विचार तत्व
- कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो,आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों देता ? -स्वामी विवेकानन्द
जो सत्य है, उसे साहसपूर्वक निर्भीक होकर लोगों से कहो–उससे किसी को कष्ट होता है या नहीं, इस ओर ध्यान मत दो। दुर्बलता को कभी प्रश्रय मत दो। सत्य की ज्योति ‘बुद्धिमान’मनुष्यों के लिए यदि अत्यधिक मात्रा में प्रखर प्रतीत होती है,और उन्हें बहा ले जाती है,तो ले जाने दो–वे जितना शीघ्र बह जाएँ उतना अच्छा ही है। -स्वामी विवेकानन्द
बच्चों को शिक्षा के साथ यह भी सिखाया जाना चाहिए कि वह मात्र एक व्यक्ति नहीं है, संपूर्ण राष्ट्र की थाती हैं। उससे कुछ भी गलत हो जाएगा तो उसकी और उसके परिवार की ही नहीं बल्कि पूरे समाज और पूरे देश की दुनिया में बदनामी होगी। बचपन से उसे यह सिखाने से उसके मन में यह भावना पैदा होगी कि वह कुछ ऐसा करे जिससे कि देश का नाम रोशन हो। योग-शिक्षा इस मार्ग पर बच्चे को ले जाने में सहायक है।-स्वामी रामदेव
मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है,इतिहास की धारा को बदल सकते हैं। - महात्मा गांधी
विनय अपयश का नाश करता हैं, पराक्रम अनर्थ को दूर करता है, क्षमा सदा ही क्रोध का नाश करती है और सदाचार कुलक्षण का अंत करता है।" - श्रीराम शर्मा आचार्य
इनमें से एक से तो साक्षात मिल लिए जी
जवाब देंहटाएंऔर बाकियों के विचार जान लिए।
आभार