नीलकंठ |
दशहरा पर्व पर नीलकंठ
के दर्शन को शुभ और भाग्य को जगाने वाला माना जाता है. जिसके चलते दशहरे के
दिन हर व्यक्ति इसी आस में छत पर जाकर आकाश को निहारता है ताकि साल भर उनके यहाँ शुभ कार्य का
सिलसिला चलता रहे. ऐसा माना जाता है कि इस दिन नीलकंठ के
दर्शन होने से घर के धन-धान्य में वृद्धि होती है, तथा फलदायी एवं शुभ
कार्य घर में अनवरत् होते रहते हैं. सुबह से लेकर शाम तक किसी वक्त नीलकंठ
दिख जाए तो वह देखने वाले के लिए शुभ होता है.
हम भी दशहरा मनाने निकले तो रास्ते भर सड़क के किनारे की झाड़ियों , खेतों व बिजली के तारों को निहारते रहे . 12 कि.मी. दूर जाने पर बिजली के तार एक नीलकंठ बैठा दिखाई दिया . हमारे साथी श्री श्याम वर्मा ने फोटो खींचने की बहुत कोशिश की लेकिन साफ फोटो नहीं खिंच पाए , क्योंकि पक्षी सूर्य की दिशा में था . हम लोग उसके उड़ने का इंतजार करने लगे लेकिन काफी देर रूकने के बावजूद भी वह नहीं उड़ा. अलबत्ता वहां काफी भीड़ जमा हो गई . भीड़ से बचाते हुए हम आगे बढ़ गए . रायपुर से अभनपुर पंहुचते तक 27 कि.मी. के सफ़र में 10 - 12 नीलकंठ विभिन्न विभिन्न मुद्राओं में दिखाई दिए .
नीलकंठ तुम नीले रहियो,
दूध-भात का भोजन करियो, हमरी बात राम से कहियो'
भगवान शिव को भी नीलकंठ कहा गया है क्योकिं उन्होंने सर्वकल्याण के लिए विषपान किया
था. इसीलिए शिव कल्याण के प्रतीक है. ठीक इसी तरह ईश्वर के बनाए नीलकंठ
पक्षी भी है . इस रंग
बिरंगी खूबसूरत पक्षी का गला भी शिव की तरह नीला होता है.
नीलकंठ दुर्लभ प्रजाति का संरक्षित पक्षी
है. चिता का विषय यह है पर्यावरणीय
असंतुलन के कारण अब यह शुभ दायक खूबसूरत पक्षी विलुप्त होते जा रहा है . लोग नीलकंठ दर्शन के लिए तरस रहे है. इसके पीछे
पर्यावरण संतुलन के साथ-साथ फसलों में प्रयोग किया जाने वाला कीटनाशक भी है.
अब देखिये रावण दहन के दृश्य ........
अभनपुर का दशहरा |
खोला ग्राम का दशहरा |
नवापारा का दशहरा |
दैनिक अग्रदूत रायपुर 7.10.2011 |
लेकिन नीलकंठ का कंठ नीला नहीं होता जैसे वास्तव में नहीं लेकिन नील का नाम होने के कारण रॉबिन(ब्लू) को भी नीले रंग की चिडि़या मान लिया जाता है.
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुतिकरण . आभार.
जवाब देंहटाएंनीलकंठ का शुभदर्शन आपके जीवन में सौभाग्य लाये।
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