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पूर्व प्रेसिडेंट डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम |
देश के पूर्व राष्ट्रपति मिसाइल मैन श्री ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का 27 जुलाई 2015 को शिलांग में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. 83 वर्षीय डॉ. कलाम इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट शिलांग में लेक्चर दे रहे थे, उसी दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वे बेहोश हो गए. उन्हें शिलांग के बेथनी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ शाम 7.45 बजे उनका निधन हो गया. श्री कलाम एक वैज्ञानिक, शिक्षक, विचारक, लेखक, राजनेता, सच्चे राष्ट्रभक्त और ना जाने क्या क्या थे पर हमेशा एक अभिभावक की भूमिका में रहते थे. उनकी सादगी और सरलता के सभी कायल थे. उनके व्यवहार में हमेशा बालपन झलकता था. शिलांग में मृत्यु के पूर्व उन्होंने अंतिम वाक्य कहे - "धरती को जीने लायक कैसे बनाया जाए ?" यह कहते कहते वे गिर पड़े और सदा सदा के लिए इस धरती को अलविदा कर दिया.
बतौर राष्ट्रपति वे 7 नवंबर 2006 को रायपुर आये थे , संयोग से मैं उस समय जिला पंचायत रायपुर का अध्यक्ष था. उनकी अगवानी के लिए एयरपोर्ट पर राज्यपाल श्री के.एम.सेठ, मुख्यमंत्री श्री डा.रमन सिंह, तत्कालीन वन मंत्री तथा वर्तमान में कृषि मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल एवं अन्य विभूतियों के साथ मैं भी मौजूद था. जैसे ही वे प्लेन से उतरे बड़ी सहजता से उन्होंने अभिवादन स्वीकार किया. अभिवादन से बिदाई तक लगभग सभी कार्यक्रमों में मैं उनके साथ रहा लेकिन उनके व्यवहार से कहीं नहीं लगा कि ये देश के प्रथम नागरिक है. मेरे लिए यह अदभूत अनुभव था.
वे आज हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी यादें सदा ह्रदय पटल पर रहेगी, निःसंदेह उनके निधन से देश को अपूरणीय क्षति हुई है. भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे.
7 नवंबर 2006 के कार्यक्रम की कुछ तस्वीरें . . . .
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माना विमान तल पर 7.11.2006 को उनकी अगवानी कर करते हुए |
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देश के पूर्व राष्ट्रपति मिसाइल मैन ए.पी.जे.अब्दुल कलाम ने 7 नवंबर 2006 को पुरखौती मुक्तांगन का लोकार्पण किया तथा ऊँचें मंच से काफी देर तक निहारते रहे. छत्तीसगढ़ की लोककला एवं संस्कृति को जानने की उनकी जिज्ञासा इस तस्वीर में स्पस्ट झलक रही है. |
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पुरखौती मुक्तांगन में बड़ी सहजता से छत्तीसगढ़ के स्कूली बच्चों से बात करते हुए डा. कलाम |
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ग्राम सुदरकेरा विकासखंड अभनपुर के कार्यक्रम में |
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ग्राम सुदरकेरा विकासखंड अभनपुर में जेट्रोफा (रतनजोत) के प्लान्टेशन का अवलोकन करते हुए |
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ग्राम सुदरकेरा विकासखंड अभनपुर में जेट्रोफा (रतनजोत) के पौधे का रोपण करते हुए |
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