छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माता, भारत रत्न अटलबिहारी वाजपेयी के 93वें जन्मदिन पर विशेष आलेख
लेखक - अशोक बजाज
जनता के ह्रदय की धड़कन को बखूबी समझने वाले राष्ट्रनायक, पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न अटलबिहारी वाजपेयी की संकल्प शक्ति का ही परिणाम है कि 17 वर्ष पूर्व 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य का उदय हुआ. उन्होंने 1998 में सप्रेशाला रायपुर के मैदान में जनता के नब्ज को टटोल कर वादा किया कि यदि आप लोकसभा की 11 में से 11 सीटो में भाजपा को जितायेंगे तो मैं तुम्हे छत्तीसगढ़ राज्य दूंगा. हालाँकि चुनाव में भाजपा को 11 में से 8 सीटें ही मिली लेकिन केंद्र में भाजपा की सरकार पुनः गई तथा अटल जी पुनः प्रधानमंत्री बन गए. प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप राज्य निर्माण के लिए पहले ही दिन से प्रक्रिया प्रारंभ कर दी. मध्यप्रदेश राज्य पुर्निर्माण विधेयक 2000 को 25 जुलाई 2000 को लोकसभा में पेश किया गया. इसी दिन दो अन्य राज्यों उत्तराखंड एवं झारखंड राज्य के विधेयक भी पेश हुए. 31 जुलाई 2000 को लोकसभा में और 9 अगस्त को राज्य सभा में छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के प्रस्ताव पर मुहर लगी. 25 अगस्त को राष्ट्रपति ने इसे मंदूरी दे दी. 4 सिंतबर 2000 को भारत सरकार के राजपत्र में प्रकाशन के बाद 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ देश के 26 वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया और अटलजी की एक अटल-प्रतिज्ञा पूरी हुई.
वास्तव में राज्य का गठन करना कोई हंसी खेल तो था नहीं. कई वर्षो से लोग आवाज उठा रहे थे. इसके लिए लोग अनेक तरह से आंदोलन भी करते रहे लेकिन राज्य का निर्माण नहीं हो पाया था. यह तो अटलजी की दृढ इच्छा शक्ति का ही परिणाम है कि बिना खूनखराबे के राज्य का निर्माण हो गया. छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के पहले हम मध्यप्रदेश में थे. मध्यप्रदेश का निर्माण सन 1956 में 1 नवम्बर को ही हुआ था. हम 1 नवम्बर 1956 से 31 अक्टूबर 2000 तक यानी 44 वर्षो तक मध्यप्रदेश के निवासी थे तब हमारी राजधानी भोपाल थी. इसके पूर्व वर्तमान छत्तीसगढ़ का हिस्सा सेन्ट्रल प्रोविंस एंड बेरार (सी.पी.एंड बेरार) में था तब हमारी राजधानी नागपुर हुआ करती थी. इस प्रकार हमें पहले सी.पी.एंड बेरार, तत्पश्चात मध्यप्रदेश और अब छत्तीसगढ़ के निवासी होने का गौरव प्राप्त हो रहा है. वर्तमान छत्तीसगढ़ में जिन लोगो का जन्म 1 नवम्बर 1956 को या इससे पूर्व हुआ है वे तीन राज्यों में रहने का सुख प्राप्त कर चुके है.
परंतु छत्तीसगढ़ राज्य में रहने का अपना अलग ही सुख है। अगर हम भौतिक विकास की बात करे तो छत्तीसगढ़ कें संदर्भ में यह कहा जा सकता है कि हमने इन 17 वर्षो में विकास की लंबी छलांग लगाई है. मै यह बात इसीलिए लिख रहा हू क्योंकि हम 1 नवम्बर 2000 के पहले देश की मुख्य धारा से काफी अलग थे. गरीबी, बेकारी, भूखमरी, अराजकता और पिछड़ापन हमें विरासत में मिला था. छत्तीसगढ़ आज गरीबी, बेकारी, भुखमरी, अराजकता और पिछड़ापन के खिलाफ संघर्ष करके आज ऐसे मुकाम पर खड़ा है जिसे देखकर अन्य विकासित राज्यों को ईर्ष्या हो सकती है. इस नवोदित राज्य को पलायन व पिछड़ापन से मुक्ति पाने में 17 वर्ष लग गये. सरकार की जनकल्याणकारी योजनांए से नगर, गांव व कस्बो की तकदीर व तस्वीर तेजी बदल रही है. छत्तीसगढ़ की मूल आत्मा गांव में बसी हुई है, सरकार के लिए गांवो का विकास एक बहुत बड़ी चुनौती थी लेकिन इस काल - खण्ड में विकास कार्यो के संपन्न हो जाने से गांव की नई तस्वीर उभरी है. किसानों को सिंचाई, बिजली, सड़क, पेयजल, शिक्षा व स्वास्थ जैसी मूलभूत सेवाएँ प्राथमिकता के आधार पर मुहैया कराई गई है. हमें याद है कि पहले गावों में ग्राम पंचायतें तो थी लेकिन पंचायत भवन नहीं थे, शालाएं थी लेकिन शाला भवन नही थे, सड़कें तो नही के बराबर थी, पेयजल की सुविधा भी नाजुक थी लेकिन आज गांव की तस्वीर बन चुकी है. विकास कार्यो के नाम पर पंचायत भवन, शाला भवन, आंगनबाड़ी भवन, मंगल भवन, सामुदायिक भवन, उपस्वास्थय केन्द्र, निर्मलाघाट, मुक्तिधाम जैसे अधोसरंचना के कार्य गांव-गांव में दृष्टिगोचर हो रहे है. अपवाद स्वरूप ही ऐसे गांव बचें होंगे जहां बारहमासी सडकों की सुविधा ना हो, सड़को के निर्माण से गांव व शहर की दूरी कम हुई है. अनेक गंभीर चुनौतियों के बावजूद ग्रामीण विकास के मामले में छत्तीसगढ़ ने उल्लेखनीय प्रगति की है. छत्तीसगढ़ को भूखमरी से मुक्त कराने के लिए डॉ रमन सिंह की सरकार ने बी.पी.एल. परिवारों को 1 रूपये/2 रूपये किलों में प्रतिमाह 35 किलो चावल देने का ऐतिहासिक निर्णय लिया जो देश भर में अनुकरणीय बन गया है इस योजना में थोड़ी तब्दीली कर अब एक/दो रुपये किलो में प्रति यूनिट 7 किलो चांवल तथा 2 किलो नमक मुफ्त में प्रदान किया जा रहा है. किसानो को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर फसल ऋण प्राप्त हो रहा है, इस वर्ष किसानों को बिना ब्याज के लगभग 3200 करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया गया है. सिचाई सुविधा बढ़ाई गई है. किसान समृद्धि योजना एवं सौर सुजला योजना के धरातल में आने से सिंचित कृषि रकबे में वृद्धि हो गई है. स्कूली बच्चों को मुफ्त में पाठ्य पुस्तक उपलब्ध कराई जा रही है. वनोपज संग्रहणकर्ता मजदूरों को चरण-पादुकांए प्रदान की जा रही है. इस वर्ष किसानों एवं वनोपज संग्राहकों को उनकी उपज के मूल्य के अतिरिक्त बोनस राशि प्रदान की गई है. केंद्र सरकार की अनेक महती योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना, प्र.मं. उज्जवला योजना, सौभाग्य योजना एवं राष्ट्रीय बागवानी मिशन के कार्यों से राज्य की जनता लाभान्वित हो रही है.
अगर यह संभव हो पाया तो केवल इसीलिए कि माननीय अटलबिहारी वाजपेयी ने एक झटके में छत्तीसगढ़ का निर्माण किया है, छत्तीसगढ़ की जनता उनका सदैव ऋणी रहेगी. छत्तीसगढ़ के समस्त नागरिकों की ओर से अटलजी को उनके 93 वी वर्षगांठ की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं. ईश्वर उन्हें स्वस्थ व दीर्घायु जीवन प्रदान करें.