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13 नवंबर, 2011

सहकारिता यानी " सब के लिए एक और एक के लिए सब "


सहकारिता का सप्तरंगी ध्वज
आज देश के प्रथम प्रधान मंत्री पं.जवाहर लाल नेहरू का जन्म दिन है .हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी आज के दिन को बाल दिवस के रूप में मनाया गया . सहकारी आन्दोलन के प्रति पं. नेहरू के योगदान के मद्देनजर प्रति वर्ष 14 नवंबर से 20 नवंबर तक सहकारी  सप्ताह मनाया जाता है . सहकारी संस्थाओं द्वारा गोष्ठी, प्रदर्शनी व सभा -सम्मलेन के माध्यम से सहकारी आन्दोलन का प्रचार प्रसार किया जाता है .

वास्तव में सहकारिता मनुष्य के सर्वांगीण विकास का सर्वोत्तम माध्यम है , यह आम आदमी को आर्थिक रूप से सक्षम बनाता है . जिस देश में सहकारी आन्दोलन मजबूत होगा उस देश की आर्थिक हालत भी मजबूत होगी . अतः देश के आर्थिक सुदृढ़ीकरण के लिए सहकारी आन्दोलन को सुदृढ़ बनाना अति आवश्यक है .  सहकारिता के प्रति जन विश्वास को और अधिक मजबूत बनाने के लिए सहकारिता से जुड़ी संस्थाओं और इससे जुड़े लोगों कोकाफी मेहनत की जरुरत है .


सहकारिता की मूल भावना है " सब के लिए एक और एक के लिए सब " . इसी मूल भावना को जमीनी स्तर पर ले जाना होगा .सहकारिता हमें पारस्परिक सहयोग के आधार पर स्वावलंबन  एवं आत्मनिर्भर जीवन जीने का अवसर प्रदान करता है .

10 नवंबर, 2011

कार्तिक पूर्णिमा, प्रकाश उत्सव एवं 11/11/11 का महासंयोग


   
11/11/11  का महासंयोग
                      
ज कार्तिक पूर्णिमा  एवं प्रकाश पर्व  है और कल  यानी 11 नवंबर 2011 को एक के अंक की छः  आवृत्तियां 11.11.11 एक साथ है . है ना यह  दुर्लभ संयोग ? ऐसा दुर्लभ संयोग सौ साल में एक बार आता है . इस वर्ष 2011 में यह दुर्लभ संयोग चौथी बार आया है . पहली बार  1 जनवरी 2011 को एक की चार आवृत्तियां 1.1.11 एक साथ थी . दूसरी बार 11 जनवरी को जब पांच आवृत्तियां 11.1.11 एक साथ थी .  तीसरी बार यह दुर्लभ संयोग आया 1.11.11  को और चौथी बार कल यानी  11.11.11 को अंकीय संयोग आया है . इस दिन  11.11.11 को घड़ी का कांटा 11 बज कर 11 मिनट और 11 सेकण्ड पर आएगा तब यह अंकीय महा संयोग होगा . अवश्य आप इस वक्त को अविस्मरनीय बनाने की जुगत में होंगें .

कार्तिक पूर्णिमा
भारतीय संस्कृति में कार्तिक मास की पूर्णिमा का धार्मिक एवं आध्यात्मिक माहात्म्य है. दीपावली, यम द्वितीया और गोवर्धनपूजा के अलावा इस मास के सांस्कृतिक पर्वो में यह पर्व असीम आस्था का संचार करता है. वर्ष के बारह महीनों में पंद्रह पूर्णिमाएं होती हैं. जब अधिक मास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 16 हो जाती है परन्तु कार्तिक मास की पूर्णिमा का  धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से विशेष महत्व है. इसे त्रिपुरी पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है. 

इस पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा की संज्ञा इसलिए दी गई है क्योंकि आज के दिन ही भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का अंत किया था और वे त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए थे.ऐसी मान्यता है कि इस दिन कृतिका में शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है. इस दिन चन्द्र जब आकाश में उदित हो रहा हो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छ: कृतिकाओं का पूजन करने से शिव जी की प्रसन्नता प्राप्त होती है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान तथा दीपदान की प्राचीन परम्परा है. इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से भी पूरे वर्ष स्नान करने का फल   मिलता है.

प्रकाश उत्सव 
कार्तिक पूर्णिमा के दिन  सिखों के प्रथम  गुरू गुरूनानक देवजी का  जन्मोत्सव  प्रकाश उत्सव के रूप में मनाया जाता है . गुरु नानक देवजी का प्रकाश (जन्म) 15 अप्रैल 1469 ई. (वैशाख सुदी 3, संवत्‌ 1526 विक्रमी) में तलवंडी रायभोय नामक स्थान पर हुआ था . सुविधा की दृष्टि से गुरु नानक का प्रकाश उत्सव कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है. तलवंडी अब ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है. तलवंडी पाकिस्तान के लाहौर से 30 मील दक्षिण-पश्चिम में स्थित है.
 

जीती नौखंड मेदनी सतिनाम दा चक्र चलाया
भया आनंद जगत बिच कल तारण गुरू नानक आया

कार्तिक पूर्णिमा एवं प्रकाश उत्सव  की आपको हार्दिक  बधाई एवं शुभकामनाएं !

07 नवंबर, 2011

पारम्परिक दिवाली ग्रीटिंग कार्ड की भीड़ में नवाचार


प्रयोगधर्मी शुभकामनाएं

स वर्ष की दिवाली ग्रीटिंग में हमने छत्तीसगढ़ में राम वन गमन मार्ग को प्रदर्शित नक़्शे को प्रकाशित किया था ; जिसे ईष्ट मित्रों से काफी प्रशंसा तो मिली ही पर हमारा मिशन तब और सार्थक हो गया जब छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय हिंदी दैनिक नवभारत ने 6 नवंबर 2011 के CG 04 में प्रकाशित करते हुए लिखा है कि ..........

" दीपावली में सुन्दर बधाई संदेशों की भरमार रहती है .इनमें ऐसे सन्देश लेकिन कम ही दिखाई पड़ते है जिनमें कोई नवाचार हो. छत्तीसगढ़ स्टेट हाउसिंग कार्पोरेशन के अध्यक्ष अशोक बजाज इस मोर्चे में कुछ आगे निकल गए है.  उनका कार्ड पारम्परिक कार्ड्स की भीड़ में अलग है. छत्तीसगढ़ में भगवान श्रीराम कहाँ से कहाँ होते गुजरे इसे उन्होंने दिखाया है. शोध की दृष्टि से एवं सामान्य जिज्ञासा, दोनों के नजरिये से प्रभावकारी है. संग्रहण के नजरिये से भी इस कार्ड की अहमियत है . "


नवभारत रायपुर 6/11/2011
मूल दिवाली ग्रीटिंग कार्ड


05 नवंबर, 2011

देवउठनी यानी छोटी दिवाली

ज  कार्तिक शुक्ल एकादशी है यानी  देवउठनी एकादशी  है. ऎसी मान्यता है कि आषाढ शुक्ल एकादशी   से सोये हुये देवताओं के जागने का यह दिन है .  देवताओं के जागते ही  समस्त प्रकार के शुभ कार्य करने का सिलसिला शुरू हो जाता है .

इसी दिन तुलसी और शालिग्राम के विवाह की भी प्रथा है। यह दिन मुहूर्त में विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह पूरे वर्ष में प़डने वाले अबूझ मुहूर्तो में से एक है. किसी भी शुभ कार्य को आज के दिन आँख मुंद कर प्रारंभ किया जा सकता है . यानी  मुहूर्त देखने की जरुरत नहीं रहती .  भगवान विष्णु को चार मास की योग-निद्रा से जगाने के लिए घण्टा ,शंख,मृदंग आदि वाद्य यंत्रों  की मांगलिक ध्वनि के साथ इस  श्लोक का वाचन किया जाता है ---

     उत्तिष्ठोत्तिष्ठगोविन्द त्यजनिद्रांजगत्पते।       
त्वयिसुप्तेजगन्नाथ जगत् सुप्तमिदंभवेत्॥
    उत्तिष्ठोत्तिष्ठवाराह दंष्ट्रोद्धृतवसुन्धरे।
  हिरण्याक्षप्राणघातिन्त्रैलोक्येमङ्गलम्कुरु॥
 
 
 
किसानों की गन्ने की फसल भी तैयार है ,आज के दिन गन्ने की पूजा करके उसका उपभोग किया जाता है ; नए ज़माने के लोग इस परिपाटी को तोड़ चुकें है . देश में आज के दिन को छोटी दिवाली के रूप में भी मनातें है , कहने का तात्पर्य है कि आज भी पटाखों ,फुलझड़ियों एवं मिठाइयों का दौर चलेगा .

आप सबको देवउठनी के पावन पर्व पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !