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14 अक्तूबर, 2011

मूंछ रखो, आधी कीमत में टिकट पाओ


मार्क लिएव्रेमों 2007 से फ़्रांस रग्बी टीम के कोच
न्यूजीलैंड में इन दिनों रग्बी विश्व कप चल रहा है जहां फ्रांस ने सेमीफाइनल में जगह बनाई है। जाहिर है फ्रांस में इन दिनों रग्बी का जुनून है। वहाँ दो फ्रांसीसी टीमों- बाईऑन और मॉंगपुलिए के बीच होने वाले मैच में बाईऑन टीम ने प्रशंसकों को टिकटें आधी कीमत पर देने का फैसला किया है। हालांकि इसके लिए एक शर्त है।
शर्त ये है कि दर्शकों को फ्रांसीसी रग्बी टीम के प्रमुख कोच मार्क लिएव्रेमों की तर्ज पर मूंछ रखकर आना होगा। ये मूंछे नकली भी हो सकती हैं मतलब ये कि महिला और पुरुष दोनों इसका फायदा उठा सकते हैं।
दरअसल हुआ ये है कि फ्रांस के प्रमुख कोच मार्क लिएव्रेमों ने टीम के डिफ्रेंस कोच से शर्त लगाई थी जिससे वे हार गए। शर्त हारने के बाद से ही मार्क लिएव्रेमों ने दाढ़ी मूंछ नहीं बनवाई है। वैसे न्यूजीलैंड में जारी रग्बी विश्व कप के दौरान अपने बेबाक बयानों से फ्रांसीसी कोच पिछले कुछ दिनों से विवादों में रहे हैं।
उस पर से फ्रांस की टीम टोंगा से हार गई। लेकिन क्वार्टरफाइनल में इंग्लैंड को हराने के बाद कोच के आलोचक कुछ चुप्प हुए हैं। सेमीफाइनल मुकाबला 15 अक्टूबर को वेल्स से है।

12 अक्तूबर, 2011

सूरज में आग है , चाँद में भी दाग है ,

ज  शरद पूर्णिमा की रात है  , आसमान साफ होने के कारण पूर्णिमा की चन्द्रमा का सुहावना दर्शन हो रहा है . कहते है की आज की रात चन्द्रमा की  किरणों से अमृत की बूंदें टपकती है . कोई कैसे इस सुनहरे अवसर को चुकोना चाहेगा अतः सबने आसमान के नीचे छींकें में खीर का कटोरा टांग रखा है . 
  
हिन्दू मान्यता  के अनुसार इसी दिन चन्द्र अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है. कुछ क्षेत्रों में इस व्रत को कौमुदी व्रत भी कहा जाता है. यह भी  मान्यता  है कि इस दिन भगवान श्री कृ्ष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचा था.इस दिन चन्द्रमा कि किरणों से अमृत वर्षा होने की मान्यता प्रसिद्ध है. इस दिन एरावत पर आरूढ़ हुए  इन्द्र व महालक्ष्मी का पूजन किया जाता है. इससे  लक्ष्मी और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.

  सूरज  में आग है  , चाँद में भी दाग है ,
फिर भी सागर को दोनों से अनुराग है .

शरद पूर्णिमा की शुभकामनाएं !
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09 अक्तूबर, 2011

चुकंदर से बनेगा पानी में घुलने वाला प्लास्टिक

Beetroot
टली की एक कंपनी ऐसी प्लास्टिक बना रही है जो पानी में घुल सकती है. चुकंदर से निकलने वाले कचरे से प्लास्टिक का निर्माण हो रहा है. चुकंदर के उत्पादन से निकलने वाले बाई प्रोडक्ट वातावरण के लिए वरदान साबित हो सकते हैं. इसके अलावा दुनिया की निर्भरता तेल से बनने वाली प्लास्टिक पर भी कम हो सकती है. एक छोटी इतालवी कंपनी बायो ऑन जैव प्लास्टिक के क्षेत्र में नया प्रयोग करने जी-जान से प्रयत्नशील है  .

इटली के शहर मिनेर्बियो में सबसे बड़ी चीनी उत्पादक कंपनी को प्रो बी चीनी बना रही है. लेकिन बायो ऑन की दिलचस्पी चीनी में नहीं, चुकंदर से चीनी बन चुकने के बाद बची हुई चीजों में हैं जिसे कचरा मानकर फेंक दिया जाता है. चुकंदर के अशुद्धीकृत शीरे से बायो ऑन प्लास्टिक बनाती है. चीनी के कारखाने से शीरा कचरे के तौर पर निकलता है.

बायो ऑन के वैज्ञानिकों ने पांच साल की मेहनत के बाद शीरे को प्लास्टिक में तब्दील किया है. कंपनी चुकंदर के शीरे को ऐसे जीवाणु के साथ मिलाती है जो किण्वन के दौरान चीनी पर पलते हैं. इस प्रक्रिया के दौरान लैक्टिक एसिड, फिल्ट्रेट और पॉलीमर बनता है जिसका इस्तेमाल प्राकृतिक तरीके से सड़ने वाली प्लास्टिक बनाने में हो सकता है.

प्रदूषण से बचाव
बॉयो ऑन के मुख्य जीव विज्ञानी साइमन बिगोटी डॉयचे वेले को बताते हैं, "हम कई तरह की चीजें बना सकते हैं. क्योंकि कई तरह की प्लास्टिक समीकरण बना पाना मुमकिन है. हम पॉलीइथाइलिन, पॉलीस्टाइरीन, पॉलीप्रॉपाईलीन को बदल सकते हैं."

कंपनी ने बॉयो पॉलीमर्स का विकास किया है. इसका इस्तेमाल कठोर और लचीली प्लास्टिक के लिए जा सकता है. बिगोटी का मानना है कि बॉयो प्लास्टिक उनके दफ्तर में प्लास्टिक से बनी 80 चीजों की जगह ले सकती है.

बिगोटी कहते हैं, "हम ऐसी प्लास्टिक बना रहे हैं जो जीवन काल के खत्म होने के 10 दिन के भीतर पानी में घुल जाएगी." एक शोध के मुताबिक बॉयो प्लास्टिक का बाजार 2011 और 2015 के बीच दोगुना हो जाएगा. 2010 में सात लाख टन प्लास्टिक का उत्पादन हुआ जो इस साल 10 लाख टन को पार कर जाएगा.

बायो प्लास्टिक का बाजार

वृद्धि के बावजूद बायो प्लास्टिक का बाजार तेल आधारित प्लास्टिक की तुलना में छोटा है. प्लास्टिक उद्योग एसोसिएशन के मुताबिक 2010 में 27 करोड़ टन प्लास्टिक की खपत हुई. यूरोपीय बायो प्लास्टिक के अध्यक्ष हाराल्ड कैब को विश्वास है कि यूरोप के प्लास्टिक बाजार के कुल हिस्से का 5 से 10 फीसदी जगह बायो प्लास्टिक ले सकती है.

बायो प्लास्टिक बनाने के लिए सिर्फ बायो ऑन ही शोध नहीं कर रही है. रसायन कंपनी जैसे बीएएसएफ, ब्रास्केम एंड डॉ भी बायो प्लास्टिक उत्पाद बना रहे हैं. कंपनियां बायो प्लास्टिक उत्पादन क्षमता भी बढ़ा रही हैं.

आम तौर प्लास्टिक को प्रदूषण बढ़ाने के लिए भी जिम्मेदार ठहराया जाता है. बायो ऑन के सह-संस्थापक मार्को अस्टोरी का कहना है कि उनकी कंपनी अनोखी है क्योंकि वह कचरे का इस्तेमाल कर प्लास्टिक बनाती है. अस्टोरी कहते हैं, "हम सिर्फ कचरे का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि खाद्य सामग्री का इस्तेमाल प्लास्टिक बनाने के लिए करना पागलपन है."
डायचे वेले 

08 अक्तूबर, 2011

दशहरा पर्व पर नीलकंठ के दर्शन



नीलकंठ

शहरा पर्व पर नीलकंठ के दर्शन को शुभ और भाग्य को जगाने वाला माना जाता है. जिसके चलते दशहरे के दिन हर व्यक्ति इसी आस में छत पर जाकर आकाश को निहारता है ताकि साल भर उनके यहाँ शुभ कार्य का सिलसिला चलता रहे. ऐसा माना जाता है कि इस दिन नीलकंठ के दर्शन होने से घर के धन-धान्य में वृद्धि होती है, तथा  फलदायी एवं शुभ कार्य घर में अनवरत्‌ होते रहते हैं.  सुबह से लेकर शाम तक किसी वक्त नीलकंठ दिख जाए तो वह देखने वाले के लिए शुभ होता है.

हम भी दशहरा मनाने निकले तो रास्ते भर सड़क के किनारे की झाड़ियों , खेतों व बिजली के तारों को निहारते रहे . 12 कि.मी. दूर जाने पर बिजली के तार एक नीलकंठ बैठा दिखाई दिया . हमारे साथी श्री श्याम वर्मा ने फोटो खींचने की बहुत कोशिश की  लेकिन साफ फोटो नहीं खिंच पाए , क्योंकि पक्षी सूर्य की दिशा में था . हम लोग उसके उड़ने का इंतजार करने लगे लेकिन काफी देर रूकने के बावजूद भी वह नहीं उड़ा. अलबत्ता वहां काफी भीड़ जमा हो गई . भीड़ से बचाते हुए हम आगे बढ़ गए . रायपुर से अभनपुर पंहुचते तक 27 कि.मी. के सफ़र में 10 - 12 नीलकंठ विभिन्न विभिन्न मुद्राओं में दिखाई दिए .

 नीलकंठ पक्षी को भगवान राम का संदेशवाहक माना जाता है इसीलिये कहा भी गया है -----


    नीलकंठ तुम नीले रहियो, दूध-भात का भोजन करियो, हमरी बात राम से कहियो'

भगवान शिव को भी  नीलकंठ कहा गया है  क्योकिं  उन्होंने सर्वकल्याण के लिए विषपान किया था. इसीलिए शिव कल्याण के प्रतीक है. ठीक इसी तरह ईश्वर के बनाए नीलकंठ पक्षी भी है . इस रंग बिरंगी खूबसूरत पक्षी का गला भी शिव की तरह नीला होता है.

 नीलकंठ दुर्लभ प्रजाति का संरक्षित पक्षी है. चिता का विषय यह है  पर्यावरणीय असंतुलन के कारण  अब यह शुभ दायक खूबसूरत पक्षी विलुप्त होते जा  रहा है . लोग  नीलकंठ दर्शन के लिए तरस रहे है.    इसके पीछे पर्यावरण संतुलन के साथ-साथ फसलों में प्रयोग किया जाने वाला कीटनाशक भी  है.

अब देखिये रावण दहन के दृश्य ........

अभनपुर का दशहरा
खोला ग्राम का दशहरा
नवापारा का दशहरा
दैनिक अग्रदूत रायपुर  7.10.2011