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08 अक्टूबर, 2012

मेरी दुनियाँ है माँ तेरे आँचल में . . .




पूज्यनीय माताजी स्व . श्रीमती सावित्री देवी बजाज
माँ यानी मेरी प्यारी बीजी 04.10.2012 को गौ-लोक सिधार गई.एक दिन पहले तक वह एकदम सामान्य थी, दूर दूर तक ऐसा कोई संकेत नहीं था वह इतनी जल्दी हमसे बिछड़ जायेंगीं. 3 अक्तूबर को पिताजी का श्राद्ध था उन्होंने पूरे रीती-रिवाज के साथ श्राद्ध किया, रात को भी सोने के पहले सबसे बात करके सोयी. सुबह रक्तचाप कम होने तथा शुगर बढ़ने के कारण उन्हें लगभग 8 बजे अस्पताल में भर्ती किया गया . लगभग 10 बजे डाक्टरों ने जानकारी दी कि उनके हार्ट में समस्या है, पंपिंग करके हार्ट चालू किया गया है . युद्ध स्तर पर रायपुर के रामकृष्ण केयर हास्पिटल के आई.सी.सी.यू. में उनका उपचार चल रहा था. लगभग 12 बजे डाक्टरों की टीम ने हथियार डाल दिए और ह्रदय विदारक सूचना दी. मेरे व मेरे परिवार के लिए यह सूचना किसी वज्रपात से कम नहीं थी. वह हम सबको रोता बिलखता छोड़ कर इस संसार से बिदा हो चुकी थी. लेकिन कहाँ गई कोई नहीं जानता. किसी ने कहा भी है - "दुनिया से जाने वाले जाने चले जाते है कहाँ ..... ! "  उनकी अभी उम्र मुश्किल से 80 साल की थी. पूरे परिवार को उनका बड़ा सहारा था. आज वह हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी यादें हमें सदैव रुलाती रहेंगी.  
   
वृद्धाश्रम की तस्वीर 
इस घटना के ठीक एक माह पूर्व मेरे जन्मदिन पर वह मुझे वृद्धाश्रम ले गई थी जहाँ उन्होंने वृद्ध-जनों को कपड़े बांटें तथा उनका मुंह मीठा कराया था. वह दीन-हीन व जरुरत मंद लोगों की सदा सुध लेती थी तथा यथा संभव उनकी मदद करती थी. उनका जीवन कठिन तप साधना और त्याग का जीवंत उदाहरण है. पूरा जीवन गाँव में व्यतीत करने के कारण गाँव व ग्रामीण संस्कृति से विशेष लगाव था. जीवन भर उनका ममत्व और वात्सल्य हमें मिला. उनके आशीर्वाद और प्रेरणादायी वचनों ने सफल जीवन जीने का मार्ग प्रशस्त किया है .   आज तक हम जिन ऊंचाईयों तक पहुँच पाए है उसमें उनका भरपूर योगदान है . उनके इस योगदान रूपी ऋण से उऋण होना शायद इस जनम में मुमकिन नहीं.

10 टिप्‍पणियां:

  1. माता जी के बिछड़ने का दुखः है. किन्तु यात्रा अनवरत है आप जैसे विद्वान कहते हैं .

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  2. माँ के साथ स्मृतियों का सिन्धु रहता है। विनम्र श्रद्धांजलि...

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  3. पूजनीय माताजी को विनम्र श्रद्धांजली.......!
    अब केवल यादें ही शेष है.................!

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  4. अतयंत ही दु:खद समाचार है. ईश्वर आपके परिवार को इस असीम दु:ख को सहने की शक्ति प्रदान करे. निगम परिवार की विनम्र श्रद्धांजलि.

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  5. ईश्‍वर की इच्‍छा को स्‍वीकारने के सिवा किया ही क्‍या जा सकता है ?
    हार्दिक श्रद्धांजलि !!

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  6. आज तक हम जिन ऊंचाईयों तक पहुँच पाए है उसमें उनका भरपूर योगदान है . उनके इस योगदान रूपी ऋण से उऋण होना शायद इस जनम में मुमकिन नहीं.

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  7. माँ तो माँ होती है, व्यक्ति चाहे जितना उम्र दराज हो जाए फिर भी यही चाहत होती है कि माँ के आँचल कि छाया बनी रहे, लेकिन इस संसार में आये हैं तो एक दिन जाना भी पड़ता है यही सत्य है... और सत्य को स्वीकार करना ही होता है. इस असीम दुःख को सहन करने की शक्ति प्राप्त हो यही ईश्वर से प्रार्थना है...माताजी को सादर नमन .. हार्दिक श्रद्धांजलि ...

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  8. दुखद घड़ी में हम आपके साथ हैं.. मां की कमी तो कभी पूरी नहीं हो सकती.. ईश्वर से प्रार्थना है कि उनकी आत्मा को शांति मिले और आपको इस दुःख को सह पाने की शक्ति... माताजी को विनम्र श्रद्धांजलि ...

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