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01 जुलाई, 2011

डबल डेकर फ्लाई ओव्हर और दुनिया का सबसे लंबा पुल

संचार से जुडी दिल को रोमांचित करने वाली आज  दो महत्वपूर्ण खबरें मिली . एक खबर अपने भारत देश के गुजरात राज्य की है , जहाँ की राजधानी अहमदाबाद में आज पहला डबलडेकर फ्लाईओवर  गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों उदघाटन के बाद आम जनता के लिए खोल दिया गया. यह फ्लाईओवर शहर के सीटीएम चार रास्ता पर बना हुआ है.शहर के पूर्वी क्षेत्र में नेशनल हाईवे नंबर-8, नरोडा-नारोल रोड पर निर्मित इस फ्लाईओवर में लगभग 45 करोड़ रुपए का खर्च आया है. यह फ्लायओवर केंद्र सरकार की जीएनएनयूआरएम योजना के तहत तैयार किया गया है. इसका एक हिस्सा सीटीएम चार रास्ता से हाटकेश्वर को जोड़ेगा तो दूसरा अहमदाबाद-वडोदरा एक्सप्रेस-वे को. देखिये इसका मनमोहक चित्र ..........


अहमदाबाद का डबल डेकर फ्लाई ओव्हर  - 1 
अहमदाबाद का डबल डेकर फ्लाई ओव्हर  - 2
दूसरी रोमांचित करने वाली खबर चीन से प्राप्त हुई है जहाँ दुनिया के सबसे लंबे पुल को जनता के लिए खोल दिया गया है. इस पुल की  लंबाई 42.4 किलोमीटर है इसके निर्माण में मात्र 4 वर्ष लगें है . इस पर हर रोज़ लगभग 30 हज़ार कारें चलेंगी. इससे पहले सबसे लंबे पुल का रिकॉर्ड अमरीकी प्रांत लाऊसिआना का लेक पॉंटमचार्ट्रेन कॉज़्वे था..चीन का पुल अमरीकी पुल से चार किलोमीटर ज़्यादा लंबा है. इसे बनाने में 10 अरब युआन (यानी 1.55 अरब डॉलर) ख़र्च हुए. देखिये इसका मनमोहक चित्र .............


   चीन में बना   दुनिया का सबसे लंबा पुल - 1
   चीन में बना   दुनिया का सबसे लंबा पुल - 2
   चीन में बना   दुनिया का सबसे लंबा पुल - 3
चीन में बना   दुनिया का सबसे लंबा पुल - 4

चीन में बना   दुनिया का सबसे लंबा पुल -5



photo by google     ashok bajaj champaran raipur chhattisgarh

30 जून, 2011

सूरत के ओलपाड में पानी की दहशत

सूरत जिले के कुछ गांवों में जगह-जगह जमीन के भीतर से पानी का फव्वारा फूट रहा है। कुओं में पानी का स्तर अचानक बढ़ गया है। पानी का स्वाद भी खारा हो गया है। अचानक होने वाली इस घटना से लोगों में दहशत है। हालांकि कुछ लोग इसे चमत्कार के तौर पर देख रहे हैं तो कुछ इसे अनहोनी का संकेत मान रहे हैं। फिलहाल प्रशासन ने लोगों को पानी पीने से मना कर दिया है।

सूरत के कुछ इलाकों में जीवन देना वाला पानी दहशत का दूसरा नाम बन गया है। सूरत के ओलपाड तहसील में जमीन के भीतर से पानी का फव्वारा फूट रहा है। ये पानी जमीन के कई फुट नीचे से बाहर आ रहा है।

वहीं, इलाके के कुएं में पानी 20 फुट नीचे था लेकिन अचानक पानी का स्तर बढ़ गया और लोग हाथों से पानी छू सकते हैं। लोगों को हैरानी इस बात की है कि बिना बारिश के आखिर पानी का स्तर कैसे बढ़ गया। इलाके में रहनेवाले एक शख्स ने बताया कि आठ साल से यहां रह रहे हैं लेकिन ऐसा कभी नहीं देखा। हैरानी इस बात की है कि बगैर बारिश हुए ही कुएं में पानी का स्तर बढ़ गया है। लोगों का कहना है कि ये कुदरत का कोई करिश्मा है।

इलाके के लोगों का कहना है कि कुएं में पानी का लेवल तो बढ़ा ही साथ ही पानी का स्वाद भी खारा हो गया है। जबकि कुछ दिनों पहले तक लोग इसी कुएं का पानी पीते थे। दूसरी ओर गांव के कुछ लोगों को लगता है कि गांव पर कोई बड़ी मुसीबत आने वाली है।

परा गांव के रहनेवाले हबीब मोहम्मद शेख ने बताया कि साठ साल की उम्र में पहली बार ऐसा देखा कि जो कुंवा मीठा पानी देता था वो खारा हो गया और जो खारा था वो मीठा हो गया। यह एक अजीब कुदरत की घटना है।

गौरतलब है कि कभी इस इलाके में मशीनों के जरिए पानी निकालने की कोशिश होती थी, लेकिन पानी खुद ब खुद जमीन का सीना फाड़कर बाहर निकल रहा है। ऐसा क्यों हो रहा है, ये अभी तक एक रहस्य है।  VIDEO


29 जून, 2011

ब्लॉगरों सावधान

गूगल के ज़रिए सेंसरशिप ?

 


कहने के लिए तो भारत में मीडिया स्वतंत्र है और अभिव्यक्ति की पूरी आज़ादी है लेकिन क्या सरकारें और प्रशासन अपनी निंदा बर्दाश्त कर पाते हैं ?

अगर सर्च इंजिन गूगल की मानें तो उत्तर होगा, नहीं.

गूगल की 'ट्रांसपरेंसी रिपोर्ट' के मुताबिक़ छह महीनों में प्रशासन और यहाँ तक कि अदालतों की ओर से भी गूगल से कई बार कहा गया कि वे मुख्यमंत्रियों और अधिकारियों की आलोचना करने वाले रिपोर्ट्स, ब्लॉग और यू-ट्यूब वीडियो को हटा दें. पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए कृपया क्लिक करें  ...... 

   अशोक बजाज , अभनपुर , रायपुर . ashok bajaj abhanpur raipur chhattisgarh


28 जून, 2011

सावधान: यहाँ खेती करना ग़ैरक़ानूनी है


त्तर प्रदेश के अलीगढ़ ज़िले के ज़िक्रपुर गाँव के किसान अपनी फ़सलें उजाड़े जाने का ब्यौरा देते हैं. ग्रेटर नोएडा से आगरा तक जाने वाले यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे बसा ये वो गाँव है जहाँ पिछले साल 14 अगस्त को आंदोलनकारी किसानों और पुलिस के बीच भिड़ंत हुई थी. यहाँ काफ़ी किसानों ने अपनी ज़मीन के बदले मुआवज़ा ले लिया. लेकिन बहुत से किसान कहते हैं कि उन्होंने न सरकार को ज़मीन देने वाले क़रार पर दस्तख़त किए और न ही उन्हें कोई मुआवज़ा मिला है, मगर फिर भी राजस्व के दस्तावेज़ों में अब ज़मीन उनके नाम नहीं रही.

 

 किसान कहते हैं कि उन्होंने हर साल की तरह इस साल भी खेतों में फ़सलों की बुआई की लेकिन 27 मई को स्थानीय प्रशासन के अधिकारी हथियारबंद पुलिस वालों को साथ लेकर आए और पूरे गाँव को घेर लिया गया और कुछ ही देर में खेतों में उग रही फ़सलों पर ज़िला प्रशासन ने ट्रेक्टर और रोलर फेर दिया.

 

हाल ही में ग्रेटर नोएडा और आगरा के बीच पड़ने वाले गाँवों की यात्रा से लौटे बीबीसी संवाददाता राजेश जोशी की रिपोर्ट.  आगे वीडियो यहाँ देंखें .................

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