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22 सितंबर, 2010

दुनिया का सबसे बड़ा फोटो मेला

जर्मनी के कोलोन शहर में दुनिया का सबसे बड़ा फोटो मेला 'फोटोकीना' आज से शुरू हो गया है. यह मेला छह दिन तक चलेगा. पिछले साल जर्मनी में करीब 85 लाख कैमरे बिके थे.


छह दिन तक चलने वाले फोटोकीना मेले में 45 देशों के 1,250 विक्रेता अलग अलग तरह के कैमरों का प्रदर्शन करेंगे. मेले के आयोजक उम्मीद जता रहे हैं कि इस सप्ताह करीब डेढ़ लाख लोग यह प्रदर्शनी देखने आएंगे.

सोनी, पैनासॉनिक और फूजी जैसी बड़ी कंपनियां इस मेले में हिस्सा ले रही हैं. कॉम्पैक्ट कैमरा और 3-डी स्क्रीन आकर्षण के केंद्र में हैं.आम जनता के लिए यह मेला रोज़ सुबह दस से शाम छह बजे तक खुलेगा और उसके लिए लोगों को एक दिन के 43 यूरो खर्चने होंगे. हालांकि बच्चों, छात्रों और वृद्ध लोगों को छूट दी जाएगी.


हर किसी की पहुंच में है कैमरा

डिजिटल फोटोग्राफी के आने के बाद से कैमरों की लोकप्रियता में बहुत इजाफा हुआ. मोबाइल फोन में कैमरे होने के कारण अब हर कोई अपना फोटोग्राफी का शौक पूरा कर लेता है. जर्मनी की फोटो इंडस्ट्री संगठन के कोंस्टांस क्लाउस का कहना है, "जहां तक खरीदारी की बात है तो कैमरा पांचवे स्थान पर है. सब से पहले है फ्रिज, फिर टीवी, फोन, मोबाइल और उसके बाद कैमरा."

वक्त के साथ साथ कैमरे की मांग बहुत बढ़ी है. क्लाउस का कहना है कि एक समय हुआ करता था जब परिवार के सबसे बड़े व्यक्ति के पास ही कैमरा हुआ करता था. लेकिन अब परिवार का हर सदस्य अपने पास कैमरा रखना चाहता है. हर कोई अपनी यादों को अपने तरीके से कैमरे में कैद करना चाहता है.



डिजिटल फोटोग्राफी ने सब कुछ बदला. न रहा रील बदलने का झंझट और न ही उस पर पैसे खर्च करने की चिंता. लोग जब चाहें, जहां चाहें तस्वीरे ले सकते हैं. जर्मनी में जब यहां के युवाओं से यह पूछा गया कि वे अपनी प्रियजनों को चिट्ठी, ई-मेल और तस्वीरों में से क्या भेजना पसंद करेंगे, तो 78 फीसदी ने जवाब दिया कि वे तस्वीर भेजना ही ज्यादा पसंद करेंगे. साथ ही क्लाउस का यह भी मानना है कि इंटरनेट में सोशल नेटवर्किंग भी तस्वीरों के ही सहारे इतनी लोकप्रिय हो पाई हैं.

कम हुआ जनता और मीडिया का फासला

डिजिटल फोटोग्राफी के ज़रिये आम जनता और मीडिया के बीच का फासला भी बहुत कम हुआ है. जर्मनी के लोकप्रिय अखबार "बिल्ड" के सम्पादक मिशाएल पाउसटियान का कहना है कि आज के समय में उनके लिए उनके पाठकों द्वारा भेजी गई तस्वीरों की उतनी ही अहमियत है जितनी उनके फोटोग्राफर द्वारा ली गई तस्वीरों की है. पाउसटियान का बताना है कि उन्हें पाठकों द्वारा प्रति दिन 4000 तसवीरें मिलती हैं. वैसे यह भी ध्यान देने लायक बात है कि जर्मन में बिल्ड का मतलब होता है तस्वीर.


जनता द्वारा ली गई इन तस्वीरों से कई बार मीडिया के साथ साथ पुलिस को भी फायदा होता है. कुछ हफ़्तों पहले हुए जर्मनी के डुइसबुर्ग शहर में लव परेड के दौरान हुए हादसे की तहकीकात करने वाले पुलिस के अधिकारी रामौन फान डेअर माट भी इस बात को मानते हैं कि मोबाइल फोन से ली गईं तस्वीरें पुलिस की तहकीकात के लिए बेहद मददगार साबित होती हैं.

यह कैमरों का युग है

आज के ज़माने में कितने छोटे छोटे कैमरे बाज़ार में  आ गएँ है , पता करना मुश्किल है कि किसके हाथ में कैमरा है . मोबाईल  सेट में कैमरा होने से अब क्या बच्चे क्या बूढ़े सभी के हाथ में कैमरा आ गया है . छोटे छोटे ख़ुफ़िया कैमरे भी आज आसानी से इस्तेमाल किये जा सकते है . 






 एक वो भी जमाना था
एक वो  भी  जमाना था जब  कैमरा  कुछ  खास लोगों एवंरईसजादो तक सीमित था 
फोटोग्राफी का  शौंक महंगा साबित होता था .कैमरे  को आपरेट करना बड़ा कठिन होता था .   

                     

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21 सितंबर, 2010

अधूरी लगी महंगाई डायन


हमें" पिपली  लाइव" फिल्म देखनें का अवसर मिला ,शायद आप भी देख चुके होंगें.मै नहीं जानता  कि यह फिल्म आपको कैसी लगी लेकिन मुझे तो यह अधूरी अधूरी सी लगी .लगता है इस फिल्म पर सेंसर बोर्ड की डबल कैची चली है ,मै यह बात इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि इस फिल्म का प्रचलित लोकप्रिय गीत "महंगाई डायन खाय जात है ....... " आधा गायब है . वैसे यह गीत 4.58मिनट का है लेकिन फिल्म में मात्र दो-ढाई मिनट दिखाया गया .इस गीत से पहले महंगाई पर कोई प्रसंग भी नहीं आया,लगता है वह भी सेंसर बोर्ड की बलि चढ़ गया .

बुधिया और नत्था का परिवार

इसी प्रकार फिल्म में यह स्पस्ट नहीं किया गया कि बुधिया और नत्था पर कर्ज का बोझ अकाल के कारण पड़ा या खुद की बदइन्तजामी के कारण .यह भी हो सकता है कि उसके कर्ज के लिए सरकार की कोई नीति जिम्मेदार हो . कृषि उपज के लिए उपयुक्त बाजार नहीं मिलना या उसका सही मूल्य नहीं मिलना भी कारण हो सकता था .उपरोक्त में से किसी  एक या एक से अधिक  कारणों को स्पस्ट करने से शायद फिल्म और जानदार बन सकती थी ,हो सकता है यह प्रसंग फिल्माया ही ना गया हो अथवा सेंसर बोर्ड ने वह अंश काट दिया हो.हाँ एक बार नत्था की पत्नी द्वारा अपनी बूढी सास को यह कहते हुए आपने जरूर  सुना  होगा कि तुम्हारी बीमारी की वजह से ही तो यह कर्ज चढ़ा है . बात इतने से तो बनती नहीं कि भारत के किसानों की दुर्दशा के लिए घर की बुजुर्ग महिला पर सारा दोष मढ़ दिया जाय .फिल्म में नत्था की पत्नी का अपने जेठ के प्रति व्यवहार भी समझ से परे है .फिल्म में इलेक्ट्रानिक मिडिया का खूब उपहास उड़ाया गया है ,  जिसका दर्शकों ने  खूब आनंद लिया .

यह है सरकार द्वारा प्रदत्त  लालबहादूर

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18 सितंबर, 2010

पर्यावरण जागरूकता अभियान के नज़ारे ...........

आज मंदिरहसौद एवं सारखी में पर्यावरण जागरूकता अभियान के नज़ारे ........... 









एक खुशखबरी ब्लागरों के लिए

शिल्पकारों की बेहतरी के लिए उन्हें 'लोकल' से 'ग्लोबल' बाजार दिलाना जरूरी - डॉ. रमन सिंह

मुख्यमंत्री ने किया वेबसाईट 'ललित कला डॉट इन' का लोकार्पण

विश्वकर्मा जयंती पर हुई एक नई शुरूआत

मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के परम्परागत ग्रामीण शिल्पकारों की आर्थिक बेहतरी के लिए यह जरूरी है कि उन्हें राज्य, देश और दुनिया के खुले बाजार में अच्छा व्यवसाय दिलाया जाए। डॉ. सिंह ने कहा कि हम सब को मिल कर यह प्रयास करना होगा कि हमारे इन शिल्पकारों के बाजार का दायरा 'लोकल' से आगे बढ़ कर 'ग्लोबल' हो जाए। इसमें सूचना प्रौद्योगिकी के आधुनिक औजार के रूप में वेबसाईट जैसे संचार माध्यम की बहुत बड़ी भूमिका हो सकती है। इसके लिए सरकारी प्रयासों के साथ-साथ निजी क्षेत्र की जनभागीदारी भी बहुत जरूरी है। 
                                                                              
मुख्यमंत्री ने श्रम और शिल्प के देवता भगवान विश्वकर्मा की जयंती 'छत्तीसगढ़ श्रम दिवस' के अवसर पर आज सवेरे यहां अपने निवास पर रायपुर जिले के अभनपुर निवासी श्री ललित शर्मा की वेबसाईट 'ललित कला डॉट इन' (lalitkala.in) का लोकार्पण करते हुए इस आशय के विचार व्यक्त किए। श्री शर्मा द्वारा यह वेबसाईट शिल्पकारों के लिए समग्र कला मंच के रूप में तैयार की गयी है। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ सहित देश भर का हमारा परम्परागत हस्तशिल्प काफी समृध्द है और दुनिया भर में मशहूर है, लेकिन जरूरत इस बात की है कि हस्तशिल्प को रोजी-रोटी का जरिया बनाकर जीवन यापन कर रहे हमारे लाखों कारीगरों को अपनी कलाकृतियों के लिए अच्छा बाजार और अच्छा व्यवसाय मिले। छत्तीसगढ़ के संदर्भ में डॉ. रमन सिंह ने कहा कि हमारे यहां के शिल्पकार बेलमेटल, टेराकोटा, लौहशिल्प, बांस शिल्प और अन्य अनेक विधाओं में सिध्दहस्त हैं। उन्हें कारीगरी का यह कौशल अपने पूर्वजों से विरासत में मिला है, जिसे वे आज भी पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ाते जा रहे हैं, लेकिन आर्थिक बेहतरी के लिए उन्हें और भी ज्यादा पहचान और व्यापक बाजार मिलना बहुत जरूरी हो गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह खुशी की बात है कि इस दिशा में निजी तौर पर श्री ललित शर्मा ने ध्यान केन्द्रित किया है और अभनपुर जैसे छोटे कस्बे में उन्होंने स्वप्रेरणा से रूचि लेकर आधुनिक सूचना तकनीक का इस्तेमाल करते हुए हस्तशिल्पियों के लिए वेबसाईट तैयार की है,जिसे उन्होंने शिल्पकला, काष्ठकला, चित्रकला, मूर्तिकला, नाटयकला, स्थापत्यकला, आर्ट गैलरी, साहित्यकला जैसे अलग-अलग प्रभागो से सुसज्जित किया है। श्रम, सृजन और शिल्प के देवता भगवान विश्वकर्मा की जयंती पर श्री ललित शर्मा ने एक नये सृजन के रूप में इसे प्रस्तुत किया है। डॉ.रमन सिंह ने उम्मीद जतायी कि इस महत्वपूर्ण वेबसाईट के माध्यम से न सिर्फ छत्तीसगढ़,बल्कि देश के सभी राज्यों के शिल्पकारों को अपनी कलाकृतियों के प्रदर्शन के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय मंच मिलेगा और हमारे शिल्पकार 'लोकल' से 'ग्लोबल' होकर बेहतर कारोबार और मुनाफे के साथ स्वयं का और अपने राज्य और देश का भी नाम रौशन करेंगे। उन्हें अच्छा व्यवसाय मिलेगा तो उनकी आर्थिक स्थिति भी बेहतर होगी। डॉ. रमन सिंह ने श्री ललित शर्मा से वेबसाईट के उद्देश्यों की जानकारी मिलने पर यह भी उम्मीद जतायी कि यह वेबसाईट छत्तीसगढ़ और भारत के परम्परागत शिल्पकारों के परिचय कोष के रूप में भी लोकप्रिय होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार भी स्वयं इस दिशा में हर संभव प्रयास कर रही है। प्रदेश सरकार के छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड ने भी हाल ही में अपना एक वेबसाईट शुरू किया है। डॉ.रमन सिंह ने कहा कि शिल्पकारों को बढ़ावा देने के लिए सरकारी प्रयासों में इस प्रकार की जनभागीदारी बहुत जरूरी है। उन्होंने इस दिशा में निजी तौर पर वेबसाईट शुरू करने पर श्री ललित शर्मा को बधाई और शुभकामनाएं दी। जल संसाधन मंत्री श्री हेमचंद यादव, छत्तीसगढ़ पाठयपुस्तक निगम के अध्यक्ष श्री अशोक शर्मा और छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक के संचालक तथा पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष श्री अशोक बजाज भी इस अवसर पर उपस्थित थे। अपनी वेबसाईट के बारे में श्री ललित शर्मा ने मुख्यमंत्री को बताया कि उन्होंने छत्तीसगढ़ और देश भर के शिल्पकारों की कला-प्रतिभा से दुनिया को परिचित कराने के लिए इस वेबसाईट का निर्माण किया है, ताकि उनके हाथों के हुनर की ओर दुनिया का ध्यान आकर्षित हो और इसके जरिए उन्हें स्थानीय से लेकर देश-विदेश में अच्छा कारोबार मिल सके। उन्होंने वेबसाईट लोकार्पण के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया।

 भाई ललित शर्मा का नाम ब्लाग जगत में नया नहीं है ,

वे बड़े ही सक्रीय ब्लागर है ;उन्होंने आज एक नई छलांग

 लगाई है.आप सभी ब्लागर मित्रों की ओर से उन्हें बहुत 

बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं !