ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है * * * * नशा हे ख़राब झन पीहू शराब * * * * जल है तो कल है * * * * स्वच्छता, समानता, सदभाव, स्वालंबन एवं समृद्धि की ओर बढ़ता समाज * * * * ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है

11 अगस्त, 2010

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद

  अंत्योदय
- पं. दीनदयाल उपाध्याय का चिंतन

पं.दीनदयाल उपाध्याय महान राष्ट्रभक्त गरीबों के मसीहा,अंत्योदय के जनक तथा सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रणेता थे उन्होने देश की राजनैतिक एंव आर्थिक दशा व दिशा में आमूल-चूल परिवर्तन लाने के उददेश्य से काफी चिंतन किया और अपने जीवनकाल मं उसे व्यवहारिक रुप देने का भरसक प्रयास किया उन्होने एकात्म मानववाद का सिद्धांत प्रतिपादित किया। उनके बारे में हम आगे भी लिखते रहे रहेंगे । आज हम उनके विचारो के कुछ अंश प्रस्तुत कर रहें है - - - - - -


*  भारतीय संस्कृति की पहली विशेषता यह है कि वह सम्पूर्ण जीवन का, सम्पूर्ण सृष्टि का संकलित विचार करती है। उसका दृष्टिकोण एकात्मवादी है। टुकड़ों-टुकड़ों में विचार करना विशेषज्ञ की दृष्टि से ठीक हो सकता है, परंतु व्यावहारिक दृष्टि से उपयुक्त नहीं।



*  हमारी भावना और सिद्धान्त है कि वह मैले-कुचैले, अनपढ़ मूर्ख लोग हमारे नारायण है। हमें इनकी पूजा करनी है। यह हमारा सामाजिक एवं मानव धर्म है। हमारी श्रद्धा का केन्द्र आराध्य और उपास्य, हमारे पराक्रम और प्रयत्न का उपकरण तथा उपलब्धियों का मानदंड वह मानव होगा जो आज शब्दशः अनिकेत और अपरिग्रही है।

*  आर्थिक योजनाओं तथा प्रगति का माप समाज के ऊपर की सीढ़ी पर पहुचे व्यक्ति से नहीं,बल्कि सबसे नीचे के स्तर पर विद्यमान व्यक्ति से होगा। आज देश में ऐसे करोड़ों मानव हैं, जो मानव के किसी भी अधिकार का उपभोग नहीं कर पाते। शासन के नियम और व्यवस्थायें, योजनायें और नीतियॉं, प्रशासन का व्यवहार और भावना इनको अपनी परिधि में लेकर नहीं चलती, प्रत्युत् उन्हें मार्ग का रोड़ा ही समझा जाता है। हमारी भावना और सिद्धांत है कि वह मैले-कुचैले, अनपढ़ मूर्ख लोग हमारे नारायण है।


*  हमारी भावना और सिद्धांत है कि वह मैले-कुचैले अनपढ़, मूर्ख लोग हमारे नारायण है। हमें इनकी पूजा करनी है। यह हमारा सामाजिक एवं मानव धर्म है। ग्रामों में जहॉं समय अचल खड़ा है। जहॉं माता और पिता अपने बच्चों के भविष्य को बनाने में असमर्थ है, वहॉं जब तक हम आशा और पुरुषार्थ का संदेश नहीं पहुचा पायेंगे, तब तक हम राष्ट्र के चैतन्य को जागृत नहीं कर सकेंगे।

* हमारी भावना और सिद्धांत है कि वह मैले-कुचैले,अनपढ़, मूर्ख लोग हमारे नारायण हैं। हमें इनकी पूजा करनी है। यह हमारा सामाजिक एवं मानव धर्म है। जिस दिन इनको पक्के सुन्दर, स्वच्छ घर बनाकर देंगे, जिस दिन हम इनके बच्चों और स्त्रियों को शिक्षा और जीवन-दर्शन का ज्ञान देंगे, जिस दिन हम इनके हाथ और पांव की बिवाइयों को भरेंगे और जिस दिन इनको उद्योगों और धंधों  की शिक्षा देकर इनकी आय को ऊंचा उठा देंगे, उस दिन हमारा भ्रातृभाव व्यक्त होगा।

*  हमारा कार्य व्यक्तिगत हो या सामाजिक जब तक उसका आधार धर्म नहीं बन जाता, मनुष्य की मूल  प्रवृत्ति में न तो परिवर्तन होगा, न ही समाज की आवश्यकताओं तथा व्यक्ति की आकांक्षाओं में सामंजस्य निर्माण किया जा सकेगा। भारतीय सत्तारूढ़ दल हो या विपक्ष, दोनों ने आधारभूत सिद्धांत की उपेक्षा की है। भारतीय जनसंघ को इसी काम के लिए जन्म लेना पड़ा है।00296

10 अगस्त, 2010

E.V.M. पर विवाद

 "चुनाव आयोग और ई. व्ही.एम. की विश्वसनीयता" शीर्षक से  दिनांक 06 अगस्त को प्रकाशित  लेख   पर "इन्टरनेट-पत्रकारिता" में अच्छी खासी बहस छिड़ गयी है .वास्तव में यह लम्बे बहस का विषय है भी.शायद आप भी जानना चाहेंगें कि  यह बहस कैसी चल रही है ? ?   00295    

   

देशबंधु में अगस्त क्रांति

आभार


 रायपुर से प्रकाशित लोकप्रिय हिन्दी दैनिक देशबंधु ने 
 "अगस्त यानी क्रांतिकारी महीना" शीर्षक से यह लेख दिनांक 9अगस्त 2010 के अंक  में प्रकाशित किया है .आभार इस  रचना को दिनांक ३ अगस्त २०१० के पोस्ट
 में भी पढ़ा जा सकता है . 




09 अगस्त, 2010

शिवालयों में जलाभिषेक


बोल-बम

आज सावन सोमवार होने के कारण वातावरण भगवामय हो गया है। चारो तरफ भगवा वस्त्र धारण किये कावड़िये नजर आ रहे । जगह जगह बोल बम के नारे गूंज रहे है। रायपुर से राजिम की दूरी 45 कि. मी. है। रास्ते भर कांवड़िये नजर आ रहे है । महानदी का पानी उतर गया था इसीलिये त्रिवेणी संगम पर स्थापित कुलेश्वर महादेव के मंदिर में लोग आसानी से आ-जा रहे है ।
महानदी छत्तीसगढ़ की जीवनदायिनी नदी है। इसे चित्रोत्पला गंगा भी कहा जाता है। श्रृंगि ऋषि के आश्रम सिहावा पर्वत से निकलकर यह नदी बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। राजिम को त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है क्योकि राजिम के पास ही महानदी में पैरी नदी और सोढूल नदी मिलती है। संगम स्थल पर कुलेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर है ।ऐसी मान्यता है कि बनवास काल में जगत जननी सीता ने इसे स्थापित किया है। रामायण काल से जुड़े लोमस ऋषि का आश्रम भी कुलेश्वर महादेव मंदिर से लगा हुआ है। महानदी के एक छोर में राजिम तथा दूसरे छोर में नवापारा नगर है। नवापारा पहले नवापारा राजिम के नाम से तथा अब गोबरा-नवापारा के नाम से जाना जाता है।
कुलेश्वर महादेव में जल चढ़ाने असंख्य कांवड़िये दूर दूर से आये है। रायपुर के अलावा धमतरी व बिलासपुर से कावड़िये जल लेकर आये है। भक्त-जनो ने कावड़ियो की सेवा में कोई कसर नही छोड़ी है। रायपुर से राजिम तक जगह-जगह सेवा-केन्द्र बने है। जागृति सेवा समिति ने खूब इंतजाम कर रखा है। धार्मिंक गीतो के साथ कावड़िये व अन्य भक्तजन शोभायमान हो रहे है। छोटे -छोटे बच्चे नृत्य करते कावड़ियो की सेवा में लीन है । बोलबम के जयकारे नियमित रूप से गूंज रहे है। कावड़ियो की नई टोली जैसे ही रास्ते से गुजरती जयकारा और अधिक  तेज हो जाता है। इस सेवा कार्य में श्री लोकनाथ सोनकर, श्री दयालू गाड़ा, श्री युधिष्ठिर चंद्राकर, श्री उमेश यादव, श्री हेमु यादव, श्रीमति साधना सौराज, श्रीमति धनमती साहू,श्री बाबी चांवला, श्री रोहित सेन, श्री राजेन्द्र सोनी, श्री मायाराम साहू, श्री ईश्वर देवांगन, श्री संतूराम सेन, श्री बल्लू सोनी, श्री मनोज सेन, श्री रामचंद सचदेव, श्री कमल यदु, श्री प्रदीप साहू, श्री भागवत साहू, श्री लोकेश सेन,श्री कन्हैया कंसारी , श्री गजेन्द्र साहू, श्री प्रेम यदु एवं श्री हेमंत वांसवार की सक्रियता काबिल ए तारीफ है।
नवापारा में राधाकृष्ण धर्मशाला में स्थापित शिव जी के मंदिर में आज जलाभिषेक के  कार्यक्रम में नवापारा के अलावा आस-पास के गाँव से काफी संख्या में लोग उपस्थित है. महानदी से मंदिर तक भक्त-जन मानव श्रृंखला बना कर जलाभिषेक कर रहे है। कितना पावन व सुनहरा दृश्य है। भक्तो का उत्साह देखते ही बनता है। बच्चे-बूढ़े व जवान सभी पूरी आस्था के साथ इस पुनीत कार्य में जूटे है। महिलाएं भी इस भव्य जलाभिषेक में बढ-चढ़ कर हिस्सा ले रही है।
यहां पर श्री अशोक गांधी, श्री अशोक गंगवाल, श्री भागचंद बंगानी, श्री विजय गोयल, श्री गिरधारी अग्रवाल, श्री मोहनगोविन्द अग्रवाल, श्री गोपाल अग्रवाल, श्री मनमोहन अग्रवाल, श्री प्रकाश बच्छावत, श्री ताराचंद अग्रवाल, श्री देवराज सांखला, श्री बंडू चौधरी, श्री गुलाब राव, श्री मुकुन्द मेश्राम  एंव पत्रकार श्री रमेश पहाडिया बडे भक्ति भाव के साथ इस पुनित कार्य में जुटे है।00304