नवतपा की तेज धूप से धरती का तपन बढ़ता जा रहा है , पूरा देश लू की चपेट में है . भीषण गर्मी के कारण जन-जीवन अस्त व्यस्त हो गया है . दूसरी ओर देश की राजनैतिक फ़िजा में भी नवतपा का असर दृष्टिगोचर हो रहा है .
योग गुरु बाबा रामदेव नईदिल्ली के रामलीला मैदान में भारी भीड़ इकट्ठी कर केंद्र सरकार को शीर्षासन करने के लिए मजबूर कर रहे है .सरकार की सेहत पर इस शीर्षासन का क्या असर होगा यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन फिलहाल सरकार की हालत पतली दिखाई पड़ रही है .भष्ट्राचार एवं काले धन के खिलाफ बाबा रामदेव ने जंग छेड़ दिया है . रामलीला मैदान तो खचाखच भरा ही है , समूचे देश में लोग आंदोलित हो उठे है . देश के अनेक शहरों में लोग सड़क में उतर आये है . यदि समय रहते बाबा को मनाने में केंद्र सरकार सफल नहीं होती है तो यह आन्दोलन लोकनायक जय प्रकाश के १९७४ के आन्दोलन की तरह निर्णायक मोड़ ले सकता है .
सम-सामयिक आलेख के लिए आभार. आखिर बाबा रामदेव की मांगों को मान लेने में क्या हर्ज है ? अगर वे कह रहे हैं कि काले धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करो, हज़ार-पांच सौ के बड़े नोटों का चलन बंद करो, देश के बच्चों को स्वदेशी भाषा में शिक्षा दो, किसानों के खेतों की रक्षा का क़ानून बनाओ ,तो इन मांगों में क्या बुराई है ? कुछ भ्रष्ट और बेईमान किस्म के लोग बाबा रामदेव के उठाए राष्ट्र-हित के इन ज्वलंत मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने के लिए बाबा पर ही तरह -तरह के बेतुके आरोप लगा रहे हैं. यह तो 'उल्टा चोर कोतवाल को डांटे' वाली बात हो गयी . बाबा ने इन बेईमानों को बेनकाब कर दिया है . आगे देखने वाली बात ये होगी कि भारत कब इन आर्थिक दुराचारियों के चंगुल से मुक्त होगा ? इसके लिए हम सबको बाबा रामदेव और अन्ना हजारे के सामाजिक और गैर-राजनीतिक सत्याग्रह में उनका नैतिक सहयोग और समर्थन करना होगा .
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जवाब देंहटाएं@ श्री स्वराज्य करुण जी ,
जवाब देंहटाएंसत्ता की ताकत पर आन्दोलन को कुचलने का षड़यंत्र चल रहा है , बाबा ने अगर थोड़ी भी चूक की तो यह आन्दोलन और यह मुद्दा हमेशा हमेशा के लिए दफ़न हो जायेगा . बहरहाल देश में आंतरिक आपात्तकाल के हालात बनते दिखाई दे रहे है.