टेलीविजन, कंप्यूटर, इंटरनेट एवं मोबाईल के इस युग में रेडियो का महत्व आज भी कायम है ,रेडियो आज भी संचार का सशक्त ,सस्ता एवं सरल माध्यम है. देश की 80 प्रतिशत आबादी के मनोरंजन, ज्ञानवर्धन एवं जीवन दर्शन का माध्यम भी है. इस अवसर पर पुराने रेडियो सेट के संग्रहनकर्ता श्री मनोहर डेंगवाणी, निशक्त व नेत्रहीन रेडियो श्रोता श्री कांतिलाल बरलोटा, वरिष्ठ रेडियो श्रोता श्री बचकामल भाटापारा एवं श्री आर.सी. कामड़े का सम्मान किया गया. इस अवसर पर श्री बजाज ने मासिक पत्रिका छत्तीसगढ़ आसपास के हीरक अंक का विमोचन किया. कार्यक्रम में अन्य लोगों के अलावा श्री परसराम साहू, श्री विनोद वंडलकर, श्री सुरेश सरवैया, श्री शशांक खरे, श्री मोहन देवांगन, श्री किशोर तारे, श्री कमल लखानी, श्री रतन जैन, आकाशवाणी रायपुर के उद्घोषक श्री श्याम वर्मा, श्री व्यासनारायण साहू, श्री माधव प्रसाद मिरी, श्रीमती संध्या तिवारी, अंबर अग्रवाल, श्रीमती संगीता शर्मा, श्रीमती नंदनी साहू, सुश्री दुलारी चतुर्वेदानी, श्री मायाराम साहू, श्री रोहित सेन, श्री आनंद यादव, श्री तिलक बिसेन एवं श्री सुराना समेत भारी संख्या में लोगों ने भाग लिया.
तस्वीरों में विश्व रेडियो दिवस कार्यक्रम
संबोधन |
वरिष्ठ श्रोता का सम्मान |
वरिष्ठ श्रोता का सम्मान |
सामान्य ज्ञान पुस्तक का वितरण |
छत्तीसगढ़ आसपास पत्रिका का विमोचन |
मिडिया से रुबरु |
प्रदर्शनी का अवलोकन |
03 दिसंबर, 2013
मनमीत जो घाव लगाये, उसे कौन मिटाये
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए दो चरणों में मतदान हो चूका है. पहले चरण में बस्तर संभाग के 12 क्षेत्रों एवं राजनांदगांव जिले के 6 क्षेत्रों कुल 18 सीटों के लिए 11 नवंबर को तथा शेष 72 क्षेत्रों के लिए 19 नवंबर को मतदान हुआ है. मतगणना 8 दिसंबर को होगी, मतदान और मतगणना के बीच लंबा अंतराल है. अतः परिणाम आने में अभी वक्त है. यही वजह है कि इन दिनों घात - प्रतिघात, भीतरघात - खुलाघात जैसी बातें सुर्खियाँ बन रही है. आश्चर्य की बात तो यह है कि कांग्रेस के नेता इन तमाम परिस्थितियों के बाद भी सत्ता में वापसी का सपना देख रहें है , मुख्यमंत्री कौन होगा ? विधायक दल के अन्दर का होगा अथवा बाहर का होगा ? रायपुर में तय होगा कि दिल्ली में तय होगा आदि आदि . यानी सूत न कपास जुलाहों में लट्ठा-लट्ठी.
खैर भीतरघात हो या खुलाघात ये बहुत बुरी चीज है. विधानसभा, लोकसभा ही नहीं पंचायतों एवं नगरीय निकायों के चुनाव में भी यह बीमारी घुस गई है. मै स्वयं 1998 के विधान सभा चुनाव में खुलाघात और भीतरघात का स्वाद चख चुका हूँ , तब मैंने भारतीय जनता पार्टी की टिकिट पर अभनपुर विधानसभा से चुनाव लड़ा था और बागी उम्मीदवार तथा भीतरघात के चलते लगभग 7000 मतों से हार गया था लेकिन 15 वर्षों से मैंने इसका जिक्र तक नहीं किया. मैंने सभी भीतरघातियों को धीरे- धीरे मुख्यधारा में लाकर उन्हें प्रायश्चित करने का अवसर दिया. आवश्यकता पड़ने पर उनकी मदद भी की. यह अलग बात है कि उस आघात का दुष्परिणाम मै आज तक भुगत रहा हूँ ---
हमसे मत पूछो कैसे, मंदिर टूटा सपनों का,
लोगों की बात नहीं है, ये किस्सा है अपनों का,
कोई दुश्मन ठेस लगाये, तो मीत जिया बहलाये,
मनमीत जो घाव लगाये, उसे कौन मिटाये.
चिंगारी कोई भड़के, तो सावन उसे बुझाये
सावन जो अगन लगाये, उसे कौन बुझाये,
04 नवंबर, 2013
आओ फिर से दिया जलाएँ
आओ फिर से दिया जलाएँ
भरी दुपहरी में अँधियारा
सूरज परछाईं से हारा
अंतरतम का नेह निचोड़ें-
बुझी हुई बाती सुलगाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ
हम पड़ाव को समझे मंज़िल
लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल
वर्तमान के मोहजाल में-
आने वाला कल न भुलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ।
आहुति बाकी यज्ञ अधूरा
अपनों के विघ्नों ने घेरा
अंतिम जय का वज्र बनाने-
नव दधीचि हड्डियाँ गलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ
- अटल बिहारी वाजपेयी
भरी दुपहरी में अँधियारा
सूरज परछाईं से हारा
अंतरतम का नेह निचोड़ें-
बुझी हुई बाती सुलगाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ
हम पड़ाव को समझे मंज़िल
लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल
वर्तमान के मोहजाल में-
आने वाला कल न भुलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ।
आहुति बाकी यज्ञ अधूरा
अपनों के विघ्नों ने घेरा
अंतिम जय का वज्र बनाने-
नव दधीचि हड्डियाँ गलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ
- अटल बिहारी वाजपेयी
आप सबको दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ !
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