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28 जुलाई, 2010

समाचार पत्रों का आभार - 2

 आभार


"मंहगाई एवं नक्सलवाद पर उलझी लोकसभा एवं विधानसभा" शीर्षक से प्रकाशित 27-07-2010 के पोस्ट को दैनिक "छत्तीसगढ़ वाच" ने "स्वतंत्र विचार" स्तम्भ एवं दैनिक "छत्तीसगढ़ समाचार" ने "चौपाल" स्तम्भ में प्रकाशित किया. इसके अतिरिक्त अनेक ब्लागर मित्रों को पसंद आया . सभी को धन्यवाद.......




छत्तीसगढ़ वाच 28-07-2010


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                            छत्तीसगढ़ समाचार 28-07-2010

27 जुलाई, 2010

महंगाई व नक्सलवाद मुद्दे पर उलझी लोकसभा व विधानसभा

महंगाई व नक्सलवाद मुद्दे पर  उलझी लोकसभा व विधानसभा






देश की दो बड़़ी राजनीतिक पार्टियां कांग्रेस व भारतीय जनता पार्टी,दो बड़ी पंचायते लोकसभा व छत्तीसगढ़ की विधानसभा देश के दो बड़े मुद्दे महंगाई और नक्सलवाद पर गरम हैं। एक ओर जहां देश की सबसे बड़ी पंचायत लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने महंगाई को लेकर काम रोको प्रस्ताव लाया है तो दूसरी ओर छत्तीसगढ़ विधानसभा में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने नक्सलवाद के खिलाफ स्थगन प्रस्ताव लाकर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है। मजे की बात तो यह है कि एक जगह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है तो दूसरी जगह कांग्रेस  गठबंधन की सरकार है। इन दो ज्वलंत मुद्दों में एक दूसरे को घेरने के लिए दोनों पक्ष मैदान में कूद पड़े है।

दोनों स्थानों पर बहस चरम सीमा पर है। बहस को धारदार बनाने के लिए एक से एक दृष्टांत दिये जा रहे हैं। मैं आज छत्तीसगढ़ की विधानसभा में  पक्ष विपक्ष के तेवर देख रहा था। आरोप प्रत्यारोप के दौर चल रहे थे। भाजपा वाले कह रहे थे कि नक्सलवाद केवल छत्तीसगढ़ की समस्या नहीं बल्कि यह राष्ट्रीय समस्या है,जब केन्द्र व राज्य दोनों जगह कांगे्रस की सरकार थी तब से इस समस्या ने विकराल रूप ले लिया है,इस समस्या के लिए केवल छत्तीसगढ़ की वर्तमान सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। दूसरी ओर कांग्रेस वाले सरकार पर अकर्मण्यता का आरोप जड़ रहे थे। उनका कहना था कि नक्सलवाद से बस्तर में कारगिल से ज्यादा लोग शहीद हुये हैं। कुछ विपक्षी सदस्यों ने सरकार पर नक्सलवादियों से मिली भगत का भी आरोप लगाया। एक जिम्मेदार विपक्षी नेता ने तो यहां तक कह दिया कि सरकार में बैठे जिम्मेदार लोगों की नक्सलियों से सांठगांठ है। भाजपा ने बस्तर की 12 विधानससभा सीटों में से 11 सीटों पर विजय पाई है, यह भी एक मुद्दा था। विपक्ष का कहना था कि भारतीय जनता पार्टी ने नक्सलियों से सांठगांठ कर 11 सीटे हासिल की है।



इस बीच लंच ब्रेक हो गया। स्पीकर द्वारा लंच के लिए कार्यवाही स्थगित करते ही लगा कि विपक्ष का स्थगन प्रस्ताव ठंडा पर गया है। क्योंकि स्थगन प्र्रस्ताव का अर्थ होता है सब काम छोड़ कर (या ठप्प कर) जो सूचना दी गई है उस पर चर्चा कराना लेकिन पक्ष के साथ विपक्ष लंच पर चला गया।

जहां तक लोकसभा का सवाल है। यह देश की सबसे बड़ी पंचायत है। यहां प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने महंगाई के खिलाफ ”काम रोको प्रस्ताव ”लाया है। महंगाई एक ज्वलंत मुद्दा है। इससे सभी वर्ग के लोग त्रस्त है। मध्यम एवं निम्न आय वर्ग के लोगों की परेशानी बढ़ गई है। ” आमदानी अठन्नी खर्चा रूपैय्या ” वाली कहावत जगह चरितार्थ हो रही है। पेट्रोल डीजल व रसोई गैस के दाम बढ़ाकर सरकार ने लोगों को आफत में डाल दिया तथा स्वयं आफत मोल ले लिया। इ्र्रधन के दाम बढ़ने का असर दैनिक उपभोग की वस्तुओं पर पड़ रहा है। लोकसभा में महंगाई के खिलाफ ” काम रोको प्रस्ताव ” पर सारा विपक्ष एक जुट दिखाई  दे रहा है। संयुक्त विपक्ष के हंगामें के चलते स्पीकर को बार-बार कार्यवाही स्थगित करनी पड़ रही है। इस ”काम रोको प्रस्ताव ”का सरकार की सेहत पर क्या असर पडे़गा यह तो वक्त ही बतायेगा लेकिन आम आदमी की मुसीबतों का अंत होगा इसमे संदेह है।


सावन की झड़ी

                                     सावन की झड़ी


सावन की झड़ी आज भी दिन भर लगी रही ;अभी रात १२.२६ बजे जब मै यह पोस्ट लिख रहा हूँ ,बारिस का क्रम जारी है .नदी नाले उफान पर है .शाम को महासमुंद से लौटते वक्त छत्तीसगढ़ की जीवनदायिनी नदी महानदी में जलस्तर को बढ़ते देखा .झुग्गियों एवं निचली बस्तियों में बुरा हाल है .अब बरसात को कुछ दिनों के लिए थम जाना चाहिए अन्यथा जान-मॉल की हानि हो सकती है .साधना न्यूज चैनल के द्वितीय वर्ष गांठ पर आयोजित कविसम्मेलन से अभी अभी लौटा हूँ .बड़े नामी कविवर उपस्थित थे लेकिन श्रोताओ का अकाल पड़ा हुआ था.श्रोताओ की छ्निं उपस्थिति का मलाल आयोजको को तो था ही कवियों की वेदना से भी समझ आ रहा था लेकिन अतिविष्टि से प्रभावित लोगों की वेदना को कौन समझेगा?


       दिनांक - 26-07-2010          फोटो - हरिभूमि रायपुर   

25 जुलाई, 2010

आया सावन : भाया सावन : छाया सावन


आया सावन : भाया सावन : छाया सावन

कल रात से झमाझम बारिश हो रही हैं । पूरी धरती तरबतर हो चुकी  हैं । वैसे तो मानसून को आये एक महीने हो गये हैं लेकिन ऐसी व्यापक व तेज वर्षा पहली बार हो रही हैं । मानसूनी वर्षा भी इस बार खंड खंड हो रही थी । यदि किसी एक इलाके में बारिश होती थी तो दूसरे इलाके में तेज धूप निकली होती थी । यहां तक देखने को मिला कि एक गांव में एक दिशा में बारिश होती तो दूसरी दिशा के लोगो को बाद में पता चलता था क्योंकि वहां धूप निकली होती थी । पिछले 10दिनो से पारा फिर चढ़ने लगा था । गर्मी व उमस से लोग हलाकान थे । किसानो के चेहरे पर चिन्ता की रेखाएं स्पष्ट दृष्टिगोचर हो रही थी । ईश्वर की कृपा से धान की बोनी तो हो चुकी हैं लेकिन रोपणी का कार्य रूका पड़ा हैं । किसान दिन भर आसमान की ओर टकटकी लगायें रहते थे । बादल बनते थे पर हवा के झोंको से बिखर जाते थे । मौसम विभाग की भविष्यवाणी पर भी लोग चर्चा करते थे , कुछ लोगो को मौसम वैज्ञानिको की भविष्यवाणी पर भरोसा नही रहता , वे कहते हैं कि जब जब मौसम वैज्ञानिक तेज वर्षा की भविष्यवाणी करते हैं तब तब सूखा पड़ता हैं । बहरहाल पिछले एक माह से खंड वर्षा हो रही थी । लोगो को सावन का इंतजार था । सावन लगने में अभी कुछ ही  घंटे शेष हैं, आज गुरूपूर्णिमा है । सभी लोग गुरूओं का आशीर्वाद लेने अथवा इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रमो की तैयारी में व्यस्त हैं मौसम ने कल रात से अचानक पलटा मारा ,उमड़ घुमड़ कर बादल आयें और तेज बारिश रात भर होती रही । अभी भी बारिश की संभावना बनी हुई है । सूरज देवता बादलो में ढके हुये हैं । गुरूपुर्णिमा के दिन सूरज देव को भी अपने गुरू के दर्शन की आस होगी , मैं नही जानता कि उनके गुरू कौन है लेकिन आसमान में मंडराते घने काले बादल उनके गुरूदर्शन में अवरोध पैदा कर रहे हैं । पर हम क्या करे ,हमें तो पानी चाहिए ,सो बरसात हो रही हैं । इस बरसात ने धरती की प्यास बुझा दी हैं । जंगलो ,बाग-बगीचो एंव क्यारियो की हरी-भरी पत्तियां खूब इठला रही हैं शायद वो भी सूरज देवता को चिढ़ाना चाहती हैं लेकिन बादल हैं कि छंटने का नाम ही नही ले रहें हैं । इन पंक्तियों के लिखे जाने तक तेज बारिश जारी है.रायपुर के अलावा प्रदेश के विभिन्न हिस्सो दुर्ग, राजनांदगांव, कवर्धा, महासमुंद, धमतरी, बस्तर, दतेंवाडा, बीजापुर, कांकेर, नारायणपुर, कोण्डागांव, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, कोरबा, रायगढ, जशपुर, कोरिया एवं अंबिकापुर में भी तेज बारिश का सिलसिला जारी है। रायपुर जिले के अभनपुर, फिगेश्वर, छुरा, गरियाबंद, मैनपुर, देवभोग, आरंग, धरसींवा, सिमगा, तिल्दा-नेवरा, भाटापारा, बलौदाबाजार, पलारी,कसडोल एवं बिलाईगढ में भी खूब बारिश के समाचार मिल रहें है। महानदी के अलावा पैरी, सोढुल, खारुन, शिवनाथ, अरपा एवं जोंक आदि नदियों का जल स्तर भी तेजी से बढ रहा है। देश के अन्य प्रातों में भी लगभग यही स्थिति है।

सावन खुशहाली और हरियाली का प्रतीक माना जाता हैं । सावन समृद्धि का प्रतीक हैं तभी तो कहा जाता हैं - “सावन के अंधे को सब हरा ही हरा नजर आता हैं”। बड़ा अनसुलझा सवाल है यह कि सावन के अंधे को सब हरा ही हरा क्यो सूझता हैं । भारत -पाक बटवारे के समय 14-15 अगस्त को सावन का ही महीना रहा होगा , इसलिए तो कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान को हरा ही हरा सूझता हैं । वरना 63वर्षो से झंझावात झेल रही कश्मीर की वादियां तो सूख रही है।

छत्तीसगढ में एक मुहावरा प्रचलित है-  “सावन साग न भादो दही. क्वार करेला कार्तिक मही. मरही नही तो पडही सही“  इस मुहावरे के माध्यम से खान पान को लेकर हिदायत दी गई है। इस का अर्थ है कि यदि खान पान में ध्यान नहीं दिया गया तो आदमी मरेगा नहीं तो बीमार जरुर पडेगा। सावन के महिने में खान पान को लेकर विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए।

फिल्मों में सावन के गीतो की भरमार हैं । लता मंगेशकर और मुकेश द्वारा  फिल्म "मिलन"का गाया गीत “सावन का महीना पवन करे शेार जियरा रे झूमें ऐसे , जैसे बन मा नाचे मोर” आज भी तरोताजा है। इसी प्रकार सावन से संबंधित फिल्म "चुपके चुपके", "जुर्माना", "निगाहें", "बहू बेगम", एवं "आया सावन झुम के"  के गीत आज भी हीट है तथा बरसात में लोगो के गुनगुनाने के लिए मजबूर करतें है

सावन भक्ति का महिना है महिने भर शिवजी की आराधना होती है।चारो तरफ ''बोल बम'' के नजारे देखने को मिलते है कांवडियो की टोली रंग बिरंगे कांवर लेकर शिवजी को जल चढाने के लिए लंबी लबीं दौड लगाते है। शिवजी भोले भंडारी है इसलिए तो उन्हे लोग केवल जल चढा कर अपनी मुराद पूरी करतें है। सावन में सोमवार का दिन अतिमहत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन जलाभिषेक करने लोग शिव मंदिरो में उमड पडते है। मंदिरो में ॐ  नमः शिवायः का मंत्र दिनभर गुंजायमान होता है।