15 अगस्त, 2014
29 जुलाई, 2014
सहस्त्र जलाभिषेक
त्रिवेणी संगम राजिम स्थित भगवान कुलेश्वर महादेव |
सावन के तीसरे सोमवार को छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहा जाने वाला नवापारा राजिम श्रद्धालुओं से गुलज़ार था. महानदी, पैरी व सोढुल नदी के त्रिवेणी संगम स्थित कुलेश्वर महादेव के मंदिर में कावड़ियों एवं अन्य श्रद्धालुओं की काफी भीड़ लगी थी. सामान्य स्थिति में कुलेश्वर मंदिर तक जाने के लिए राजिम की ओर से राजीव लोचन मंदिर के पास से व नवापारा की ओर से नेहरू घाट से तथा बेलाही घाट की ओर से लोमस ऋषि के आश्रम के पास से रास्ता है लेकिन विगत 15 दिनों से हो रही लगातार बारिस के कारण इन दिनों नदी में काफी पानी चल रहा है, अतः राजिम व नवापारा की ओर से कुलेश्वर मंदिर तक पहुंचना संभव नहीं था. श्रद्धालु लोमस ऋषि आश्रम की ओर से कुलेश्वर महादेव तक जलाभिषेक के लिए कमर तक चल रहे पानी से गुजर रहे थे. हमने भी अन्य लोगों के साथ हिम्मत जुटाई तथा कमर तक पानी से 1 फर्लांग का रास्ता तय कर मंदिर पहुंचे और भगवान कुलेश्वर महादेव में जलाभिषेक किया. ऐसा पहले कई बार हो चुका है जब हमें सावन के महीने में काफी पानी से चलकर कुलेश्वर महादेव तक पहुँचना पड़ा है. एक बार छाती तक चल रहे पानी के बावजूद वहां पहुँच गए लेकिन दर्शन करते तक नदी में पानी इतना बढ़ गया कि वापस आने के लिए रायपुर से मोटर-बोट बुलाना पड़ा था. बहरहाल हमेशा की तरह इस बार की यह धार्मिक यात्रा काफी सफल व सार्थक रही. नदी से बाहर आने के बाद बोलबम समिति की ओर से चल रहे भंडारे में भोजन प्रसादि प्राप्त कर नवापारा शहर पहुंचे जहाँ चारों ओर आज धर्ममय वातावरण दृष्टिगोचर हो रहा था, राधाकृष्ण मंदिर स्थित शिवालय में भक्तों की भीड़ उमड़ी थी. महानदी से मंदिर तक लगभग एक किलोमीटर लंबी मानव श्रंखला बनी थी. शिवालय में सहस्त्र जलाभिषेक का आयोजन था. यहाँ भी हमने नदी से जल लेकर शिवजी में जलाभिषेक किया. यहाँ पर आम श्रद्धालुओं के अलावा स्कूली बच्चों की अच्छी खासी भीड़ थी. शहर के गंज रोड में बोलबम सेवा समिति का आयोजन था यहाँ पर दूर दूर से पहुंचे कावड़ियों के लिए जलपान की व्यवस्था थी.
त्रिवेणी संगम स्थित कुलेश्वर महादेव का मंदिर |
बोलबम |
भगवान के भेष में भक्त |
राधाकृष्ण मंदिर स्थित शिवालय में सहस्त्र जलाभिषेक |
07 जुलाई, 2014
बड़ी खूबसूरत थी वो ज़िन्दगानी
बारिस के दिनों में बचपन की याद दिलाने वाला यह मधुर गीत गाया है ग़ज़ल सम्राट श्री जगजीत सिंह और उनकी धर्मपत्नी ग़ज़ल गायिका श्रीमती चित्रा सिंह ने . . . .
ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो,
मोहल्ले की सबसे निशानी पुरानी,
वो बुढ़िया जिसे बच्चे कहते थे नानी,
वो नानी की बातों में परियों का डेरा,
वो चेहरे की झुर्रियों में सदियों का फेरा,
भुलाए नहीं भूल सकता है कोई,
वो छोटी-सी रातें वो लम्बी कहानी।
कड़ी धूप में अपने घर से निकलना
वो चिड़िया, वो बुलबुल, वो तितली पकड़ना,
वो गुड़िया की शादी पे लड़ना-झगड़ना,
वो झूलों से गिरना, वो गिर के सँभलना,
वो पीपल के पल्लों के प्यारे-से तोहफ़े,
वो टूटी हुई चूड़ियों की निशानी।
कभी रेत के ऊँचे टीलों पे जाना
घरौंदे बनाना,बना के मिटाना,
वो मासूम चाहत की तस्वीर अपनी,
वो ख़्वाबों खिलौनों की जागीर अपनी,
न दुनिया का ग़म था, न रिश्तों का बंधन,
बड़ी खूबसूरत थी वो ज़िन्दगानी।
01 जुलाई, 2014
छत्तीसगढ़ी लोक संगीत हमारी अमूल्य धरोहर
विश्व संगीत दिवस पर 21 जून को रेडियो रंगीला के तत्वावधान में रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन हुआ. उस दिन मै नई दिल्ली में था. शाम 7 बजे नई दिल्ली से रायपुर पहुंचा और सीधे कार्यक्रम स्थल गया. जहाँ मेरे अनेक मित्र बाहर खड़े मेरा बाट जोह रहे थे. अन्दर का नजारा बहुत ही खुशनुमा था. मंच में वाद्य यन्त्र सजे हुए थे , मंच के ठीक नीचे दर्जनों बच्चे किसी प्रतियोगिता में भाग ले रहे थे. मंच के दायी ओर सैकड़ो की संख्या में अति प्राचीन वाद्य यंत्रों की प्रदर्शनी लगाई गई थी. भिलाई के बेचारे रिखी क्षत्रीय ने वर्षों से इन वाद्य यंत्रों संजो कर रखा है. यह प्रदर्शनी वर्ड म्यूजिक डे को सार्थकता प्रदान कर रही थी. मंच के बायी ओर अति पुराने रेडियो सेटों को सजाया गया था. ये रेडियो सेट उन दिनों की याद ताजा कर रहे थे जब रेडियो दुनिया में मनोरंजन का एक मात्र साधन हुआ करता था. रायपुर के मनोहर डेंगवाणी ने अपने घर में सैंकड़ो की संख्या में रेडियो सेट संजों कर रखा है. प्रदर्शनी के लिए उन्हें ऐसे मौके की तलाश रहती है.
कार्यक्रम में आज छत्तीसगढ़ी लोक संगीत का खूब आनंद लेने का अवसर मिला क्योकि यह हमारी अमूल्य धरोहर है अतः इसकी मौलिकता को कायम रखना हम सब की जिम्मेदारी है हमें छत्तीसगढ़ी लोक संगीत को पाश्चात्य संस्कृति के आक्रमण से बचाना होगा. कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ रेडियो उदघोषक श्रीमती शुभ्रा ठाकुर ने किया. कार्यक्रम में मुख्य रूप से परसराम साहू, विनोद वंडलकर, रतन जैन, रमेश यादव एवं मोहन देवांगन के अलावा काफी संख्या में लोग उपस्थित थे.
पुराने रेडियो सेट्स की प्रदर्शनी का अवलोकन |
श्री रिखी क्षत्रीय एवं श्री मनोहर डेंगवानी को सम्मानित करते हुए. |
बांस की धुन सुनते हुए. |
अति प्राचीन वाद्य यंत्रों की प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए. |
कलाकारों एवं प्रतिभागियों के साथ |
और यह भी |
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