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27 दिसंबर, 2019

भारत जमीन का टुकड़ा नहीं चन्दन की भूमि है

भारत रत्न अटलबिहारी वाजपेयी की 95 वी जयंती पर विशेष आलेख

 भारत जमीन का टुकड़ा नहीं,

जीता जागता राष्ट्रपुरुष है.

हिमालय मस्तक है, कश्मीर किरीट है,

पंजाब और बंगाल दो विशाल कंधे हैं.

पूर्वी और पश्चिमी घाट दो विशाल जंघायें हैं.

कन्याकुमारी इसके चरण हैं, सागर इसके पग पखारता है.

यह चन्दन की भूमि है, अभिनन्दन की भूमि है,

यह तर्पण की भूमि है, यह अर्पण की भूमि है.

इसका कंकर-कंकर शंकर है,

इसका बिन्दु-बिन्दु गंगाजल है.

हम जिएंगे तो इसके लिए

मरेंगे तो इसके लिए.


                                     - श्री अटलबिहारी वाजपेयी


अपने जीवन का पल पल देश को समर्पित करने वाले विख्यात राजनीतिक संत, पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी के ये विचार देश की युवा पीढ़ी को सदैव प्रेरणा देते रहेंगें. 25 दिसंबर 2019 को उनकी 95 वी जयंती है. उनका जन्म मघ्य प्रदेश के ग्वालियर में एक साधारण  परिवार में 25 दिसंबर 1924 को इनका जन्म हुआ था तथा 16 अगस्त 2018 को उनका निधन हुआ. आज भले ही वे हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी लोकप्रियता देश और दुनिया की राजनीतिक क्षितिज पर ध्रुव तारे की तरह अटल है. वे देश के सर्वाधिक लोकप्रिय एवं सर्वमान्य नेता रहें है. एक ऐसे उदार नेता जिनकी कथनी और करनी में कभी अंतर नहीं रहा. ह्रदय से अत्यंत ही भावुक लेकिन तेजस्वी नेता माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जो लच्छेदार भाषण के जरिये लाखों लोंगों को घंटो तक बाँधें रखने की क्षमता रखते थे. श्री  वाजपेयी के पास 40 वर्षों से अधिक का एक लम्बा संसदीय अनुभव रहा है. वे 1957 से सांसद रहे हैं. वे पांचवी, छठी और सातवीं लोकसभा तथा फिर दसवीं, ग्यारहवीं, बारहवीं , तेरहवीं और चौदहवीं लोकसभा के लिए चुने गए और सन् 1962 तथा 1986 में राज्यसभा के सदस्य रहे. वे लखनऊ (उत्तरप्रदेश) से लगातार पांच बार लोकसभा सांसद चुने गए. वे ऐसे अकेले सांसद हैं जो अलग-अलग समय पर चार विभिन्न राज्यों - उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश तथा दिल्ली से निर्वाचित हुए थे.

श्री अटल बिहारी वाजपेयी 16 से 31 मई 1996 और दूसरी बार 19 मार्च 1998 से 13 मई 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे. प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने के साथ पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद वे ऐसे अकेले प्रधानमंत्री रहे हैं जिन्होंने लगातार तीन जनादेशों के जरिए भारत के प्रधानमंत्री पद को सुशोभित किया. वे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन जो देश के विभिन्न क्षेत्रों की विभिन्न पार्टियों का एक चुनाव-पूर्व गठबन्धन है और जिसे तेरहवीं लोकसभा के निर्वाचित सदस्यों का पूर्ण समर्थन और सहयोग हासिल के नेता चुने गए. श्री वाजपेयी भाजपा संसदीय पार्टी जो बारहवीं लोकसभा की तरह तेरहवीं लोकसभा में भी अकेली सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी के निर्वाचित नेता रहे हैं.


उन्होंने विक्टोरिया (अब लक्ष्मीबाई) कॉलेज, ग्वालियर और डी.ए.वी. कॉलेज कानपुर (उत्तरप्रदेश) से शिक्षा प्राप्त की. श्री वाजपेयी ने एम.ए. (राजनीति विज्ञान) की डिग्री हासिल की तथा उन्होंने अनेक साहित्यिक, कलात्मक और वैज्ञानिक उपलब्धियां अर्जित की. उन्होंने राष्ट्रधर्म (हिन्दी मासिक), पांचजन्य (हिन्दी साप्ताहिक) और स्वदेश तथा वीर अर्जुन दैनिक समाचार-पत्रों का संपादन किया. उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं-- ''मेरी संसदीय यात्रा''(चार भागों में); ''मेरी इक्यावन कविताएं''; ''संकल्प काल''; ''शक्ति से शांति'' और ''संसद में चार दशक'' (तीन भागों में भाषण)1957-95; ''लोकसभा में अटलजी'' (भाषणों का एक संग्रह); ''मृत्यु या हत्या''; ''अमर बलिदान''; ''कैदी कविराज की कुंडलियां''(आपातकाल के दौरान जेल में लिखीं कविताओं का एक संग्रह); ''भारत की विदेश नीति के नये आयाम''(वर्ष 1977 से 1979 के दौरान विदेश मंत्री के रूप में दिए गए भाषणों का एक संग्रह); ''जनसंघ और मुसलमान''; ''संसद में तीन दशक''(हिन्दी) (संसद में दिए गए भाषण 1957-1992-तीन भाग); और ''अमर आग है'' (कविताओं का संग्रह),1994.

श्री वाजपेयी ने विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में हिस्सा लिया है. वे सन् 1961 से राष्ट्रीय एकता परिषद् के सदस्य रहे हैं. वे कुछ अन्य संगठनों से भी सम्बध्द रहे हैं जैसे-(1) अध्यक्ष, ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर्स एंड असिस्टेंट मास्टर्स एसोसिएशन (1965-70); (2) पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मारक समिति (1968-84); (3) दीनदयाल धाम, फराह, मथुरा (उत्तर प्रदेश); और (4) जन्मभूमि स्मारक समिति, (1969 से) .

पूर्ववर्ती जनसंघ के संस्थापक-सदस्य (1951), अध्यक्ष, भारतीय जनसंघ (1968-73), जनसंघ संसदीय दल के नेता (1955-77) तथा जनता पार्टी के संस्थापक-सदस्य (1977-80), श्री वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष (1980-86) और भाजपा संसदीय दल के नेता (1980-1984,1986 तथा 1993-1996) रहे.  वे ग्यारहवीं लोकसभा के पूरे कार्यकाल तक प्रतिपक्ष के नेता रहे. इससे पहले वे 24 मार्च 1977 से लेकर 28 जुलाई, 1979 तक मोरारजी देसाई सरकार में भारत के विदेश मंत्री रहे.

पंडित जवाहरलाल नेहरु की शैली के राजनेता के रुप में देश और विदेश में अत्यंत सम्मानित श्री वाजपेयी के प्रधानमंत्री के रुप में 1998-99 के कार्यकाल को ''साहस और दृढ़-विश्वास का एक वर्ष'' के रुप में बताया गया है. इसी अवधि के दौरान भारत ने मई 1998 में पोखरण में कई सफल परमाणु परीक्षण करके चुनिन्दा राष्ट्रों के समूह में स्थान हासिल किया. फरवरी 1999 में पाकिस्तान की बस यात्रा का उपमहाद्वीप की बाकी समस्याओं के समाधान हेतु बातचीत के एक नये युग की शुरुआत करने के लिए व्यापक स्वागत हुआ. भारत की निष्ठा और ईमानदारी ने विश्व समुदाय पर गहरा प्रभाव डाला. बाद में जब मित्रता के इस प्रयास को कारगिल में विश्वासघात में बदल दिया गया, तो भारत भूमि से दुश्मनों को वापिस खदेड़ने में स्थिति को सफलतापूर्वक सम्भालने के लिए भी श्री वाजपेयी की सराहना हुई. श्री वाजपेयी के 1998-99 के कार्यकाल के दौरान ही वैश्विक मन्दी के बाबजूद भारत ने 5.8 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृध्दि दर हासिल की जो पिछले वर्ष से अधिक थी. इसी अवधि के दौरान उच्च कृषि उत्पादन और विदेशी मुद्रा भण्डार जनता की जरुरतों के अनुकूल अग्रगामी अर्थव्यवस्था की सूचक थी . ''हमें तेजी से विकास करना होगा। हमारे पास और कोई दूसरा विकल्प नहीं है  '' वाजपेयी जी का नारा रहा है जिसमें विशेषकर गरीब ग्रामीण लोगों को आर्थिक रुप से मजबूत बनाने पर बल दिया गया है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने, सुदृढ़ आधारभूत-ढांचा तैयार करने और मानव विकास कार्यक्रमों को पुनर्जीवित करने हेतु उनकी सरकार द्वारा लिए गये साहसिक निर्णय ने भारत को 21वीं सदी में एक आर्थिक शक्ति बनाने के लिए अगली शताब्दी की चुनौतियों से निपटने हेतु एक मजबूत और आत्म-निर्भर राष्ट्र बनाने के प्रति उनकी सरकार की प्रतिबध्दता को प्रदर्शित किया. 52वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले की प्राचीर से बोलते हुए उन्होंने कहा था, ''मेरे पास भारत का एक सपना है: एक ऐसा भारत जो भूखमरी और भय से मुक्त हो, एक ऐसा भारत जो निरक्षरता और अभाव से मुक्त हो. ''

श्री वाजपेयी ने संसद की कई महत्वपूर्ण समितियों में कार्य किया है. वे सरकारी आश्वासन समिति के अध्यक्ष (1966-67); लोक लेखा समिति के अध्यक्ष (1967-70); सामान्य प्रयोजन समिति के सदस्य (1986); सदन समिति के सदस्य और कार्य-संचालन परामर्शदायी समिति, राज्य सभा के सदस्य (1988-90); याचिका समिति, राज्य सभा के अध्यक्ष (1990-91); लोक लेखा समिति के अध्यक्ष (1991-93); विदेश मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष (1993-96) रहे. श्री वाजपेयी ने स्वतंत्रता संघर्ष में हिस्सा लिया और वे 1942 में जेल गये. उन्हें 1975-77 में आपातकाल के दौरान बन्दी बनाया गया था .

व्यापक यात्रा कर चुके श्री वाजपेयी अंतर्राष्ट्रीय मामलों, अनुसूचित जातियों के उत्थान, महिलाओं और बच्चों के कल्याण में गहरी रुचि लेते रहे हैं. उनकी कुछ विदेश यात्राओं में ये शामिल हैं- संसदीय सद्भावना मिशन के सदस्य के रुप में पूर्वी अफ्रीका की यात्रा, 1965; आस्ट्रेलिया के लिए संसदीय प्रतिनिधिमंडल 1967; यूरोपियन पार्लियामेंट 1983; कनाडा 1987; कनाडा में हुई राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की बैठकों में भाग लेने हेतु भारतीय प्रतिनिधिमंडल 1966 और 1984; जाम्बिया, 1980; इस्ले आफ मैन 1984; अंतर-संसदीय संघ सम्मेलन जापान में भाग लेने हेतु भारतीय प्रतिनिधिमंडल 1974; श्रीलंका, 1975; स्वीट्जरलैंड 1984; संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल, 1988, 1990, 1991, 1992, 1993 और 1994; मानवाधिकार आयोग सम्मेलन जेनेवा में भाग लेने हेतु भारतीय प्रतिनिधिमंडल के नेता 1993.

श्री वाजपेयी को उनकी राष्ट्र की उत्कृष्ट सेवाओं के लिए वर्ष 1992 में पद्म विभूषण दिया गया तथा 2015 में भारत रत्न सम्मान से विभूषित किया गया. उन्हें 1994 में लोकमान्य तिलक पुरस्कार तथा सर्वोत्तम सांसद के लिए भारत रत्न पंडित गोविन्द बल्लभ पंत पुरस्कार भी प्रदान किया गया. इससे पहले वर्ष 1993 में उन्हें कानपुर विश्वविद्यालय द्वारा फिलॉस्फी की मानद डाक्टरेट उपाधि प्रदान की गई.

 वे निम्नलिखित पदों पर आसीन रहे :---

•1951 -           भारतीय जनसंघ के संस्थापक-सदस्य (B.J.S)
•1957 -           दूसरी लोकसभा के लिए निर्वाचित
•1957-77 -     भारतीय जनसंघ संसदीय दल के नेता
•1962 -          राज्यसभा के सदस्य
•1966-67 -     सरकारी आश्वासन समिति के अध्यक्ष
•1967 -          चौथी लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (दूसरी बार)
•1967-70 -     लोक लेखा समिति के अध्यक्ष
•1968-73 -     भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष
•1971 -          पांचवीं लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (तीसरी बार)
•1977 -          छठी लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (चौथी बार)
•1977-79 -    केन्द्रीय विदेश मंत्री
•1977-80 -    जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य
•1980 -         सातवीं लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (पांचवीं बार)
•1980-86 -    भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष
•1980-84, 1986 और 1993-96 -  भाजपा संसदीय दल के नेता
•1986 -          राज्यसभा के सदस्य; सामान्य प्रयोजन समिति के सदस्य
•1988-90 -    आवास समिति के सदस्य; कार्य-संचालन सलाहकार समिति के सदस्य
•1990-91 -    याचिका समिति के अध्यक्ष
•1991 -         दसवीं लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (छठी बार)
•1991-93 -    लोकलेखा समिति के अध्यक्ष
•1993-96 -    विदेश मामलों सम्बन्धी समिति के अध्यक्ष; लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता
•1996 -         ग्यारहवीं लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (सातवीं बार)
•16  मई 1996 - 31 मई 1996 तक -  भारत के प्रधानमंत्री
•1996-97 -        प्रतिपक्ष के नेता, लोकसभा
•1997-98 -        अध्यक्ष, विदेश मामलों सम्बन्धी समिति
•1998 -             बारहवीं लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (आठवीं बार)
•1998-99 -        भारत के प्रधानमंत्री;
•1999 -             तेरहवीं लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (नौवीं बार)
•13 अक्तूबर 1999 से 13 मई 2004 तक- भारत के प्रधानमंत्री
•2004 -          चौदहवीं लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (दसवीं बार)


उन्होंने सन 2000 में अपने अटल इरादे से छत्तीसगढ़, झारखंड एवं उत्तराखंड तीन राज्यों की स्थापना की. इन 19 वर्षों में इन नवोदित राज्यों ने तेजी से विकास किया. विशेष छत्तीसगढ़ ने अनेक मामलों में मॉडल स्टेट के रूप अपनी पहचान बनाई. ऐसे महान राष्ट्र सपूत, जनसेवक आज भले ही हमारे बीच नहीं है लेकिन उनका कतृत्व आज़ाद भारत के विकास में मील का पत्थर साबित हो रहा है.   


 - अशोक बजाज 

01 नवंबर, 2019

राज्य स्थापना दिवस की हार्दिक बधाई

छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माता पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटलबिहारी वाजपेयी को नमन करते हुए 
सभी प्रदेशवासियों को राज्य स्थापना दिवस की हार्दिक बधाई !


31 अक्टूबर, 2019

लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयन्ती पर शत शत नमन . . .

राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता के महान प्रतिपालक लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयन्ती पर शत शत नमन . . .
                                                                   - अशोक बजाज 



28 अक्टूबर, 2019

दीपावली, धनतेरस, सुरुत्ती, गोवर्धन पूजा, गौरी गौरा पूजा एवं भाईदूज की हर्दिक बधाई

आप सबको दीपावली, धनतेरस, सुरुत्ती, गोवर्धन पूजा, गौरी गौरा पूजा एवं भाईदूज की हर्दिक बधाई एवम शुभकामनाएँ !





                                                                               



07 अक्टूबर, 2019

"नभःस्पृशं दीप्तम्"

"नभःस्पृशं दीप्तम्"
समस्त देशवासियों को भारतीय वायु सेना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ !
जय हिन्द !


31 जुलाई, 2019

छत्तीसगढ़ के लिए ऐतिहासिक दिन

मान. अटल जी के प्रधानमंत्रित्व कार्यकाल में आज ही के दिन 31 जुलाई 2000 को लोकसभा में छत्तीसगढ़ राज विधेयक पारित हुआ था. 
इस ऐतिहासिक दिन के लिए आप सबको हार्दिक बधाई !



05 जुलाई, 2019

मोदी-शाह की जोड़ी साकार करेगी डा. मुखर्जी का सपना

डा. श्यामप्रसाद मुखर्जी की 118 वी जयंती पर विशेष आलेख 

आज़ादी के साथ कश्मीर समस्या हमें विरासत में मिली है जो भारत के लिए नासूर बन गई है. देश की एकता और अखंडता की बात करने वाले कथित बुद्धिजीवी कभी संविधान के अनुच्छेद 370 को कायम रखने की बात करते है तो जनमत संग्रह की वकालत करते है. एकमात्र  डा. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ही ऐसे राष्ट्र भक्त थे जिंहोने देश की एकता और अखंडता के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर किया. उन्हें आज़ाद भारत का प्रथम शहीद कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी. तत्कालीन भारत सरकार ने तुष्टीकरण की नीति के चलते जब जम्मू-कश्मीर में संविधान की धारा 370 लगाई तो उन्होने इसका पुरजोर विरोध करते हुये मंत्रीमंडल से स्तीफ़ा दे दिया था. भारतीय संविधान की धारा 370 जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा प्रदान करती है. धारा 370 भारतीय संविधान का एक विशेष अनुच्छेद है, जो जम्मू-कश्मीर को भारत में अन्य राज्यों के मुकाबले विशेष अधिकार प्रदान करती है. भारतीय संविधान में अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबन्ध सम्बन्धी भाग 21 का अनुच्छेद 370 तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू के विशेष हस्तक्षेप से तैयार किया गया था. धारा 370 के प्रावधानों के मुताबिक संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का तो अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू करवाने के लिए केंद्र को राज्य सरकार की सहमति लेनी पड़ती है. इसी विशेष दर्जे के चलते जम्मू-कश्मीर राज्य में संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती है. राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है. यहाँ तक कि 1976 का शहरी भूमि कानून भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता. भारत के अन्य राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते हैं, धारा 370 के तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भूमि खरीदने का अधिकार है. भारतीय संविधान की धारा 360 यानी देश में वित्तीय आपातकाल लगाने वाला प्रावधान जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता. 

डा. मुखर्जी भारत की अखंडता के प्रबल हिमायती थे तथा अखंड भारत के स्वप्न दृष्टा थे. उन्होने जम्मू-कश्मीर में धारा 370 लगाए जाने की कार्यवाही को भारत की अखंडता के विरुद्ध मानते हुये अपनी असहमति प्रकट करते हुये कहा था कि "एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान− नहीं चलेंगे', लेकिन तुष्टीकरण की नीति के कारण नेहरू जी ने उनकी एक न सुनी. अंततः उन्होने डा. मुखर्जी ने विरोध स्वरुप अपने पद से स्तीफ़ा दे दिया. संसद में भी डॉ. मुखर्जी ने धारा 370 को समाप्त करने की जोरदार वकालत की. उन्होंने अगस्त 1952 में जम्मू की विशाल रैली में अपना संकल्प व्यक्त किया था कि या तो मैं आपको भारतीय संविधान प्राप्त कराऊँगा या फिर इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये अपना जीवन बलिदान कर दूँगा. अपने संकल्प को पूरा करने के लिये उन्होने 1953 में बिना परमिट लिये जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करने की चेष्टा की, सीमा में ही उन्हें गिरफ्तार कर नजरबन्द कर लिया गया. 23 जून 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी.

जम्मू-कश्मीर में धारा 370 लगाते समय ये दलील दी गई थी कि यह एक अस्थाई व्यवस्था है लेकिन वास्तव में अब वह स्थाई रूप ले चुकी है. पं नेहरू एवं कालांतर में बनी सरकारों की ढुलमूल एवं तुष्टीकरण की नीतियों के चलते धारा 370 का प्रावधान भी स्थाई हो गया है और कश्मीर की समस्या भी स्थाई हो गई है. तथाकथित बुद्धिजीवियों ने कश्मीर की आज़ादी या जनमतसंग्रह जैसे मुद्दे उठाकर इस समस्या को सुलझाने के बजाय उलझाने का ही काम किया है. 

2019 के आम चुनाव के बाद जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत की सरकार बनी तो देशवासियों में एक आशा की किरण जागी है. आज़ादी के 72 वर्षों बाद केंद्र में आज एक दृढ़ इच्छा शक्ति वाली सरकार है. श्री मोदी ने जब गृह मंत्री के रूप में अमित शाह को चुना तो लोगों को यह विश्वास हो गया कि जम्मू-कश्मीर की समस्या मोदी सरकार की प्राथमिकता में है. लोगों का विश्वास तब और दृढ़ हो गया जब श्री शाह ने गृह मंत्री के रूप में अपना दौरा कश्मीर से शुरू किया. इस दौरे में जो परिवर्तन देखने को मिला वो सबके सामने है. गृह मंत्री के दौरे के दौरान कश्मीर में पूरी तरह शांति थी, ना श्रीनगर के बाज़ार बंद हुये और ना ही गोला बारूद चला जैसा कि पहले देखने सुनने को मिलता था. पत्थरबाजी करने वाले भी अपने अपने घरों में दुबक गए थे. श्री शाह ने प्रदेश में कानून व्यवस्था की समीक्षा की तथा अमरनाथ यात्रा निर्विध्न सम्पन्न करने की योजना बनाई. कुल मिलाकर यह देश बदल रहा है तो कश्मीर भी बदल कर रहेगा क्योंकि देश में आज एक दृढ़ इच्छा शक्ति वाली सरकार है जो सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास की धारणा को लेकर देश को आगे बढ़ाने के लिए संकल्पित है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यकाल में इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत के सिद्धांत पर चलते हुए इस समस्या को हल करने का प्रयास किया था लेकिन बहुमत के अभाव में उनकी इच्छा अधूरी रह गई थी. अब मोदी और शाह की जोड़ी डा. श्यामाप्रसाद मुखर्जी के सपने को साकार करने में प्राणप्रण से जुटी है. पूरे देश की जनता को विश्वास है कि यथाशीघ्र जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटेगी तथा कश्मीर समस्या जड़मूल से नष्ट होगा.

जीवन परिचय --
डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को कलकत्ता के अत्यन्त प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था. उनके पिता सर आशुतोष मुखर्जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. उन्होने अल्पायु में ही विद्याध्ययन के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलताएँ अर्जित की थी. डॉ. मुखर्जी के पिता श्री आशुतोष मुखर्जी कलकत्ता विश्वविद्यालय के संस्थापक उपकुलपति थे. डा मुखर्जी ने सोलह वर्ष की आयु में मित्तर इंस्टीटयूट से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की जिसमें उन्हें छात्रवृत्ति प्राप्त हुई और प्रसिद्ध प्रेजीडेंसी कालेज कलकत्ता में प्रवेश प्राप्त किया. वर्ष 1919 में उन्हें इंटर आर्ट्स की परीक्षा में विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ और 1921 में अंग्रेजी में बी.ए. आनर्स की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की. उन्होंने वर्ष 1923 में एम.ए. प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया। सन 1924 में पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने कलकत्ता हाई कोर्ट में वकालत के लिए पंजीकरण कराया. सन 1926 में वे  इंग्लैंड चले गए और 1927 में बैरिस्टर बन कर वापस भारत आ गए. सन 1934 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति बनने वाले वे सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे डॉ मुख़र्जी इस पद पर सन 1938 तक बने रहे. एक विचारक तथा प्रखर शिक्षाविद् के रूप में उनकी उपलब्धि तथा ख्याति निरन्तर आगे बढ़ती गयी. कुलपति के रूप में उनके कार्यकाल में ही कविवर रविन्द्र नाथ टैगोर ने दीक्षांत समारोह में बंगला में भाषण दिया और इसके साथ ही बंगला और अन्य भारतीय भाषाओं का युग शुरू हुआ. छात्र जीवन से ही उन्हें यह आभाष हो गया था कि आध्यात्म एवं विज्ञान के रास्ते पर चलकर ही भारत को शिखर तक पहुँचाया जा सकता है.


05 मई, 2019

लोकतन्त्र का महापर्व

लोकतन्त्र के महापर्व के तीसरे चरण में 23 मई को रायपुर लोकसभा के लिए मतदान हुआ. इस दिन सुबह से शाम तक क्षेत्र के अनेक मतदान केन्द्रों में जाने का अवसर मिला. आज ही शादियों का मुहूर्त होने से मतदान अवश्य प्रभावित हुआ. अनेक स्थानों पर वर वधुओं एवं बरातियों ने लोकतन्त्र के फर्ज़ को बखूबी निभाया तथा वैवाहिक संस्कार की प्रक्रियायों को कुछ देर लंबित रखकर बड़े उत्साह के साथ मतदान किया. मै जब गोबरा नवापारा के खोलीपारा बूथ में पहुंचा तो एक दूल्हा मतदान कर बाहर निकल रहा था. वहाँ से जब मै भाजपा के पेंडाल में पहुंचा तब एक अन्य दूल्हे राजा को मतदान पर्ची देकर मतदान के लिए रवाना किया. ये दोनों दूल्हे वोट डालकर बरातियों के साथ प्रस्थान हो गए.

ग्राम तूता अभनपुर 


ग्राम अभनपुर 

ग्राम अभनपुर 

ग्राम अभनपुर बस्ती 

ग्राम  उपरपारा अभनपुर  

ग्राम थनौद अभनपुर 

ग्राम जामगाँव अभनपुर 

गृह ग्राम खोला, अभनपुर 

गृह ग्राम खोला, अभनपुर

गृह ग्राम खोला, अभनपुर

खोलीपारा नवापारा राजिम 

खोलीपारा नवापारा राजिम 

खोलीपारा नवापारा राजिम 

खोलीपारा नवापारा राजिम 

कृ उ मंडी  नवापारा राजिम 

कृ उ मंडी  नवापारा राजिम

सोमवारी बाज़ार  नवापारा राजिम

ग्राम तामासिवनी अभनपुर 
   

21 मार्च, 2019

रंगोत्सव की आपको हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !

खुदा करे आप चाँद बन जाएँ,
सदा उजाले की शान बन जाएँ,
कभी ना दूर हो आपके चेहरे से हंसी,
ये होली का त्यौहार ऐसा एहसान कर जाएँ.


रंगोत्सव की आपको हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !

10 मार्च, 2019

लोकतंत्र के महापर्व की हार्दिक बधाई

सभी देशवासियों को लोकतंत्र के महापर्व की हार्दिक बधाई.
कृपया लोकतंत्र की मजबूती के लिए अपनी भागीदारी निभावें.
आशा है कि 23 मई को भारत में फटाकेँ फूटेंगें पाकिस्तान चीन में नहीं.



08 मार्च, 2019

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मातृशक्ति का वंदन !

चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।। 


         
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मातृशक्ति का वंदन !


07 मार्च, 2019

सुनु कपि तोहि समान उपकारी

भारत की सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक किया तो लोग सबूत मांग रहें है जबकि लंका दहन कर लौटने पर प्रभु श्रीराम ने हनुमान जी क्या कहा था --
सुनु कपि तोहि समान उपकारी । नहिं कोउ सुर नर मुनि तनुधारी ॥
प्रति उपकार करौं का तोरा । सनमुख होइ न सकत मन मोरा ॥

हे हनुमान्‌ ! सुन, तेरे समान मेरा उपकारी देवता, मनुष्य अथवा मुनि कोई भी शरीरधारी नहीं है. मैं तेरा प्रत्युपकार (बदले में उपकार) तो क्या करूँ, मेरा मन भी तेरे सामने नहीं हो सकता.
                                                                 

04 मार्च, 2019

हर हर महादेव


समस्त बहनों एवं भाइयों को महाशिवरात्रि की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !


03 मार्च, 2019

प्रधानमंत्री ने 'आज तक' में दागे सवाल . . .

आज तक क्यों करोड़ों लोग खुले में शौच के लिए विवश थे ?
आज तक क्यों दिव्यांगों के लिए सरकार संवेदनशील नहीं थी ?
आज तक क्यों गंगा का पानी इतना प्रदूषित था ?
आज तक क्यों नॉर्थ ईस्ट की उपेक्षा की गई ?
आज तक क्यों सेना के जांबाज वीरों के लिए नेशनल वॉर मेमोरियल नहीं था ?
आज तक क्यों वीर पराक्रमी पुलिसकर्मियों के लिए कोई नेशनल पुलिस मेमोरियल नहीं था ?
आज तक आजाद हिंद फौज की सरकार की याद में लाल किले में झंडा क्यों नहीं फहराया गया ?
                                                                 

28 फ़रवरी, 2019

मुख में राम बगल में छुरी

पुलवामा में 14 फरवरी को भारतीय सेना पर आतंकी हमले में 45 जवानों के शहीद होने के बाद पूरे भारत के लोगों में पाकिस्तान के प्रति गुस्सा भड़क गया है. पाकिस्तान शुरू से ही आतंकी गतिविधियों का केंद्र रहा है. पाकिस्तान संरक्षण में ही पूरी दुनिया में आतंकवाद पनप रहा है. यदि यह कहा जाय तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि पाकिस्तान आतंकवादियों का पनाहगार बन चुका है. पुलगामा अटैक के बाद आतंकवादियों के खिलाफ मुहिम छेड़ने के अलावा भारत के पास कोई विकल्प भी नहीं था. भारतीय सेना को दाद देनी पड़ेगी कि उन्होंने पुलगामा अटैक के 100 घंटे के अंदर घाटी में सर्च ऑपरेशन कर आतंवादियों को मार डाला. फिर भी देश का गुस्सा शांत नहीं हुआ. फलस्वरूप भारतीय सेना ने 26 फरवरी को सर्जिकल स्ट्राइक कर पाक सीमा के मुजफ्फराबाद, चकोटी और बालकोट में लश्कर, जैश और हिजबुल के कैंपों को तबाह कर दिया. इस घटना से भी पाकिस्तान सबक लेने को तैयार नहीं है. पाक सेना ने 27 फरवरी को पुनः एल.ओ.सी. का उल्लघन कर फायरिंग की. कुल मिलकर भारत-पाक के बीच युद्ध जैसी स्थिति निर्मित हो गई है. पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने भारत के दो सैन्य विमानों को मार गिराया है जिनमें से एक पाक अधिकृत कश्मीर में गिरा जबकि दूसरा जम्मू कश्मीर में गिरा. अधिकारियों ने कहा कि जम्मू के राजौरी सेक्टर में भारतीय हवाई सुरक्षा बलों ने पाकिस्तानी वायुसेना के एफ-16 युद्धक विमान को मार गिराया है. झड़प के दौरान एक मिग-21 विमान गिर गया और उसका पायलट लापता है. जैसे ही तनाव बढ़ा नई दिल्ली से उत्तर के समूचे वायुक्षेत्र को कुछ समय के लिये “खाली” करा दिया गया. जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और पंजाब के नौ हवाई अड्डों को सुबह कुछ समय के लिये नागरिक उड़ानों के लिए बंद कर दिया गया लेकिन बाद में वहां सामान्य हवाई सेवाएं फिर बहाल कर दी गई. इस बीच भारतीय पायलट अभिनन्दन वर्धमान दुर्भाग्य से पाक सेना के हाथ लग गया है. भारतीय सेना ने साफ चेतावनी दी है कि अभिनन्दन को पाकिस्तान तत्काल भारत को सौंप दें. अंतराष्ट्रीय नियमों के तहत उसे रिहा करना ही होगा. उधर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने शांति वार्ता पहल कर एक नई चाल चली है. एक तरफ तो वह शांति वार्ता की बात करता है तो दूसरी तरफ एल.ओ.सी. का उल्लंघन कर भारत पर आक्रमण कर रहा है. यह तो "मुख में राम बगल में छुरी" वाली बात है. यह उसकी दो मुँही चाल है. भारत को उसके नापाक इरादों को भांप कर सदैव सतर्क रहना पड़ेगा.

27 फ़रवरी, 2019

मैं देश नहीं मिटने दूंगा


सौगंध मुझे इस मिट्टी की। 
मैं देश नहीं मिटने दूंगा।।

मैं देश नहीं रुकने दूंगा। 
मैं देश नहीं झुकने दूंगा।।


मेरा वचन है भारत मां को। 
तेरा शीश झुकने नहीं दूंगा।।

सौगंध मुझे इस मिट्टी की। 
मैं देश नहीं मिटने दूंगा।

                                                      - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी


24 फ़रवरी, 2019

प्रधानमंत्री के मन की बात ने बढ़ाई रेडियो की महत्ता - अशोक बजाज

रेडियो श्रोताओं ने लगातार 53 कड़ी सुनने का बनाया रिकार्ड

रायपुर । छत्तीसगढ़ के रेडियो श्रोताओं ने आकाशवाणी से प्रसारित प्रधानमंत्री के मन की बात की 53 वीं कड़ी का सामूहिक श्रवण किया। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ श्रोता संघ के संयोजक अशोक बजाज के नेतृत्व में पहली कड़ी से लेकर तिरपनवीं कड़ी तक लगातार सामूहिक श्रवण का रिकार्ड स्थापित किया। इस अवसर पर श्री बजाज ने रेडियो श्रोताओं की तारीफ करते हुए उनकी सजगता एवं सक्रियता के लिए आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी ने समसामयिक विषयों पर देशवासियों से चर्चा के लिए रेडियो को माध्यम बनाकर रेडियो की महत्ता में इजाफा किया है। आज 53वी कड़ी का प्रसारण सुनने के लिए अशोक बजाज के अलावा सुरेश सरवैय्या, विनोद वंडलकर, कमल कुमार, नारायण यादव विकास चंद्राकर, व्यासनारायन साहू एवं माधौप्रसाद मिरी आदि श्रोतागण मुख्य रूप से उपस्थित थे। (समाचार)
                                                           

21 फ़रवरी, 2019

आखरी उम्मीद


उन लोगों की उम्मीदों को कभी टूटने ना दें 
जिनकी आखरी उम्मीद सिर्फ आप ही है.


14 फ़रवरी, 2019

विश्व रेडियो दिवस

World Radio Day

विश्व रेडियो दिवस की सभी श्रोताओं को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !

                                                              - अशोक बजाज 

30 जनवरी, 2019

रहिमन और कबीर के प्रासंगिक दोहे

बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय, 
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।
                                                                                      
रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर।
जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर॥


28 जनवरी, 2019

गणतंत्र दिवस 2019

प्रस्तुत है गणतंत्र दिवस 2019 के कार्यक्रमों की झलकियाँ -  
गणतंत्र दिवस के अवसर पर सरस्वती शिशु मंदिर अभनपुर में ध्वजारोहण करते हुए.

गणतंत्र दिवस के अवसर पर सरस्वती शिशु मंदिर अभनपुर में भारत माता की आरती.
                                                                                   
गणतंत्र दिवस के अवसर पर सरस्वती शिशु मंदिर अभनपुर में विद्यार्थियों द्वारा स्वलिखित पत्रिका "बाल मित्र" का विमोचन करते हुए.

गणतंत्र दिवस के अवसर पर अभनपुर में श्री विशेष चौरसिया द्वारा लिखित पुस्तक "English Mentor" का विमोचन करते हुए.
                                                                             
गणतंत्र दिवस के अवसर पर सरस्वती शिशु मंदिर अभनपुर में छात्र छात्राओं को पुरस्कार वितरित करते हुए.

                                                                               
गणतंत्र दिवस के अवसर पर सरस्वती शिशु मंदिर अभनपुर बस्ती में ध्वजारोहण करते हुए.
                                                                                 
गणतंत्र दिवस के अवसर पर सरस्वती शिशु मंदिर अभनपुर बस्ती में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए.

गणतंत्र दिवस के अवसर पर सरस्वती शिशु मंदिर अभनपुर बस्ती में आयोजित समारोह में पालकों एवं बालकों के साथ  
                                                                                     
गणतंत्र दिवस के अवसर पर अभनपुर स्टेडियम में ध्वजारोहण करते हुए.

गणतंत्र दिवस के अवसर पर अभनपुर स्टेडियम में ध्वजारोहण करते हुए.

गणतंत्र दिवस के अवसर पर अभनपुर स्टेडियम में ध्वजारोहण करते हुए.

गणतंत्र दिवस के अवसर पर अभनपुर स्टेडियम में ध्वजारोहण समारोह 
                                                                                 
भारत पेट्रोलियम के तत्वावधान में 26 जनवरी को पेट्रोल पंप अभनपुर में आयोजित समारोह में फ्यूल की मात्रा व गुणवत्ता का परीक्षण करते हुए.

भारत पेट्रोलियम के तत्वावधान में 26 जनवरी को पेट्रोल पंप अभनपुर में आयोजित समारोह में फ्यूल की मात्रा व गुणवत्ता का परीक्षण करते हुए.

भारत पेट्रोलियम के तत्वावधान में 26 जनवरी को पेट्रोल पंप अभनपुर में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह. 

भारत पेट्रोलियम के तत्वावधान में 26 जनवरी को पेट्रोल पंप अभनपुर में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह.