छह दिन तक चलने वाले फोटोकीना मेले में 45 देशों के 1,250 विक्रेता अलग अलग तरह के कैमरों का प्रदर्शन करेंगे. मेले के आयोजक उम्मीद जता रहे हैं कि इस सप्ताह करीब डेढ़ लाख लोग यह प्रदर्शनी देखने आएंगे.
सोनी, पैनासॉनिक और फूजी जैसी बड़ी कंपनियां इस मेले में हिस्सा ले रही हैं. कॉम्पैक्ट कैमरा और 3-डी स्क्रीन आकर्षण के केंद्र में हैं.आम जनता के लिए यह मेला रोज़ सुबह दस से शाम छह बजे तक खुलेगा और उसके लिए लोगों को एक दिन के 43 यूरो खर्चने होंगे. हालांकि बच्चों, छात्रों और वृद्ध लोगों को छूट दी जाएगी. हर किसी की पहुंच में है कैमरा
डिजिटल फोटोग्राफी के आने के बाद से कैमरों की लोकप्रियता में बहुत इजाफा हुआ. मोबाइल फोन में कैमरे होने के कारण अब हर कोई अपना फोटोग्राफी का शौक पूरा कर लेता है. जर्मनी की फोटो इंडस्ट्री संगठन के कोंस्टांस क्लाउस का कहना है, "जहां तक खरीदारी की बात है तो कैमरा पांचवे स्थान पर है. सब से पहले है फ्रिज, फिर टीवी, फोन, मोबाइल और उसके बाद कैमरा."
वक्त के साथ साथ कैमरे की मांग बहुत बढ़ी है. क्लाउस का कहना है कि एक समय हुआ करता था जब परिवार के सबसे बड़े व्यक्ति के पास ही कैमरा हुआ करता था. लेकिन अब परिवार का हर सदस्य अपने पास कैमरा रखना चाहता है. हर कोई अपनी यादों को अपने तरीके से कैमरे में कैद करना चाहता है.
डिजिटल फोटोग्राफी ने सब कुछ बदला. न रहा रील बदलने का झंझट और न ही उस पर पैसे खर्च करने की चिंता. लोग जब चाहें, जहां चाहें तस्वीरे ले सकते हैं. जर्मनी में जब यहां के युवाओं से यह पूछा गया कि वे अपनी प्रियजनों को चिट्ठी, ई-मेल और तस्वीरों में से क्या भेजना पसंद करेंगे, तो 78 फीसदी ने जवाब दिया कि वे तस्वीर भेजना ही ज्यादा पसंद करेंगे. साथ ही क्लाउस का यह भी मानना है कि इंटरनेट में सोशल नेटवर्किंग भी तस्वीरों के ही सहारे इतनी लोकप्रिय हो पाई हैं.
कम हुआ जनता और मीडिया का फासला
डिजिटल फोटोग्राफी के ज़रिये आम जनता और मीडिया के बीच का फासला भी बहुत कम हुआ है. जर्मनी के लोकप्रिय अखबार "बिल्ड" के सम्पादक मिशाएल पाउसटियान का कहना है कि आज के समय में उनके लिए उनके पाठकों द्वारा भेजी गई तस्वीरों की उतनी ही अहमियत है जितनी उनके फोटोग्राफर द्वारा ली गई तस्वीरों की है. पाउसटियान का बताना है कि उन्हें पाठकों द्वारा प्रति दिन 4000 तसवीरें मिलती हैं. वैसे यह भी ध्यान देने लायक बात है कि जर्मन में बिल्ड का मतलब होता है तस्वीर.
जनता द्वारा ली गई इन तस्वीरों से कई बार मीडिया के साथ साथ पुलिस को भी फायदा होता है. कुछ हफ़्तों पहले हुए जर्मनी के डुइसबुर्ग शहर में लव परेड के दौरान हुए हादसे की तहकीकात करने वाले पुलिस के अधिकारी रामौन फान डेअर माट भी इस बात को मानते हैं कि मोबाइल फोन से ली गईं तस्वीरें पुलिस की तहकीकात के लिए बेहद मददगार साबित होती हैं.
यह कैमरों का युग है
एक वो भी जमाना था
एक वो भी जमाना था जब कैमरा कुछ खास लोगों एवंरईसजादो तक सीमित था
फोटोग्राफी का शौंक महंगा साबित होता था .कैमरे को आपरेट करना बड़ा कठिन होता था .
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कैमरे ही कैमरे
जवाब देंहटाएंअच्छी पोस्ट कैमरों के विषय में जानकारी देती हुयी...
आभा
बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंकाव्य प्रयोजन (भाग-९) मूल्य सिद्धांत, राजभाषा हिन्दी पर, पधारें
thanks for informetion
जवाब देंहटाएंउम्दा लेखन के लिए आभार
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट ब्लॉग4वार्ता पर
अच्छी जानकारी.
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