न्यूजीलैंड की एक शोध संस्था ने बताया है कि सवा सौ साल पहले ज्वालामुखी की राख में दफन हुई सिलिका की सिलसिलेवार सतहें फिर से मिल गई हैं.न्यूजीलैंड के उत्तरी द्वीप की एक झील में मिलीं इस सिलिका के बारे में अभी तक यह समझा जा रहा था कि ये खो गई हैं. सन 1886 में न्यूजीलैंड में हुए अब तक के सबसे बड़े ज्वालामुखी विस्फोट में करीब 100 लोग मारे गए थे तथा वहां का बहुत बड़ा हिस्सा राख व लावे में दब गया था.
सफेद छत के नाम से मशहूर सिलिका की सिलसिलेवार परतें न्यूजीलैंड के उत्तरी द्वीप की रोतोमाहना झील के तल पर मिली हैं. जनवरी में यह व्हाइट टेरेसेस मिलीं. एक जमाने में न्यूजीलैंड में व्हाइट और पिंक टेरेस पर्यावरण का मुख्य आकर्षण होती थीं. समझा जा रहा था कि जून 1886 में माउंट तारावेरा में ज्वालामुखी विस्फोट के बाद यह नष्ट हो गईं. लेकिन वैज्ञानिकों ने झील की सतह पर सोनार सर्वे के विश्लेषण के दौरान इन सिलिका की परतों के बारे में पता लगाया.
रोतोमाहना झील में सबसे गहरा हिस्सा 122 मीटर नीचे है. यह सिलिका की सतहें 60 मीटर नीचे हैं और एक दूसरे से 100 मीटर की दूरी पर हैं.
प्रोजेक्ट प्रमुख कोर्नेल डी रोंडे ने कहा कि झील की सतह नर्म तलछट और कीचड़ वाली है. जिस सोनर इमेज से व्हाइट टेरेसेस के बारे में पता चला वह प्रोजेक्ट खत्म होने के बाद मिलीं. यह 100 मीटर लंबे आड़े हिस्से में है. लेकिन हम नहीं जानते कि यह सतह का कौन सा भाग है.
साभार गूगल, डी.डब्लू .हिंदी , Volcano लाइव
इसके लिए वीडिओ .......
नयी जानकारी मिली।
जवाब देंहटाएंआभार
नयी रोचक जानकारी।
जवाब देंहटाएंमहत्वपूर्ण ,ज्ञानवर्धक और सूचनात्मक आलेख. सराहनीय प्रस्तुति के लिए आभार .
जवाब देंहटाएंरत्नगर्भा धरती.
जवाब देंहटाएंसवा सौ साल पहले ज्वालामुखी की राख में दफन हुई सिलिका की परतो को खोज निकालने के लिए न्यूजीलैंड के वैज्ञानिकों को बहुत बहुत बधाई----! साथ ही इस ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए आपको भी बधाई----!
जवाब देंहटाएंसवा सौ साल पहले ज्वालामुखी की राख में दफन हुई सिलिका की परतो को खोज निकालने के लिए न्यूजीलैंड के वैज्ञानिकों को बहुत बहुत बधाई----! साथ ही इस ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए आपको भी बधाई----!
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