24 दिसंबर, 2018
23 दिसंबर, 2018
08 दिसंबर, 2018
03 दिसंबर, 2018
प्रेरक वाक्य
जीवन में दो ही व्यक्ति असफल होते हैं, एक वे जो सोचते हैं पर करते नहीं, दूसरे जो करते हैं पर सोचते नहीं.
- आचार्य श्रीराम शर्मा
दुनिया का सबसे बड़ा नुकसान वो है कि किसी की आँखों में आंसू हमारी वजह से है और दुनिया की सबसे बड़ी उपलब्धि यही है कि किसी की आँखों में आंसू हमारे लिए है.
बहुत दूर तक जाना पड़ता है सिर्फ यह जानने के लिए कि नजदीक कौन है ?
एक साथ आना शुरुआत है; एक साथ रहना प्रगति है; एक साथ काम करना सफलता है. - हेनरी फोर्ड
फर्क होता है खुदा और फ़क़ीर में,
फर्क होता है किस्मत और लकीर में;
अगर कुछ चाहो और न मिले तो समझ लेना,
कि कुछ और अच्छा लिखा है तक़दीर में ।
फर्क होता है किस्मत और लकीर में;
अगर कुछ चाहो और न मिले तो समझ लेना,
कि कुछ और अच्छा लिखा है तक़दीर में ।
सांप हो सपोला इन को कितना भी दूध पिलाओं ये "जहर" ही उगलते है जो इनके फितरत में है ! यह तो आप पर निर्भर करता है कि कब इसके दांत तोड़ने है और कब इसका फन कुचलना है !
जिन्दगी से आप जो भी बेहतर से बेहतर ले सको ले लो क्योंकि जिदगी जब लेना शुरू करती है तो सांसें भी नहीं छोड़ती .
तारों में अकेला चाँद जगमगाता है,
मुश्किलों में अकेला इंसान डगमगाता है.
काटों से घबराना मत मेरे दोस्त,
क्योंकि काटों में अकेला गुलाब मुस्कुराता है.
(छत्तीसगढ़ी )
जुआ खेल के कोई धनवान नई बन सकय,
शराब पी के कोई बलवान नई बन सकय .
पढ़व लिखव अऊ सत्संग करव, काबर कि
बिना पढ़े कोई विद्वान नई बन सकय.
"नशा हे ख़राब : झन पीहू शराब "
चेहरे की हँसी से गम को भुला दो. कम बोलो पर सब कुछ बता दो.
..ख़ुद ना रूठो पर सबको हँसा दो यही राज है जिन्दगी का जियो और जीना सिखा दो.!!
मिलने पर मित्र का आदर करो, पीठ पीछे प्रशंसा करो और आवश्यकता के समय उसकी मदद करो।
जब तक तुममें दूसरों को व्यवस्था देने या दूसरों के अवगुण ढूंढने, दूसरों के दोष ही देखने की आदत मौजूद है, तब तक तुम्हारे लिए ईश्वर का साक्षात्कार करना कठिन है - स्वामी रामतीर्थ
जब तुम्हें सब कुछ अपने विपरीत जाता हुआ लगे तो यह ध्यान कर लेना कि जहाज हवा के विरुद्ध ही आकाश में उड़ना शुरू करता है।
15 सितंबर, 2018
26 अगस्त, 2018
रक्षाबंधन के अवसर पर सम-सामयिक सन्देश . . .
17 अगस्त, 2018
राजनीतिक क्षितिज का एक चमकता सितारा अस्त हो गया
अटलजी और छत्तीसगढ़

राज्य का गठन करना कोई हंसी खेल तो था नहीं। कई वर्षो से लोग आवाज उठा रहे थे अनेक तरह से आंदोलन भी करते रहे लेकिन राज्य का निर्माण नहीं हो पाया था। इस बीच प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सन 1998 में सप्रेशाला रायपुर के मैदान में एक अटल प्रतिज्ञा की, कि यदि आप लोकसभा की 11 में से 11 सीटो में भाजपा को जितायेंगे तो मैं तुन्हें छत्तीसगढ़ राज्य दूंगा। लोकसभा चुनाव का परिणाम आया। भाजपा को 11 में सें 8 सीटे मिली लेकिन केंद्र में अटल सरकार फिर से बनी। प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप राज्य निर्माण के लिए पहले ही दिन से प्रक्रिया प्रारंभ कर दी। मध्यप्रदेश राज्य पुर्निर्माण विधेयक 2000 को 25 जुलाई 2000 में लोकसभा में पेश किया गया। इसी दिन बाकी दोनो राज्यो के विधेयक भी पेश हुए। 31 जुलाई 2000 को लोकसभा में और 9 अगस्त को राज्य सभा में छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के प्रस्ताव पर मुहर लगी। 25 अगस्त को राष्ट्रपति ने इसे मंदूरी दे दी। 4 सिंतबर 2000 को भारत सरकार के राजपत्र में प्रकाशन के बाद 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ देश के 26 वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया और एक अटल-प्रतिज्ञा पूरी हुई।
छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के पहले हम मध्यप्रदेश में थे। मध्यप्रदेश का निर्माण सन 1956 में 1 नवम्बर को ही हुआ था। हम 1 नवम्बर 1956 से 31 अक्टूबर 2000 तक यानी 44 वर्षो तक मध्यप्रदेश के निवासी थे तब हमारी राजधानी भोपाल थी। इसके पूर्व वर्तमान छत्तीसगढ़ का हिस्सा सेन्ट्रल प्रोविंस एंड बेरार (सी.पी.एंड बेरार) में था तब हमारी राजधानी नागपुर थी। इस प्रकार हम सी.पी.एंड बेरार, तत्पश्चात मध्यप्रदेश और अब छत्तीसगढ़ के निवासी है। वर्तमान छत्तीसगढ़ में जिन लोगो का जन्म 1 नवम्बर 1956 को या इससे पूर्व हुआ वे तीन राज्यो में रहने का सुख प्राप्त कर चुके है।

12 अगस्त, 2018
‘मन की बात और रमन के गोठ' से राज्य में बढ़ी रेडियो की लोकप्रियता
मुख्यमंत्री की रेडियो वार्ता के नियमित प्रसारण के तीन वर्ष पूर्ण होने पर रेडियो श्रोता संघ ने दी बधाई

02 अगस्त, 2018
छत्तीसगढ़ में संचार क्रांति के सूत्रधार डा. रमन सिंह
घर घर पहुंचा ज्ञान, विज्ञान व मनोरंजन का खजाना
छत्तीसगढ़ अब विकास की लम्बी छलांग लगाते हुए तेजी से विकसित राज्य की श्रेणी की तरफ बढ़ रहा है । जिस राज्य का हर गांव बारहमासी सड़कों से जुड़ गया हो, जहां गांव-गांव में शिक्षा के संसाधन हो, जिस राज्य की शत-प्रतिशत आबादी तक बिजली पहुंच गई हो तथा हर गांव बिजली से नहा रहा हो वह राज्य अब पिछड़ा रह भी कैसे सकता है । अगर कुछ कसर बाकी था तो उसे संचार क्रांति योजना से पूरा किया जा रहा है । इस योजना के माध्यम से शासन ने जहां एक ओर हर घर तक मोबाईल पहंचाने की योजना बनाई है वहीं दूसरी ओर इंटरनेट कनेक्टिविटी बढ़ाने का प्रयास कर रही है ।
संचार क्रांति योजना छत्तीसगढ़ शासन की अति महत्वाकांक्षी योजना है जिसमें शासन द्वारा 50 लाख स्मार्ट फोन बांटा जा रहा है । शहरी क्षेत्र के हर गरीब परिवार की महिला मुखिया, ग्रामीण क्षेत्र के हर परिवार की महिला मुखिया तथा राज्य के सभी नियमित महाविद्यालय छात्र-छात्राओं को इस योजना के दायरे में लिया गया है । महिलाओं को प्रदत्त किये जाने वाले हैंडसेट की कीमत 4499 रू. तथा विद्यार्थियों को प्रदान किये जा रहे हैंडसेट की कीमत 5999 रू. है । इस योजना के अंतर्गत लगभग 46 लाख महिलाओं तथा 4 लाख विद्यार्थियों को शासन के खर्चे से मोबाईल सेट प्रदान किया जा रहा है । इससे राज्य में मोबाईल उपयोग करने वालों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि होगी ।
भारत में औसत मोबाईल उपलब्धता वर्तमान में 68 प्रतिशत है, जबकि छत्तीसगढ़ में मात्र 29 प्रतिशत लोग मोबाईल का उपयोग करते हैं । पूरे देश के अन्य राज्यों के मुकाबले सबसे कग औसत मोबाईल उपलब्धता छत्तीसगढ़ की है । केरल, गोवा एवं हिमांचल प्रदेश में औसत मोबाईल उपलब्धता 90 प्रतिशत या उससे अधिक है, जबकि मध्यप्रदेश, उड़ीसा एवं छत्तीसगढ़ ये तीन राज्य ऐसे हैं जहां आधी आबादी तक मोबाईल नहीं पहुच पाया है । मध्यप्रदेश में 48 प्रतिशत, उड़ीसा में 35 प्रतिशत तथा सबसे कम छत्तीसगढ़ है जहां मात्र 29 प्रतिशत लोगों के पास मोबाईल हैं। राज्य के लगभग आधे जिले सूरजपुर, कोरिया, कोरबा, सरगुजा, बलरामपुर, जशपुर, बस्तर, गरियाबंद, कोंडागांव, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, सुकमा एवं बीजापुर जहां 25 प्रतिशत से कम लोंगों के पास मोबाईल है । बीजापुर जिले की स्थिति तो बड़ी चिन्तनीय है जहां मात्र 7 प्रतिशत लोग ही मोबाईलधारी है । इसके पीछे बड़ा कारण कनेक्टिविटी को माना जा रहा है । क्योंकि सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों एवं वन क्षेत्रों में अभी तक टावर नहीं लग पाये हैं । समूचे छत्तीसगढ़ के मात्र 64 प्रतिशत क्षेत्र में ही अब तक नेटवर्क कवरेज है । सुदूर वन क्षेत्रों में नेटवर्क कवरेज की स्थिति चिन्तनीय है । एक ओर जहां रायपुर, दुर्ग व मुंगेली जिले में नेटवर्क क्रमशः 88 प्रतिशत, 83 प्रतिशत एवं 75 प्रतिशत है तो दूसरी ओर दंतेवाड़ा, नारायणपुर, बीजापुर एवं सुकमा जिले में नेटवर्क कवरेज क्रमशः 20 प्रतिशत, 13 प्रतिशत, 10 प्रतिशत एवं 7 प्रतिशत है। छत्तीसगढ़ सरकार की संचार क्रांति योजना इन जिले के नागरिकों के लिए वरदान से कम नहीं है क्योंकि शासन के पहल पर मोबाईल टावरों की संख्या मई 2019 तक 2185 से बढ़कर 3673 हो जायेगी । प्रदेश के 20000 गांवों में से 17000 गांवों तक 4जी हाईस्पीड कनेक्टिविटी हो जायेगी ।
यदि ऐसा ही प्रयास होता रहा तो भविष्य में छत्तीसगढ़ का सम्पूर्ण भूभाग नेटवर्क कनेक्टिविटी तथा समूची आबादी मोबाईल सेवा से जुड़ जायेगी । सूचना क्रांति के इस दौरान में यह आवश्यक भी है क्योंकि वर्तमान समय में हर व्यक्ति चाहे व गांव का हो अथवा शहर का, चाहे शिक्षीत हो अथवा अशिक्षित तथा चाहे वह अमीर हो अथवा गरीब दुनिया भर के समाचारों से अपडेट रहना चाहता है । यह समय की आवश्यकता भी है । फिर इंटरनेट तो ज्ञान, विज्ञान व मनोरंजन का खजाना है जो सबके पास होना ही चाहिए ।
मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने संचार क्रांति योजना के माध्यम से क्रांतिकारी कदम उठाया है। सबको आगे बढ़ने का अवसर प्रदान किया है । यह उनकी उदारता, संवेदनशीलता एवं जीवटता का परिचायक है । उन्होने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटल इंडिया को साकार किया है। छत्तीसगढ़ का अब हर व्यक्ति अब कह सकता है ‘‘दुनिया मेरी मुट्ठी में’’ क्योंकि जिसके पास मोबाईल है उसके पास दुनिया भर के लोगों से सम्पर्क का माध्यम है । इससे ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोंगों के जीवन में अद्भुत बदलाव आयेगा । इससे कैशलेश लेनदेन को भी बढ़ावा मिलेगा । किसानों को बाजार एवं मौसम की जानकारी घर बैठे मिलेगी । संचार क्रांति योजना के माध्यम से मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने बहुत ही चमत्कारिक कार्य किया है । मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के कुशल नेतृत्व का ही परिणाम है कि आज छत्तीसगढ़ का हर व्यक्ति अपने आपको गौरवांवित महसूस कर रहा है । इस महती योजना के लिए मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह को छत्तीसगढ़ में सूचना क्रांति का सूत्रधार कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी ।
दिनांक 02 अगस्त 2018 - अशोक बजाज
28 जून, 2018
पुराना संपादकीय
जब मै भारतीय जनता पार्टी के अविभाजित रायपुर जिले का चौंथी बार अध्यक्ष चुना गया तो वरिष्ठ साहित्यकार एवं सांध्य दैनिक हाईवे चैनल के प्रधान संपादक रहें स्व. श्री प्रभाकर चौबे ने 22 जून सन 2000 को मेरे निर्वाचन पर संपादकीय लिखी थी. काफी खोजबीन के बाद यह कतरन आज हाथ लगी तो आपको शेयर कर रहा हूँ. हालाँकि किसी राजनैतिक दल के जिलाध्यक्ष का पद इतना बड़ा नहीं होता कि उसके निर्वाचन को संपादकीय में स्थान मिले लेकिन श्री चौबे जी ने तत्कालीन राजनीतिक परिस्थितियों को समायोजित कर यह संपादकीय लिखी थी. मुझे इस बात का फक्र है कि एक महान संपादक ने मुझे संपादकीय में स्थान दिया. उन्होंने छठी बार अध्यक्ष बनने का उल्लेख इसीलिये किया क्योकि इसके पूर्व 2 बार भाजयुमो के जिलाध्यक्ष तथा 3 बार भाजपा के जिलाध्यक्ष के पद का निर्वहन लगातार कर चूका था. 21 जून 2000 को भाजपा के जिलाध्यक्ष के रूप में चौंथी बार निर्वाचित हुआ था. आपको इस संपादकीय के कतरन को पढ़ने में शायद असुविधा हो इसीलिये उसे शब्दशः टाईप करके प्रस्तुत कर रहा हूँ ---
रायपुर ग्रामीण भाजपा - छठी बार अध्यक्ष
"संगठन चलाना आसान काम नहीं है । कुछ लोगों का मानना है कि बुद्धिजीवियों का संगठन चलाना तराजू में रखकर मेढक तौलना है । लेकिन दिगर संगठन चलाने में भी कुशलता की जरूरत पड़ती है । राजनैतिक दलों के संगठन को चलाना तो अब और भी कठिन हो गया है । वैसे आसान कभी रहा नहीं । आजादी के पहले के कांग्रेस संगठन में और आज के कांग्रेस संगठन में 19-20 का ही फर्क होगा, बहुत हुआ तो 17-20 का फर्क हो सकता है, लेकिन तौर तरीके तो वे ही हैं । तब भी टांग खिंचाई थी, आज भी है । पुरानी कहावत है कि संगठन में प्रमुख पद पाना कांटों का ताज पहनना है । बात सही भी है लेकिन कांटों का ताज भी पहनना आना चाहिए । जिसे कांटों का ताज पहनना आ गया वह मजे में संगठन चला लेता है । कुछ लोग एक बार में ही लहू-लुहान होकर दूसरी बार ऐसे ताज की ओर देखते तक नहीं ।
![]() |
स्व.प्रभाकर चौबे |
बहरहाल हर संगठन की अपनी कुछ विशेषताएं होती है लेकिन लगता है छत्तीसगढ़ में कांगे्रस और भाजपा दोनो संगठनों में रिकार्ड बनाने में होड़ है । दुर्ग में अगर श्री वासुदेव चन्द्राकर लगातार 25 सालों में संगठन के अध्यक्ष निर्वाचित हो रहे हैं तो रायपुर में भाजपा का जिला ग्रामीण के अध्यक्ष का पद उसी तरफ बढ़ रहा है । यहां श्री अशोक बजाज 6 वर्षो से जिला ग्रामीण भाजपा के अध्यक्ष निर्वाचित हो रहे हैं । यानि कि दुर्ग में कांगेस का रिकार्ड बना, रायपुर में भाजपा ने बनाया । आज के दौर में दूसरी बार अध्यक्ष बनना कठिन है । एक पद के लिए कई-कई दावेदार होते हैं । वैसे दावेदार होना बुरी बात नहीं है । लोकतंत्र में हर कोई दावेदार हो सकता है । बहरहाल अब अगर कांगे्रस के लिए कहें कि आजादी के पहले की कांगे्रस अलग थी तो यही बात भाजपा के लिए कही जा सकती है कि पहले की पार्टी की बात अलग थी । यानि कि जब भाजपा नहीं थी, जनसंघ नामक पार्टी थी, वे शायद सुखद दिन थे । कुल लोग कहते हैं कि वे दिन तो सपना हो गए । लेकिन जनसंघ के जमाने में भी संगठन चुनाव में सब ठीक ही ठीक नहीं था । उन दिनों भी जरा-जरा टांग खिंचाई चलती थी । भरोसा न हो तो श्री बलराज मधोक से पूछा जा सकता है । वे अपना दर्द बखान कर सकते हैं । कहने का मतलब यह कि राजनैतिक दलों के संगठन चुनाव कभी भी एकदम आसानी से नहीं निकले । अगर श्री अशोक बजाज निर्विरोध अध्यक्ष चुन लिये जाते हैं तो यह बड़ी बात है । यह पार्टी की स्वच्छ चाल हो, ऐसा नहीं है । पार्टी में तो तिकडम चलती रहती है । यह निर्विरोध चुने गए व्यक्ति की कुछ खूबियों को दर्शाता है । संगठन में प्रमुख को बड़े धैर्य का परिचय देना होता है । एक तरह से उसके धैर्य, विवेक, कुशलता की परीक्षा होती है । श्री अशोक बजाज 1990 से अध्यक्ष हैं । बीच में 2 साल गैप रहा । क्यों गैप रहा यह भी रहस्य की बात नहीं है । इसके अंदर जाने की मंशा भी नहीं है । लेकिन जब किसी राजनैतिक दल में (विशेषकर आज के माहौल में) कोई व्यक्ति लगातार 4-6 साल तक प्रमुख पद पर चुना जाए तो आश्चर्य होता है । उत्सुकता भी होती है। विधानसभा का चुनाव हार जाने के बाद भी आम कार्यकर्ताओं को उनकी संगठन क्षमता पर भरोसा है तो यह जरूर उनकी खूबी है । बीच में एक बार उनका नाम राज्यसभा के लिए भी चला था । लेकिन पार्टी में जैसा होता है, अपनों ने ही नाम आगे बढ़ने नहीं दिया । यह हर पार्टी में होता है । और एक अच्छे संगठनकर्ता को ऐसे आघात सहने पड़ते हैं ।
श्री अशोक बजाज फिर अध्यक्ष चुने गए हैं । अगले 3 साल तक उस पद पर रहेंगें । अगले तीन साल उनके लिए काफी चुनौतियों भरे होंगें । हो सकता है छत्तीसगढ़ राज्य बने, छत्तीसगढ़ भाजपा का गठन हो । नए राज्य में सरकार बनाने के लिए कौशिशों के साल होेंगें । अगर छत्तीसगढ़ न भी बना, तो भी राज्य विधानसभा के लिए चुनाव को एक वर्ष ही शेष रहेगा । यानि कि श्री अशोक बजाज को अगले तीन साल तक परीक्षा से गुजरना है । पार्टी की नैया खेकर आगे एक मजबूत धरातल तक ले जाना आसान नहीं होगा । ध्यान नहीं पड़ता कि और कोई इस तरह 6 साल तक अध्यक्ष चुना जाता रहा हो । और फिर अब भाजपा भी तो सत्ता की दावेदार है । सत्ता सुख चख चुकी है । ऐसे में संगठन पर कब्जा कर लेने की चाह कई नेताओं की होती है । इस संकट को पार कर अपने पैर जमाए रखना बड़ा कठिन होता है । "
![]() |
सांध्य दैनिक हाईवे चैनल रायपुर 22.06.2000 |
संत कबीरदास जयंती की आप सबको हार्दिक बधाई !
08 मई, 2018
"धान के देश" से "भगवान के देश"
मशहूर ब्लागर श्री जी.के अवधिया जी "धान के देश" से "भगवान के देश" पहुँच गए है. जी हाँ उनके ब्लाग का नाम धान के देश ही है. Lalit Sharma जी ने उनके निधन का समाचार पोस्ट किया है. श्री अवधिया जी बहुत ही सक्रिय ब्लागर और साइबर के ज्ञानी थे. मैंने जब "ग्राम चौपाल" नाम से ब्लागिंग शुरू की तब उनसे परिचय हुआ था. वे बड़े ही नेक इंसान व खुशमिजाज व्यक्ति थे. एक शुभचिंतक के नाते मै ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूँ, ॐ शांति !
25 अप्रैल, 2018
पंचायतों में महिला आरक्षण से ग्रामीण भारत में बदलाव का दौर
पंचायत राज दिवस (24 अप्रेल) पर विशेष लेख -
स्थानीय इकाई के रूप में त्रि-स्तरीय पंचायत राज व्यवस्था प्रजातंत्र की सबसे लघु इकाई है । गांव स्तर पर ग्राम पंचायतें, ब्लाक स्तर पर जनपद पंचायतें तथा जिला स्तर पर जिला पंचायतंे कार्यरत है । प्राचीन काल से ही भारत के गांवों में पंचायतों का बहुत बड़ा महत्व रहा है, लोंगों का इस संस्था के प्रति पूर्ण विश्वास एवं समर्पण रहा है । गांव की कानून व्यवस्था एवं प्रबंधन पंचायतों के माध्यम से कुशलता पूर्वक संचालित होते आया हेै । लोग पंचायत से जुड़े लोगों को ‘‘पंच परमेश्वर’’ तथा उसके फैसले को ईश्वर की आज्ञा मान कर चलते आये हैं । वर्तमान में पंचायती-राज संस्थायें सरकार के नियमों के तहत गठित होती है । इसमें पात्रता, योग्यता या नेतृत्व क्षमता के बजाय सरकारी नियमों के तहत जन प्रतिनिधि चुने कर आते हैं । वर्ष 1993 से 73वें संविधान संशोधन के द्वारा इसके सशक्तिकरण की दिशा में प्रयास शुरू हुआ, इसे त्रि-स्तरीय स्वरूप देकर अनेक विभागों को प्रत्यारोपित किया गया है । संविधान संशोधन के माध्यम से पंचायती-राज संस्थाओं को 29 मामले सौंपें गये हैं । इसके पीछे शासन की मंशा चुने हुये प्रतिनिधियों के हाथ मे विभिन्न विभागों का काम सौंपकर सरकार के कार्यो का सही नियंत्रण करना है । सत्ता के विकेन्द्रीकरण की दिशा में वास्तव पर यह उल्लेखनीय कदम था ।
पंचायत राज व्यवस्था के संचालन व नियंत्रण का अधिकार चुने हुये जनप्रतिनिधियों के हाथ में होता है । 73वें संविधान संशोधन के पूर्व पंचायतों में पुरूषों की प्रधानता होती थी । महिलाओं को अपवाद स्वरूप ही जगह मिल पाती थी, लेकिन 73 वें संविधान संशोधन में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया । यह प्रावधान तीनों स्तरों के सभी पदों पर किया गया । छत्तीसगढ़ सरकार ने एक कदम आगे बढ़कर सन् 2008 में महिला आरक्षण 33 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया । इससे पंचायत-राज प्रणाली में महिलाओं की भागीदारी और अधिक बढ़ गई । पंचायत चुनाव के माध्यम से गांव-गांव में महिला नेतृत्व विकसीत होने लगा है, अगर हम यूं कहें कि पंचायत राज संस्थाओं में महिलाओं का पूरा दबदबा कायम हो गया है तो कोई अतिश्याक्ति नहीं होगी, क्योंकि कहने को तो आरक्षण मात्र 50 प्रतिशत है लेकिन निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों पर नजर डालें तो उनमें से निर्वाचित महिलाओं की संख्या 60 प्रतिशत से कम नहीं है, यानी अनारक्षित क्षेत्रों में भी महिलाएं पुरूषों को पीछे छोड़ रही है । छत्तीसगढ़ में कुल 10971 ग्राम पंचायतें, 146 जनपद पंचायतें तथा 27 जिला पंचायतें हैं । तीनों इकाईयों के निर्वाचित प्रतिनिधियों की संख्या लगभग 1 लाख 90 हजार है । इनमें आधे से अधिक पदों पर महिलाएं काबिज हैं ।
पंचायत-राज व्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने से पंचायतों के कामकाज में पारदर्शित आई है क्योंकि महिलाएं गृहलक्ष्मी होने के कारण अन्य सामाजिक दायित्व को भी परिवार की तरह ही निभाती है । यही कारण है कि महिला आरक्षण से गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के कार्यक्रमों को प्राथमिकता मिल रही है । महिलाएं बच्चों के शिक्षा व स्वास्थ्य के प्रति पुरूषों के मुकाबले ज्यादा गंभीर होती हैं । गांव में शुद्ध पेयजल व्यवस्था, कानून व्यवस्था एवं महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों पर महिला जनप्रतिनिधियों की जागरूकता काबिल-ए-तारीफ है। पंचायत राज व्यवस्था में महिलाओं की प्रधानता होने से गांव में शांति व सद्भाव का वातावरण निर्मित होने लगा है । प्रसन्नता की बात तो यह है कि महिलाएं बाल विवाह, दहेज प्रथा, छुआछूत एवं मृत्युभोज जैसी सामाजिक बुराईयों एवं कुरीतियों को समाप्त करने में काफी मददगार सिद्ध हो रही हैं । मुख्यमंत्री खाद्यान्न योजना एवं स्कूलों में मध्यान्ह भोजन का संचालन भी महिलाओं द्वारा बेहतर तरीके से किया जा रहा है । प्रदेश में नशाखोरी जैसी सामाजिक बुराई को जड़ से समाप्त करने का बीड़ा भी महिला जनप्रतिनिधियों एवं स्व सहायता समूह की बहनों ने उठाया है । महिलाओं का नशाखोरी के खिलाफ चलाया जा रहा आंदोलन किसी सामाजिक क्रांति से कम नहीं है। उनकी जागरूकता से नशामुक्त समाज की स्थापना में मदद मिलेगी ।
अतः यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि पंचायत-राज संस्थाओं में 50 प्रतिशत देने से गांव, समाज, रीति-रिवाज एवं रहन सहन में काफी बदलाव आया है । यह बदलाव ग्रामीण भारत को नया स्वरूप प्रदान करेगा ।
(अशोक बजाज)
14 अप्रैल, 2018
भारत रत्न बाबा साहेब डा. भीमराव अंबेडकर जयंती
10 अप्रैल, 2018
06 अप्रैल, 2018
21 वी सदी की सर्वाधिक सशक्त पार्टी है भाजपा
भाजपा के स्थापना दिवस (6 अप्रेल) पर विशेष आलेख

1980 से अब तक के सफर में भारतीय जनता पार्टी को अनेको बार धूप-छांव का सामना करना किया. इस अवधि में पार्टी ने अनेक झंझावातो का सामना किया तथा असंख्य समर्पित, निष्ठावान एवं जीवट कार्यकर्ताओ की बदौलत प्रतिकूलता को अनुकुलता में तब्दील किया. स्थापना के बाद हुए 1984 के आम चुनाव में भाजपा को मात्र 2 सीटे मिली थी. हालांकि यह तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या से उपजी सहानूभूति का नतीजा था. तब भाजपा के विरोधी भाजपा नेताओं पर फब्ती कसते हुए कहते थे “हम दो हमारे दो“ इन फब्तियो की परवाह न करते हुए भाजपा कार्यकर्ताओ ने अटल-अडवाणी के नेेतृत्व में अपनी संघर्ष यात्रा को अनवरत् जारी रखा. फलस्वरूप 1989 के आम चुनाव में लोकसभा में भाजपा सांसदों की संख्या दो से बढ़कर 85 हो गई. इसके बाद रामजन्म भूमि आंदोलन के चलते कांग्रेस सिमटती गई तथा भाजपा की ताकत में इजाफा होता गया. नतीजन 1991 में 120, 1996 में 161, 1998 में 182, 1999 में भी 182, 2004 में 138, तथा 2009 में भाजपा को लोकसभा में 116 सीटे हासिल हुई. परन्तु 2014 के आमचुनाव में भाजपा एक शक्तिशाली राजनैतिक पार्टी के रूप में उभरकर सामने आई. इस चुनाव में पार्टी ने 275 सीटो का लक्ष्य रखा था, लेकिन परिणाम आया तो पता चला कि कांग्रेस एवं अनेक क्षेत्रीय पार्टियाॅं चारो खाने चित्त हो गई. भाजपा ने अकेले 31 प्रतिशत वोट पाकर 282 सीटो पर जीत हासिल की तथा सहयोगी दलो को मिलाकर राजग के सांसदो की संख्या 300 पार कर गई. अगर राज्यों की बात करें तो वर्तमान में 15 राज्यों असम, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, हिमांचल प्रदेश और त्रिपुरा में भाजपा के मुख्यमंत्री है जबकि जम्मू कश्मीर, नागालैंड, सिक्किम, बिहार एवं मेघालय में सहयोगी दलों के साथ सरकार में काबिज है. कांग्रेस तो केवल चार राज्यों मिजोरम, कर्नाटक, पंजाब एवं पांडिचेरी में ही सिमट कर रह गई है. कर्नाटक में अभी चुनाव चल रहें है जहां भाजपा ने कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है.
भारतीय जनता पार्टी ने यह मुकाम अपनी जन-कल्याणकारी नीतियों के बदौलत हासिल किया है. यह केवल एक राजनैतिक पार्टी नही बल्कि एक विचारधारा है जो भारतीय जनसंघ की नीतियों व सिद्धांतों पर बनी है तथा अंत्योदय के मार्ग पर चलकर देश की दशा व दिशा बदलने में लगी है. जिस पार्टी का ध्येय सबका साथ : सबका विकास हो उस पार्टी की विजय यात्रा को रोक पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकीन भी है. मोदी-शाह की जोड़ी ने जो राजनैतिक करतब दिखाया है उससे तो यही परिलक्षित होता है कि भारतीय जनता पार्टी 21 वी सदी की सर्वाधिक सशक्त पार्टी के रूप में उभरेगी तथा पूरे विश्व में भारत को सर्वोच्च स्थान पर स्थापित करेगी.
लेखक - अशोक बजाज
03 फ़रवरी, 2018
55 वी बार ध्वजारोहण
गणतंत्र दिवस 2018 मेरे लिए बहुत ही अविस्मरीय इसलिए रहा क्योंकि इस दिन मैंने 3 विभिन्न शहरों के 7 स्थानों पर ध्वजारोहण किया. सबसे पहले चौपाल सिविल लाईन्स रायपुर तत्पश्चात छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक रायपुर के प्रांतीय मुख्यालय, सरस्वती शिशु मंदिर अभनपुर, शासकीय कन्या हायर सेकंडरी स्कूल अभनपुर, शासकीय बजरंगदास हायर सेकंडरी अभनपुर, मिनी स्टेडियम अभनपुर और शासकीय हरिहर उच्चतर माध्यमिक शाला नवापारा राजिम. विशेष उल्लेखनीय बात यह हुई कि सरस्वती शिशु मंदिर अभनपुर में 1990 से लगातार (एक बार को छोड़ कर) 55 वी बार राष्ट्रीय ध्वज फहराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है. यह मेरे लिए गौरवशाली पल था. जी हाँ सरस्वती शिशु मंदिर अभनपुर में 1990 से लगातार राष्ट्रीय ध्वज फहरा रहा हूँ. लेकिन जब माननीय अटलबिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बनें तब 15 अगस्त 1998 को उन्हें लाल किले में पहली बार राष्ट्रीय ध्वज फहराते हुए अपनी नज़रों से देखना चाहता था सो उस दिन दिल्ली में था. बहरहाल 15 अगस्त 1998 को छोड़ कर 1990 से अब तक सशिम में ध्वज फहराने का सुअवसर प्राप्त हो रहा है.
गणतंत्र दिवस 2018 की झलकियाँ
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : चौपाल सिविल लाईन रायपुर में ध्वजारोहण. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : अपेक्स बैंक मुख्यालय पंडरी रायपुर में ध्वजारोहण. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : अपेक्स बैंक मुख्यालय पंडरी रायपुर में गणतंत्र दिवस समारोह. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : सरस्वती शिशु मंदिर अभनपुर में ध्वजारोहण. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : सरस्वती शिशु मंदिर अभनपुर में गणतंत्र दिवस समारोह में बाल मित्र पत्रिका का विमोचन. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : शासकीय कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल अभनपुर में ध्वजारोहण. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : शासकीय कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल अभनपुर में गणतंत्र दिवस समारोह. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : शासकीय कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल अभनपुर में गणतंत्र दिवस समारोह में प्रतिभावान छात्राओं को प्रमाणपत्र वितरण. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : शासकीय कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल अभनपुर में गणतंत्र दिवस समारोह में प्रतिभावान छात्राओं को प्रमाणपत्र वितरण. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : शासकीय बजरंगदास हायर सेकेंडरी स्कूल अभनपुर में ध्वजारोहण. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : शासकीय बजरंगदास हायर सेकेंडरी स्कूल अभनपुर में गणतंत्र दिवस समारोह. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : शासकीय बजरंगदास हायर सेकेंडरी स्कूल अभनपुर में गणतंत्र दिवस समारोह में प्रतिभावान छात्रों को प्रमाण पत्र वितरण. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : अभनपुर स्टेडियम के मुख्य समारोह में ध्वजारोहण. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : अभनपुर स्टेडियम में मुख्य समारोह. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : अभनपुर स्टेडियम में मुख्य समारोह. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : अभनपुर स्टेडियम के मुख्य समारोह में नन्हें कलाकारों को प्रमाणपत्र प्रदान करते हुए. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : अभनपुर स्टेडियम के मुख्य समारोह में नन्हें कलाकारों को प्रमाणपत्र प्रदान करते हुए. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : अभनपुर स्टेडियम के मुख्य समारोह में नन्हें कलाकारों को प्रमाणपत्र प्रदान करते हुए. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : अभनपुर स्टेडियम के मुख्य समारोह में नन्हें कलाकारों को प्रमाणपत्र प्रदान करते हुए. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : अभनपुर स्टेडियम के मुख्य समारोह में महिला स्व सहायता समूहों की महिलाओं को प्रमाण पत्र प्रदान करते हुए. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : अभनपुर स्टेडियम के मुख्य समारोह में नन्हे बच्चों का उत्साह देखते ही बनता था. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : अभनपुर स्टेडियम में मुख्य समारोह. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : अभनपुर स्टेडियम में मुख्य समारोह. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : अभनपुर स्टेडियम में मुख्य समारोह. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : शासकीय हरिहर हायर सेकेंडरी स्कूल नवापारा राजिम में ध्वजारोहण. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : शासकीय हरिहर हायर सेकेंडरी स्कूल नवापारा राजिम में भारतमाता की मूर्ति की पूजा हुई. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : शासकीय हरिहर हायर सेकेंडरी स्कूल नवापारा राजिम में नवनिर्मित शेड का लोकार्पण. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : शासकीय हरिहर हायर सेकेंडरी स्कूल नवापारा राजिम में गणतंत्र दिवस समारोह. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : शासकीय हरिहर हायर सेकेंडरी स्कूल नवापारा राजिम में स्काउट गाईड के विद्यार्थियों के परेड की सलामी लेते हुए. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : शासकीय हरिहर हायर सेकेंडरी स्कूल नवापारा राजिम में स्काउट गाईड के विद्यार्थियों के परेड की सलामी लेते हुए. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : शासकीय हरिहर हायर सेकेंडरी स्कूल नवापारा राजिम में स्काउट गाईड के विद्यार्थियों के परेड की सलामी लेते हुए. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : शासकीय हरिहर हायर सेकेंडरी स्कूल नवापारा राजिम में गणतंत्र दिवस समारोह. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : शासकीय हरिहर हायर सेकेंडरी स्कूल नवापारा राजिम में गणतंत्र दिवस समारोह. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : ग्राम नाहना चंडी (अभनपुर) में गणतंत्र दिवस समारोह. |
![]() |
गणतंत्र दिवस 2018 : ग्राम नाहना चंडी (अभनपुर) में गणतंत्र दिवस समारोह. |
सदस्यता लें
संदेश (Atom)