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04 जून, 2011

कांग्रेस और बाबा रामदेव में ठनी

 बी.बी.सी. हिंदी

 04.06.2011, रात 11.45 बजे




        कांग्रेस ने कहा है कि योगगुरु बाबा रामदेव कांग्रेस मंत्रिमंडल से किए गए अनशन
 वापस लेने के अपने वादे से मुकर गए हैं, वहीं बाबा रामदेव ने कहा है कि वो
अपना अनशन जारी रखेंगे.


कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि बाबा रामदेव और उनके सहयोगी बालकृष्ण सरकार की ओर से की गई पेशकश के जवाब में लिखित में सरकार से कह चुके हैं कि वो अपना अनशन वापस ले लेगें.

इधर बाबा रामदेव ने कहा है कि सरकार जब तक उनकी मांगों को नहीं मानती वो अपना अनशन जारी रखेंगे.

इससे पहले कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनुसिंघवी ने एक पत्रकार वार्ता बुलाकर रामदेव के अनशन में साध्वी ऋतम्बरा के पहुंचने और उनके साथ स्टेज पर बैठने को लेकर सवाल उठाए. उन्होंने दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस के कई कार्यकर्ता रामलीला मैदान में मौजूद थे. साध्वी ऋतंभरा पर 1992  में अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में केस चल रहा है.  मनुसिंघवी ने कहा, ''जो लोग काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की बात कर रहे हैं, वो बताएं कि यहां मौजूद सभी संस्थाएं क्या पारदर्शिता से काम करती हैं.'' साथ ही उन्होंने रामलीला मैदान में हुए इंतज़ाम को फाइवस्टार क़रार देते हुए उसके लिए आए खर्चे के स्त्रोत पर भी सवाल उठाए.

मांगो में ढिलाई

इसके जवाब में योग गुरु बाबा रामदेव ने तीखे तेवर अपनाए लेकिन साथ ही वो अपनी मांगो में ढिलाई देते भी नज़र आए. उन्होंने कहा,''हमारा कोई सांप्रदायिक एजेंडा नहीं है और कई मुसलमान भाई भी हमारे साथ हैं.''

काला धन छिपाने वालों के लिए मृत्युदंड को आजीवन कारावस में बदलते हुए उन्होंने कहा, "दुनिया में मृत्यु दंड को लेकर बहस है, तो क्या उन लोगों को आजीवन कारावास नहीं दिया जा सकता है जो काला धन ले जाकर विदेशों में छुपाते है."

उन्होंने कहा कि अगर विदेशों में जमा काले धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित कर दिया जाए तो वो अपना उपवास ख़त्म कर देंगे. कल तक वो मांग कर रहे थे कि जो लोग काला धन विदेशों में छुपाते हैं उन्हें देशद्रोही क़रार दिया जाना चाहिए. उन्होंने ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ मौत की सज़ा की मांग की थी.

रामदेव ने बड़े नोटों 500 और 1000 रूपये के नोटों को वापस लिए जाने की मांग भी 'स्थगित' करने की बात कही.

अपने समर्थकों के समक्ष बोलते हुए उन्होंने कहा कि वो इस मांग को कुछ दिनों के लिए स्थगित कर रहे हैं.

अत्याधुनिक इंतज़ाम

इस बीच रामदेव के अनशन के लिए शनिवार को दिल्ली के रामलीला मैदान का नक्शा ही बदला हुआ था. वहां भीड़ होगी,  इसका अंदाज़ा तो हमें था लेकिन उसके स्वागत के लिए तैयारी इतनी सुव्यवस्थित होगी, ये नहीं सोचा था. विशाल तम्बू और उसमें हर राज्य के लोगों के लिए अलग जगह.
तेज़ गर्मी थी लेकिन पंखे भी थे,  वो भी तम्बू की छत पर लटके.आराम इतना था कि कई लोग सो रहे थे.
लोगों की सहूलियत के लिए मंच की गतिविधियों का सीधा प्रसारण करती दो विशाल स्क्रीन थी.इस स्क्रीन पर सभी दिशाओं से ताज़ा तस्वीरें दिखाई जा सकें उसके लिए क्रेन की सुविधा वाले 'जिब' कैमरे भी लगाए गए थे.

बाबा रामदेव के समर्थकों में भी जोशोखरोश की कमी नहीं थी.

भारी भीड़


अमरीका से आए सॉफ्टवेयर इंजीनियर प्रिंस रतन ने बीबीसी को बताया कि वो पांच साल से बाबा रामदेव की योग शिक्षा का लाभ उठा रहे हैं.  रतन ने कहा, “मैं यहां आया हूं क्योंकि देश से बाहर रहकर भी मैं भारत में फैले भ्रष्टाचार से प्रभावित हूं, मुझे यकीन है कि इससे बदलाव आएगा.”

बाबा रामदेव एक विशाल ऊंचे स्टेज पर बैठे थे. समर्थकों से एक सुरक्षित दूरी पर, रह-रहकर स्टेज से भारत माता की जय की ललकार आ रही थी जिसे लोग दोहराकर या तालियों से प्रोत्साहित कर रहे थे.

भगवा रंग रह-रहकर नज़र आ रहा था, हालांकि सुबह-सुबह साध्वी ऋतंबरा के भाषण के बाद वहां कोई और नेता नहीं पहुंचा.

रामदेव ने अपने समर्थकों को कई बार संबोधित किया और दोहराया कि उनकी मुहिम किसी एक व्यक्ति विशेष के ख़िलाफ नहीं बल्कि व्यवस्था के विरुद्ध है.

बाबा रामदेव प्रमुख तौर पर सरकार से देश से बाहर मौजूद काले धन को वापस लाने और उसे देश की संपत्ति करार देने की मांग कर रहे हैं.

सरकार के प्रतिनिधि पिछले कई दिनों से रामदेव से उनकी मांगों पर बातचीत करते रहे हैं.







केंद्र सरकार को शीर्षासन के लिए मजबूर कर रहे है योग गुरु

नवतपा की तेज धूप से धरती का तपन बढ़ता जा रहा है , पूरा देश लू की चपेट में है . भीषण गर्मी के कारण जन-जीवन अस्त व्यस्त हो गया है .   दूसरी ओर देश की राजनैतिक फ़िजा में भी नवतपा का असर दृष्टिगोचर हो रहा है . 

योग गुरु बाबा रामदेव   नईदिल्ली के रामलीला मैदान में भारी भीड़ इकट्ठी कर केंद्र सरकार को शीर्षासन  करने के लिए मजबूर कर रहे है .सरकार की सेहत पर  इस शीर्षासन  का क्या  असर होगा यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन फिलहाल सरकार की हालत पतली दिखाई पड़ रही है .भष्ट्राचार एवं काले धन के खिलाफ बाबा रामदेव ने जंग छेड़ दिया है . रामलीला मैदान  तो खचाखच भरा ही है , समूचे देश में लोग आंदोलित हो उठे है .  देश के अनेक शहरों में लोग सड़क में उतर आये है . यदि समय रहते  बाबा को मनाने में केंद्र सरकार सफल नहीं होती है तो यह आन्दोलन लोकनायक जय प्रकाश के १९७४ के आन्दोलन की तरह निर्णायक मोड़ ले सकता है .
 

03 जून, 2011

नवतपा में प्रदेश यात्रा


हमने चिलचिलाती धूप एवं नवतपा के चलते पिछले 27 मई से 30 मई तक प्रदेश के कई हिस्से का दौरा किया तथा अनेक कार्यक्रमों में भाग लिया . प्रवास के प्रथम दिन यानी 27 मई को दुर्ग जिले के गुंडरदेही में लगभग एक करोड़ की लागत से प्रस्तावित 3600 में.ट. के गोदाम का शिलान्यास किया ,कार्यक्रम में कांकेर के सांसद श्री सोहन पोटाई एवं विधायक श्री वीरेंद्र साहू भी मौजूद थे .


दूसरे दिन यानी 28 मई को रायपुर से सारागांव , पलारी , कसडोल , गिधौरी ( शिवरीनारायण ) होते हुए बिलासपुर संभाग के जांजगीर , चांपा , सक्ती , बाराद्वार , खरसिया में राज्य भंडार निगम के सेंटरों का अवलोकन करते हुए रात्रि में रायगढ़ पहुंचें .


29 मई को घरघोड़ा , लोहरसिंग सेंटरों का अवलोकन कर रायगढ़ में भाजयुमों द्वारा आयोजित घोटालों की बारात में शामिल हुए तत्पश्चात रायगढ़ से निकल कर रात में सारंगढ़ जाकर विश्राम किये .


दिनांक 30 मई को सुबह सारंगढ़ गोदाम का निरीक्षण कर महासमुंद जिले के सरायपाली , बसना एवं पिथौरा केन्द्रों का अवलोकन कर रायपुर जिले के आरंग कार्यालय में रुके तथा रात 11  बजे रायपुर वापस लौट आये .

सारंगढ़ के पदाधिकारियों के साथ










02 जून, 2011

आधुनिक बच्चों का टूट रहा है कुदरत से नाता

जैव विविधता को बचाने के काम को वे बच्चे और मुश्किल बना रहे हैं जो टेलीविजन, इंटरनेट, विडियोगेम्स या दूसरे इलेक्ट्रॉनिक मनोरंजन की गिरफ्त में हैं. संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि ये सब  प्रकृति  को   बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं.

 

संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने कहा है कि ज्यादातर नौजवान शहरों में रहते हैं और कुदरत से उनका नाता टूटा हुआ है, इसलिए वे ईकोसिस्टम और प्रजातियों की सुरक्षा की अहमियत नहीं समझते. जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र के कार्यकारी सचिव अहमद जोगलाफ ने कहा, "हमारे बच्चे कंप्यूटरों से चिपके रहते हैं. वे एस.एम.एस. विडियोगेम्स और टीवी की गिरफ्त में हैं. वे एक आभासी दुनिया में जी रहे हैं. हमें उन्हें दोबारा कुदरत से जोड़ना होगा."

मनीला में दक्षिणपूर्वी एशियाई जैव विविधता फोरम में बोलते हुए जोगलाफ ने कहा, "वे नहीं देखते कि आलू कैसे उगाया जाता है. वे तो बस आलू को सुपरमार्केट में ही रखा देखते हैं.

जोगलाफ ने कई सर्वेक्षणों के हवाले से कहा कि विकसित देशों में 95 फीसदी बच्चे अपना खाली वक्त टीवी या कंप्यूटर के सामने बिताते हैं और सिर्फ पांच फीसदी बच्चे बाहर जाते हैं. एक अन्य सर्वे के मुताबिक 20 फीसदी अमेरिकी बच्चे कभी पेड़ पर नहीं चढ़े.

जोगलाफ का कहना है कि शिक्षा की कमी कुदरत के संरक्षण की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है. उन्होंने यूरोप में 2009 में हुए एक सर्वे का जिक्र किया, जिसमें पता चला कि 60 फीसदी जनता को जैव विविधता शब्द के मायने ही नहीं पता थे. उन्होंने पूछा, "जिस चीज को आप जानते ही नहीं, उसकी रक्षा कैसे करोगे? आप उस चीज की रक्षा कैसे करोगे जिसे आपने कभी देखा ही नहीं?"

 dwhindi