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14 सितंबर, 2012

हिन्दी बेचारी और मेरी लाचारी

व्यंग लेख  

लेडीज़ एंड जेंटलमेन,
     गुड मार्निंग


पूरे इण्डिया में 14 सितंबर को औपचारिक रूप से हिंदी दिवस मनाया गया. मेरा स्कूल इंगलिश मीडियम है तो क्या हुआ यहाँ भी हिंदी दिवस पर गोष्ठी का प्रोग्राम रखा गया.  हमारे प्रिंसिपाल मि. के. पी. नाथ ने हिंदी की महत्ता पर प्रकाश डाला तथा हिंदी की गरिमा बढ़ाने पर बल दिया. हिंदी के टीचर मि. टी.आर. गर्ग ने हिंदी के प्रचार प्रसार हेतु महत्वपूर्ण टिप्स दिये. प्रोग्राम के अंत में उन्हें हिंदी की उत्कृष्ट सेवा के लिए सम्मानित कर एक मोमेंटो प्रदान किया गया. स्कूल से लौटते वक्त हमें रोड में जगह जगह हिंदी दिवस के पोस्टर दिखाई दिये. घर पहुचते ही मैने थोड़ा ब्रेकफास्ट लिया और रोज की तरह बैट बाल लेकर समीप के क्रिकेट ग्राउंड की तरफ निकल गया. पिंटू को भी साथ लेकर जाना था उसका घर आन द वे है,  उसके घर "ग्रीन हॉउस" में एंट्री करते ही पिंटू के डैडी प्रभाकर अंकल मिले उन्हें नमस्ते किया और पिंटू के साथ क्रिकेट खेलने निकल गया. ग्राउंड में पहले से ही अनेक फ्रेंड्स मौजूद थे. एक-दूसरे को हाय हैलो करने के बाद हम लोग क्रिकेट खेलने लगे, कुछ देर खेलने के बाद हम लोग गप्प मारने बैठ गए. यहाँ भी हिंदी दिवस की चर्चा शुरू हो गई. सभी मित्र अपने अपने स्कूल में हुए प्रोग्राम पर कमेन्ट करने लगे. किसी ने कहा कि हमें हिंदी बोलने की प्रेक्टिस करनी चाहिए क्योकि हिंदी हमारी मातृ भाषा है अतः हमें हिंदी को इंपोर्टेंस देना चाहिए. किसी ने अंगरेजी की वकालत की तो कुछ ने दोनों भाषा को सामान रूप से अपनाने पर बल दिया, इस बीच अचानक तेज बारिस होने लगी और हम सब अपने अपने व्हीकल से घर की ओर भागे. हिंदी दिवस पर हमारी चर्चा अधूरी ही रही, मैंने सोचा घर पहुँच कर मम्मी-डैडी से हिन्दी दिवस पर चर्चा करूँगा. घर पहुंचा तो देखा कि डैडी आफिस से लौटकर सेक्सपियर के उपन्यास में खोये हुए है तथा मम्मी टी.व्ही.सीरियल देखनें में व्यस्त है. मैंने कपड़े चेंज किये और पोर्च में बैठकर बारिस के पानी के तेज प्रवाह में चिथड़े चिथड़े हो कर बहते हुए हिंदी न्यूज पेपर के टुकड़ों को टकटकी लगाये देखता रहा.
आपका - आर.सी.गंग
                             आप सबको हिंदी दिवस की ढेर सारी बधाई

08 सितंबर, 2012

भूल हुई है अपार, फिर भी मिला है प्यार

संचार के विभिन्न माध्यमों से जन्मदिन पर ढेर सारे बधाई सन्देश प्राप्त हुए है.विज्ञानं का युग है अतः संदेशों के आदान-प्रदान में ना असुविधा होती है और ना ही विलंब. संचार के अनेक माध्यम हो गए है .एक ज़माना था जब डाकिये का इंतजार करते करते आँखें थक जाती थी लेकिन अब तो पलक झपकते ही एस.एम.एस.मिल जाता है. मोबाईल की कनेक्टिविटी बढ़ जाने से एक दूसरे से बराबर संपर्क बना रहता है. जन्मदिन हो या कोई तीज-त्यौहार बधाई देने की परंपरा आम हो गई है. सामान्यतया अपने दिन को गुप्त रखता हूँ लेकिन पिछले दो वर्षों से इसकी जानकारी कई लोगों को हो जाने के कारण इस बार हजारों की तादाद में बधाई सन्देश प्राप्त हुए है. किसी ने एस.एम.एस.किया तो किसी ने मोबाईल से सन्देश से सीधे बात की. कुछ मित्रों ने रेडियो,अखबार और टेलीफोन का सहारा लिया. सोशल नेट्वर्किंग सिस्टम से हजारो बधाई सन्देश प्राप्त हुए है. फेसबुक में 3000 से अधिक मित्र है जिसमें अधिकांश सक्रीय है अतः सभी ने बधाइयाँ दी. कुछ ने अच्छे अच्छे चित्र भी बनाये.

जन्मदिन की व्यस्तताओं को भांप कर ही मैंने एक दिन पूर्व यानी 4 सितंबर को ही वृद्धाश्रम जाने का प्रोग्राम बना लिया था, सो अपनी माता जी और धर्मपत्नी के साथ माना कैम्प स्थित वृद्धाश्रम पहुंचे. वृद्धाश्रम के संचालक श्री राजेन्द्र निगम जी हमारे पूर्व परिचित है सो फोन करते ही वे भी आ गए. हम अपने साथ कुछ गरम कपड़े और खाद्य सामग्री भी ले गए थे . जैसे ही हम आश्रम पहुंचे तेज बारिस शुरू हो गई. अतः आश्रम में निवासरत सभी वृद्धों से सामूहिक मुलाकात नहीं हो सकी. सबसे अलग अलग शिविर में जाकर उनका कुशलक्षेम पूछा और कपड़े व्वा खाद्य सामग्री देकर हम वापस आ गए.
सुबह उठते ही बधाई देने वालों का ताँता लग गया. बधाई देने वालों में पार्टी के कार्यकर्ताओं के अलावा कुछ अधिकारी कर्मचारी भी थे परन्तु ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की संख्या ज्यादा थी. सबसे मिलने के पश्चात् अपने दफ्तर पहुंचा जहाँ के अधिकारी कर्मचारी पूरी तैयारी के साथ इंतजार कर रहे थे. यहं बाकायदा केक मंगाया गया था. मेरे कक्ष में गुब्बारे भी लटकाए गए थे जैसे किसी बच्चे का जन्मदिन हो. यह दृश्य देखकर मुझ पर बालपन सवार हो गया लेकिन कुछ ही देर में जब केक लाया गया तो उसमें 59 का लेबल देखकर बालपन का भूत उतर गया और चिंता की रेखाएं उभर आईं. आज हम 58 वर्ष के हो गए है यह अहसास केक काटते समय ही हो गया था.

बहरहाल आज अनेक कार्यक्रमों में शामिल हुआ . अभनपुर में भी केक काटकर वृक्षारोपण किया फिर अपने गृहग्राम खोला में शिक्षक दिवस समारोह में हिस्सा लिया जहाँ अनेक शिक्षकों के सम्मान करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. तत्पश्चात फिंगेश्वर में आयोजित साध्वी प्रज्ञा भारती के प्रवचन कार्यक्रम में भाग लेने के लिए रवाना हुआ. रास्ते में नवापारा के भंडार गृह निगम के स्टाफ ने रोककर स्वागत किया तथा बधाइयाँ दी. थोड़ा आगे बढ़े तो भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने रोक लिया और खोलीपारा स्कुल में लेजाकर केक कटवाया तथा वृक्षारोपण कराया. यहाँ भी शिक्षकों का सम्मान करके फिंगेश्वर के लिए बढ़ा. फिंगेश्वर का कार्यक्रम समापन की ओर था, हमने तत्परता से मंच के सामने वाली सीट हासिल की . साध्वी प्रज्ञा भारती ने व्यासगादी से ना केवल हमारे आने की सूचना दी बल्कि उपस्थित जनसमुदाय से हाथ उठाकर जन्मदिन की बधाई देने का आग्रह किया. देखते ही देखते पंडाल में उपस्थित 10 हजार से भी अधिक लोगों ने हाथ उठाकर बधाई दी. मेरे लिए यह  भाव विभोर करने वाला क्षण था. प्रवचन के अंत में उन्होंने व्यासगादी में आमंत्रित किया तथा पुष्पाहार  पहनाकर आशीर्वाद प्रदान किया तथा एक राधाकृष्ण की तस्वीर भेंट की. कार्यक्रम के आयोजक श्री अशोक राजपूत ने बधाई देकर कार्यक्रम में आने के लिए आभार प्रकट किया. मंच के संचालक श्री अशोक गाँधी ने साध्वी को मेरे नशामुक्ति अभियान के बारे में जानकारी दी. फिंगेश्वर में एक-डेढ़ घंटा  बिताने तथा बधाइयाँ बटोरने के बाद मैं नवापारा राजिम के कार्यक्रम के लिए रवाना हुआ . रात हो चुकी थी फिर भी सैकड़ों लोग माँ कर्मा मंदिर में इंतजार कर रहे थे ,मंदिर में पूजा अर्चना के पश्चात्  मुझे चांवल से तौला गया. यहाँ बड़ा ही रोचक कार्यक्रम हुआ .मैं मन ही मन सोंच रहा था कि आज दिन भर इतने सरे प्रशंसक मिले सबने मुझे असीम स्नेह दिया. इस प्यार के बदले इन बेचारों को आखिर हम देतें भी क्या हैं ? कार्यक्रम के अंत में मुझे बोलने का आग्रह किया गया तो मुझसे रहा नहीं गया. मैंने कहा ----

गलतियाँ हुई है हजार,
भूल हुई है अपार,
फिर भी मिला है प्यार,
मै कैसे करूँ आभार !

कार्यक्रम से विदा लेकर रात लगभग 1030 बजे रायपुर पहुंचा , जहाँ रेडियो श्रोताओं के अलावा अन्य लोग काफी लंबे समय से इंतजार कर रहे थे . उन्होंने सामूहिक रूप से बधाई दी और विदा हो गए . इस प्रकार 58 वीं वर्ष गांठ यादगार लम्हों के साथ गुज़री. घर लौटकर जब फेसबुक खोला तो असंख्य बधाई सन्देश देखकर मन गदगद हो उठा. सरे सन्देश एक सिटिंग में देख माना संभव नहीं था ,दिन भर के दौरे की थकान भी थी अतः धन्यवाद और आभार लिखकर सो गया.               

26 अगस्त, 2012

तप-साधना का मौसम



श्रीमती शैलादेवी की कठिन तपस्या को नमन
रसात का मौसम तप, साधना और उपवास के लिए काफी उपयुक्त माना जाता है . जैन संप्रदाय में पर्यूषण पर्व का बहुत महत्व  है. इस पर्व में समाज कल्याण के लिए तरह तरह से तप किया जाता है. सौभाग्य से 25 अगस्त को मुझे नवापारा नगर की श्रीमती शैलादेवी सांखला से मिलने का अवसर मिला. वह पिछले एक माह से उपवास कर रही है , उपवास भी साधारण उपवास नहीं बल्कि पूरे एक माह तक उसने अन्न का पूरी तरह त्याग किया . इस बीच वह केवल गुनगुना पानी ही पी रही थी वो भी केवल दिन में . ऐसी तपस्या कोई असाधारण मनुष्य ही कर सकता है . श्रीमती शैला देवी ने 21 वी सदी में भी धर्म के प्रति आस्था व समर्पण के भाव को जागृत कर अनुकरणीय काम किया है. आशा है कि उनकी तप व साधना से संपूर्ण चराचर आलोकित होगा. इस पुनीत कार्य के लिए उन्हें साधुवाद तथा सांखला परिवार को हार्दिक बधाई !


श्रीमती शैलादेवी के माता-पिता ने भी आकर उसे शुभकामनाएं दी. साथ में उसका पुत्र भी परिलक्षित हो रहा है
     

24 अगस्त, 2012

हाँ तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे . . .


  
तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे
  हाँ तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे
जब कभी भी सुनोगे गीत मेरे
संग संग तुम भी गुनगुनाओगे
   हाँ तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे
हाँ तुम मुझे यूँ ...
 
 
भाव विभोर कर देने वाले इस नगमे को शायद आज काफी अरसे बाद श्रोताओं ने अपने रेडियो सेट पर सुना.शम्मी कपूर और आशापारिख पर फिल्माया गया यह गीत फिल्म "पगला कहीं का" का है जिसे मोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर ने गया है.दरअसल आज आकाशवाणी रायपुर की एफ.एम.सेवा के "पहुना" कार्यक्रम में मेरी आधे घंटे की भेंटवार्ता थी.वार्ता के बीच बीच में मेरी पसंद के गीत प्रसारित किये गए.वार्ता में उदघोषक श्री के.परेश जी ने रेडियो और मेरे जीवन से जुड़ी पहलुओं पर अनेक प्रश्न किये.  आडियो उपलब्ध होने पर उसे पुनः प्रस्तुत करूँगा लेकिन फ़िलहाल मै मेरी फरमाइश पर प्रसारित पाँच गीतों को यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ शायद आपको भी पसंद भा जायं.
  
1. जिदगी हँसने गाने के लिए है ....  फिल्म जमीर ,         गायक  - किशोर कुमार 
2 .तुम बेसहारा हो तो किसी का . . . फिल्म - अनुरोध ,      गायक  - मन्ना डे
3 . अब के बरस तुझे . . ......   फिल्म - क्रांति ,       गायक  - महेंद्र कपूर 
4 . आईये बहार को हम बांट लें . . . फिल्म - तकदीर ,      गायिका - लता मंगेशकर 
5 . तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे . .. फिल्म - पगला कहीं का,  गायक - मोहम्मद रफ़ी