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26 फ़रवरी, 2011

2020 तक हाहाकार मचा देगा जलवायु परिवर्तन



 जलवायु परिवर्तन का असर इसी दशक में इतने भयानक रूप में सामने आ सकता है कि दुनिया में हाहाकार मच सकता है. 2020 तक ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से पांच करोड़ से ज्यादा लोग बेघरबार   हो जाएंगे.

अमेरिका के वॉशिंगटन में जारी एक साइंस कान्फ्रेंस में वैज्ञानिकों ने कहा कि ये पांच करोड़ लोग भूखे मरने की हालत में होंगे.  इन्हें अपने घर छोड़कर दुनिया के उत्तर की तरफ भागना होगा. अमेरिकन एसोसिएशन फॉर द अडवांसमेंट ऑफ साइंस (एएएएस) की सालाना बैठक में कैलिफॉर्निया विश्वविद्यालय की प्रोफेसर क्रिस्टीना तिरादो ने कहा,  "यूएन के अनुमान के मुताबिक 2020  तक दुनिया में पांच करोड़ से ज्यादा पर्यावरणीय शरणार्थी होंगे. जब लोग जीने की हालत में नहीं रह पाते तभी वे अपने घरों को छोड़कर दूसरी जगह जाते हैं."

कम हो रहा है खाना

बैठक में वैज्ञानिकों ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का असर दिखने लगा है. यह हमारे भोजन को प्रभावित कर रहा है. दक्षिणी यूरोप में तो अफ्रीका से शरणार्थी पहुंचने भी लगे हैं. यह फिलहाल बहुत धीमा है लेकिन लगातार हो रहा है. कई लोग तो अपनी जान खतरे में डालकर सीमाएं पार कर रहे हैं.

हाल ही में ट्यूनिशिया में सत्ता पलटने के बाद काफी बड़ी तादाद में लोग यूरोपीय देशों में आ गए हैं. मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के इवेन टोड कहते हैं कि इसकी वजह खाने की कमी, बेरोजगारी और गरीबी है. टोड कहते हैं कि यह सिर्फ शुरुआत है. उन्होंने कहा, "हमने ट्यूनिशिया में देखा कि जैसे ही सरकार बदली, हजारों लोग इटली की तरफ भाग गए. यह जल्दी ही एक चलन बन जाएगा. अफ्रीकी लोग पहले ही जर्मनी, स्पेन और आसपास के देशों में जा रहे हैं. ऐसे लोगों की संख्या और बढ़ेगी. इसकी वजह खाने पर बढ़ता दबाव है."

गरीबी बढ़ेगी

टोड कहते हैं कि मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीकी देशों के बहुत सारे देशों में राजनीति, धर्म और दूसरे मुद्दों का घालमेल हो चुका है लेकिन असली बात गरीबी ही है. वैज्ञानिकों के मुताबिक मौसम में हो रहे बदलाव का असर खाद्य सुरक्षा पर पड़ रहा है. अमेरिका के कृषि मंत्रालय में वैज्ञानिक रे नाइटोन कहते हैं कि सर्दियां गर्म हो रही हैं जिसकी वजह से पौधों को बीमार करने वाले कीट ज्यादा समय तक जिंदा रहते हैं और गर्मियां आते ही फसलों पर हमला कर देते हैं.

नाइटोन ने कहा, "जलवायु परिवर्तन का एक असर बारिश पर भी दिखाई दे रहा है. फसल कटने के मौसम में बारिश हो रही है जिससे फसलें संक्रमित होकर खराब हो जाती हैं." यह सब खाद्य सुरक्षा पर असर डाल रहा है.



23 फ़रवरी, 2011

शांति और खुशहाली के लिए होंगे और भी बेहतर प्रयास : डॉ. रमन सिंह



मुख्यमंत्री शामिल हुए संत समागम में

रायपुर 23 फरवरी 2011


छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि नया छत्तीसगढ़ राज्य अब एक नई करवट ले रहा है। प्रदेश की दो करोड़ से अधिक जनता विकास के एक दशक को पार कर अब ग्यारहवे वर्ष में प्रवेश कर चुकी है। इस दौरान राज्य शासन द्वारा विगत सात वर्षो में आम जनता के लिए शुरू की गई विभिन्न योजनाओं से पूरे देश में छत्तीसगढ़ की पहचान बनी है। गरीबों के लिए शुरू की गई अत्यंत किफायती चावल की योजना को अब केन्द्र सरकार पूरे देश में लागू करने जा रही है। डॉ. सिंह ने कहा कि भगवान राजीव लोचन और संत महात्माओं के आशीर्वाद से छत्तीसगढ़ में सुख-शांति, समृध्दि और खुशहाली लाने के लिए आने वाले वर्षो में और भी अधिक बेहतर प्रयास राज्य सरकार द्वारा किये जाएंगे। राजिम कुंभ ने छत्तीसगढ़ को देश के सांस्कृतिक मानचित्र पर एक नई पहचान दिलायी है।

मुख्यमंत्री आज रात महानदी, सोंढुर और पैरी नदियों के पवित्र संगम पर आयोजित राजिम कुंभ के छठवें दिन विशाल संत समागम को संबोधित कर रहे थे। उन्होनें कहा कि भगवान राजीव लोचन की कृपा, संत महात्माओं के आशीर्वाद और जनता के सहयोग से राजिम कुंभ का यह छठवां आयोजन यहॉ किया गया है मुख्यमंत्री ने कहा कि यह राजिम कुंभ का ही एक अच्छा और सुखद प्रभाव है कि इन छह वर्षो में छत्तीसगढ़ पर अकाल का कोई प्रभाव नहीं पड़ा, बल्कि देश का यह नया राज्य और भी अधिक तेजी से विकास के पथ पर आगे बढ़ता चला जा रहा है। पलायन की पीड़ा से छत्तीसगढ़ मुक्त हुआ है। सकल घरेलू उत्पाद की दृष्टि से राज्य की विकास दर 11.49 प्रतिशत रही जो देश में सबसे ज्यादा है। इसमें छत्तीसगढ़ ने गुजरात जैसे पुराने और विकसित राज्य को भी पीछे छोड़ दिया। डॉ. सिंह ने संत समागम मे पधारे गोवर्धन मठ, पुरी के जगत्गुरू शंकराचार्य स्वामी निष्चलानंद सरस्वती सहित देश भर से आए संत महात्माओं का स्वागत करते हुए कहा कि इनके आगमन से छत्तीसगढ़ की धरती धन्य हुई है। मुख्यमंत्री ने राजिम कुंभ में श्रध्दालुओं की सुविधा के लिए छह करोड़ रूपए की लागत से बनवाए गए एनीकट का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें आगामी वर्षो में छह फीट से भी ज्यादा पानी रहेगा। आने वाले वर्षो में राजिम कुंभ को इसकी गरिमा के अनुरूप बेहतर से बेहतर सुविधाओं से सुसज्जित किया जाएगा। संत समागम में प्रदेश के पर्यटन, संस्कृति, धार्मिक न्यास और धर्मस्व मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल, कृषि मंत्री श्री चन्द्रशेखर साहू, खाद्य मंत्री श्री पुन्नू लाल मोहले, छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के अध्यक्ष श्री कृष्ण कुमार राय, छत्तीसगढ़ राज्य भण्डार गृह निगम के अध्यक्ष श्री अशोक बजाज, राजिम विधायक श्री अमितेष शुक्ल, संत कवि और पूर्व सांसद श्री पवन दीवान, पूर्व मंत्री श्री अजय चंद्राकर सहित अनेक जनप्रतिनिधि और हजारों की संख्या में भक्तजन उपस्थित थे। धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने इस अवसर पर कहा कि हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि छत्तीसगढ़ के इस पावन तीर्थ राजिम में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में प्रदेश सरकार द्वारा कानून बनाकर राजिम कुंभ की परम्परा की शुरू की गई । जहां धर्मात्माओ का राज होता है वहां परमात्मा का वास होता है। श्री अग्रवाल ने कहा कि कोई भी कुंभ साधु-संतों के बिना सार्थक नहीं होता। राजिम कुंभ साधु-संतों वाणी से ही चरितार्थ हो रहा है। उन्होने कहा कि साधु-संतो के आशीर्वाद से हम छत्तीसगढ़ को एक ऐसा आदर्श राज्य बनाएंगे जहां धर्म की रक्षा हो,  सुख शांति हो और कोई भूखा न रहे। छत्तीसगढ़ धर्म धरा है। राजिम कुंभ के माध्यम से धर्मध्वजा पूरे विश्व में लहराएगी। कृषि मंत्री श्री चंद्रषेखर साहू ,खाद्य मंत्री श्री पुन्नू लाल मोहले और विधायक श्री अमितेष शुक्ल ने भी संत समागम में अपने विचार व्यक्त किए। गोवर्धन मठ, पुरी के पीठाधीश्वर जगत गुरू शंकराचार्य स्वामी निष्चलानंद महाराज ने इस अवसर पर आशीष वचन में लोगों को मांस-मंदिरा जैसी सामाजिक बुराईयों से बचने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि वैदिक संस्कृति के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज राष्ट्र निर्माण के लिए वैदिक संस्कृति और संस्कारों के अनुरूप समाज के विकास और जनकल्याण के लिए शासन तंत्र को तत्पर रहना चाहिए। स्वामी निश्चलानंद महाराज ने कहा कि प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर विकास करना पूरे विश्व के लिए लाभदायक होगा। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने संत समागम के अवसर पर भगवान राजीव लोचन के मंदिर में पूजा अर्चना की और छत्तीसगढ़ सहित सम्पूर्ण राष्ट्र की सुख-समृध्दि और खुशहाली के लिए उनसे आशीर्वाद मांगा। डॉ.  सिंह ने इस मौके पर पुरी पीठाधीश्वर जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद जी सहित सभी आमंत्रित साधु-संतों से भी आशीर्वाद प्राप्त किया।

राजिम कुंभ की झलकियाँ









21 फ़रवरी, 2011

बीबीसी रेडियो की हिंदी सेवा बंद करने का निर्णय दुर्भाग्यजनक

बीबीसी रेडियो की हिंदी सेवा बंद करने का निर्णय अत्यंत ही दुर्भाग्यजनक है. बीबीसी वर्ल्ड सर्विस का यह निर्णय रेडियो श्रोताओं के लिए कुठाराघात से कम नहीं है.  यह दुनिया जानती है कि बीबीसी रेडियो के कार्यक्रमों की गुणवत्ता किसी अन्य रेडियो सर्विस से कम नहीं है.बीबीसी रेडियो के समाचार त्वरित, विश्वसनीय एवं प्रमाणित होते हैं.सन् 1975 की इमरजेंसी में जब भारत में प्रेस सेंसर शिप लागू था तब बीबीसी रेडियो ही सही समाचार प्रसारित करता था. मै छत्तीसगढ़ रेडियो श्रोता संघ रायपुर एवं अहिंसा रेडियो श्रोता संघ का संयोजक हूँ इस नाते देश भर के श्रोताओं की ओर से बीबीसी प्रबंधन के फैसले का तीब्र विरोध करते हुए इस फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करता हूँ.







20 फ़रवरी, 2011

वीकेंड में शराब तो तबि‍यत खराब

 सप्ताहांत में पीने वालों के लि‍ए शराब खतरनाक


हफ्ते के अंत में अत्यधिक शराब पीने वालों के लिए बुरी खबर है।  रोजाना शराब पीने वालों की तुलना में सप्ताहांत में पीने वाले लोगों के जीवन को ज्यादा खतरा हो सकता है। 

फ्रांस के ट्यूलूस विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने यह खुलासा किया है। उन्होंने फ्रांस के तीन कस्बों में अधे़ड़ अवस्था वाले लोगों की पीने की आदतों की तुलना उत्तरी आयरलैंड के बेलफास्ट के लोगों से की। समाचार 'डेली मेल' ने ब्रिटेन की एक चिकित्सा पत्रिका की रिपोर्ट के हवाले से बताया कि फ्रांस के नागरिकों ने एक सप्ताह में करीब 30 यूनिट शराब का सेवन किया।

उत्तरी आयरलैंड के प्रांत अलस्टर के लोगों ने एक सप्ताह में करीब 22 यूनिट शराब पी। रिपोर्ट के मुताबिक फ्रांस के नागरिकों में रक्तचाप की मात्रा ज्यादा पाई गई। इनमें से ज्यादातर लोग मधुमेह के शिकार थे जबकि दोनों देशों के लोगों में कोलेस्ट्राल का स्तर एक पाया गया।

शोधकर्ताओं ने बताया कि यह महत्वपूर्ण रूप से पाया गया कि फ्रांस के नागरिकों ने शराब का सेवन करीब पूरे सप्ताह थोड़ी-थोड़ी मात्रा में किया। जबकि अलस्टर के लोगों ने सप्ताह के अंतिम दो दिनों में जमकर शराब पी।

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के मुताबिक यह नया शोध अधेड़ अवस्था वाले लोगों के लिए चेतावनी है। वे शराब का सेवन अत्यधिक मात्रा में कर उससे हृदय का सुरक्षात्मक प्रभाव खो देते हैं।