भारत में निर्वाचन आयोग की हीरक जयंती पर रायपुर के टाउन हाल में एक प्रदर्शनी लगी हैं । प्रदर्शनी में चुनाव आयोग की गतिविधियों को दर्शाने वाले विहंगम चित्र लगे हैं । चित्रो में दिखाया गया है कि मतदान दल को मतदान कराने के लिए दुर्गम रास्तों पहाड़यिों व बर्फीले स्थानो पर जाने के लिए किन किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है । देश में आज भी ऐसे स्थान है जहां पैदल जाना मुश्किल है लेकिन मतदान दल उंट या हाथी जैसे साधन का उपयोग करते है। गुजरात में एक स्थान हैं जहां केवल एक ही मतदाता है,उसी एक मतदाता के लिए मतदान दल को मतदान के एक दिन पूर्व से डयूटी करनी पड़ती हैं ।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश हैं। विभिन्न शासन प्रणालियो में लोकतंत्र को सर्वश्रेष्ठ शासन प्रणाली माना जाता है । लोकतांत्रिक व्यवस्था में 18 वर्ष या उससे अधिक के हर व्यक्ति को गुप्त मतदान के माध्यम से अपना प्रतिनिधि चुनने का अधिकार हैं । इस व्यवस्था में प्रत्येक मतदाता को केवल एक व्होट देने का अधिकार है । चाहे वह व्यक्ति गरीब से गरीब हो या चाहे देश का राष्ट्रपति हो, सबको केवल एक व्होट का अधिकार हैं। इस मामले में आम मतदाता और सर्वाधिकार सम्पन्न राष्ट्रपति का अधिकार समान हैं।
चोरी करने वाले तोड़ हर चीज का ढूंढ लेते हैं।
जवाब देंहटाएंबीच में मैने एक लेख पढा था कहीं कि ईवीएम भी हैक हो सकता है।
इसे फ़ुलप्रुफ़ बनाने की आवश्यक्ता है,ताकि प्रजातंत्र की रक्षा हो सके,लोग अपना मतदान कर सकें
शुभकामनाएं
यह लेख नईदिल्ली से प्रकाशित दैनिक वीर अर्जुन के दिनांक ५-८-२०१० के अंक मे भी पढ़ा जा सकता है.धन्यवाद
जवाब देंहटाएं... सार्थक पोस्ट !!!
जवाब देंहटाएं''अगस्त यानि क्रांतिकारी महीना '' शीर्षक से एक लेख नईदिल्ली से प्रकाशित दैनिक वीर अर्जुन के दिनांक ५-८-२०१० के अंक मे पढ़े .. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंइलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में वोट देने के बाद क्या आप दावे से कह सकते हैं कि आपका वोट उसी पार्टी के खाते में गया जिसे आपने वोट दिया था?
जवाब देंहटाएंकागजी मतपत्र पर तो आप अपने हाथ से अपनी आँखों के सामने मतपत्र पर सील लगाते हैं, जबकि EVM में क्या सिर्फ़ पंजे या कमल पर बटन दबाने और "पीं" की आवाज़ से ही आपने कैसे मान लिया कि आपका वोट दिया जा चुका है? जबकि हैकर्स इस बात को सिद्ध कर चुके हैं कि मशीन को इस प्रकार प्रोग्राम किया जा सकता है, कि "हर तीसरा या चौथा वोट" "किसी एक खास पार्टी" के खाते में ही जाये, ताकि कोई गड़बड़ी का आरोप भी न लगा सके।
अमेरिका, जर्मनी, हॉलैण्ड जैसे तकनीकी रुप से समृद्ध और विकसित देश इन मशीनों को चुनाव सिस्टम से बाहर क्यों कर चुके हैं?
अतः अब समय आ गया है कि इन मशीनों के उपयोग पर पुनर्विचार किया जाये |हमसबों को भी अब इस EVM मशीन का विरोध करना चाहिए |