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01 जुलाई, 2014

छत्तीसगढ़ी लोक संगीत हमारी अमूल्य धरोहर

            विश्व संगीत दिवस पर 21 जून को रेडियो रंगीला के तत्वावधान में रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन हुआ. उस दिन मै नई दिल्ली में था. शाम 7 बजे नई दिल्ली से रायपुर पहुंचा और सीधे कार्यक्रम स्थल गया. जहाँ मेरे अनेक मित्र बाहर खड़े मेरा बाट जोह रहे थे. अन्दर का नजारा बहुत ही खुशनुमा था. मंच में वाद्य यन्त्र सजे हुए थे , मंच के ठीक नीचे दर्जनों बच्चे किसी प्रतियोगिता में भाग ले रहे थे. मंच के दायी ओर सैकड़ो की संख्या में अति प्राचीन वाद्य यंत्रों की प्रदर्शनी लगाई गई थी. भिलाई के बेचारे रिखी क्षत्रीय ने वर्षों से इन वाद्य यंत्रों संजो कर रखा है. यह प्रदर्शनी वर्ड म्यूजिक डे को सार्थकता प्रदान कर रही थी. मंच के बायी ओर अति पुराने रेडियो सेटों को सजाया गया था. ये रेडियो सेट उन दिनों की याद ताजा कर रहे थे जब रेडियो दुनिया में मनोरंजन का एक मात्र साधन हुआ करता था. रायपुर के मनोहर डेंगवाणी ने अपने घर में सैंकड़ो की संख्या में रेडियो सेट संजों कर रखा है. प्रदर्शनी के लिए उन्हें ऐसे मौके की तलाश रहती है. 

      कार्यक्रम में आज छत्तीसगढ़ी लोक संगीत का खूब आनंद लेने का अवसर मिला क्योकि यह हमारी अमूल्य धरोहर है अतः इसकी मौलिकता को कायम रखना हम सब की जिम्मेदारी है हमें छत्तीसगढ़ी लोक संगीत को पाश्चात्य संस्कृति के आक्रमण से बचाना होगा. कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ रेडियो उदघोषक श्रीमती शुभ्रा ठाकुर ने किया. कार्यक्रम में मुख्य रूप से परसराम साहू, विनोद वंडलकर, रतन जैन, रमेश यादव एवं मोहन देवांगन के अलावा काफी संख्या में लोग उपस्थित थे.


पुराने रेडियो सेट्स की प्रदर्शनी का अवलोकन 
श्री रिखी क्षत्रीय एवं श्री मनोहर डेंगवानी को सम्मानित करते हुए. 
बांस की धुन सुनते हुए.
अति प्राचीन वाद्य यंत्रों की प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए. 
कलाकारों एवं प्रतिभागियों के साथ 
और यह भी 

3 टिप्‍पणियां:

  1. सही कहा है आपने... इस अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर को सहेज़ने की अत्यंत आवश्यकता है … प्रशंसनीय प्रयास के लिए सभी को बधाई...

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  2. बहुत सुंदर ..... सांस्‍कृतिक धरोहरों को सुरक्षित करने के प्रयास आवश्‍यक हैं ... मैं भी ज्‍योतिष को प्रतिष्‍ठापित करने के लिए प्रयासरत हूं ...... क्‍योंकि आज के समाज में इसका बहुत ही वीभत्‍स रूप दिखाई दे रहा है ...

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