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16 सितंबर, 2010

हमर छत्तीसगढ़ : हरियर छत्तीसगढ़

  
हमर छत्तीसगढ़ : हरियर छत्तीसगढ़    
पर्यावरण जागरूकता अभियान के अंतर्गत दिनांक 16-9-2010 को रायपुर जिले के ग्राम फिंगेश्वर एवं ग्राम जामगांव में आयोजित कार्यक्रम का उत्साह -जनक नजारा --------------
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15 सितंबर, 2010

ऐसी दीवानगी देखी नही कहीं ...................


रायपुर`जिले में स्कूली बच्चों के लिए चलाया जा रहा है पर्यावरण जागरूकता अभियान पूरे शबाब पर है, इस कार्यक्रम से पर्यावरण के प्रति बच्चों के मन में अभूतपूर्व प्रेम जागृत हो रहा है .स्कूली बच्चो के जबर्दस्त उत्साह को देखते हुए मुझे स्वंय कार्यक्रमों में जाने की प्रेरणा मिल रही है फलस्वरूप अधिकांश कार्यक्रमों में मैं स्वयं जा रहा हूं .कार्यक्रमों में बच्चो का उत्साह देखते ही बनता है.मैने अपने जीवन में इतना उत्साहजनक कार्यक्रम कभी नही देखा।ऐसा प्रतीत होता है कि इस जागरूकता कार्यक्रम ने अब आन्दोलन का रूप ले लिया है जिसे सतत चलाना आवश्यक हो गया है .निश्चित रूप से इस अभियान के माध्यम से एक ना एक दिन जरुर "पर्यावरण क्रांति"आयेगी। आज के कार्यक्रम में उत्साह को देखकर अनायास ही गुनगुनाना पड़ा--“ऐसी दीवानगी देखी नहीं कहीं......”।




 पर्यावरण जागरूकता अभियान के अन्तर्गत आज शासकीय हरिहर उच्चतर माध्यमिक शाला नवापारा में २००० तथा शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला राजिम में 1000 रूकूली बच्चों ने पर्यावरण बचाने का संकल्प लिया । दिनांक 28.08.2010 से चल रहे इस अभियान के अन्तर्गत अब तक 24 स्कूलो में  कार्यक्रम सम्पन्न  हो चुके है जिसमे 111 स्कूलो के लगभग 12500 स्कूली बच्चें संकल्प ले चुके है ।

हरिभूमि  रायपुर 04-09-2010
 अब तक मानाबस्ती,डूमरतराई,संजय नगर,मठपुरैना,रायपुरा,रविशंकर परिसर,चौबे कालोनी,तिलक  नगर,भनपुरी,बीरगांव,गोवर्नमेंट स्कूल,दानी गर्ल्स स्कूल,शांतिनगर,हिन्दू हाईस्कूल,मांढ़रबस्ती,सिलयारी,सारागांव,दौंदेकला,अभनपुर,खोरपा,उपरवारा, तामासिवनी, नवापारा एवं  राजिम के स्कूलो में कार्यक्रम संपन्न हो चुकें है ।


ध्यानमग्न हो कर शिक्षा ग्रहण करते स्कूली बच्चें


12 सितंबर, 2010

पर्यावरण की सुरक्षा के लिए बच्चों के नाम ख़त ....

बच्चों के नाम ख़त.. 

प्यारे बच्चों , 

                जयहिंद

यह पत्र मै ऐसे समय में लिख रहा हूँ जब पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग (वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी ) से चिंतित है . मनुष्य स्वभाव-गत कारणों से जल एवं उर्जा का अपव्यय करता है , इस छोटी उम्र में तुम जल एवं उर्जा की बचत की ओर ध्यान दोगे तो भविष्य में कठिनाई नहीं होगी . हमें पर्यावरण की सुरक्षा के लिए न केवल पेड़ लगाना है बल्कि पेड़ों को बचाना  भी है .हम अपने सुखद भविष्य के लिए आज से ही चिंतन करें .  यदि मेरी बात अच्छी लगे  तो  सबको  बताना और मेरे ख़त  का जवाब देना  .                                    शुभकामनाओं सहित .......

      12-9-2010                                                                    अशोक बजाज   
                                                                                             
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11 सितंबर, 2010

श्री गणेश चतुर्थी ,तीज और ईद की त्रिवेणी

   भारत भूमि पर प्रेम , विश्वास और श्रध्दा की त्रिवेणी

ज गणेश चतुर्थी का पावन पर्व है , आज तीज भी है, यह सुहागनों के कठोर व्रत का पर्व है .जिन सुहागनों ने कल तीज का पर्व मनाया वे आज व्रत तोड़ेंगी .कुछ महिलाएं आज व्रत रख रहीं है .सभी सुहागनों को बधाई .

आज गणेश जी की भी स्थापना होने वाली है,पूरे ग्यारह दिन तक गणेशोत्सव की धूम रहेगी .कोई गली मोहल्ला ऐसा नहीं है ,जहाँ श्री गणेश जी की मूर्ति ना स्थापित होती हो .हमको भी बचपन में मूर्ति स्थापना का शौंक चढ़ गया था . उस समय मेरी उम्र १०-११ साल की रही होगी , शहर से गणेश की मूर्ति मँगा कर बिना किसी तामझाम के दीवार की आँट (पठेरा )में स्थापित किया था .आँट की ऊंचाई मुश्किल से डेढ़ दो फीट रही होगी ,एक दिन एक बुजुर्ग से व्यक्ति ने हमसे सवाल किया---चार हाँथ के गनेस एक हाँथ के पठेरा मा कईसे हमा जाथें . यानी चार हाथ के गणेश जी एक हाँथ की उचाई वाले आँट यानी पठेरा में कैसे समा जाते है ,सवाल बड़ा सहज था लेकिन सवाल समझने में उस समय थोडा वक्त लगा था .आज के दिन चाँद देखने की मनाही थी,कहते थे आज के दिन चाँद देखने से दोष लगता है ,दोष मिटाने के लिए दूसरे लोगो के घरों में तब तक पत्थर फेंकते थे , जब तक कि उस घर के महिला की गाली नहीं पड़ती थी . लोग कहते थे कि गाली खाने से दोष मिट जाता है . 

आज ईद भी है , ईद की हमने एक दिन पहले ही बधाई दे दी थी ,आप सबको गणेश चतुर्थी ,तीज एवं ईद की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं  ! त्योहारों की इस त्रिवेणी के साथ साथ भारत भूमि पर प्रेम , विश्वास और श्रध्दा की त्रिवेणी भी बहेगी . 

शांत मुद्रा में गणेश जी 
वक्रतुंड   महाकाय  सूर्यकोटि समप्रभ:।
निर्विध्नं कुरु मे देव,सर्वकार्येषु सर्वदा॥