ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है * * * * नशा हे ख़राब झन पीहू शराब * * * * जल है तो कल है * * * * स्वच्छता, समानता, सदभाव, स्वालंबन एवं समृद्धि की ओर बढ़ता समाज * * * * ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है

17 दिसंबर 2010

पाक : पत्रकारों के लिए बेहद ख़तरनाक



पत्रकारों के अधिकारों केलिए काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था सीपीजे यानी ‘कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स’ ने कहा है कि आत्मघाती हमलों में बढ़ौतरी के कारण पाकिस्तान पत्रकारों के लिए दुनिया का सब से ख़तरनाक देश बन गया है.सीपीजे ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में बताया है कि इसी साल दुनिया में 42 पत्रकारों की मौत हुई जिन में से सब से ज़्यादा पाकिस्तान में मारे गए और इस क्रम में इराक़ दूसरे स्थान पर है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकतर पत्रकारों की हत्या की गई लेकिन पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, सोमालिया और थाईलेंड में अधिकतर पत्रकार रिपोर्टिंग के दौरान आत्मघाती हमलों और गोलीबारी में मारे गए. सीपीजे के अनुसार वर्ष 2010 में अब तक पाकिस्तान में आठ पत्रकारों की काम करते हुए मौत हो गई है जो दुनिया में पत्रकारों की मौत का बड़ा हिस्सा है.संस्था ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान में मरने वाले आठ पत्रकारों में से छह पत्रकार आत्मघाती हमलों और गोलीबारी में मारे गए. इन घटनाओं में 24 से अधिक पत्रकार घायल भी हुए.

सीपीजे के प्रमुख जोएल साईमन ने बताया कि पाकिस्तान में पत्रकारों की मौतों में बढ़ोतरी देश में जारी चरमपंथ के कारण है जिस ने पाकिस्तान को जकड़ा हुआ है और ज़्यादातर चरमपंथी घटनाएँ अफ़ग़ानिस्तान से पाकिस्तान में फैल रही हैं. “पाकिस्तान में कई सालों से आतंकवादी पत्रकारों की हत्या और सरकार उन का अपहरण कर रही है लेकिन आत्मघाती हमलों में बढ़ोतरी ने पत्रकारों को काम के समय ख़तरे में डाल दिया है. पत्रकारों अपनी जान हथेली पर रख कर राजनीतिक रैलियों, विरोध प्रदर्शन या किसी बड़ी सभा की कवरेज करनी पड़ती है.”पत्रकारों की मौत के हवाले से इराक़ दूसरे नंबर पर है जहाँ इस साल चार पत्रकारों की मौत हो गई. इराक़ में 2004 से 2007 तक हर साल करीब 20 पत्रकार मारे गए थे.

दूसरी ओर पत्रकारों के अधिकारों के लिए काम करने वाली एक अन्य संस्था इंटरनेशनल फ़ेडरेशन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स ने बलूचिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार मोहम्मद ख़ान सासोली की हत्या की जाँच की मांग की है.संस्था की पदाधिकारी जैकलीन पार्क ने कहा कि पाकिस्तान पत्रकारों के लिए ख़तरनाक स्थान बन गया है जहाँ पत्रकारों की हत्या की घटनाएँ कई देशों से ज़्यादा हैं. 

9 टिप्‍पणियां:

Rahul Singh ने कहा…

मौत तो मौत है, लेकिन वह आकस्मिक हो और उसका कारण, उसकी परिस्थितियां ऐसी हों तो अधिक दुखद व चिंतनीय हो जाता है.

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…


बहुत दुखद है।

एंजिल से मुलाकात

Swarajya karun ने कहा…

चिंतनीय परिस्थितियों पर चिंतन प्रधान आलेख के लिए आभार .

कडुवासच ने कहा…

... gambheer maslaa !!!

Unknown ने कहा…

bahut buri baat hai...jahan ki patrakarita ki mar rahi ho...kya hoga us desh ka bhavishy

Arvind Jangid ने कहा…

जब जब लिखने पर प्रतिबन्ध लगा है, विचार रुके नहीं भभके है.

साधुवाद.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सबके ही लिये खतरनाक है।

समय चक्र ने कहा…

समयचक्र: हिंदी ब्लॉगों के लिए नये एग्रीगेटर के विकल्पों पर विचार करना जरुरी है

बेनामी ने कहा…

पत्रकारों की इस तरह से मौत दिल को झकझोर देने वाली खबर है पाकिस्तान धीरे धीरे तबाही की तरफ कदम बड़ा रहा है ,