महात्मा गाँधी और लाल बहादूर शास्त्री के जन्मदिन पर भारत सरकार ने स्वच्छता अभियान प्रारंभ किया जो कि अत्यंत ही सराहनीय कदम है. सरकार की एक अपील का ये असर हुआ कि समूचा समाज सफाई अभियान में जुट गया.
वास्तव में सफाई का संबंध सीधे तौर पर हमारे स्वास्थ्य से जुड़ा है, दूषित जल, दूषित हवा और दूषित भोजन का सेवन करने से मानव ही नहीं बल्कि जल, थल और नभ में रहने वाले समस्त जीवों को नाना प्रकार के कष्ट झेलने पड़ रहें है. इसका कारण है गन्दगी. इसने हमारा सुख चैन छिन लिया है. गन्दगी फ़ैलाने के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार मनुष्य ही है. अतः स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए हमें अपने स्वभाव में बदलाव करना पड़ेगा.
मैंने जिला पंचायत रायपुर के अध्यक्ष पद (2005 से 2010 तक) पर रहते हुए इस विषय पर काफी काम किया था. उस समय छत्तीसगढ़ी में लिखी गई यह कविता काफी चर्चित हुई थी जिसे अपने ब्लाग पर पुनः लिख रहा हूँ ------
गोकुल जईसे ह़र गाँव,
जिंहाँ ममता के छाँव !
सुन्दर निर्मल तरिया नरूवा,
सुग्घर राखबो गली खोर ,
तब्भे आही नवां अंजोर !
हर खेत खार में पानी ,
जिंहाँ मेहनत करे जवानी !
लहलहाए जब फसल धान के,
चले किसान तब सीना तान के !
घर घर में नाचे चितचोर ,
तब्भे आही नवां अन्जोर !!
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