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18 सितंबर, 2010

एक खुशखबरी ब्लागरों के लिए

शिल्पकारों की बेहतरी के लिए उन्हें 'लोकल' से 'ग्लोबल' बाजार दिलाना जरूरी - डॉ. रमन सिंह

मुख्यमंत्री ने किया वेबसाईट 'ललित कला डॉट इन' का लोकार्पण

विश्वकर्मा जयंती पर हुई एक नई शुरूआत

मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के परम्परागत ग्रामीण शिल्पकारों की आर्थिक बेहतरी के लिए यह जरूरी है कि उन्हें राज्य, देश और दुनिया के खुले बाजार में अच्छा व्यवसाय दिलाया जाए। डॉ. सिंह ने कहा कि हम सब को मिल कर यह प्रयास करना होगा कि हमारे इन शिल्पकारों के बाजार का दायरा 'लोकल' से आगे बढ़ कर 'ग्लोबल' हो जाए। इसमें सूचना प्रौद्योगिकी के आधुनिक औजार के रूप में वेबसाईट जैसे संचार माध्यम की बहुत बड़ी भूमिका हो सकती है। इसके लिए सरकारी प्रयासों के साथ-साथ निजी क्षेत्र की जनभागीदारी भी बहुत जरूरी है। 
                                                                              
मुख्यमंत्री ने श्रम और शिल्प के देवता भगवान विश्वकर्मा की जयंती 'छत्तीसगढ़ श्रम दिवस' के अवसर पर आज सवेरे यहां अपने निवास पर रायपुर जिले के अभनपुर निवासी श्री ललित शर्मा की वेबसाईट 'ललित कला डॉट इन' (lalitkala.in) का लोकार्पण करते हुए इस आशय के विचार व्यक्त किए। श्री शर्मा द्वारा यह वेबसाईट शिल्पकारों के लिए समग्र कला मंच के रूप में तैयार की गयी है। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ सहित देश भर का हमारा परम्परागत हस्तशिल्प काफी समृध्द है और दुनिया भर में मशहूर है, लेकिन जरूरत इस बात की है कि हस्तशिल्प को रोजी-रोटी का जरिया बनाकर जीवन यापन कर रहे हमारे लाखों कारीगरों को अपनी कलाकृतियों के लिए अच्छा बाजार और अच्छा व्यवसाय मिले। छत्तीसगढ़ के संदर्भ में डॉ. रमन सिंह ने कहा कि हमारे यहां के शिल्पकार बेलमेटल, टेराकोटा, लौहशिल्प, बांस शिल्प और अन्य अनेक विधाओं में सिध्दहस्त हैं। उन्हें कारीगरी का यह कौशल अपने पूर्वजों से विरासत में मिला है, जिसे वे आज भी पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ाते जा रहे हैं, लेकिन आर्थिक बेहतरी के लिए उन्हें और भी ज्यादा पहचान और व्यापक बाजार मिलना बहुत जरूरी हो गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह खुशी की बात है कि इस दिशा में निजी तौर पर श्री ललित शर्मा ने ध्यान केन्द्रित किया है और अभनपुर जैसे छोटे कस्बे में उन्होंने स्वप्रेरणा से रूचि लेकर आधुनिक सूचना तकनीक का इस्तेमाल करते हुए हस्तशिल्पियों के लिए वेबसाईट तैयार की है,जिसे उन्होंने शिल्पकला, काष्ठकला, चित्रकला, मूर्तिकला, नाटयकला, स्थापत्यकला, आर्ट गैलरी, साहित्यकला जैसे अलग-अलग प्रभागो से सुसज्जित किया है। श्रम, सृजन और शिल्प के देवता भगवान विश्वकर्मा की जयंती पर श्री ललित शर्मा ने एक नये सृजन के रूप में इसे प्रस्तुत किया है। डॉ.रमन सिंह ने उम्मीद जतायी कि इस महत्वपूर्ण वेबसाईट के माध्यम से न सिर्फ छत्तीसगढ़,बल्कि देश के सभी राज्यों के शिल्पकारों को अपनी कलाकृतियों के प्रदर्शन के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय मंच मिलेगा और हमारे शिल्पकार 'लोकल' से 'ग्लोबल' होकर बेहतर कारोबार और मुनाफे के साथ स्वयं का और अपने राज्य और देश का भी नाम रौशन करेंगे। उन्हें अच्छा व्यवसाय मिलेगा तो उनकी आर्थिक स्थिति भी बेहतर होगी। डॉ. रमन सिंह ने श्री ललित शर्मा से वेबसाईट के उद्देश्यों की जानकारी मिलने पर यह भी उम्मीद जतायी कि यह वेबसाईट छत्तीसगढ़ और भारत के परम्परागत शिल्पकारों के परिचय कोष के रूप में भी लोकप्रिय होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार भी स्वयं इस दिशा में हर संभव प्रयास कर रही है। प्रदेश सरकार के छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड ने भी हाल ही में अपना एक वेबसाईट शुरू किया है। डॉ.रमन सिंह ने कहा कि शिल्पकारों को बढ़ावा देने के लिए सरकारी प्रयासों में इस प्रकार की जनभागीदारी बहुत जरूरी है। उन्होंने इस दिशा में निजी तौर पर वेबसाईट शुरू करने पर श्री ललित शर्मा को बधाई और शुभकामनाएं दी। जल संसाधन मंत्री श्री हेमचंद यादव, छत्तीसगढ़ पाठयपुस्तक निगम के अध्यक्ष श्री अशोक शर्मा और छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक के संचालक तथा पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष श्री अशोक बजाज भी इस अवसर पर उपस्थित थे। अपनी वेबसाईट के बारे में श्री ललित शर्मा ने मुख्यमंत्री को बताया कि उन्होंने छत्तीसगढ़ और देश भर के शिल्पकारों की कला-प्रतिभा से दुनिया को परिचित कराने के लिए इस वेबसाईट का निर्माण किया है, ताकि उनके हाथों के हुनर की ओर दुनिया का ध्यान आकर्षित हो और इसके जरिए उन्हें स्थानीय से लेकर देश-विदेश में अच्छा कारोबार मिल सके। उन्होंने वेबसाईट लोकार्पण के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया।

 भाई ललित शर्मा का नाम ब्लाग जगत में नया नहीं है ,

वे बड़े ही सक्रीय ब्लागर है ;उन्होंने आज एक नई छलांग

 लगाई है.आप सभी ब्लागर मित्रों की ओर से उन्हें बहुत 

बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं !  

16 सितंबर, 2010

हमर छत्तीसगढ़ : हरियर छत्तीसगढ़

  
हमर छत्तीसगढ़ : हरियर छत्तीसगढ़    
पर्यावरण जागरूकता अभियान के अंतर्गत दिनांक 16-9-2010 को रायपुर जिले के ग्राम फिंगेश्वर एवं ग्राम जामगांव में आयोजित कार्यक्रम का उत्साह -जनक नजारा --------------
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15 सितंबर, 2010

ऐसी दीवानगी देखी नही कहीं ...................


रायपुर`जिले में स्कूली बच्चों के लिए चलाया जा रहा है पर्यावरण जागरूकता अभियान पूरे शबाब पर है, इस कार्यक्रम से पर्यावरण के प्रति बच्चों के मन में अभूतपूर्व प्रेम जागृत हो रहा है .स्कूली बच्चो के जबर्दस्त उत्साह को देखते हुए मुझे स्वंय कार्यक्रमों में जाने की प्रेरणा मिल रही है फलस्वरूप अधिकांश कार्यक्रमों में मैं स्वयं जा रहा हूं .कार्यक्रमों में बच्चो का उत्साह देखते ही बनता है.मैने अपने जीवन में इतना उत्साहजनक कार्यक्रम कभी नही देखा।ऐसा प्रतीत होता है कि इस जागरूकता कार्यक्रम ने अब आन्दोलन का रूप ले लिया है जिसे सतत चलाना आवश्यक हो गया है .निश्चित रूप से इस अभियान के माध्यम से एक ना एक दिन जरुर "पर्यावरण क्रांति"आयेगी। आज के कार्यक्रम में उत्साह को देखकर अनायास ही गुनगुनाना पड़ा--“ऐसी दीवानगी देखी नहीं कहीं......”।




 पर्यावरण जागरूकता अभियान के अन्तर्गत आज शासकीय हरिहर उच्चतर माध्यमिक शाला नवापारा में २००० तथा शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला राजिम में 1000 रूकूली बच्चों ने पर्यावरण बचाने का संकल्प लिया । दिनांक 28.08.2010 से चल रहे इस अभियान के अन्तर्गत अब तक 24 स्कूलो में  कार्यक्रम सम्पन्न  हो चुके है जिसमे 111 स्कूलो के लगभग 12500 स्कूली बच्चें संकल्प ले चुके है ।

हरिभूमि  रायपुर 04-09-2010
 अब तक मानाबस्ती,डूमरतराई,संजय नगर,मठपुरैना,रायपुरा,रविशंकर परिसर,चौबे कालोनी,तिलक  नगर,भनपुरी,बीरगांव,गोवर्नमेंट स्कूल,दानी गर्ल्स स्कूल,शांतिनगर,हिन्दू हाईस्कूल,मांढ़रबस्ती,सिलयारी,सारागांव,दौंदेकला,अभनपुर,खोरपा,उपरवारा, तामासिवनी, नवापारा एवं  राजिम के स्कूलो में कार्यक्रम संपन्न हो चुकें है ।


ध्यानमग्न हो कर शिक्षा ग्रहण करते स्कूली बच्चें


12 सितंबर, 2010

पर्यावरण की सुरक्षा के लिए बच्चों के नाम ख़त ....

बच्चों के नाम ख़त.. 

प्यारे बच्चों , 

                जयहिंद

यह पत्र मै ऐसे समय में लिख रहा हूँ जब पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग (वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी ) से चिंतित है . मनुष्य स्वभाव-गत कारणों से जल एवं उर्जा का अपव्यय करता है , इस छोटी उम्र में तुम जल एवं उर्जा की बचत की ओर ध्यान दोगे तो भविष्य में कठिनाई नहीं होगी . हमें पर्यावरण की सुरक्षा के लिए न केवल पेड़ लगाना है बल्कि पेड़ों को बचाना  भी है .हम अपने सुखद भविष्य के लिए आज से ही चिंतन करें .  यदि मेरी बात अच्छी लगे  तो  सबको  बताना और मेरे ख़त  का जवाब देना  .                                    शुभकामनाओं सहित .......

      12-9-2010                                                                    अशोक बजाज   
                                                                                             
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