आकाशवाणी के कार्यक्रमों की गुणवत्ता आज भी कायम --- बजाज
श्रोता संघों ने मनाया आकाशवाणी रायपुर का स्थापना दिवस
प्रथम छत्तीसगढ़ी फिल्म 'कहि देबे संदेश' के निर्माता-निर्देशक श्री मनु नायक हुआ अभिनंदन
रेडियो प्रसारण सेवा के 48 वर्ष छत्तीसगढ़ में पूरे हो चुके हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर दो अक्टूबर 1963 को यहां आकाशवाणी के रायपुर केन्द्र के प्रसारण की शुरूआत हुई थी। आकाशवाणी रायपुर का अड़तालिसवां स्थापना दिवस समारोह आज यहां चौबे कॉलोनी स्थित महाराष्ट्र मंडल के सभा भवन में मनाया गया। इस अवसर पर आज से लगभग 46 वर्ष पहले 1965 में छत्तीसगढ़ी भाषा में निर्मित पहली कथा फिल्म 'कहि देबे संदेश' के निर्माता और निदेशक श्री मनु नायक का नागरिक अभिनंदन भी किया गया। छत्तीसगढ़ राज्य भण्डार गृह निगम के अध्यक्ष श्री अशोक बजाज समारोह के मुख्य अतिथि थे। उन्होंने श्री मनु नायक को प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
मुख्य अतिथि की आसंदी से समारोह को सम्बोधित करते हुए श्री अशोक बजाज ने कहा कि देश के जन-जीवन पर रेडियो कार्यक्रमों का भी व्यापक असर होता है। श्री बजाज ने कहा कि आकाशवाणी के कार्यक्रमों की गुणवत्ता आज भी कायम है। विभिन्न केन्द्रों से गीत-संगीत के मनोरंजक कार्यक्रमों के साथ-साथ किसानों और समाज के विभिन्न वर्गों की जरूरतों से जुड़े ज्ञानवर्धक कार्यक्रम भी प्रसारित होते हैं। इस प्रकार के कार्यक्रमों के जरिए आकाशवाणी द्वारा राज्य सरकार और केन्द्र की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी भी आम जनता को दी जाती है, जिसका लाभ जरूरतमंद लोगों को मिलता है। श्री बजाज ने बालिका शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला और समाज में बेटियों के संरक्षण की जरूरत पर भी बल दिया। शारदीय नवरात्रि का उल्लेख करते हुए श्री बजाज ने कहा कि हमारे भारतीय समाज में महिलाओं को हमेशा देवी के रूप में सर्वोच्च सम्मान प्राप्त होता रहा है। हमारे यहां नदियों को भी माता के रूप में सम्बोधित किया जाता है।
स्थापना दिवस समारोह के साथ-साथ आकाशवाणी रायपुर के वरिष्ठ सेवानिवृत्त उदघोषक श्री लाल रामकुमार सिंह की अध्यक्षता में इस अवसर पर आकांक्षा रेडियो लिस्नर्स संस्था, धरसींवा द्वारा रेडियो श्रोताओं के विभिन्न संगठनों के सहयोग से अखिल भारतीय रेडियो श्रोता सम्मेलन भी आयोजित किया गया। समारोह में मुम्बई से आए वरिष्ठ छत्तीसगढ़ी फिल्म निर्माता और निदेशक श्री मनु नायक ने रेडियो श्रोताओं के इस सम्मेलन को अपने लिए एक नया तथा दिलचस्प अनुभव बताया। उन्होंने कहा कि रेडियो कार्यक्रमों के प्रस्तुतकर्ताओं और प्रसारकों को वास्तविक ऊर्जा अपने श्रोताओं से ही मिलती है। श्री मनु नायक ने कहा कि इस प्रकार के सम्मेलनों से रेडियो श्रोताओं और उदघोषकों के बीच भाईचारा बढ़ता है। श्रोताओं से रेडियो वालों को कई अच्छे सुझाव भी प्राप्त होते हैं। छत्तीसगढ़ में 46 वर्ष पहले फिल्म उद्योग की बुनियाद रखने वाले श्री मनु नायक ने इस मौके पर अपनी प्रथम छत्तीसगढ़ी फिल्म 'कहि देबे संदेश' के फिल्मांकन से जुड़े संस्मरण भी सुनाए। उन्होंने रेडियो श्रोताओं को बताया कि इस फिल्म में मोहम्मद रफी, महेंद्र कपूर, मन्नाडे, मीनू पुरूषोत्तम जैसे हिन्दी सिनेमा के अनेक जाने-माने गायकों ने छत्तीसगढ़ी गीत गाकर हमारी माटी का मान बढ़ाया था। फिल्म का पहला गीत छत्तीसगढ़ में प्रचलित पारम्परिक लोक शैली का ददरिया था, जिसे श्री महेन्द्र कपूर और सुश्री मीनू पुरूषोत्तम ने गाया था, जिसके बोल थे ....
इस फिल्म के गीतकार थे स्वर्गीय डॉ. हनुमंत नायडू 'राजदीप' और संगीतकार थे श्री मलय चक्रवर्ती। पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म के अनेक गीत उस जमाने में काफी लोकप्रिय हुए, जिनमें प्रसिध्द पार्श्व गायक श्री मोहम्मद रफी का गाया 'झमकत नदिया बहिनी लागय, परबत मोर मितान' भी शामिल है। रेडियो श्रोताओं के सम्मेलन में आज इस पुराने सदाबहार गीत के प्रस्तुतिकरण से एक बार फिर पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म 'कहि देबे संदेश' की यादें ताजा हो गयी। अध्यक्षीय आसंदी से श्री लाल रामकुमार सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए। सम्मेलन को दुर्गा महाविद्यालय रायपुर के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर अनिल कालेले, आकाशवाणी रायपुर के उदघोषक श्री श्याम वर्मा, श्री यादराम पटेल और श्री दीपक हटवार, सहित अन्य अनेक वक्ताओं ने भी सम्बोधित किया। सम्मेलन में आकाशवाणी के श्रोताओं की पसंद पर आधारित फरमाइशी फिल्मी गीतों का जीवंत प्रस्तुतिकरण आकर्षण का केन्द्र रहा, जिसमें श्रीमती वीणा ठाकुर, सुश्री मनीषा जंघेल, श्री राजकुमार गंभीर और श्री दिनेश साहू सहित अनेक श्रोता कलाकारों द्वारा नये-पुराने सदाबहार फिल्मी गीत पेश किए गए। सम्मेलन में अभनपुर निवासी प्रसिध्द हिन्दी ब्लाग लेखक श्री ललित शर्मा सहित आकाशवाणी रायपुर और विभिन्न आकाशवाणी केन्द्रों के उदघोषक तथा अनेक प्रबुध्दजन उपस्थित थे। इस मौके पर अहिंसा रेडियो श्रोता संघ बलौदाबाजार की विशेष बुलेटिन का विमोचन भी किया गया। सम्मेलन के आयोजन में अमलेश्वर रेडियो श्रोता संघ, भाटापारा रेडियो श्रोता संघ और जय छत्तीसगढ़ रेडियो श्रोता संघ पिपरिया सहित अनेक श्रोता संघों के सदस्य और पदाधिकारी भी काफी संख्या में मौजूद थे।
मुख्य अतिथि की आसंदी से समारोह को सम्बोधित करते हुए श्री अशोक बजाज ने कहा कि देश के जन-जीवन पर रेडियो कार्यक्रमों का भी व्यापक असर होता है। श्री बजाज ने कहा कि आकाशवाणी के कार्यक्रमों की गुणवत्ता आज भी कायम है। विभिन्न केन्द्रों से गीत-संगीत के मनोरंजक कार्यक्रमों के साथ-साथ किसानों और समाज के विभिन्न वर्गों की जरूरतों से जुड़े ज्ञानवर्धक कार्यक्रम भी प्रसारित होते हैं। इस प्रकार के कार्यक्रमों के जरिए आकाशवाणी द्वारा राज्य सरकार और केन्द्र की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी भी आम जनता को दी जाती है, जिसका लाभ जरूरतमंद लोगों को मिलता है। श्री बजाज ने बालिका शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला और समाज में बेटियों के संरक्षण की जरूरत पर भी बल दिया। शारदीय नवरात्रि का उल्लेख करते हुए श्री बजाज ने कहा कि हमारे भारतीय समाज में महिलाओं को हमेशा देवी के रूप में सर्वोच्च सम्मान प्राप्त होता रहा है। हमारे यहां नदियों को भी माता के रूप में सम्बोधित किया जाता है।
स्थापना दिवस समारोह के साथ-साथ आकाशवाणी रायपुर के वरिष्ठ सेवानिवृत्त उदघोषक श्री लाल रामकुमार सिंह की अध्यक्षता में इस अवसर पर आकांक्षा रेडियो लिस्नर्स संस्था, धरसींवा द्वारा रेडियो श्रोताओं के विभिन्न संगठनों के सहयोग से अखिल भारतीय रेडियो श्रोता सम्मेलन भी आयोजित किया गया। समारोह में मुम्बई से आए वरिष्ठ छत्तीसगढ़ी फिल्म निर्माता और निदेशक श्री मनु नायक ने रेडियो श्रोताओं के इस सम्मेलन को अपने लिए एक नया तथा दिलचस्प अनुभव बताया। उन्होंने कहा कि रेडियो कार्यक्रमों के प्रस्तुतकर्ताओं और प्रसारकों को वास्तविक ऊर्जा अपने श्रोताओं से ही मिलती है। श्री मनु नायक ने कहा कि इस प्रकार के सम्मेलनों से रेडियो श्रोताओं और उदघोषकों के बीच भाईचारा बढ़ता है। श्रोताओं से रेडियो वालों को कई अच्छे सुझाव भी प्राप्त होते हैं। छत्तीसगढ़ में 46 वर्ष पहले फिल्म उद्योग की बुनियाद रखने वाले श्री मनु नायक ने इस मौके पर अपनी प्रथम छत्तीसगढ़ी फिल्म 'कहि देबे संदेश' के फिल्मांकन से जुड़े संस्मरण भी सुनाए। उन्होंने रेडियो श्रोताओं को बताया कि इस फिल्म में मोहम्मद रफी, महेंद्र कपूर, मन्नाडे, मीनू पुरूषोत्तम जैसे हिन्दी सिनेमा के अनेक जाने-माने गायकों ने छत्तीसगढ़ी गीत गाकर हमारी माटी का मान बढ़ाया था। फिल्म का पहला गीत छत्तीसगढ़ में प्रचलित पारम्परिक लोक शैली का ददरिया था, जिसे श्री महेन्द्र कपूर और सुश्री मीनू पुरूषोत्तम ने गाया था, जिसके बोल थे ....
कोयली रे कूकै, आमा के डार म,
चले आबे पतरेंगी, नवा तरिया पार म'
चले आबे पतरेंगी, नवा तरिया पार म'
इस फिल्म के गीतकार थे स्वर्गीय डॉ. हनुमंत नायडू 'राजदीप' और संगीतकार थे श्री मलय चक्रवर्ती। पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म के अनेक गीत उस जमाने में काफी लोकप्रिय हुए, जिनमें प्रसिध्द पार्श्व गायक श्री मोहम्मद रफी का गाया 'झमकत नदिया बहिनी लागय, परबत मोर मितान' भी शामिल है। रेडियो श्रोताओं के सम्मेलन में आज इस पुराने सदाबहार गीत के प्रस्तुतिकरण से एक बार फिर पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म 'कहि देबे संदेश' की यादें ताजा हो गयी। अध्यक्षीय आसंदी से श्री लाल रामकुमार सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए। सम्मेलन को दुर्गा महाविद्यालय रायपुर के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर अनिल कालेले, आकाशवाणी रायपुर के उदघोषक श्री श्याम वर्मा, श्री यादराम पटेल और श्री दीपक हटवार, सहित अन्य अनेक वक्ताओं ने भी सम्बोधित किया। सम्मेलन में आकाशवाणी के श्रोताओं की पसंद पर आधारित फरमाइशी फिल्मी गीतों का जीवंत प्रस्तुतिकरण आकर्षण का केन्द्र रहा, जिसमें श्रीमती वीणा ठाकुर, सुश्री मनीषा जंघेल, श्री राजकुमार गंभीर और श्री दिनेश साहू सहित अनेक श्रोता कलाकारों द्वारा नये-पुराने सदाबहार फिल्मी गीत पेश किए गए। सम्मेलन में अभनपुर निवासी प्रसिध्द हिन्दी ब्लाग लेखक श्री ललित शर्मा सहित आकाशवाणी रायपुर और विभिन्न आकाशवाणी केन्द्रों के उदघोषक तथा अनेक प्रबुध्दजन उपस्थित थे। इस मौके पर अहिंसा रेडियो श्रोता संघ बलौदाबाजार की विशेष बुलेटिन का विमोचन भी किया गया। सम्मेलन के आयोजन में अमलेश्वर रेडियो श्रोता संघ, भाटापारा रेडियो श्रोता संघ और जय छत्तीसगढ़ रेडियो श्रोता संघ पिपरिया सहित अनेक श्रोता संघों के सदस्य और पदाधिकारी भी काफी संख्या में मौजूद थे।
बढिया कार्यक्रम रहा, इस तरह के कार्यक्रमों के आयोजन से श्रोता मिलन के साथ-साथ रेड़िओ की लोकप्रियता में भी वृद्धि हो रही है। आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर विववरण है भईया...
जवाब देंहटाएंरेडिओ की प्रासंगिकता नवयुग में भी कम नहीं हुई है....
सादर...
श्रोताओं के कारण फलता फूलता यह माध्यम।
जवाब देंहटाएंश्रोताओं की पसंद के कारण रेडियो की महत्वत्ता २१ वी सदी में भी बरक़रार है.......!
जवाब देंहटाएंएक औश्र बेहतरीन कार्यक्रम के आयोजन और सुन्दर रिपोर्टिंग के लिये बधाई औश्र धन्यवाद....रेडियो जिन्दाबाद....
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