ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है * * * * नशा हे ख़राब झन पीहू शराब * * * * जल है तो कल है * * * * स्वच्छता, समानता, सदभाव, स्वालंबन एवं समृद्धि की ओर बढ़ता समाज * * * * ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है

27 मई, 2016

कृषि, सहकारिता एवं बैंकिंग की ओर भारत के बढ़ते कदम

मोदी सरकार के दो वर्ष पूर्ण होने पर विशेष लेख - 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के कार्यकाल के 2 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं । हालांकि किसी भी सरकार के कामकाज के आंकलन के लिए 2 वर्ष का समय पर्याप्त नहीं है लेकिन इन दो वर्षो में सरकार की दिशा, नीयत तथा प्राथमिकताओं का आंकलन तो किया ही जा सकता है । मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल के प्रथम 2 वर्ष के कार्यकाल में यह तो सिद्ध कर ही दिया है कि भारत की जनता ने 2014 के आम चुनाव में जो निर्णय लिया था वह किसी भी दृष्टिकोण से गलत नहीं था । देश की जनता ने उस वक्त केवल सत्ता के हस्तांतरण के लिए ही नहीं बल्कि युग परिवर्तन के लिए जनादेश दिया था जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने कतृत्व व वकृत्व के बदौलत अल्प समय में ही सिद्ध कर दिया है । 

इन दो वर्षो में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ना केवल प्रधान सेवक बन कर काम किया बल्कि समूचे तंत्र को देश के सेवक बनकर काम करने की प्रेरणा दी । उन्होने स्वतंत्रता दिवस पर नवजवानों को प्रेरणा देते हुये कहा कि ‘‘देश की आजादी के लिए अनेकों ने अपने प्राणों को देश के लिए न्योछावर कर दिया लेकिन अब हमें देश के लिए मरने की नहीं बल्कि देश के लिए जीने की जरूरत है’’ उनका यह कथन नई पीढ़ी के लिए अत्यंत ही प्रेरणादायी हे । प्रधानमंत्री ने देशहित को स्वहित से उपर रखकर जीने की सलाह दी । देश के नवजवानों को ऐसी प्रेरणादायी शिक्षा केवल एक प्रखर राष्ट्रभक्त ही दे सकता है । 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानकर दुनिया के राजनीतिक क्षितिज पर भारत को ऐसे स्थान पर स्थापित कर दिया है जिसकी दो वर्ष पूर्व कल्पना भी नहीं की जा सकती थी । यह श्री मोदी के कतृत्व का ही कमाल है कि अमेरिका जैसा शक्तिशाली राष्ट्र जिसने अटलजी के शासनकाल में पोखरण में परमाणु परीक्षण का विरोध करते हुये आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया था, अब संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) में भारत की स्थाई सदस्यता के लिए स्वयं पैरवी कर रहा है । अमेरिका का यह प्रयास सशक्त भारत का परिचायक है । इन दो वर्षो में वैश्विक दृष्टि से एक चमत्कार यह भी हुआ कि जो देश भारत की प्रगति से सदैव ईर्ष्या करते थे तथा प्रगति में बाधक बनने का प्रयास करते थे वो अब भारत से दोस्ती के लिए हाथ बढ़ा रहे हैं। भारत की इस सफलता के लिए यदि किसी एक व्यक्ति को श्रेय जाता हे तो वो नरेन्द्र मोदी ही हैं जिन्होने अपने परिश्रम व बुद्धिमता से अल्प समय में ही विश्व समुदाय को सम्मोहित कर दिया है । वे पूरी दुनिया में शांति के मसीहा के रूप में उभरे हैं । यहां पर यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि यदि तीसरे विश्व युद्ध की संभावनाओं को खत्म करने की क्षमता किसी में है तो वह व्यक्ति नरेन्द्र मोदी ही है । 

जहां तक भारत को विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित करने का सवाल है प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि कृषि व कृषकों के कल्याण के बिना भारत पूरी तरह विकसित राष्ट्र नहीं बन सकता । इसीलिए उन्होने कृषि, सहकारिता एवं बैंकिंग सुविधाओं के विकास के लिए तमाम योजनाएॅं बनाई । मोदी सरकार ने कृषि के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने के लिए ‘‘पर ड्राप, मोर क्राप’’ (Per drop more crop) का नारा दिया । उन्होने कम से कम पानी में अधिक से अधिक पैदावार की तकनीक ढूंढने की सलाह कृषि वैज्ञानिकों को देते हुए लैब से लैंड तक जाने की नसीहत दी । इसी का परिणाम है कि किसान अब मिट्टी परीक्षण को प्राथमिकता देने लगे हैं । शासन ने प्रत्येक किसान के लिए भू-स्वास्थ बनाने की योजना बनाई है । प्राप्त आंकड़ों के अनुसार अब तक 28 लाख किसानों के भू-स्वास्थ कार्ड बन चुके हैं । यह कृषि के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम है क्योंकि इसके अभाव में किसान बड़ी बेदर्दी से रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट हो रही है । बेतहाशा रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के इस्तेमाल से अनाज की गुणवत्ता पर विपरीत असर पड़ रहा है । इसके उपयोग से मनुष्य के स्वास्थ में गिरावट आ रही है । यही कारण है कि शासन ने जैविक खेती को प्राथमिकता देने की योजना बनाई है । किसानों को जैविक खेती के लिए प्रशिक्षण व प्रोत्साहन दिया जा रहा है जिसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहा है। 

कृषि के क्षेत्र में मानसून पर निर्भरता तथा प्राकृतिक आपदा एक कलंक है, इसे मिटाने मोदी सरकार युद्ध स्तर पर प्रयास कर रही है । केन्द्र शासन ने मानसून पर निर्भरता को कम करने के लिए प्रधानमंत्री सिंचाई योजना लागू की है ताकि सिंचित रकबा बढ़ाया जा सके इसके अलावा वर्षा के जल को रोकने के लिए शासन गंभीर है परंतु इसके लिए जनभागीदारी अतिआवश्यक है । प्राकृतिक आपदा को कोई सरकार रोक तो नहीं सकती लेकिन उससे होने वाली आर्थिक क्षति की भरपाई के लिए मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू की है । यह योजना काफी व्यापक एवं असरकारी है । किसान अब कम प्रिमीयम देकर अपनी फसल का बीमा कर सकते हैं ताकि प्रतिकूल परिस्थितियों में उन्हें क्षतिपूर्ति प्राप्त हो सके। 

मोदी सरकार ने सहकारिता एवं बैंकिंग के क्षेत्र में जो काम किया है वह दुनिया में एक मिशाल है । शासन ने जन धन योजना प्रारंभ कर हर व्यक्ति को बैंक से जोड़ने की प्रक्रिया प्रारंभ की । नतीजा ये हुआ कि दो वर्षो में लगभग 22 करोड़ बैंक खाते खुल गये । येजना तो जीरो बैंलेंस पर आधारित है लेकिन लोंगों ने 37800 करोड़ रूपये अपने खाते में जमा कर दिये । आजादी के बाद 60 वर्षो में जितने खाते नहीं खुले उतने खाते इन दो वर्षो में खोलने का रिकार्ड बना । बैंकिंग के क्षेत्र की अन्य योजनाओं पर नजर डाले तो पायेंगें की शासन ने इस क्षेत्र को प्राथमिकता देकर अद्भूत चमत्कार किया है । प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना एवं प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना में क्रमशः 943 करोड़ व 2.96 करोड़ लोगों ने बीमा कराया है । प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना में मात्र 12 रूपये वार्षिक प्रीमियम में 2 लाख रूपये का तथा प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना में मात्र 330 रू. वार्षिक प्रीमियम में 2 लाख रू. का बीमा होने लगा है । इसी प्रकार प्रधानमंत्री अटल पेंशन योजना भी काफी लोकप्रिय हो चुकी है । मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना लागू कर लघु व कुटीर उद्योंगों, फुटकर व्यवसायियों के आंखों की चमक बढ़ा दी है । बिना गारंटी के 5 हजार से 10 लाख रू. तक न्यूनतम ब्याज दर पर ऋण देने की यह योजना छोटे-छोटे रोजगार घंघा करने वालों के लिए बरदान सिद्ध हो रही है । नई पीढ़ी को स्वावलंबी व आत्मनिर्भर बनाने की इस महत्वाकांक्षी योजना के परिणाम सुखद होंगें । 

कहने का तात्पर्य यह है कि मोदी सरकार की दिशा, नीयत व प्राथमिकताओं से भारत की तकदीर व तस्वीर निश्चित रूप से बदलेगी तथा भारत विश्व के राजनीतिक पटल पर सशक्त व समृद्ध राष्ट्र के रूप में उभरेगा । 
- अशोक बजाज

सूरज की तपन में राहत की बौछार

डा. रमन सिंह की चौपाल : लोक सुराज अभियान 
से समय में जब सूरज की तपन पूरे शबाब पर हो तथा पारा 45 डिग्री को पार कर रहा हो । लोंगों का सुबह 10 बजे के बाद घर से निकलना दुश्वार हो । ऐसे समय में मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने लोक सुराज अभियान चलाकर शासन प्रशासन को कूलर की ठंडी हवाओं से निकालकर लू की थपेड़ों का एहसास कराया तथा आम जनता पर राहत की बौछार कराई। शासन-प्रशासन ने महीने भर जनता के बीच जाकर उनकी समस्यायें सुनी तथा यथासंभव निराकरण का प्रयास किया । स्वयं मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने भीषण गर्मी की परवाह किये बिना महीने भर गावों में चौपाल लगाकर जलसंकट से जूझ रहे लोंगों, मनरेगा के मजदूरों की व्यथाओं तथा गरीब आदिवासियों की पीड़ा को जाना, समझा और परखा । राजधानी के बाहर उन्होनें रात भी गुजारी तथा सरकारी अमले को सक्रिय रहने का निर्देश दिया । लोक सुराज अभियान में मुख्यमंत्री ने सरगुजा से बस्तर तक सुदूर अंचल के गांवों में अचानक पहुंच कर बच्चों से लेकर बूढ़ों तक चर्चा की । इस अभियान में उन्होने स्कूली बच्चों पर काफी प्रेम उढ़ेला तथा उन्हें उच्च शिक्षा की प्रेरणा दी । उनका यह कृत्य एक जिम्मेदार अभिभावक का परिचायक है । मुख्यमंत्री के नाते वे प्रदेश के अभिभावक है इसीलिए वे बच्चों की शिक्षा व स्वास्थ्य की चिन्ता करते हैं । प्रदेश को कुपोषण मुक्त करने, शाला प्रवेश उत्सव के माध्यम से उन्हें शिक्षा केन्द्रों तक भेजने, शाला त्यागी बच्चों को पुनः शाला में प्रवेश करने तथा शिक्षा के सारे संसाधन उपलब्ध कराने की नीति ने उन्हें सच्चे अभिभावक की श्रेणी प्रदान की है । 
लोक सुराज अभियान छत्तीसगढ़ में विकास के साथ-साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता व पर्यावरण संरक्षण के संदेश के साथ सम्पन्न हुआ । माननीय मुख्यमंत्री ने जलसंकट से उत्पन्न स्थिति में लोंगों को आगाह किया तथा बूंद बूंद पानी की रक्षा का संदेश दिया । भीषण गर्मी में उन्होने राहत की ठंडी हवायें भी प्रदान की । मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने सूखा प्रभावित किसानों को ना केवल राहत राशि प्रदान की बल्कि उन्हें निःशुल्क धान बीज भी प्रदान किया तथा 10 लाख से अधिक किसानों को फसल बीमा की 600 करोड़ की क्षतिपूर्ति राशि प्रदान की। उन्होने इस अभियान में सहकारी संस्थाओं व समितियों को कुशलतापूर्वक धान खरीदी के लिए प्रोत्साहित किया तथा कर्मचारियों को भी प्रोत्साहन राशि वितरित की । कुल मिलाकर मुख्यमंत्री ने सूरज की तपन के बीच राहत की बौछार से प्रदेश को तर कर दिया ।

- अशोक बजाज

21 अप्रैल, 2016

धरातल से रसातल में जाता भू-जल श्रोत

ज समूचा विश्व भीषण जल संकट के दौर से गुजर रहा है. किसी को जल में डूबने का संकट है तो किसी को सूखने का संकट है. विज्ञान के असंयमित उपयोग, दिशाहीन जीवन शैली तथा गलत प्राथमिकताओं के चलते प्रकृति का संतुलन बिगड़ चुका है . जो ना केवल मनुष्य अपितु समस्त जीवों के लिए कष्टकारी हो गया है. वैश्विक तापमान बढ़ने से ग्लेशियर पिघल रहें है जिससे समुद्र की जल सतह बढ़ रही है, परिणाम स्वरुप समुद्र के तटीय इलाके डूब रहें है अथवा डूबने की कगार पर है. अभी तक ना जाने कितनी बस्तियों, शहरों और द्वीपों को समुद्र ने निगल लिया है. दूसरी ओर पेयजल एवं निस्तारी जल की कमी से अधिकांश इलाकों में त्राहि-त्राहि मची हुई है. एक एक बूँद पानी के लिए द्वंद चल रहा है. धीरे धीरे जल संकट विकराल रूप धारण करते जा रहा है. धरती की सतह पर मौजूद ताल-तलैय्या , नदी-नाले एवं अन्य जल श्रोत सूखते ही जा रहें है. धरती की कोख भी जल विहीन होकर सूखती जा रही है क्योंकि पानी के लिए हमने पृथ्वी को गोद-गोद कर छलनी कर दिया है. परिणामस्वरुप भू-जल श्रोत धरातल से रसातल की तरफ अग्रसर हो गया है.

ब्रम्हांड में उपलब्ध कुल पानी का 97 प्रतिशत हिस्सा समुद्र में है जो कि खारा होने के कारण अनुपयोगी है, 2 प्रतिशत ग्लेशियर के रूप में पृथ्वी में आच्छादित है जबकि मात्र 1 प्रतिशत जल नदियों, तालाबों, बांधों एवं झीलों के अलावा भूगर्भ में है. यानी समुद्रीय जल के अलावा अन्य जल श्रोतों में संग्रहित जल और भूजल की मात्रा केवल एक प्रतिशत ही है. एक अनुमान के अनुसार वर्तमान में प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता 1820 क्यूबिक मीटर है जो 2050 में घटकर 1140 क्यूबिक मीटर हो जायेगी. यानी वर्तमान में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन पानी की उपलब्धता मात्र 50 लीटर है जबकि औसत व्यक्ति प्रतिदिन चाहे निस्तारी के रूप में हो चाहे उर्जा के रूप में इससे कई गुणा पानी का इस्तेमाल करता है. भारत जैसे विकासशील देशों में रहने वाले लोग अपने लिए उपलब्ध पानी का उपयोग केवल नहाने में ही खर्च कर डालते हैं, शाॅवर से नहाने वाले लोग एक बार नहाने में लगभग 200 लीटर पानी का उपयोग करते हैं. जबकि उनके लिए प्रतिदिन मात्र 50 लीटर पानी उपलब्ध है इसमें खाद्यान्न एवं बिजली के उत्पादन से लेकर निस्तारी एवं पेयजल के लिए उपयोग किये जाने वाले जल भी शामिल है. यानी हर व्यक्ति उपलब्धता से कहीं अधिक बल्कि कई गुणा ज्यादा जल का इस्तेमाल कर रहा है. सन 2050 के आते-आते प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता घटकर मात्र 31 लीटर रह जायेगी. 

तापमान बढ़ने से ग्लेशियर के पिघलने की मात्रा बढ़ गई है,  गंगोत्री का ग्लेशियर पिघलकर प्रतिवर्ष 20 मीटर पीछे खिसक रहा है. फलस्वरूप समुद्रीजल की सतह उपर होती जा रही है जो तटीय इलाके के जनजीवन के लिए संकट का कारण बनी हुई है. अनेक बड़े शहरों के समक्ष जल प्लावन का खतरा मंडरा रहा है. मालद्वीप की तरह अनेक देश अपना अस्तित्व बचाने के लिए संधर्ष कर रहे हैं तथा दुनियाभर से गुहार लगा रहे हैं . यदि यही आलम रहा तो समूचा मालद्वीप भविष्य में समुद्र में समा जायेगा. भारत बांग्लादेश सीमा पर स्थित ‘न्यू-मूर’ द्वीप जो 9 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला था, पूरी तरह समुद्र में समा चुका है. वर्ष 1954 के आंकड़ों के अनुसार न्यू-मूर द्वीप की समुद्र तल से उंचाई 2-3 मीटर थी लेकिन इसे नहीं बचाया जा सका. दुनियाभर में ऐसे अनेक द्वीप, शहर, गाँव एवं बस्तियां है जो समुद्र में समा कर केवल इतिहास के पन्नों में सिमट जायेंगें.

मनुष्य ने अपने तनिक स्वार्थ के लिए समूचे चराचर को खतरे में डाल दिया है.  पिछले कुछ वर्षो में पृथ्वी में मौजूद विभिन्न संसाधनों का अनियमित एवं बेतहाशा दोहन होने से जलवायु परिवर्तन की गति तेज हो गई है. जो आज समस्त प्राणियों के लिए कष्ट का कारण बन गई है. बूँद बूँद पानी के लिए आदमी मारा मारा फिर रहा है. चहुँओर पानी के लिए त्राहि त्राहि मची हुई है अधिकांश स्थानों में खून खराबे की नौबत आ चुकी है. पानी की समस्या हमें तृतीय विश्व युद्ध की ओर धकेल ढकेल रही है.  अतः समय रहते हमें जागना होगा. जल व उर्जा की बचत हमें इस परेशानी से काफी हद तक मुक्ति दे सकती है. परम्परागत उर्जा के बजाय पवन उर्जा एवं सौर उर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा देकर तथा अपनी जीवन शैली में परिवर्तन लाकर हम इस कष्ट को ख़तम तो नहीं पर कम जरुर कर सकते है. इस समस्या का कारक और निवारक मनुष्य ही है . अतः मनुष्य को चाहिए कि वह प्रकृति से खिलवाड़ करना बंद कर अपनी कार्यशैली को प्रकृति के अनुरूप बनाये तभी पृथ्वी को बचाया जा सकेगा. 
     - अशोक बजाज 
अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक 
पूर्व अध्यक्ष जिला पंचायत रायपुर  

15 अप्रैल, 2016

रामनवमी



बिप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार ।
निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन गो पार ।।

नौमी तिथि मधुमास पुनीता । सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता।
मध्य दिवस अति सीत न धामा ।   पावन काल लोक विश्रामा ।।

ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियां |

किलकि किलकि उठत धाय, गिरत भूमि लटपटाय |
धाय मात गोद लेत, दशरथ की रनियां ||

अंचल रज अंग झारि, विविध भांति सो दुलारि |
तन मन धन वारि वारि, कहत मृदु बचनियां ||

विद्रुम से अरुण अधर, बोलत मुख मधुर मधुर |
सुभग नासिका में चारु, लटकत लटकनियां ||

तुलसीदास अति आनंद, देख के मुखारविंद |
रघुवर छबि के समान, रघुवर छबि बनियां ||



श्री रामनवमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ !
- अशोक बजाज