ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है * * * * नशा हे ख़राब झन पीहू शराब * * * * जल है तो कल है * * * * स्वच्छता, समानता, सदभाव, स्वालंबन एवं समृद्धि की ओर बढ़ता समाज * * * * ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है

23 दिसंबर, 2010

छत्तीसगढ़ भवन में ब्लोगर मिलन

19 दिसंबर को मै दिल्ली में था . भाई ललित शर्मा ने जानकारी दी कि दिल्ली के ब्लोगर आपसे मिलेंगे सो मैंने छत्तीसगढ़ भवन में मिलने का स्थान तय कर दिया . भिलाई के भाई पाबला जी दिल्ली में पहले से ही डेरा जमाये बैठे थे इसलिए उन्होंने अनेक ब्लोगर मित्रों को फोन से समय और जगह की जानकारी दे दी . ठीक शाम 6 बजे पाबला जी ने पहुचने की सूचना दी . मै तत्काल 11,अशोक रोड से निकला और 15 मिनट के अन्दर छत्तीसगढ़ भवन पहुँच गया . रास्ते में भाई रेवाराम यादव का फोन आया तो मैंने उन्हें पाबला जी हुलिया बता कर कुछ देर उनसे बतियाने का आग्रह किया .यादव जी से मेरी 38 साल बाद भेंट हुई थी , मेट्रिक में वे मेरे क्लास मेट थे . उसके बाद वे बिछड़ गए ,आज जब 38 साल बाद मिलें तो एक आफिसर के रूप में . जी हाँ आजकल वे सेन्ट्रल पी. डब्लू. डी. में सहायक यंत्री है . वैसे पिछले कुछ महीनों से उनसे फोन से चर्चा हो रही थी . आज प्रत्यक्ष मुलाकात हुई तो पहचानने में झन भर भी नहीं लगा  .  उनसे मिलकर काफी ख़ुशी हुई . मै जब छत्तीसगढ़ पहुंचा तो अनेक ब्लोगर मित्र पहुँच चुके थे . कुछ अन्य मित्र थोड़ी दे में आ गए . ये सभी मेरे लिए नए थे , लेकिन जब बातों   का सिलसिला शुरू हुआ ,तो तीन घंटे कैसे बीत गए पता ही नहीं चला. किसी भी एंगल से  ऐसा नहीं लग रहा था कि हम अंजान है . इस बैठक में बहुत ही सार्थक चर्चा हुई . समयाभाव के कारण मै विस्तार से लिख नहीं पा रहा हूँ . दिल्ली से लौट कर मैं पद-भार ग्रहण की तैयारी में व्यस्त हो गया . अभी-अभी कार्यक्रम से लौट कर इतना ही लिख पा रहा हूँ . विस्तृत जानकारी के लिए मैं कुछ लिंक दे रहा हूँ . दिल्ली के ब्लोगरों से मिलकर मुझे बेहद ख़ुशी हुई तथा मेरा ज्ञानवर्धन भी हुआ . ईश्वर ने चाहा तो आगे भी मिलते रहेंगे .   

मीटिंग में मौजूद रहे ब्लॉगरगण-

अशोक बजाज         -         ग्राम चौपाल 
बीएस पाबला           -         जिंदगी के मेले
सुरेश यादव              -         सार्थक सृजन
जयराम विप्लव       -         जनोक्ति
शाहनवाज़ सिद्दीकी   -        प्रेमरस
राजीव कुमार तनेजा  -       हंसते रहो
संजू तनेजा               -      आइना कुछ कहता है 
कनिष्क कश्यप        -       विचार मीमांसा, ब्लॉग प्रहरी
रेवा राम यादव          -       भावी ब्लॉगर
कुमार राधारमण      -       स्वास्थ्य सबके लिए




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21 दिसंबर, 2010

धार्मिक नेता के फतवे से महिला की मौत


 धार्मिक नेताओं को सजा देने या सुनाने का अधिकार कितना खतरनाक हो सकता है इसका ताजा उदहारण बंगला देश की इस घटना से मिल सकता है . बांग्लादेश के  मुस्लिम धार्मिक नेता  ने एक महिला को बेंत मारने की सजा दी जिसमें उसकी मौत हो गई. महिला पर शादी के बाहर संबंध बनाने का आरोप था. पुलिस के मुताबिक 50 साल की सूफिया बेगम पर अपने सौतेले बेटे के साथ संबंध बनाने का आरोप लगा. राजशाही जिले के एक गांव में धार्मिक नेता ने इस मामले की सुनवाई की और महिला को बेंत मारने की सजा सुनाई. इलाके के पुलिस प्रमुख अजीजुल हक सरकर ने बताया, "गांव के बुजुर्गों ने 10 बेंतों को एक साथ बांध दिया और महिला की टांगों पर मारा." स्थानीय मीडिया के मुताबिक 12 नवंबर को हुई इस घटना में सूफिया बेगम को 40 बेंत मारे गए. गांव के उन बुजुर्ग लोगों को भी गिरफ्तार कर लिया गया है जो घटना में शामिल रहे. सरकर ने बताया कि पिटाई के बाद सूफिया बेगम की तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ गई तो उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां पिछले हफ्ते उनकी मौत हो गई. इस मामले में उनके भाई ने शिकायत दर्ज कराई है जिसके आधार पर जांच की जा रही है. मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि बांग्लादेश के मुस्लिम बहुल ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को सार्वजनिक तौर पर बेंत से मारने की सजा मिलना आम बात है. हालांकि देश के एक हाई कोर्ट ने धार्मिक सजाओं पर रोक लगा रखी है. कुछ मामलों में तो बलात्कार की शिकार हुईं महिलाओं को भी यह कहकर सजा दी गई कि वे शारीरिक संबंध का हिस्सा बनीं. जुलाई में बांग्लादेश के हाई कोर्ट ने फतवे या धार्मिक आदेशों के जरिए सजा देने पर रोक लगा दी थी. बांग्लादेश की करीब 15 करोड़ आबादी में से 90 फीसदी मुस्लिम हैं और ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में रहते हैं.

 

18 दिसंबर, 2010

बाबा गुरू घासीदास की जयन्ती पर हार्दिक बधाई !

सतनाम पंथ के प्रवर्तक बाबा गुरू घासीदास की आज  जयन्ती है , पूरे छत्तीसगढ़ में उनके अनुयायी बड़े   धूमधाम से  यह पर्व मानते है वे मानवता के पुजारी थे . उनकी मान्यता थी - " मनखे मनखे एक हे ,मनखे के धर्म एक हे " .  उन्होंने जीवन मूल्यों पर अधिक ध्यान दिया तथा लोंगो को शराब व मांस के सेवन से मुक्ति दिलाई. बाबा गुरू घासीदास ने समाज को सत्य, अहिंसा, समानता, न्याय और भाईचारे के मार्ग पर चलने की सीख दी . उनके विचारों से प्रेरणा लेकर हमने 18 दिसंबर 2007 को उनकी जयन्ती के अवसर पर " नशा हे ख़राब : जहाँ पीहू शराब "का नारा देते हुए  नशामुक्ति आन्दोलन की शुरुवात की थी . इस आन्दोलन से सम्बंधित एक पोस्ट हमने 24/06/2010 को लगाई थी,  इस ब्लॉग में नशापान एवं धुम्रपान से सम्बंधित कुछ  और भी आलेख है .
       बाबा गुरू घासीदास की  जयन्ती के अवसर  पर सतनामी  संप्रदाय के सभी बहनों और भाइयों को हार्दिक बधाई !


17 दिसंबर, 2010

पाक : पत्रकारों के लिए बेहद ख़तरनाक



पत्रकारों के अधिकारों केलिए काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था सीपीजे यानी ‘कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स’ ने कहा है कि आत्मघाती हमलों में बढ़ौतरी के कारण पाकिस्तान पत्रकारों के लिए दुनिया का सब से ख़तरनाक देश बन गया है.सीपीजे ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में बताया है कि इसी साल दुनिया में 42 पत्रकारों की मौत हुई जिन में से सब से ज़्यादा पाकिस्तान में मारे गए और इस क्रम में इराक़ दूसरे स्थान पर है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकतर पत्रकारों की हत्या की गई लेकिन पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, सोमालिया और थाईलेंड में अधिकतर पत्रकार रिपोर्टिंग के दौरान आत्मघाती हमलों और गोलीबारी में मारे गए. सीपीजे के अनुसार वर्ष 2010 में अब तक पाकिस्तान में आठ पत्रकारों की काम करते हुए मौत हो गई है जो दुनिया में पत्रकारों की मौत का बड़ा हिस्सा है.संस्था ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान में मरने वाले आठ पत्रकारों में से छह पत्रकार आत्मघाती हमलों और गोलीबारी में मारे गए. इन घटनाओं में 24 से अधिक पत्रकार घायल भी हुए.

सीपीजे के प्रमुख जोएल साईमन ने बताया कि पाकिस्तान में पत्रकारों की मौतों में बढ़ोतरी देश में जारी चरमपंथ के कारण है जिस ने पाकिस्तान को जकड़ा हुआ है और ज़्यादातर चरमपंथी घटनाएँ अफ़ग़ानिस्तान से पाकिस्तान में फैल रही हैं. “पाकिस्तान में कई सालों से आतंकवादी पत्रकारों की हत्या और सरकार उन का अपहरण कर रही है लेकिन आत्मघाती हमलों में बढ़ोतरी ने पत्रकारों को काम के समय ख़तरे में डाल दिया है. पत्रकारों अपनी जान हथेली पर रख कर राजनीतिक रैलियों, विरोध प्रदर्शन या किसी बड़ी सभा की कवरेज करनी पड़ती है.”पत्रकारों की मौत के हवाले से इराक़ दूसरे नंबर पर है जहाँ इस साल चार पत्रकारों की मौत हो गई. इराक़ में 2004 से 2007 तक हर साल करीब 20 पत्रकार मारे गए थे.

दूसरी ओर पत्रकारों के अधिकारों के लिए काम करने वाली एक अन्य संस्था इंटरनेशनल फ़ेडरेशन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स ने बलूचिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार मोहम्मद ख़ान सासोली की हत्या की जाँच की मांग की है.संस्था की पदाधिकारी जैकलीन पार्क ने कहा कि पाकिस्तान पत्रकारों के लिए ख़तरनाक स्थान बन गया है जहाँ पत्रकारों की हत्या की घटनाएँ कई देशों से ज़्यादा हैं.