ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है * * * * नशा हे ख़राब झन पीहू शराब * * * * जल है तो कल है * * * * स्वच्छता, समानता, सदभाव, स्वालंबन एवं समृद्धि की ओर बढ़ता समाज * * * * ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है

09 मई, 2023

आलेख 'स्वर्णिम भारत की शुरुवात : मन की बात' के प्रकाशन के लिए संपादकों का आभार

प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी द्वारा प्रत्येक माह के अंतिम रविवार को आकाशवाणी से प्रसारित #मन_की_बात के ऐतिहासिक 100 वे एपिसोड { शतकीय कड़ी } के अवसर पर 'स्वर्णिम भारत की शुरुवात : मन की बात' शीर्षक से देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचना प्रकाशित हुई. दैनिक एक्शन इंडिया नई दिल्ली, दैनिक आज वाराणसी, दैनिक त्रिनेत्र रेवाड़ी, दैनिक हरिभूमि रायपुर, दैनिक तरुण छत्तीसगढ़ रायपुर, दैनिक स्वतंत्र स्वर रायपुर, दैनिक अमन पथ रायपुर, दैनिक लोकशक्ति रायपुर, दैनिक अमर छत्तीसगढ़ राजनांदगांव, दैनिक ट्रू सोल्जर रायपुर, दैनिक श्रम बिंदु भिलाई, दैनिक लोककिरण रायपुर एवं दैनिक अग्रदूत रायपुर आदि समस्त पत्र-पत्रिकाओं के माननीय संपादकों का मैं आभारी हूँ.


action india new delhi 29.04.2023


amanpath 26.04.2023 

aaj varanasi 26.04.2023 


 amar chhattisgarh rjn 25.04.2023

haribhoomi raipur 26.04.2023

lok kiran 26.04.2023

lok shakti 26.04.2023

shram bindu 26.04.2023

swatamtra swar 25.04.2023

tarun chhattisgarh 25.04.2023

trinetra rewadi 26.04.2023

true soldier  26.04.2023



#MannKiBaat #MannKiBaat100 #MannKiBaatAt100 #मन_की_बात #ashok_bajaj_abhanpur

06 मई, 2023

मन की बात" से देश में नई कार्य संस्कृति विकसित हुई

  प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के"मन की बात" की ऐतिहासिक 100 वीं कड़ी पर विशेष आलेख

स्वच्छता, कुपोषण मुक्ति एवं जल सरंक्षण जैसे अभियानों ने अब जन आंदोलन का स्वरुप ले लिया है


"मेरे लिए ‘मन की बात’ ये एक कार्यक्रम नहीं है, मेरे लिए एक आस्था, पूजा, व्रत है। जैसे लोग ईश्वर की पूजा करने जाते हैं तो प्रसाद की थाल लाते हैं। मेरे लिए ‘मन की बात’ ईश्वर रूपी जनता जनार्दन के चरणों में प्रसाद की थाल की तरह है। ‘मन की बात’ मेरे मन की आध्यात्मिक यात्रा बन गया है। ‘मन की बात’ स्व से समिष्टि की यात्रा है। ‘मन की बात’ अहम् से वयम् की यात्रा है। यह तो मैं नहीं तू ही इसकी संस्कार साधना है।" प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मन की बात के 100 वें एपिसोड में प्रकट की गई इन भावनाओं से हर भारतीय गौरवान्वित महसूस कर रहा है. वास्तव में उनके पास बहुत बड़ा ज्ञान का खजाना है. वे 'मन की बात' के माध्यम से ज्ञान का खजाना  लुटाते है. उन्होंने विलुप्त हो रहे  संचार के प्राचीन माध्यम रेडियो को ना केवल पुनर्जीवित किया बल्कि यह भी सिद्ध कर दिया कि रेडियो आज भी प्रासंगिक है तथा संचार का सशक्त माध्यम है.   


मन की बात में प्रधानमंत्री श्री मोदी सदैव सम-सामयिक एवं जन उपयोगी विषयों पर संवाद करते हैं तथा लोगों का हौसला अफजाई करते है. इस कार्यक्रम के माध्यम से कभी वे देश के नौजवानों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं, कभी खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाते हैं, कभी विद्यार्थियों को परीक्षा के तनाव से मुक्त होने का गुर सिखाते हैं, कभी किसानों को नई तकनीक के साथ अन्न उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित करते हैं. अब तक के एपिसोड में वे खेती-किसानी, नारी जागरण, स्वच्छता अभियान, प्राकृतिक आपदा, जलवायु परिवर्तन एवं जल संरक्षण व संवर्धन, स्वदेशी उत्पाद , कुपोषण, सिंगल यूज प्लास्टिक, फिट इंडिया, डिज़िटल इण्डिया, ड्रग्स व अन्य मादक पदार्थों  के दुष्परिणाम, नमामि गंगे, सड़क सुरक्षा, वेस्ट टू वेल्थ, अंगदान आदि अन्यान्य विषयों पर चर्चा कर चुके है. 'मन की बात' वे इतने प्रभावी ढंग से कहते है कि उनके द्वारा कही गई बातें लोगों के दिलों को छू जाती है. यही वजह है कि स्वच्छता, कुपोषण मुक्ति एवं जल सरंक्षण जैसे अभियानों ने अब जन आंदोलन का स्वरुप ले लिया है. 

प्रधानमंत्री श्री मोदी के ही शब्दों में जानिए उन्होंने प्रथम एपिसोड में क्या प्रेरणा दी थी - "मेरे देशवासियों, सवा सौ करोड़ देशवासियों के भीतर अपार शक्ति है, अपार सामर्थ्य है। हमें अपने आपको पहचानने की जरूरत है। हमारे भीतर की ताकत को पहचानने की जरूरत है और फिर जैसा स्वामी विवेकानंदजी ने कहा था उस आत्म-सम्मान को ले करके, अपनी सही पहचान को ले करके हम चल पड़ेंगे, तो विजयी होंगे और हमारा राष्ट्र भी विजयी होगा, सफल होगा। मुझे लगता है हमारे सवा सौ करोड़ देशवासी भी सामर्थ्यवान हैं, शक्तिवान हैं और हम भी बहुत विश्वास के साथ खड़े हो सकते हैं।" उन्होंने आगे कहा "मेरे देशवासियों, जब तक हम चलने का संकल्प नहीं करते, हम खुद खड़े नहीं होते, तब रास्ता दिखाने वाले भी नहीं मिलेंगे, हमें उंगली पकड़ कर चलाने वाले नहीं मिलेंगे। चलने की शुरूआत हमें करनी पड़ेगी और मुझे विश्वास है कि सवा सौ करोड़ जरूर चलने के लिए सामर्थ्यवान है, चलते रहेंगे।" ये सारा मेरा बातचीत करने का इरादा एक ही है। आओ, हम सब मिल करके अपनी भारत माता की सेवा करें। हम देश को नयी ऊंचाइयों पर ले जायें। हर कोई एक कदम चले, अगर आप एक कदम चलते हैं, देश सवा सौ करोड़ कदम आगे चला जाता है.

खादी की खपत और उत्पादन बढ़ाने में मन की बात के योगदान को कोई भूल नहीं पायेगा, श्री मोदी ने खादी के महत्व पर प्रकाश क्या डाला खादी के दिन फिर लौट आये उन्होंने पहले ही एपिसोड में खादी की चर्चा करते हुए कहा था "आपके परिवार में अनेक प्रकार के वस्त्र  होंगे, अनेक प्रकार के फैब्रिक्स होंगे, अनेक कंपनियों के प्रॉडक्ट होंगे, क्या उसमें एक खादी का नहीं हो सकता क्या ?  मैं अपको खादीधारी बनने के लिए नहीं कह रहा, आप पूर्ण खादीधारी होने का व्रत करें, ये भी नहीं कह रहा। मैं सिर्फ इतना कहता हूं कि कम से कम एक चीज भले ही वह हैंडकरचीफ,  भले घर में नहाने का तौलिया हो, भले हो सकता है बैडशीट हो, तकिए का कबर हो, पर्दा हो, कुछ तो भी हो, अगर परिवार में हर प्रकार के फैब्रिक्स का शौक है,  हर प्रकार के कपड़ों का शौक है, तो ये नियमित होना चाहिए और ये मैं इसलिए कह रहा हूं कि अगर आप खादी का वस्त्र खरीदते हैं तो एक गरीब के घर में दीवाली का दीया जलता है." उनकी इस भावनात्मक अपील का असर ये हुआ कि देखते ही देखते बाजार में खादी के कपड़ों की मांग बढ़ गई. खादी की खपत बढ़ने का जिक्र उन्होने बाद के अनेक कड़ियों में किया और बताया कि "उत्तर प्रदेश में वाराणसी सेवापुर में सेवापुरी का खादी आश्रम 26 साल से बंद पड़ा था, लेकिन आज पुनर्जीवित हो गया. अनेक प्रकार की प्रवर्तियों को जोड़ा गया. अनेक लोगों को रोज़गार के नये अवसर पैदा किये. कश्मीर में पम्पोर में खादी एवं ग्रामोद्योग ने बंद पड़े अपने प्रशिक्षण केंद्र को फिर से शुरू किया और कश्मीर के पास तो इस क्षेत्र में देने के लिए बहुत कुछ है." 

मन की बात में श्री मोदी सदैव छात्रों को परीक्षा के तनाव से मुक्ति की सलाह देते हैं उन्होंने 5 वी कड़ी में कहा था कि "हम हमेशा अपनी प्रगति किसी और की तुलना में ही नापने के आदी होते हैं। हमारी पूरी शक्ति प्रतिस्पर्धा में खप जाती है। जीवन के बहुत क्षेत्र होंगे, जिनमें शायद प्रतिस्पर्धा जरूरी होगी, लेकिन स्वयं के विकास के लिए तो प्रतिस्पर्धा उतनी प्रेरणा नहीं देती है, जितनी कि खुद के साथ हर दिन स्पर्धा करते रहना। खुद के साथ ही स्पर्धा कीजिये, अच्छा करने की स्पर्धा, तेज गति से करने की स्पर्धा, और ज्यादा करने की स्पर्धा, और नयी ऊंचाईयों पर पहुँचने की स्पर्धा आप खुद से कीजिये, बीते हुए कल से आज ज्यादा अच्छा हो इस पर मन लगाइए और आप देखिये ये स्पर्धा की ताकत आपको इतना संतोष देगी, इतना आनंद देगी जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते। हम लोग बड़े गर्व के साथ एथलीट सेरगेई बूबका का स्मरण करते हैं। इस एथलीट ने पैंतीस बार खुद का ही रिकॉर्ड तोड़ा था। वह खुद ही अपने एक्ज़ाम लेता था। खुद ही अपने आप को कसौटी पर कसता था और नए संकल्पों को सिद्ध करता था। आप भी उसी लिहाज से आगे बढें तो आप देखिये आपको प्रगति के रास्ते पर कोई नहीं रोक सकता है।" उन्होंने कार्यक्रम के 17 वे अपिसोड में विद्यार्थियों से सवाल किया कि 'प्रतिस्पर्धा क्यों ? अनुस्पर्धा क्यों नहीं। हम दूसरों से स्पर्धा करने में अपना समय क्यों बर्बाद करें। हम खुद से ही स्पर्धा क्यों न करें। हम अपने ही पहले के सारे रिकॉर्ड क्यों न तोड़ें। आप देखिये, आपको आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं पायेगा और अपने ही पिछले रिकॉर्ड को जब तोड़ोगे, तब आपको खुशी के लिए, संतोष के लिए किसी और से अपेक्षा भी नहीं रहेगी। एक भीतर से संतोष प्रकट होगा।’

श्री मोदी युवाओं के प्रेरणाश्रोत है, वे सदैव उन्हें विज्ञान व प्रौद्योगिकी की महत्ता को समझाते है. श्री मोदी ने मन की बात के 29 वे एपिसोड में नई पीढ़ी को नई तकनीक की ओर प्रेरित करते हुए कहा कि "जब नई  टेक्नालाजी  देखते हैं, कोई नई वैज्ञानिक सिद्धि होती है, तो हम लोगों को आनंद होता है। मानव जीवन की विकास यात्रा में जिज्ञासा ने बहुत अहम भूमिका निभाई है, और जो विशिष्ट बुद्धि प्रतिभा रखते हैं, वो जिज्ञासा को जिज्ञासा के रूप में ही रहने नहीं देते; वे उसके भीतर भी सवाल खड़े करते हैं; नई जिज्ञासायें खोजते हैं, नई जिज्ञासायें पैदा करते हैं और वही जिज्ञासा, नई खोज का कारण बन जाती है। वे तब तक चैन से बैठते नहीं, जब तक उसका उत्तर न मिले। और हज़ारों साल की मानव जीवन की विकास यात्रा का अगर हम अवलोकन करें, तो हम कह सकते हैं कि मानव जीवन की इस विकास यात्रा का कहीं पूर्ण-विराम नहीं है। पूर्ण-विराम असंभव है, ब्रह्मांड को, सृष्टि के नियमों को, मानव के मन को जानने का प्रयास निरंतर चलता रहता है। नया विज्ञान, नयी टेक्नालाजी उसी में से पैदा होती है और हर टेक्नालाजी, हर नया विज्ञान का रूप, एक नये युग को जन्म देता है।" 

श्री मोदी ने योग और मिलेट्स की महत्ता को दुनिया भर में प्रतिपादित किया इसकी उन्हें ख़ुशी भी है संतोष भी है. मन की बात में उन्होंने दोनों में समानता स्थापित करते हुए कहा कि "मेरे प्यारे देशवासियो, अगर मैं आपसे पूंछू कि योग दिवस और हमारे विभिन्न तरह के मोटे अनाजों मिलेट्स  में क्या कॉमन है तो आप सोचेंगे ये भी क्या तुलना हुई ? अगर मैं कहूँ कि दोनों में काफी कुछ कॉमन है तो आप हैरान हो जाएंगे। दरअसल संयुक्त राष्ट्र ने इंटरनेशनल योगा डे और इंटरनेशनल ईयर ऑफ़ मिलेट्स दोनों का ही निर्णय भारत के प्रस्ताव के बाद लिया है। दूसरी बात ये कि योग भी स्वास्थ्य से जुड़ा है और मिलेट्स भी सेहत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। तीसरी बात और महत्वपूर्ण है दोनों ही अभियानो में जन-भागीदारी की वजह से क्रांति आ रही है। जिस तरह लोगों ने व्यापक स्तर पर सक्रिय भागीदारी करके योग और फिटनेस को अपने जीवन का हिस्सा बनाया है उसी तरह मिलेट्स को भी लोग बड़े पैमाने पर अपना रहे हैं। लोग अब मिलेट्स  को अपने खानपान का हिस्सा बना रहे हैं। इस बदलाव का बहुत बड़ा प्रभाव भी दिख रहा है। इससे एक तरफ वो छोटे किसान बहुत उत्साहित हैं जो पारंपरिक रूप से  मिलेट्स  का उत्पादन करते थे। वो इस बात से बहुत खुश हैं कि दुनिया अब  मिलेट्स  का महत्व समझने लगी है। दूसरी तरफ एफपीओ और इन्टरप्रेनियर्स ने मिलेट्स को बाजार तक पहुँचाने और उसे लोगों तक उपलब्ध कराने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।"

पीएम के "मन की बात" से देश में नई कार्य संस्कृति विकसित हुई है जो नई पीढ़ी सकारात्मक दिशा में चलने तथा रचनात्मक कार्यों की ओर प्रेरित कर रही है. यही वो मूल्य है जो देश की जनता में आत्मविश्वास जगाने, आत्मगौरव बढ़ाने और देश को आत्मनिर्भर बनाने में मिल का पत्थर साबित होगी। 

 
आलेख - अशोक बजाज   

16 सितंबर, 2021

सहकारवाद : आत्मनिर्भर भारत के लिए मोदी मंत्र

 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 71 वें जन्मदिन पर विशेष आलेख

सहकारवाद : आत्मनिर्भर भारत के लिए मोदी मंत्र


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सहकारवाद के उद्घोष से देश में सहकारी आंदोलन को नई आबोहवा मिली है। वे यह भलीभांति जानते है कि आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना सहकारिता से ही साकार होगी। श्री मोदी जी सदैव सामूहिक शक्ति पर ही बल देते है। सहकारिता भी सामूहिक शक्ति का स्वरूप है। सहकारिता एक ऐसी कारगर विधा है जो परस्पर सहयोग, समन्वय व प्रयास से आर्थिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है। ’’एक के लिए सब और सब के लिए एक’’ की भावना हमें विरासत में मिली है। वास्तव में सहकारिता ही भारत की जीवनशैली है जिसे परम्परागत ढंग से पीढ़ी दर पीढ़ी लोग अपनाते आ रहे है। कालांतर में विभिन्न विचारधाराओं व सिद्धांतों के चलते सहकारिता की भावना कमजोर हुई। लोग जीवन मूल्यों व आदर्शों के स्थान पर धनोपार्जन को ज्यादा महत्व देते हुए धनोपार्जन के नैतिक अनैतिक तरीको का इस्तेमाल करने लगे। पूंजीवाद के चलते समाज में जो विकार आया वह सबने महसूस किया। मानव समाज अमीर और गरीब दो वर्गो में बंट गया। अमीरी और गरीबी के बीच की खाई दिनोंदिन बढ़ती चली गई। एक ओर जहाँ मुठ्ठी भर लोग अपार धन सम्पदा के स्वामी हो गए तो वहीं समाज का बहुत बड़ा तबका गरीबी, बेकारी, और भूखमरी से जूझने लगा। इस असमानता के कारण ही अनेक समाजिक व्याधियां उत्पन्न हुई। जबकि सहकारिता में समानता का भाव होता है। मिल-जुल कर काम करना और एक-दूसरे से प्रेम-रिश्ते बनाकर जीवन बसर करना ही हमारा संस्कार है।

बहरहाल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 15 अगस्त 2021 को लाल किले के प्राचीर से देश और दुनिया को भारत की इसी संस्कृति का परिचय कराते हुए ’’सहकार-वाद’’ शब्द का उद्घोष किया। उन्होने कहा कि ’’अर्थजगत में पूंजीवाद और समाजवाद इसकी चर्चा तो बहुत होती है, लेकिन भारत सहकारवाद पर भी बल देता है। सहकारवाद हमारी परम्परा, हमारे संस्कारों के भी अनुकूल है। सहकारवाद जिसमें जनता-जनार्दन की सामूहिक शक्ति अर्थव्यवस्था की चालक व्यक्ति के रूप में प्रेरक शक्ति बने, ये देश की जमीनी स्तर की अर्थव्यवस्था के लिए एक अहम क्षेत्र है। सहकार जगत ये सिर्फ कानून-नियमों के जंजाल वाली एक व्यवस्था नही है बल्कि सहकारिता एक Spirit है, सहकारिता एक संस्कार है, सहकारिता एक सामूहिक चलने की मनः प्रवृत्ति है। उनका सशक्तिकरण हो, इसके लिए हमने अलग मंत्रालय बनाकर इस दिशा में कदम उठाए है और राज्यों के अन्दर जो सहकारी क्षेत्र है, उसको जितना ज्यादा बल दे सकें, वो बल देने के लिए हमने ये कदम उठाया है।’’ प्रधानमंत्री जी के ये विचार नये भारत के विजन का प्रतिबिंब है। उनके इस कथन से देश में सहकारिता की भावना का पुनरूत्थान हुआ है। पूरे देश में सहकारिता की नई बयार बहने लगी है। केन्द्र में नये सहकारिता मंत्रालय की स्थापना उनके इसी विजन का हिस्सा है। जिसके दूरगामी परिणाम हर भारतीय के लिए सुखद होंगे।

कृषि के क्षेत्र में दस हजार नये किसान उत्पाद संगठनों के गठन का लक्ष्य भी सरकार की दूरगामी सोच का हिस्सा है। किसान उत्पाद संगठन भी किसानों का स्वैच्छिक संगठन है जो परस्पर सहयोग एंव सामूहिक प्रयास से उन्नति के मार्ग प्रशस्त करता है। किसान उत्पाद संगठन के माध्यम से किसान अपनी उपज में वृद्धि तो करेंगें ही साथ ही साथ लागत मूल्य में भी कमी आयेगी यानी कम लागत में अधिक उत्पादन करके कृषक अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकेंगे। इसके अलावा खाद, बीज, एवं कीटनाशक दवाईयों की आपूर्ति सरलता से होने लगेंगी। सामूहिक प्रयास से वे कृषि की आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर सकेगें। ये संगठन किसानों को उत्पादित वस्तु की सफाई, छटाई, ग्रेडिंग एवं पैकिंग के अलावा प्रोसेसिंग की सुविधा भी उपलब्ध कराएगी। आवश्कतानुसार किसान उत्पाद संगठनों के पास भंडारण के लिए वेयर हाउस की भी व्यवस्था होगी। किसानों को परिवहन, लोडिंग, अनलोडिंग जैसी लाजिस्टिक सेवायें भी एफ. पी. ओ. के माध्यम से उपलब्ध होगी। किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या विपणन की होती है, उन्हें या तो बाजार का सही ज्ञान नही होता अथवा मजबूरी व अभाव में बाजार तक उनकी पहुंच नही हो पाती, लेकिन किसान अपना संगठन बनाकर अपनी उपज के विक्रय के लिए सौदेबाजी कर लाभकारी मूल्य प्राप्त कर सकेगें। यानी किसानों को बिचौंलियों से मुक्त करने का यह बेहतर उपक्रम है। आने वाले दिनों में हमें एक बात और देखने को मिलेंगी कि किसान अपनी उपज की गुणवत्ता बढ़ाने में सक्षम होगें। कुल मिलाकर किसान उत्पाद संगठन किसानों की समृद्धि व खुशहाली का बेहतर विकल्प बनेगा।

कोरोना महामारी के भीषण दौर में जब देशव्यापी लॉकडाउन की स्थिति निर्मित हुई तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का मंत्र दिया। सरकार ने कमजोर व गरीब वर्ग को लक्षित कर अनेक योजनाएँ बनाई तथा पूर्व संचालित योजनाओं को प्रोत्साहित करने भारी भरकम आर्थिक पैकेज दिया। युवा वर्ग को आर्थिक रूप से सशक्त, सक्षम तथा स्वावलम्बी बनाने के लिए तेजी से प्रयास हुए। लघु व मध्यम उद्योगों को भारी राहत पैकेज देकर उसे अपग्रेड करने की योजना बनाई गई। फलस्वरूप रोजगार के नए अवसर का सृजन हुआ। लघु एवं फुटकर व्यापारियों यहा तक कि रेहड़ी-पटरी वालों को प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना से लाभान्वित किया गया। युवा बेरोजगारों को शिक्षा व प्रशिक्षण के लिए स्टार्ट-अप इंडिया, ई- स्किल इंडिया, दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना पूर्व से ही संचालित है जो कौशल उन्नयन के माध्यम से नये कैरियर के साथ आय वृद्धि का उत्तम माध्यम है। यदि इन योजनाओं के लाभार्थि यदि सहकारिता के माध्यम से काम करे तो बेहतर परिणाम आ सकते है। मसलन लघु उद्योग स्थापित करने वाला व्यक्ति ऐसी मंशा रखने वाले अन्य व्यक्तियों का समूह बनाकर बड़ी इकाई स्थापित करें तो ज्यादा लाभप्रद हो सकता है। इसी प्रकार लघु व फुटकर व्यापारी भी समूह बनाकर बड़ा व्यापार स्थापित कर सकते है। व्यापार में यदि सामूहिक शक्ति का प्रयोग होगा तो कार्य क्षमता में वृद्धि तो होगी ही साथ ही साथ नई तकनीक व संचार संसाधन की उपलब्धता संभव हो जाने से बाजार का विस्तार होगा।

सहकारिता में निर्बल को सबल, अक्षम को सक्षम तथा निशक्त को सशक्त बनाने की अदभूत क्षमता है। सहकारिता की भावना जितनी ज्यादा विकसित होगी सहकारी आन्दोलन उतना ज्यादा व्यापक व सर्वव्यापी होगा। वास्तव में यह आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की अचूक दवा है। भारत में इन दिनों बह रही सहकारिता की नई बयार अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए शुभ संकेत माना जा रहा है। निःसंदेह इस नई आबोहवा से सह़कारिता एक व्यापक जन आंदोलन का स्वरूप लेगा जो समृध्द भारत, सक्षम भारत और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में मील का पत्थर साबित होगा।

22 अगस्त, 2021

आजादी का अमृत महोत्सव

भारत की आजादी का 75 वां वर्ष यानी आजादी का अमृत महोत्सव धूमधाम मनाया गया, कोरोना महामारी के चलते इस बार भी स्वतन्त्रता दिवस समारोह सादगी एवं सावधानी से मनाया गया. 


75 वे स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर नगर पंचायत अभनपुर में ध्वजारोहण किया।

नगर पंचायत अभनपुर में स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुये।
स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर सरस्वती शिशु मंदिर अभनपुर में श्रद्धापूर्वक भारत माँ की आरती हुई।

स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर सरस्वती शिशु मंदिर अभनपुर में 62 वी बार ध्वजारोहण किया
सरस्वती शिशु मंदिर अभनपुर में स्वतन्त्रता दिवस समारोह परपरागत ढंग से संपन्न हुआ।

स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर खुशी फाउंडेशन अभनपुर द्वारा संचालित कौशल उन्नयन केंद्र में ध्वजारोहण।

स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर खुशी फाउंडेशन अभनपुर द्वारा संचालित कौशल उन्नयन केंद्र में प्रशिक्षुओं को प्रमाण पत्र प्रदान कर उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।

स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर सुबह ठीक 11 बजे खुशी फाउंडेशन अभनपुर द्वारा संचालित कौशल उन्नयन केंद्र में स्वतन्त्रता दिवस समारोह के अन्य कार्यक्रमों को रोककर प्रशिक्षुओं के साथ राष्ट्र गान करते हुये।

स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर जी ई रोड रायपुर में श्री देवकर साहेब के अथक परिश्रम से श्री च्यवन आयुर्वेद के क्षेत्रीय कार्यालय का शुभारंभ हुआ।

दैनिक अग्रदूत में 14 अगस्त को "भारतीय संस्कृति ही देश की मूल आत्मा" शीर्षक से प्रकाशित आलेख 

समस्त देशवासियों को स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !