26 अगस्त, 2018
17 अगस्त, 2018
राजनीतिक क्षितिज का एक चमकता सितारा अस्त हो गया
अटलजी और छत्तीसगढ़

राज्य का गठन करना कोई हंसी खेल तो था नहीं। कई वर्षो से लोग आवाज उठा रहे थे अनेक तरह से आंदोलन भी करते रहे लेकिन राज्य का निर्माण नहीं हो पाया था। इस बीच प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सन 1998 में सप्रेशाला रायपुर के मैदान में एक अटल प्रतिज्ञा की, कि यदि आप लोकसभा की 11 में से 11 सीटो में भाजपा को जितायेंगे तो मैं तुन्हें छत्तीसगढ़ राज्य दूंगा। लोकसभा चुनाव का परिणाम आया। भाजपा को 11 में सें 8 सीटे मिली लेकिन केंद्र में अटल सरकार फिर से बनी। प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप राज्य निर्माण के लिए पहले ही दिन से प्रक्रिया प्रारंभ कर दी। मध्यप्रदेश राज्य पुर्निर्माण विधेयक 2000 को 25 जुलाई 2000 में लोकसभा में पेश किया गया। इसी दिन बाकी दोनो राज्यो के विधेयक भी पेश हुए। 31 जुलाई 2000 को लोकसभा में और 9 अगस्त को राज्य सभा में छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के प्रस्ताव पर मुहर लगी। 25 अगस्त को राष्ट्रपति ने इसे मंदूरी दे दी। 4 सिंतबर 2000 को भारत सरकार के राजपत्र में प्रकाशन के बाद 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ देश के 26 वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया और एक अटल-प्रतिज्ञा पूरी हुई।
छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के पहले हम मध्यप्रदेश में थे। मध्यप्रदेश का निर्माण सन 1956 में 1 नवम्बर को ही हुआ था। हम 1 नवम्बर 1956 से 31 अक्टूबर 2000 तक यानी 44 वर्षो तक मध्यप्रदेश के निवासी थे तब हमारी राजधानी भोपाल थी। इसके पूर्व वर्तमान छत्तीसगढ़ का हिस्सा सेन्ट्रल प्रोविंस एंड बेरार (सी.पी.एंड बेरार) में था तब हमारी राजधानी नागपुर थी। इस प्रकार हम सी.पी.एंड बेरार, तत्पश्चात मध्यप्रदेश और अब छत्तीसगढ़ के निवासी है। वर्तमान छत्तीसगढ़ में जिन लोगो का जन्म 1 नवम्बर 1956 को या इससे पूर्व हुआ वे तीन राज्यो में रहने का सुख प्राप्त कर चुके है।

12 अगस्त, 2018
‘मन की बात और रमन के गोठ' से राज्य में बढ़ी रेडियो की लोकप्रियता
मुख्यमंत्री की रेडियो वार्ता के नियमित प्रसारण के तीन वर्ष पूर्ण होने पर रेडियो श्रोता संघ ने दी बधाई

02 अगस्त, 2018
छत्तीसगढ़ में संचार क्रांति के सूत्रधार डा. रमन सिंह
घर घर पहुंचा ज्ञान, विज्ञान व मनोरंजन का खजाना
छत्तीसगढ़ अब विकास की लम्बी छलांग लगाते हुए तेजी से विकसित राज्य की श्रेणी की तरफ बढ़ रहा है । जिस राज्य का हर गांव बारहमासी सड़कों से जुड़ गया हो, जहां गांव-गांव में शिक्षा के संसाधन हो, जिस राज्य की शत-प्रतिशत आबादी तक बिजली पहुंच गई हो तथा हर गांव बिजली से नहा रहा हो वह राज्य अब पिछड़ा रह भी कैसे सकता है । अगर कुछ कसर बाकी था तो उसे संचार क्रांति योजना से पूरा किया जा रहा है । इस योजना के माध्यम से शासन ने जहां एक ओर हर घर तक मोबाईल पहंचाने की योजना बनाई है वहीं दूसरी ओर इंटरनेट कनेक्टिविटी बढ़ाने का प्रयास कर रही है ।
संचार क्रांति योजना छत्तीसगढ़ शासन की अति महत्वाकांक्षी योजना है जिसमें शासन द्वारा 50 लाख स्मार्ट फोन बांटा जा रहा है । शहरी क्षेत्र के हर गरीब परिवार की महिला मुखिया, ग्रामीण क्षेत्र के हर परिवार की महिला मुखिया तथा राज्य के सभी नियमित महाविद्यालय छात्र-छात्राओं को इस योजना के दायरे में लिया गया है । महिलाओं को प्रदत्त किये जाने वाले हैंडसेट की कीमत 4499 रू. तथा विद्यार्थियों को प्रदान किये जा रहे हैंडसेट की कीमत 5999 रू. है । इस योजना के अंतर्गत लगभग 46 लाख महिलाओं तथा 4 लाख विद्यार्थियों को शासन के खर्चे से मोबाईल सेट प्रदान किया जा रहा है । इससे राज्य में मोबाईल उपयोग करने वालों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि होगी ।
भारत में औसत मोबाईल उपलब्धता वर्तमान में 68 प्रतिशत है, जबकि छत्तीसगढ़ में मात्र 29 प्रतिशत लोग मोबाईल का उपयोग करते हैं । पूरे देश के अन्य राज्यों के मुकाबले सबसे कग औसत मोबाईल उपलब्धता छत्तीसगढ़ की है । केरल, गोवा एवं हिमांचल प्रदेश में औसत मोबाईल उपलब्धता 90 प्रतिशत या उससे अधिक है, जबकि मध्यप्रदेश, उड़ीसा एवं छत्तीसगढ़ ये तीन राज्य ऐसे हैं जहां आधी आबादी तक मोबाईल नहीं पहुच पाया है । मध्यप्रदेश में 48 प्रतिशत, उड़ीसा में 35 प्रतिशत तथा सबसे कम छत्तीसगढ़ है जहां मात्र 29 प्रतिशत लोगों के पास मोबाईल हैं। राज्य के लगभग आधे जिले सूरजपुर, कोरिया, कोरबा, सरगुजा, बलरामपुर, जशपुर, बस्तर, गरियाबंद, कोंडागांव, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, सुकमा एवं बीजापुर जहां 25 प्रतिशत से कम लोंगों के पास मोबाईल है । बीजापुर जिले की स्थिति तो बड़ी चिन्तनीय है जहां मात्र 7 प्रतिशत लोग ही मोबाईलधारी है । इसके पीछे बड़ा कारण कनेक्टिविटी को माना जा रहा है । क्योंकि सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों एवं वन क्षेत्रों में अभी तक टावर नहीं लग पाये हैं । समूचे छत्तीसगढ़ के मात्र 64 प्रतिशत क्षेत्र में ही अब तक नेटवर्क कवरेज है । सुदूर वन क्षेत्रों में नेटवर्क कवरेज की स्थिति चिन्तनीय है । एक ओर जहां रायपुर, दुर्ग व मुंगेली जिले में नेटवर्क क्रमशः 88 प्रतिशत, 83 प्रतिशत एवं 75 प्रतिशत है तो दूसरी ओर दंतेवाड़ा, नारायणपुर, बीजापुर एवं सुकमा जिले में नेटवर्क कवरेज क्रमशः 20 प्रतिशत, 13 प्रतिशत, 10 प्रतिशत एवं 7 प्रतिशत है। छत्तीसगढ़ सरकार की संचार क्रांति योजना इन जिले के नागरिकों के लिए वरदान से कम नहीं है क्योंकि शासन के पहल पर मोबाईल टावरों की संख्या मई 2019 तक 2185 से बढ़कर 3673 हो जायेगी । प्रदेश के 20000 गांवों में से 17000 गांवों तक 4जी हाईस्पीड कनेक्टिविटी हो जायेगी ।
यदि ऐसा ही प्रयास होता रहा तो भविष्य में छत्तीसगढ़ का सम्पूर्ण भूभाग नेटवर्क कनेक्टिविटी तथा समूची आबादी मोबाईल सेवा से जुड़ जायेगी । सूचना क्रांति के इस दौरान में यह आवश्यक भी है क्योंकि वर्तमान समय में हर व्यक्ति चाहे व गांव का हो अथवा शहर का, चाहे शिक्षीत हो अथवा अशिक्षित तथा चाहे वह अमीर हो अथवा गरीब दुनिया भर के समाचारों से अपडेट रहना चाहता है । यह समय की आवश्यकता भी है । फिर इंटरनेट तो ज्ञान, विज्ञान व मनोरंजन का खजाना है जो सबके पास होना ही चाहिए ।
मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने संचार क्रांति योजना के माध्यम से क्रांतिकारी कदम उठाया है। सबको आगे बढ़ने का अवसर प्रदान किया है । यह उनकी उदारता, संवेदनशीलता एवं जीवटता का परिचायक है । उन्होने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटल इंडिया को साकार किया है। छत्तीसगढ़ का अब हर व्यक्ति अब कह सकता है ‘‘दुनिया मेरी मुट्ठी में’’ क्योंकि जिसके पास मोबाईल है उसके पास दुनिया भर के लोगों से सम्पर्क का माध्यम है । इससे ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोंगों के जीवन में अद्भुत बदलाव आयेगा । इससे कैशलेश लेनदेन को भी बढ़ावा मिलेगा । किसानों को बाजार एवं मौसम की जानकारी घर बैठे मिलेगी । संचार क्रांति योजना के माध्यम से मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने बहुत ही चमत्कारिक कार्य किया है । मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के कुशल नेतृत्व का ही परिणाम है कि आज छत्तीसगढ़ का हर व्यक्ति अपने आपको गौरवांवित महसूस कर रहा है । इस महती योजना के लिए मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह को छत्तीसगढ़ में सूचना क्रांति का सूत्रधार कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी ।
दिनांक 02 अगस्त 2018 - अशोक बजाज
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