13 फ़रवरी, 2015
08 फ़रवरी, 2015
फिर वसंत की आत्मा आई,
मिटे प्रतीक्षा के दुर्वह क्षण,
अभिवादन करता भू का मन !
दीप्त दिशाओं के वातायन,
प्रीति सांस-सा मलय समीरण,
चंचल नील, नवल भू यौवन,
फिर वसंत की आत्मा आई,
आम्र मौर में गूंथ स्वर्ण कण,
किंशुक को कर ज्वाल वसन तन !
देख चुका मन कितने पतझर,
ग्रीष्म शरद, हिम पावस सुंदर,
ऋतुओं की ऋतु यह कुसुमाकर,
फिर वसंत की आत्मा आई,
विरह मिलन के खुले प्रीति व्रण,
स्वप्नों से शोभा प्ररोह मन !
सब युग सब ऋतु थीं आयोजन,
तुम आओगी वे थीं साधन,
तुम्हें भूल कटते ही कब क्षण?
फिर वसंत की आत्मा आई,
देव, हुआ फिर नवल युगागम,
स्वर्ग धरा का सफल समागम !
- सुमित्रानंदन पंत
18 जनवरी, 2015
ब्लॉग की दुनिया
"ग्राम चौपाल" की शोहरत इन दिनों पूरे शबाब पर है. अभी तक विभिन्न देशों के 1,46,460 लोग इस ब्लॉग का विजिट कर चुके है. पिछले माह - 7171 लोग , बीते हुए कल में 963 तथा आज दिनांक 17.01.2015 को अब तक 347 लोग विजिट कर चुके है.सोशल मिडिया के अन्य माध्यमों फेसबुक , ट्यूटर आदि से थक कर लोग एक बार फिर ब्लॉग की दुनिया की ओर वापस लौट रहें है. इस सफलता के लिए आप सबका आभार !
"ग्राम चौपाल" का लिंक है - https://ashokbajaj99.blogspot.com/
06 जनवरी, 2015
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