14 जुलाई, 2010
12 जुलाई, 2010
भविष्यवक्ता पॉल बाबा
विश्व कप के भविष्यवक्ता पॉल बाबा का भविष्य
फूटबाल के विश्व कप फाईनल में स्पेन ने नीदरलैण्ड को एक गोल से हराकर विश्वकप हासिल कर लिया। फाईनल मैच के साथ ही विश्व भर के खेलप्रेमियों पर चढ़ा फूटबाल का फीवर तो शायद उतर गया होगा लेकिन स्पेन के लोग तो एक साथ होली-दीवाली मना रहे हैं। वैसे भी आक्टोपस पॉल ने स्पेन के जीतने की भविष्यवाणी पहले ही कर दी थी। यदि स्पेन हार जाता तो आक्टोपस पॉल की विश्वसनीयता भी खत्म हो जाती। पॉल की भविष्यवाणी को कायम रखने के लिए स्पेन का जीतना बहुत जरूरी हो गया था। दरअसल इस फाईनल मैच में स्पेन से ज्यादा आक्टोपस पॉल की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। एक तरफ आक्टोपस पॉल ने स्पेन के जीतने की भविष्यवाणी की थी तो दूसरीरीदूसरी तरफ मणि नाम के भविष्यवक्ता तोते ने नीदरलैण्ड के शहनशॉह बनने की घोषणा की थी। इन भविष्यवाणियों के चलते विश्व कप फाईनल ‘‘स्पेन बनाम नीदरलैण्ड’’ के बजाय ‘‘पॉल बनाम मणि’’ हो गया था। अनेक लोगों की दिलचस्पी केवल इसी में थी कि किसकी भविष्यवाणी सच हो रही है। लगातार सच भविष्यवाणी करने वाले पॉल की भविष्यवाणी इस बार भी सच होगी अथवा नहीं ? यदि पॉल की भविष्यवाणी सच नहीं निकली तो पॉल का भविष्य क्या होगा ?अंततः स्पेन विश्व चैम्पियन बन ही गया। लेकिन जीता कौन स्पेन या पॉल ? इस जीत का श्रेय स्पेन के खिलाड़ियों की मेहनत को दिया जाय या पॉल को ? दुनिया भर की मीडिया ने पॉल को लेकर जो उत्सुकता पैदा की थी उससे तो यही लगता है कि स्पेन ने अपने खिलाड़ियों के दम पर नहीं बल्कि पॉल की भविष्यवाणी के दम पर विश्वकप जीता है।
अब हमें पॉल के भविष्य की चिन्ता करनी चाहिए क्योंकि स्पेन के जीतते ही उसकी मार्केट वैल्यू बढ़ गई है। भविष्य में कोई भी खिलाड़ी मैच के लिए अभ्यास करने के बजाय पॉल बाबा के शरण में जायेगा। खिलाड़ी की ही क्या बात करें अन्य क्षेत्र का प्रतियोगी भी सफलता के लिए शार्टकट रास्ता ही अपनाएगा। चाहे वह विद्यार्थी हो चाहे राजनेता अथवा कोई आई.ए.एस या आई.पी.एस का परीक्षार्थी क्यों न हो सभी मेहनत करने के बजाय पॉल बाबा की शरण में पड़े रहेगें। भले ही परिणाम स्पेन जैसा मिले अथवा नहीं । उधर जर्मनी में पॉल बाबा के नाम पर काफी आक्रोश देखा जा रहा है, कहीं ऐसा न हो कि आक्टोपस पॉल जर्मनी वालों के आक्रोश का शिकार हो जाय, उसने भविष्यवाणी करके बला मोल ले लिया है। यदि भविष्यवाणी झूठी होती तो कोई पूछता भी नहीं, सच हो गई तो मुसीबतों का जंजाल सामने आ गया है। अब आक्टोपस यानि पाल बाबा तेरा भविष्य कौन बतायेगा ?
01 जुलाई, 2010
दिन है सुहाना आज पहली तारीख है
फिल्म पहली तारीख का यह गीत आज भी प्रासंगिक तो है ही साथ ही साथ लोकप्रिय भी है । वर्षो बाद भी आज यह गीत लोगो के जुबान में है। धन्य हो रेडियो सिलोन का जिसने हर महीने की पहली तारीख को सुबह 7:30 बजे इस गीत के प्रसारण की परम्परा डाल रखी है । 40 वर्षो से तो मैं स्वयं सुन रहा हूँ । आधुनिक युग में पहली तारीख का क्या महत्व है उसे इस गीत में बखूबी चित्रण किया गया है । इस गीत में आम आदमी की भावना तथा उसकी दशा का वर्णन किया गया है। विशेष कर निम्न मध्यम आय वर्ग के लोगो के दिल की बात को इस गीत में लिखा गया है । गीत के गायक किशोर कुमार धन्यवाद के पात्र है । दरअसल पुरानी फिल्मो के गीतो मे बोल व लय का पूरा समन्वय होता था । आज के फिल्मी गीतो में वो बात कहां ? पुराने जमाने की फिल्में मनोरंजक एवं ज्ञानवर्धक होती थी उसमे गीतों का बड़ा महत्व था । वर्तमान समय में फिल्मी गीतो का तो बूरा हाल है। आज के फिल्मी गीतों में पाश्चात्य संगीत हावी है , गीतो में न लय है न मिठास । यही कारण है कि कोई भी हिट से हिट गीत 6 माह में लोगों के जेहन से उतर जाता है । जबकि पुराने गीतों के बोल वर्षो बाद भी लोगो के जुबां मे है । आज घड़ी ने जैसे ही पहली तारीख का संकेत दिया बरबस ही इस गीत की याद आ गई । मै पुराना रेडियो श्रोता हूँ इस नाते आल इंडिया ओल्ड लिसनर्स ग्रुप, छत्तीसगढ़ रडियो श्रोता संघ, अहिंसा रेडियो श्रोता संघ तथा आकांक्षा रेडियो श्रोता संघ से जुड़ा हूँ । ये बातें पूर्व पोस्ट में जल्दबाजी के कारण छुट गई थी अतः पोस्ट संपादित कर रहा हूँ .। पढ़ कर आप भी अतीत में खो जायेंगें ।
दिन है सुहाना आज पहली तारीख है
दिन है सुहाना आज पहली तारीख है
खुश है ज़माना आज पहली तारीख है
पहली तारीख अजी पहली तारीख है
बीवी बोली घर ज़रा जल्दी से आना,
जल्दी से आना
शाम को पियाजी हमें सिनेमा दिखाना,
हमें सिनेमा दिखाना
करो ना बहाना हाँ बहाना बहाना करो ना बहाना
आज पहली तारीख है
खुश है ज़माना आज पहली तारीख है
पहली तारीख अजी पहली तारीख है
किस ने पुकारा रुक गया बाबु
लालाजी की जाँ आज आया है काबू
आया है काबू ओ पैसा ज़रा लाना लाना लाना ओ पैसा ज़रा लाना
आज पहली तारीख है
खुश है ज़माना आज पहली तारीख है
पहली तारीख अजी पहली तारीख है
बंदा बेकार है क़िसमत की मार है
सब दिन एक है रोज़ ऐतबार है
मुझे ना सुनाना हाँ सुनाना सुनाना
मुझे ना सुनाना आज पहली तारीख है
खुश है ज़माना आज पहली तारीख है
पहली तारीख अजी पहली तारीख है
दफ़्तर के सामने आए मेहमान हैं
बड़े ही शरीफ़ हैं पुराने मेहरबान हैं
अरे जेब को बचाना बचाना बचाना
जेब को बचाना आज पहली तारीख है
खुश है ज़माना आज पहली तारीख है
पहली तारीख अजी पहली तारीख है
26 जून, 2010
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