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01 अक्तूबर, 2024

सेवा पखवाड़ा में सार्थक हो रहा प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान

 सेवा पखवाड़ा पर विशेष आलेख 

भारत में 1 लाख 71 हजार से अधिक निक्षय मित्र 20 लाख से अधिक टीबी रोगियों के मददगार बने  
                                                                                                                      - अशोक बजाज 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चल रहे सेवा पखवाड़ा के तहत स्वच्छता, सफाई, रक्तदान एवं निशुल्क स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से देश भर में सेवा कार्य में लोग तल्लीन है. सेवा पखवाड़ा में नगर, गांव, गली, मोहल्लों, मजरों, चौपालों समेत सार्वजनिक व धार्मिक स्थानों पर सेवा कार्य के साथ साथ "प्रधानमंत्री टी. बी. मुक्त भारत अभियान" के अंतर्गत निक्षय मित्र योजना को भी अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है. इन दिनों काफी संख्या में लोग निक्षय मित्र बनकर टी.बी. मरीजों की भौतिक रूप से मदद कर रहें हैं. हम यह जानते हैं कि दुनिया में सबसे ज़्यादा टीबी यानी तपेदिक के मरीज़ भारत में हैं. दुनिया भर में प्रति वर्ष एक करोड़ से ज्यादा लोग टीबी की चपेट में आते है इनमें से एक चौथाई से ज्यादा भारतीय है. अमूमन हर साल भारत में 26 लाख लोग इस बीमारी से पीड़ित होते हैं तथा लगभग 4 लाख लोग इस बीमारी से मरते हैं. टीबी के मरीजों के समक्ष उपचार के दौरान होने वाले खर्च के अलावा पौष्टिक आहार की भी आवश्यकता होती है. सबसे ज्यादा समस्या आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तिओं को होती है क्योंकि काम करने में सक्षम ना होने के कारण उन्हें दो जून की रोटी भी नसीब नहीं होती. ऐसे में उनके समक्ष उपचार और जीवन यापन एक चुनौती बन जाती है. 

टीबी को लेकर विश्व के तमाम देश चिंतित है, इसीलिये सन 2030 तक विश्व को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है. इससे एक कदम आगे बढ़कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक लक्ष्य से 5 साल पहले यानी 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. इस कठिन लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सरकार के साथ साथ समाज की भागीदारी आवश्यक है. प्रधानमंत्री ने जन जन को इस अभियान से जोड़ने के लिए सन 2022 में "निक्षय मित्र योजना" की शुरुवात की है. ‘निक्षय मित्र योजना' के तहत कोई भी व्यक्ति, समूह या संस्थायें मरीजों को पोषण, उपचार व आजीविका में मददगार बनकर प्रधानमंत्री टी.बी. मुक्त भारत अभियान में अपना योगदान दे सकते हैं. यह पूर्णतः स्वेच्छिक योजना है, जिसके तहत व्यक्ति या संस्था द्वारा एक मरीज के लिए प्रतिमाह 500 रुपये का योगदान देना होता है. इस राशि से विभाग द्वारा मरीजों के उपचार के दौरान अस्पताल अथवा घर पहुंचा कर पोषण आहार की टोकरियाँ प्रदान की जाती है. कोई भी व्यक्ति अथवा संस्था कम से कम 6 माह तथा अधिकतम 3 साल के लिए एक अथवा एक से अधिक मरीजों को सहयोग प्रदान कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें स्वास्थ विभाग से पंजीयन कराना होता है, ऑनलाइन पंजीयन की भी व्यवस्था है. 

योजना प्रारंभ होने के बाद विगत दो वर्षों के भीतर भारत में अब तक 1 लाख 71 हजार से अधिक निक्षय मित्रों का पंजीयन हो चुका है. इनके योगदान से 20 लाख से अधिक टीबी रोगियों को 20 लाख से अधिक पोषण आहार की टोकरियाँ प्रदान की जा रही है. जहाँ तक छत्तीसगढ़ का सवाल है यहाँ लगभग 9000 लोगों ने निक्षय मित्र के रूप में पंजीयन करा लिया है इनमें मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय एवं छग के स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल भी शामिल हैं. छत्तीसगढ़ में एक अनुमान के अनुसार वर्तमान में लगभग 23000 टीबी रोगी हैं उनमें से 13646 रोगियों को पोषण आहार का पैकेट प्रति माह प्रदान किया जा रहा है. इसके अलावा राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन योजना के तहत सभी रोगियों को टीबी रोधी दवाओं के अलावा नि:शुल्क उपचार की सुविधा भी प्रदान की जा रही है. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश तथा स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री जयप्रकाश नड्डा के मार्गदर्शन में यह योजना अब व्यापक जन आंदोलन का रूप ले चुकी है. 'निक्षय मित्र योजना' का प्रतिफल यह हुआ कि जन स्वास्थ्य एवं जन सरोकार से जुड़े इस अभियान में लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहें हैं. आर्थिक रूप से सक्षम व्यक्ति, कारोबारी, स्वयंसेवी संस्थाएं एवं अर्द्ध सरकारी संस्थाएं 'निक्षय मित्र' बनने के लिए आगे आ रहें है. टी.बी. उन्मूलन की दिशा में जन भागीदारी बढ़ने से इस योजना को अच्छा प्रतिसाद मिल रहा हैं. इस योजना से केवल रोगियों की पोषण संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति ही नहीं होती बल्कि निक्षय मित्र और इलाज करा रहे व्यक्ति के बीच एक आत्मीय संबंध भी स्थापित होता है. समाज में परस्पर सहयोग और सहानुभूति की भावना को विकसित कर टीबी के कलंक को जड़ से ख़त्म करने में यह योजना महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. कुल मिलाकर सेवा पखवाड़ा में "प्रधानमंत्री टी. बी. मुक्त भारत अभियान" सार्थक सिद्ध हो रहा है.



टीबी हारेगा - देश जीतेगा

23 सितंबर, 2024

प्रधानमंत्री आवास : अंत्योदय की उपज

 अंत्योदय के प्रणेता पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती (25 सितंबर) पर विशेष आलेख  


 हान विचारक एवं राजनीतिक चिंतक पं. दीनदयाल उपाध्याय ने समाज में व्याप्त आर्थिक विषमता को दूर करने के लिए 20 वी सदी में अंत्योदय के सिद्धांत का  प्रतिपादन किया था. उन्होंने जब महसूस किया कि देश में अमीरी व गरीबी के बीच की खाई दिनों दिन गहरी होती जा रही है. एक ओर जहां समाज में ऐसे लोग हैं जिसके पास बेशुमार धन संपदा है वहीं दूसरी ओर एक बड़ा तबका ऐसा भी है जिसकी कमाई सीमित है, उनके लिए अपनी दैनंदिनी की आवश्यकता की आपूर्ति करना कठिन और दुष्कर है. यह तबका आर्थिक रूप से काफी पिछड़ा हुआ है । इन्हें अपनी आजीविका के लिए दूसरों पर आश्रित रहना पड़ता है. इनका अपना कोई आशियाना भी नहीं है. अंग्रेजी हुकूमत ने इस वर्ग का काफी आर्थिक शोषण किया. उस दौर में इन्हें ना ही अपने श्रम का उचित मूल्य मिलता था और ना ही सम्मानजनक जीने का अवसर. अतः ये जमीदारों व साहूकारों के चंगुल में फंस कर गरीबी, बेकारी व भुखमरी के शिकार हो गये. उन्हें अपने जीवन यापन के लिए बंधुआ मजदूरी भी करनी पड़ी. अमीरी व गरीबी की खाई के साये में सन् 1947 में आजाद भारत का जन्म हुआ लेकिन आज़ादी के बाद भी यह समस्या नासूर बनी रही. इस व्यवस्था से व्यथित पं. दीनदयाल ने कहा कि आर्थिक असमानता की खाई को पाटने के लिए आवश्यक है कि हमें आर्थिक रूप से कमजोर लोंगों के उत्थान की चिन्ता करनी चाहिए क्योंकि "अर्थ का अभाव और अर्थ का प्रभाव " दोनों समाज के लिए घातक है. पं. दीनदयाल उपाध्याय ने कहा कि "हमारे प्रयास और हमारी विकास की योजनाएं ऐसी हों कि समाज के अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति का विकास पहले हो. समाज के उपेक्षित व शोषित व्यक्ति को समाज की मुख्य धारा से जोड़कर आर्थिक समानता स्थापित करने का काम अन्त्योदय के सिद्धांत से ही हो सकता है. 

पं. दीनदयाल जी ने इस आर्थिक असमानता को दूर करने के लिए ‘‘अंत्योदय’’ के सिद्धांत का प्रतिपादन करते हुए कहा कि ‘‘हमारी भावना और सिद्धांत है कि वह मैले कुचैले, अनपढ़ लोग हमारे नारायण हैं, हमें इनकी पूजा करनी है, यह हमारा सामाजिक व मानव धर्म है. जिस दिन हम इनको पक्के सुंदर, स्वच्छ घर बनाकर देंगें, जिस दिन इनके बच्चों और स्त्रियों को शिक्षा और जीवन दर्शन का ज्ञान देंगें, जिस दिन हम इनके हाथ और पांव की बिवाईयों को भरेंगें और जिस दिन इनको उद्योंगों और धर्मो की शिक्षा देकर इनकी आय को ऊंचा उठा देंगें, उस दिन हमारा मातृभाव व्यक्त होगा।’’ उनका मत था कि हमारी नीतियां, योजनाएं व आर्थिक कार्यक्रम कमजोर लोगों को ऊपर लाने की होनी चाहिए ताकि वे भी समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें और उन्हें भी समाज के अन्य वर्ग के साथ बराबरी में खड़े होने का अवसर मिल सके.     


आज़ादी के बाद बनी विभिन्न सरकारों ने अंत्योदय के सिद्धांत की अनदेखी की, परिणाम यह हुआ कि भारत में गरीबी बढ़ती ही गई. एक बार गरीबी हटाओ का नारा भी दिया गया लेकिन वह भी केवल नारा बन कर ही रह गया. लेकिन जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं तब से "अंत्योदय" के सिद्धांत का पूरी तरह पालन किया जा रहा है. देश में आज "अंत्योदय" के सिद्धांत से प्रेरित होकर अनेक जनकल्याणकारी योजनाएँ संचालित हो रही है. ‘‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास एवं सबका प्रयास’’ के मूलमंत्र के साथ सरकारी योजनाओं के माध्यम से गरीबों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने का लगातार प्रयास हो रहा है. मोदी सरकार ने सामान्य लोगों के आत्मगौरव और आत्मविश्वास को बढ़ाने तथा उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने वाली अंत्योदय प्रेरित योजनाओं पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया है. इन दिनों शिक्षा, स्वास्थ्य व आर्थिक विकास की असंख्य योजनाएं देश भर में चल रही है. इन योजनाओं के माध्यम से भारत के आम आदमी के जीवन-स्तर को सुधारने तथा उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने के तेजी से प्रयास हो रहे हैं.

इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सन 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुवात की थी. यह अंत्योदय प्रेरित योजना है जिसमें गरीब और बेघर लोगों को अपना खुद का घर बनाने के लिए सरकारी सहायता का प्रावधान है. इस योजना के तहत पिछले 10 सालों में पात्र गरीब परिवारों के लिए लगभग 4 करोड़ घर बनाए जा चुकें हैं. पी.एम.ए.वाई. के तहत, लाभार्थियों का चयन सामाजिक-आर्थिक एवं जाति जनगणना (SECC) 2011 के आंकड़ों के आधार पर किया जाता है. भारत सरकार ने अभी अभी इस योजना में बदलाव कर इसका दायरा बढ़ा दिया है. नए नियम के अनुसार जिन नागरिकों के पास टू व्हीलर, मछली पकड़ने की नाव, रेफ्रीजरेटर, लैंडलाइन फोन है या जिनकी आय 15,000 रुपए प्रतिमाह तक है उन्हें भी प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत पात्र माना जाएगा. इसके साथ साथ ही जिनके पास ढाई एकड़ सिंचित या पांच एकड़ असिंचित भूमि है, वे भी इस योजना का लाभ उठा सकेंगें. यह मोदी सरकार की बहुत ही महत्वाकांक्षी योजना है जिसका क्रियान्वयन उन व्यक्तियों को लक्ष्य करके किया गया है जिन्हें पं. दीनदयाल उपाध्याय ने ‘‘समाज के अंतिम व्यक्ति’’ की संज्ञा देकर सबसे पहले उनके उदय (विकास) की बात रखते हुये अंत्योदय का सिद्धांत प्रतिपादित किया था. मोदी सरकार लक्ष्य अन्त्योदय, प्रण अन्त्योदय व पथ अन्त्योदय के ध्येय के साथ निरंतर आगे बढ़ रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं - " घर की चाबी सम्मान, आत्मविश्वास, सुनिश्चित भविष्य, नई पहचान और बढ़ती संभावनाओ के द्वार खोलती है." वास्तव में हर व्यक्ति का एक सपना होता है कि उसका स्वयं का एक पक्का आशियाना हो. मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना प्रारंभ कर गरीबों के इस सपने को साकार करने का काम किया है. पं. दीनदयाल उपाध्याय जी का अंत्योदय प्रधानमंत्री आवास के रुप में फलीभूत हो रहा है.  वास्तव में  उनका यह सिद्धांत 21 वी सदी में विकसित भारत का आधार बन चुका है. 

अशोक बजाज 

पूर्व अध्यक्ष जिला पंचायत रायपुर  

मोबाईल नंबर - 9425205969 

ईमेल - ashokbajaj99@gmail.com


19 अगस्त, 2023

स्वतंत्रता दिवस 2023 के कार्यक्रम की झलकियाँ

स्वतंत्रता दिवस 2023 के कार्यक्रम की झलकियाँ


 नगर पंचायत अभनपुर में ध्वजारोहण एवं स्वतंत्रता दिवस समारोह





स्वतंत्रता दिवस पर सरस्वती शिशु मंदिर अभनपुर में ध्वजारोहण कर सभी को बधाई दी




स्वतंत्रता दिवस पर सरस्वती शिशु मंदिर अभनपुर में भारत माँ की आरती में सम्मिलित हुआ.



सरस्वती शिशु मंदिर अभनपुर में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में संबोधित करते हुए.




भाजपा कार्यालय अभनपुर में स्वतंत्रता दिवस समारोह धूमधाम से मनाया गया.

10 अगस्त, 2023

'हमर सियान हमर अभिमान'

महाराष्ट्र के राज्यपाल माननीय रमेश बैस जी का नागरिक अभिनन्दन 



सरल, सहज, मिलनसार एवं कर्मठ राजनीतिज्ञ एवं महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री रमेश बैस हर वर्ग में लोकप्रिय हैं. उन्होंने 1978 में पार्षद से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुवात की तत्पश्चात 1980 में मंदिरहसौद विधानसभा से चुनाव जीत कर मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए।  वे 1989 में रायपुर से 9वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में पहली बार निवाचित हुए तत्पश्चात 1996 में 11वीं, फिर  12वीं, 13वीं, 14वीं, 15वीं और 16वीं लोकसभा में लगातार चुने गए. उन्होंने श्री अटलबिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में इस्पात एवं खान, रसायन और उर्वरक, सूचना और प्रसारण जैसे विभिन्न विभागों को संभाला और पर्यावरण व वन तथा खनन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में भी कार्य किया। 15वे लोकसभा में वे भाजपा संसदीय दल के मुख्य सचेतक बनाये गए. इसके अतिरिक्त उन्होंने सन 1992 में मध्यप्रदेश कृषि एवं बीज विकास निगम के अध्यक्ष के रूप में तथा संगठनात्मक रूप से मध्यप्रदेश भाजपा के प्रदेश मंत्री एवं प्रदेश उपाध्यक्ष के रूप में संगठन में काम किया तथा छत्तीसगढ़ में भाजपा के विस्तार में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। 


छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण में आपकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. सप्रे स्कूल मैदान से आमसभा में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी ने छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण का संकल्प लिया तब तालियों से पूरा मैदान गूंज उठा था. इस संकल्प के पूर्व श्री बैस ने ही श्री वाजपेयी जी को छत्तीसगढ़वासियों की छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण की बहुप्रतीक्षित मांग से अवगत कराया था. संसद में जब राज्य पुनर्गठन विधेयक पेश हुआ तब श्री रमेश बैस वाजपेयी सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे, स्वाभाविक रूप से राज्य पुनर्गठन विधेयक के निर्माण से लेकर उसे पारित कराने तक आपकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. 

केंद्रीय मंत्री के रूप में छत्तीसगढ़ के सर्वांगीण विकास में श्री बैस जी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. केंद्र की अनेक महती योजनाओं को उन्होंने धरातल पर उतारा। राज्य की जनता को बेहतर स्वास्थ सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से श्री बैस जी के पहल पर ही रायपुर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की स्थापना हुई, जिससे छत्तीसगढ़ के निवासियों को कम दर पर बेहतरीन  इलाज की सुविधाएं मिल रही है. हम सब वाकिफ है कि कोरोना काल में रायपुर का एम्स पीड़ितों के लिए वरदान सिद्ध हुआ है.
  

अत्यंत सरल, सहज एवं मृदुभाषी श्री रमेश बैस की कृषि व काष्ठकला में काफी रूचि है. कृषि एवं कृषक कल्याण तथा ग्रामीण विकास में आपका महत्वपूर्ण योगदान है, इनकी लोकप्रियता का एक मुख्य कारण ये भी रहा कि सांसद के रूप में रायपुर लोकसभा क्षेत्र का कोई ऐसा गांव नही जहां श्री बैस जी ने प्रवास ना किया हो. आज भी वे क्षेत्र के हर गांव के 50-100 बुजुर्गों, युवाओं एवं महिलाओं को उनके नाम से संबोधित करते है. इनके चार दशक से भी लंबे राजनीतिक कार्यकाल में रायपुर लोकसभा क्षेत्र में ऐसा कोई ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका या नगर निगम क्षेत्र नही है जहां आपने सांसद निधि से कोई काम ना कराया हो. अपने संसदीय क्षेत्र में उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ एवं सिचाई सुविधाओं के विस्तार पर सदैव ध्यान दिया है और आधारभूत संरचना को विकसित किया है.  श्री रमेश बैस जी की कर्मठता, लगनशीलता एवं लंबे प्रशासनिक अनुभव को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें जुलाई 2019 में त्रिपुरा का राज्यपाल नियुक्त किया वे जुलाई 2021 तक वे त्रिपुरा के राज्यपाल रहे. तत्पश्चात जुलाई 2021 में उन्हें झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया, वे 17 फरवरी 2023 तक झारखंड के राज्यपाल के रूप में कार्यरत थे. वर्तमान में वे 18 फरवरी 2023 से महाराष्ट्र के राज्यपाल है. 
महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में राज्यपाल की जिम्मेदारी का निर्वहन करने के बावजूद छत्तीसगढ़ से उनका निरंतर संपर्क बना हुआ है. बुधवार 2 अगस्त 2023 को उनके रायपुर आगमन पर 'हमर सियान हमर अभिमान' आयोजन समिति रायपुर के तत्वावधान में सर्व समाज द्वारा उनका नागरिक अभिनन्दन किया गया. यह संयोग ही है कि 2 अगस्त को उनका जन्मदिन भी है.