21 फ़रवरी 2011
बीबीसी रेडियो की हिंदी सेवा बंद करने का निर्णय दुर्भाग्यजनक
20 फ़रवरी 2011
वीकेंड में शराब तो तबियत खराब
सप्ताहांत में पीने वालों के लिए शराब खतरनाक

फ्रांस के ट्यूलूस विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने यह खुलासा किया है। उन्होंने फ्रांस के तीन कस्बों में अधे़ड़ अवस्था वाले लोगों की पीने की आदतों की तुलना उत्तरी आयरलैंड के बेलफास्ट के लोगों से की। समाचार 'डेली मेल' ने ब्रिटेन की एक चिकित्सा पत्रिका की रिपोर्ट के हवाले से बताया कि फ्रांस के नागरिकों ने एक सप्ताह में करीब 30 यूनिट शराब का सेवन किया।
उत्तरी आयरलैंड के प्रांत अलस्टर के लोगों ने एक सप्ताह में करीब 22 यूनिट शराब पी। रिपोर्ट के मुताबिक फ्रांस के नागरिकों में रक्तचाप की मात्रा ज्यादा पाई गई। इनमें से ज्यादातर लोग मधुमेह के शिकार थे जबकि दोनों देशों के लोगों में कोलेस्ट्राल का स्तर एक पाया गया।
शोधकर्ताओं ने बताया कि यह महत्वपूर्ण रूप से पाया गया कि फ्रांस के नागरिकों ने शराब का सेवन करीब पूरे सप्ताह थोड़ी-थोड़ी मात्रा में किया। जबकि अलस्टर के लोगों ने सप्ताह के अंतिम दो दिनों में जमकर शराब पी।
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के मुताबिक यह नया शोध अधेड़ अवस्था वाले लोगों के लिए चेतावनी है। वे शराब का सेवन अत्यधिक मात्रा में कर उससे हृदय का सुरक्षात्मक प्रभाव खो देते हैं।
18 फ़रवरी 2011
' राजिम कुंभ '

परम्परागत वार्षिक पुन्नी मेला पिछले पाँच वर्षों से ' राजिम कुंभ ' के रूप में आयोजित किया जाने लगा है . यह छठवां वर्ष है इसलिए इस वर्ष इस मेले को अर्द्ध-कुंभ का नाम दिया गया है .छतीसगढ़ शासन द्वारा मेले की व्यापक तैयारियां की गई है .आप सबने इस मेले में आने की तैयारी कर ली होगी यदि नही की है तो तत्काल तैयारी कर लें .
आपको माघ पूर्णिमा एवं राजिम अर्द्ध-कुंभ की बहुत बहुत बधाई !!!
17 फ़रवरी 2011
हिंदी में ट्विटर
इंटरनेट की आजादी पर जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में भाषण देते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री हिलैरी क्लिंटन ने कहा, "अमेरिका दुनिया भर के लोगों के साथ बातचीत जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है, पिछले हफ्ते हमने ट्विटर पर अरबी और फारसी में संदेश भेजना शुरू किया, फ्रेंच और स्पेनिश में हम पहले से ही ऐसा कर रहे हैं. अब हिंदी, रूसी और चीनी भाषा में भी ये संदेश भेजने की व्यवस्था शुरू की जा रही है."'
क्लिंटन का कहना है कि इस सेवा के जरिए अमेरिका अब लोगों से हर वक्त दोतरफा और सीधी बातचीत कर सकेगा अगर किसी देश की सरकार ने इंटरनेट की आजादी पर पाबंदी नहीं लगाई है तो. अमेरिकी विदेश मंत्री ने इशारों इशारों में बता दिया कि चीन, क्यूबा, ईरान, म्यांमार, सीरिया और वियतनाम जैसे देशों में इंटरनेट पर सेंसरशिप है. हिलेरी ने कहा, "चीन में सरकार कंटेंट पर सेंसर लगाती है और इंटरनेट सर्च में मांगी गई पेज की जगह एरर आ जाता है. इसी तरह म्यांमार में स्वतंत्र न्यूज वेबसाइट की सेवा में बाधा खड़ी की जा रही है. क्यूबा की सरकार एक राष्ट्रीय इंटरनेट तैयार कर रही है और लोगों को ग्लोबल इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं करने दिया जा रहा." हिलेरी ने बताया कि वियतनाम में सरकार के खिलाफ लिखने वाले ब्लॉगरों को गिरफ्तार किया जा रहा है और उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है.
अमेरिकी विदेश मंत्री के मुताबिक, "ईरान में सरकार विपक्षी पार्टियों औऱ मीडिया वेबसाइटों के अलावा स्थानीय सामाजिक मीडिया पर भी रोक लगा रही है. अपने ही लोगों को नीचा दिखाने के लिए पहचान से जुड़ी सूचनाओं की चोरी की जा रही है."
हिलेरी ने बताया कि सीरिया ने पिछले हफ्ते फेसबुक और यूट्यूब से प्रतिबंध हटा दिया लेकिन एक किशोरी पर जासूसी का आरोप लगा कर उसे पांच साल के लिए जेल भेज दिया गया. इस लड़की की गलती बस इतनी थी कि उसने अपने ब्लॉग पर राजनीतिक कविता लिखी थी. हिलेरी ने कहा, "अभिव्यक्ति का मंच हासिल करने की मांग तब तक पूरी नहीं होगी जब तक उन्हें इस्तेमाल करने वालों को जेल में डाला जाता रहेगा."
15 फ़रवरी 2011
जापानी महिलाओं का क्रांतिकारी कदम ?
सामान्यत: शादी के बाद महिलाओं का उपनाम (सरनेम ) बदल जाता है ,भारत में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है । जापान में भी यही परम्परा है ,ताजा जानकारी के अनुसार जापानी नागरिकों के एक समूह ने देश के उस कानून को अदालत में चुनौती दी है, जिसमें महिलाओं को शादी के बाद अपना उपनाम बदलना होता है।करीब 113 साल पुराने इस कानून के तहत शादीशुदा जोड़ों को शादी के बाद कोई एक उपनाम चुनना होता है,परंपरानुसार सामान्यत: पुरुष का ही होता है। मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि कानून देश में महिलाओं के संवैधानिक समानता के अधिकारों का हनन करता है।
चार महिलाओं तथा उनमें से एक के जोड़ीदार सहित पाँच लोगों ने सरकार से अपनी परेशानियों के लिए साठ लाख येन (70 हजार अमेरिकी डॉलर) की माँग की है और स्थानीय सरकारी कार्यालयों से उनके अलग-अलग उपनाम के सर्टिफिकेट देने को कहा है। उनका तथा उनके समर्थकों का कहना है कि यह मुकदमा उपनाम संबंधी कानून को चुनौती देने वाला पहला मामला है। साथ ही यह प्रधानमंत्री नाओतो कान के लिए भी चुनौती है,क्यों कि उन्होंने शादीशुदा जोड़ों को अलग-अलग उपनाम रखने की इजाजत देने के लिए कानून में बदलाव का वादा किया था।
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