अमरीका द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता की पैरवी करने के बाद अब चीन ने भी अपने दृष्टिकोण में परिवर्तन किया है .जबकि पडोसी देश पाकिस्तान में इससे खलबली गई मची हुई है .
चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और संयुक्त राष्ट्र में भारत की बड़ी भूमिका निभाने की आकांक्षा समझता है और भारत के साथ-साथ अन्य सदस्यों के साथ सुरक्षा परिषद के सुधारों पर चर्चा के लिए तैयार है.ग़ौरतलब है कि सुरक्षा परिषद के पाँच स्थाई सदस्यों में से केवल चीन ही है जिसने अब तक स्पष्ट तौर पर भारत की स्थाई सदस्यता का अनुमोदन नहीं किया है.
दूसरी ओर पाकिस्तान ने भारत की स्थाई सदस्यता के प्रश्न पर अमेरिकी रूख का विरोध करते हुए कहा कि " ये अनुमोदन संयुक्त राष्ट्र की सुधार प्रक्रिया को और जटिल बनाता है. ऐसा सुधार जो संयुक्त राष्ट्र चार्टर के मूल सिंद्धांतों और संप्रभुता में बराबरी के सिद्धांत का उल्लंघन करता हो ; सामूहिक सुरक्षा का उल्लंघन करता हो उससे अंतरराष्ट्रीय संबंधो को आघात पहुँचेगा. "
दूसरी ओर पाकिस्तान ने भारत की स्थाई सदस्यता के प्रश्न पर अमेरिकी रूख का विरोध करते हुए कहा कि " ये अनुमोदन संयुक्त राष्ट्र की सुधार प्रक्रिया को और जटिल बनाता है. ऐसा सुधार जो संयुक्त राष्ट्र चार्टर के मूल सिंद्धांतों और संप्रभुता में बराबरी के सिद्धांत का उल्लंघन करता हो ; सामूहिक सुरक्षा का उल्लंघन करता हो उससे अंतरराष्ट्रीय संबंधो को आघात पहुँचेगा. "
अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने नईदिल्ली में भारतीय संसद को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता का अनुमोदन किया था.
बहुत बढ़िया प्रस्तुति...आभार
जवाब देंहटाएंराजनीति, पर अभी देश को आवश्यक है कर्मनीति।
जवाब देंहटाएंकूटनीतिक तौर पर भारत का प्रस्ताव सफ़ल रहा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थाई सदस्यता देना अब मठाधीशों की मजबूरी है।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया......
जवाब देंहटाएंचीन का झुकना कितने सेकेंड के लिए है,कहना मुश्किल है।
जवाब देंहटाएंअच्छा लेख......आभार
जवाब देंहटाएंखलबली मचने दो अशोक जी - भारत आगे बढ़ेगा - तो पाकिस्तान कहाँ टिकेगा :) , वैसे अमेरिका पर विश्वास है आपको ?
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आकर एक बार मेरा इस बारे में विश्लेषण पढ़ें और अपनी प्रतिक्रिया से बहस को आगे बढायें
@ श्री दीपक चौबे जी
जवाब देंहटाएं@ डॉ॰ मोनिका शर्मा जी ,
@ श्री अरविन्द जांगिड जी ,
आप लोगों को आलेख पसंद आया इसके लिए आभार . अशोक बजाज ग्राम-चौपाल
@ श्री प्रवीण पाण्डेय जी ,
जवाब देंहटाएंआपने सही आंकलन किया , सरकार और जनता दोनों के लियें कर्म-नीति बनानी चाहियें . धन्यवाद !
@ श्री ललित शर्मा जी ,
जवाब देंहटाएंहमने अभी तक ऐसी मजबूरी पैदा नहीं की है कि अमेरिका थाली में परोस कर हमें स्थाई सदस्यता प्रदान कर दे .
@ श्री शिक्षामित्र जी ,
जवाब देंहटाएंआपकी शंका जायज है .
@ श्री राम त्यागी जी ,
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग में जाकर आपका विश्लेषण पढ़ा .विश्लेषण सटीक है . खलबली मचाने के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करना पड़ेगा . अमेरिका पर एकाएक विश्वास करना उचित नहीं .दूध का जला ........
सुरक्षा परिषद् में सीट मिलने से सब ठीक हो जायेगा न?
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