छत्तीसगढ़ राज्य भण्डार गृह निगम के नवनियुक्त अध्यक्ष श्री अशोक बजाज ने आज यहां अवंति विहार स्थित निगम के नए कार्यालय का शुभारंभ किया। इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री चंद्रशेखर साहू, लोक निर्माण मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल, छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम के अध्यक्ष श्री बद्रीधर दीवान, राज्य बीज विकास निगम के अध्यक्ष श्री श्याम बैस, छत्तीसगढ़ ब्रेव्हरेज कार्पोरेशन के अध्यक्ष श्री देवजी भाई पटेल, छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ के अध्यक्ष श्री राधाकृष्ण गुप्ता, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष श्री यशवंत जैन, जिला पंचायत रायपुर की अध्यक्षा श्रीमती लक्ष्मी वर्मा, जिला सहकारी बैंक रायपुर के अध्यक्ष श्री योगेश चंद्राकर, श्रम कल्याण मण्डल के अध्यक्ष श्री अरूण चौबे,नगर निगम रायपुर के सभापति श्री संजय श्रीवास्तव, श्री रामसेवक पैकरा, श्री राम प्रताप सिंह, श्री सचिदानंद उपासने सहित विभाग के प्रबंध संचालक डॉ. जितिन कुमार उपस्थित थे। सभी लोगों ने श्री बजाज को बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किये जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बधाई और शुभकामनाएं दी। मंत्री द्वय श्री साहू और श्री अग्रवाल ने श्री बजाज के सार्वजनिक जीवन की लम्बे अनुभवों का उल्लेख करते हुए उम्मीद जताई कि श्री बजाज के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ राज्य भण्डार गृह निगम निगम के विकास में उल्लेखनीय भूमिका निभाएगा और निगम सफलता की नई ऊंचाईयों तक पहुंचेगा। श्री बजाज ने इस अवसर पर कहा कि प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा सौपी गई इस नयी जिम्मेदारी को पूरी गंभीरता से निभाएंगे और उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रयास करेंगे। श्री बजाज ने कहा कि अनाजों के सुरक्षित भण्डारण के लिए पुख्ता इंतजाम करने का प्रयास किया जाएगा।
23 दिसंबर 2010
छत्तीसगढ़ भवन में ब्लोगर मिलन

मीटिंग में मौजूद रहे ब्लॉगरगण-
अशोक बजाज - ग्राम चौपाल
बीएस पाबला - जिंदगी के मेले
सुरेश यादव - सार्थक सृजन
जयराम विप्लव - जनोक्ति
शाहनवाज़ सिद्दीकी - प्रेमरस
राजीव कुमार तनेजा - हंसते रहो
संजू तनेजा - आइना कुछ कहता है
कनिष्क कश्यप - विचार मीमांसा, ब्लॉग प्रहरी
रेवा राम यादव - भावी ब्लॉगर
कुमार राधारमण - स्वास्थ्य सबके लिए
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21 दिसंबर 2010
धार्मिक नेता के फतवे से महिला की मौत
धार्मिक नेताओं को सजा देने या सुनाने का अधिकार कितना खतरनाक हो सकता है इसका ताजा उदहारण बंगला देश की इस घटना से मिल सकता है . बांग्लादेश के मुस्लिम धार्मिक नेता ने एक महिला को बेंत मारने की सजा दी जिसमें उसकी मौत हो गई. महिला पर शादी के बाहर संबंध बनाने का आरोप था. पुलिस के मुताबिक 50 साल की सूफिया बेगम पर अपने सौतेले बेटे के साथ संबंध बनाने का आरोप लगा. राजशाही जिले के एक गांव में धार्मिक नेता ने इस मामले की सुनवाई की और महिला को बेंत मारने की सजा सुनाई. इलाके के पुलिस प्रमुख अजीजुल हक सरकर ने बताया, "गांव के बुजुर्गों ने 10 बेंतों को एक साथ बांध दिया और महिला की टांगों पर मारा." स्थानीय मीडिया के मुताबिक 12 नवंबर को हुई इस घटना में सूफिया बेगम को 40 बेंत मारे गए. गांव के उन बुजुर्ग लोगों को भी गिरफ्तार कर लिया गया है जो घटना में शामिल रहे. सरकर ने बताया कि पिटाई के बाद सूफिया बेगम की तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ गई तो उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां पिछले हफ्ते उनकी मौत हो गई. इस मामले में उनके भाई ने शिकायत दर्ज कराई है जिसके आधार पर जांच की जा रही है. मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि बांग्लादेश के मुस्लिम बहुल ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को सार्वजनिक तौर पर बेंत से मारने की सजा मिलना आम बात है. हालांकि देश के एक हाई कोर्ट ने धार्मिक सजाओं पर रोक लगा रखी है. कुछ मामलों में तो बलात्कार की शिकार हुईं महिलाओं को भी यह कहकर सजा दी गई कि वे शारीरिक संबंध का हिस्सा बनीं. जुलाई में बांग्लादेश के हाई कोर्ट ने फतवे या धार्मिक आदेशों के जरिए सजा देने पर रोक लगा दी थी. बांग्लादेश की करीब 15 करोड़ आबादी में से 90 फीसदी मुस्लिम हैं और ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में रहते हैं.
18 दिसंबर 2010
बाबा गुरू घासीदास की जयन्ती पर हार्दिक बधाई !

बाबा गुरू घासीदास की जयन्ती के अवसर पर सतनामी संप्रदाय के सभी बहनों और भाइयों को हार्दिक बधाई !
17 दिसंबर 2010
पाक : पत्रकारों के लिए बेहद ख़तरनाक

रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकतर पत्रकारों की हत्या की गई लेकिन पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, सोमालिया और थाईलेंड में अधिकतर पत्रकार रिपोर्टिंग के दौरान आत्मघाती हमलों और गोलीबारी में मारे गए. सीपीजे के अनुसार वर्ष 2010 में अब तक पाकिस्तान में आठ पत्रकारों की काम करते हुए मौत हो गई है जो दुनिया में पत्रकारों की मौत का बड़ा हिस्सा है.संस्था ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान में मरने वाले आठ पत्रकारों में से छह पत्रकार आत्मघाती हमलों और गोलीबारी में मारे गए. इन घटनाओं में 24 से अधिक पत्रकार घायल भी हुए.
सीपीजे के प्रमुख जोएल साईमन ने बताया कि पाकिस्तान में पत्रकारों की मौतों में बढ़ोतरी देश में जारी चरमपंथ के कारण है जिस ने पाकिस्तान को जकड़ा हुआ है और ज़्यादातर चरमपंथी घटनाएँ अफ़ग़ानिस्तान से पाकिस्तान में फैल रही हैं. “पाकिस्तान में कई सालों से आतंकवादी पत्रकारों की हत्या और सरकार उन का अपहरण कर रही है लेकिन आत्मघाती हमलों में बढ़ोतरी ने पत्रकारों को काम के समय ख़तरे में डाल दिया है. पत्रकारों अपनी जान हथेली पर रख कर राजनीतिक रैलियों, विरोध प्रदर्शन या किसी बड़ी सभा की कवरेज करनी पड़ती है.”पत्रकारों की मौत के हवाले से इराक़ दूसरे नंबर पर है जहाँ इस साल चार पत्रकारों की मौत हो गई. इराक़ में 2004 से 2007 तक हर साल करीब 20 पत्रकार मारे गए थे.
दूसरी ओर पत्रकारों के अधिकारों के लिए काम करने वाली एक अन्य संस्था इंटरनेशनल फ़ेडरेशन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स ने बलूचिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार मोहम्मद ख़ान सासोली की हत्या की जाँच की मांग की है.संस्था की पदाधिकारी जैकलीन पार्क ने कहा कि पाकिस्तान पत्रकारों के लिए ख़तरनाक स्थान बन गया है जहाँ पत्रकारों की हत्या की घटनाएँ कई देशों से ज़्यादा हैं.
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