रेडियो आज भी सबसे शक्तिशाली माध्यम : श्री बृजमोहन अग्रवाल
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रेडियो की महत्ता और उपयोगिता आज भी कायम : श्री अशोक बजाज
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श्री मनोहर महाजन की पुस्तक 'यादें रेडियो सिलोन की' विमोचित
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प्रसिध्द भरथरी गायिका श्रीमती सुरूज बाई खाण्डे को 'कला साधना सम्मान'
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छत्तीसगढ़ के पर्यटन और संस्कृति मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि सौ करोड़ से भी अधिक आबादी के हिन्दुस्तान में रेडियो आज भी ज्ञान-विज्ञान, मनोरंजन, शिक्षा और सामाजिक-सांस्कृतिक चेतना के विकास का सबसे सस्ता लेकिन सबसे ज्यादा शक्तिशाली माध्यम है। श्री अग्रवाल आज यहां 'श्रोता दिवस' के अवसर पर छत्तीसगढ़ रेडियो श्रोता संघ और ओल्ड लिस्नर्स ग्रुप ऑफ इंडिया द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित रेडियो श्रोताओं के एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक के संचालक, जिला पंचायत रायपुर के पूर्व अध्यक्ष और छत्तीसगढ़ रेडियो श्रोता संघ के संरक्षक श्री अशोक बजाज ने की।
आयोजकों के आमंत्रण पर रेडियो सिलोन के पूर्व उद्धोषक श्री मनोहर महाजन, सुश्री विजय लक्ष्मी डिसेरम और श्री रिपुसूदन कुमार इलाहाबादी सहित प्रसिध्द फिल्म और रेडियो कार्यक्रम समीक्षक श्री हरमिन्दर सिंग हमराज विशेष रूप से सम्मेलन में शामिल हुए। मुख्य अतिथि श्री बृजमोहन अग्रवाल ने इस मौके पर श्री मनोहर महाजन की पुस्तक 'यादें रेडियो सिलोन की' और ओल्ड लिस्नर्स गु्रप रामगढ़ (झारखण्ड) से प्रकाशित की जा रही नवीन त्रैमासिक पत्रिका 'लिस्नर्स बुलेटिन' का विमोचन किया। यह त्रैमासिक शिक्षा, गीत-संगीत और कला संस्कृति से जुड़ी पत्रिका है जो नि:शुल्क वितरित की जाएगी। पर्यटन और संस्कृति मंत्री ने आयोजकों की ओर से छत्तीसगढ़ की प्रसिध्द भरथरी गायिका श्रीमती सुरूजबाई खाण्डे को 'कला साधना सम्मान' और श्री मनोहर महाजन, सुश्री विजय लक्ष्मी डिसेरम और श्री हरमिन्दर सिंग हमराज को 'रेडियो रत्न' के अलंकरण से सम्मानित किया।
सम्मलेन में श्री मनोहर महाजन, श्री अशोक बजाज एवं श्री ललित शर्मा |
आयोजकों ने सम्मेलन में बताया कि भारत में पहला रेडियो प्रसारण मुम्बई से आज ही के दिन सन् 1921 में शुरू हुआ था। इस ऐतिहासिक दिन को यादगार बनाने के लिए छत्तीसगढ़ रेडियो श्रोता संघ और ओल्ड लिस्नर्स ग्रुप ऑफ इंडिया ने आज लगातार दूसरे वर्ष 'श्रोता दिवस' अथवा लिस्नर्स डे के रूप में यह आयोजन किया। चेम्बर भवन में आयोजित सम्मेलन में छत्तीसगढ़,राजस्थान ,प .बंगाल ,उड़ीसा , गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, झारखण्ड, बिहार और आसाम सहित देश के अन्य अनेक राज्यों से बड़ी संख्या में आए रेडियो श्रोता संघों के पदाधिकारियों और प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
मुख्य अतिथि की आसंदी से सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए छत्तीसगढ़ के संस्कृति मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि रेडियो हमारे देश की तरक्की के साथ-साथ जनता को शिक्षित और प्रशिक्षित करने का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम है। इसे चलते-फिरते भी आसानी से सुना जा सकता है। आज भी हमारे देश में 75 प्रतिशत आबादी तक रेडियो की आसान पहुंच है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि रेडियो आने वाले समय में टेलीविजन को पीछे छोड़ देगा, क्योंकि आज के अधिकांश टी.व्ही. कार्यक्रमों में विज्ञापन सबसे ज्यादा होते हैं और लोग टी.व्ही. पर कार्यक्रमों के बीच में विज्ञापनों की लम्बी श्रृंखला शुरू होते ही ऊबकर चैनल बदलने लगते हैं, लेकिन रेडियो के साथ ऐसा नहीं होता। श्री अग्रवाल ने कहा कि रेडियो के श्रोता वास्तव में दीवाने होते हैं और उनमें दीवानगी की हद तक रेडियो से जुड़ाव रहता है। श्री अग्रवाल ने चुटकी लेते हुए कहा कि वास्तव में नेता हो या अभिनेता या फिर कोई उदघोषक, इन सबका अस्तित्व श्रोताओं की उपस्थिति पर ही निर्भर है। उन्होंने कहा कि किसी जमाने में रेडियो सिलोन के हिन्दी के कार्यक्रम दुनिया भर में काफी लोकप्रिय हो गए थे। अध्यक्षीय आसंदी से श्री अशोक बजाज ने कहा कि रेडियो उदघोषकों और श्रोताओं के बीच प्रत्यक्ष सम्पर्क और संवाद कायम करना हमारे 'श्रोता दिवस' के इस कार्यक्रम का मुख्य उददेश्य है। श्री बजाज ने कहा कि जाति, धर्म और भाषायी विविधता के बावजूद रेडियो श्रोताओं में भावनात्मक समानता और एकता होती है। रेडियो एक ऐसी चीज है जो हमें राज्य, देश और भाषा की सीमाओं को लांघ कर आपस में जोड़ती है। पूरा परिवार बैठकर रेडियो सुन सकता है। लेकिन आज के अधिकांश टेलीविजन कार्यक्रमों में बढ़ती अश्लीलता चिंताजनक है, जिसकी वजह से ऐसे कार्यक्रम परिवार के साथ बैठकर नहीं देखे जा सकते। श्री बजाज ने कहा कि रेडियो की महत्ता और उपयोगिता आज भी कायम है। अब तो आकाशवाणी के साथ-साथ विभिन्न एफ.एम. चैनल भी रेडियो पर उपलब्ध हैं। रेडियो अब मोबाइल फोन पर भी सुना जा सकता है। रेडियो की उपयोगिता का एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि कुछ वर्ष पहले छत्तीसगढ़ सरकार के हेलीकॉप्टर के गायब होने और दुर्घटनाग्रस्त होने का समाचार आकाशवाणी से सुनकर सुदूर जंगल में गए एक चरवाहे हो जब धातु के बिखरे हुए टुकडे वहां देखने को मिले तो उसे तत्काल यह ख्याल आया कि हो न हो यह उसी हेलीकॉप्टर का मलबा है और उसने तत्काल इसकी सूचना संबंधित अधिकारियों तक पहुंचायी, जिससे शासन-प्रशासन को वास्तविक स्थिति की जानकारी मिल सकी।
सम्मेलन के विशेष अतिथि, रेडियो सिलोन के पूर्व उदघोषक श्री मनोहर महाजन ने श्रोताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि मैंने रेडियो प्रसारण और अपनी उदघोषणा में हमेशा राष्ट्र भाषा हिन्दी को पहली प्राथमिकता दी। हिन्दी की प्रतिष्ठा बढ़ाना मैंने अपने कैरियर का मुख्य उददेश्य माना। भारत में उस जमाने में फैशन-शो की उदघोषणाएं भी अंग्रेजी में होती थी। श्री महाजन ने छत्तीसगढ़ से जुड़ी अपनी पुरानी यादों को ताजा किया। उन्होंने वर्ष 1975 के अपने छत्तीसगढ़ प्रवास को याद करते हुए कहा कि तब वे एक फैशन शो के कार्यक्रम में उदघोषणा के लिए यहां आए थे और स्थानीय दूरदर्शन केन्द्र ने 'हिन्दी के प्रतिष्ठा यज्ञ में रत मनोहर महाजन' शीर्षक से मेरा एक साक्षात्कार भी प्रसारित किया था। उन्होंने कहा कि रेडियो सिलोन में मैंने सिर्फ छह-सात वर्ष काम किया और सुश्री विजय लक्ष्मी डिसेरम ने लगभग 15 वर्ष वहां काम करने के बाद 24 साल तक वॉयस ऑफ अमेरिका में सेवाएं दी, लेकिन आज भी हमारी पहचान रेडियो सिलोन के नाम से होती है। श्री महाजन ने कहा कि श्रोताओं की वजह से ही उदघोषकों को पहचान मिलती है। श्री महाजन ने श्रोताओं की भावनाओं से सहमत होते हुए रेडियो सिलोन के हिन्दी प्रसारण की अवधि बढ़ाने के लिए सभी लोगों से मिलकर पहल करने का आग्रह किया। इस अवसर पर सुश्री विजय लक्ष्मी डिसेरम, श्री रिपुसूदन कुमार इलाहाबादी और श्री हरमिन्दर सिंग हमराज तथा आकाशवाणी केन्द्र ग्वालियर की उदघोषिका सुश्री शारदा पाण्डेय ने भी अपने विचार व्यक्त किए। सम्मेलन में आकाशवाणी रायपुर और अम्बिकापुर के अनेक उदघोषक भी उपस्थित थे। ओल्ड लिस्नर्स ग्रुप ऑफ इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री महेन्द्र मोदी ने कार्यक्रम का संचालन और आभार प्रदर्शन किया। उनकी संस्था की ओर से इस मौके पर गरीब परिवारों के कुछ प्रतिभावान स्कूली बच्चों का भी सम्मान किया गया। छत्तीसगढ़ रेडियो श्रोता संघ के अध्यक्ष श्री परसराम साहू सहित संघ के अनेक पदाधिकारी और बड़ी संख्या में रेडियो श्रोता कार्यक्रम में उपस्थित थे। dpr news 00257
पढ़कर कार्यक्रम में न पहुंच पाने का अफसोस कम हो गया. धन्यवाद और बधाई.
जवाब देंहटाएंराहुल जी,आज के सम्मेलन मे काश आप भी होते.वाकई जानदार कार्यक्रम था .
जवाब देंहटाएंचलिए इस बार ना सही,अगली बार ही सही.
जवाब देंहटाएंरेडियो की लोकप्रियता आज भी बरकरार है..आकाशवाणी से लेकर एफ. एम. सब छाए हुए है...शहर में भले कुछ कम हो पर गाँव में तो है ही....श्रोता दिवस पर बढ़िया जानकरी..सुंदर प्रस्तुति के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंवाह सबसे तेज चैनल है जी ग्राम चौपाल
जवाब देंहटाएंमैं फ़ाईल अपलोड करते रह गया
और यहां पोस्ट भी लग गयी।
इसे कहते हैं ब्लागिंग
वैसे आज का कार्यक्रम अविस्मरणीय है।
जवाब देंहटाएंमैने इस तरह भावुकता का संबंध और कहीं नहीं देखा।
जो एक उद्भोषक और श्रोताओं के बीच देखा।
बस मैं उसक वर्णन नहीं कर सकता
अकल्पनीय,मेरा जाना सार्थक हो गया।
आभार
आज आपने सम्मेलन में दिन भर बिताया ,ये क्या कम आश्चर्यजनक है ?
जवाब देंहटाएंये सचमुच अच्छा कार्यक्रम था। आपको बधाई।
जवाब देंहटाएंक़रीब 20 वर्षों तक अंतर्राष्ट्रीय प्रसारणों को सुनता रहा। उन दिनों रिशेप्शन रिपोर्ट भरने का काम पढाई से ज्यादा लगन से करता और क्यूएसएल कार्ड या कोई लीफलेट आने पर बांछें खिल जातीं। 10 वर्ष से ज्यादा हो गए सक्रियता ख़त्म हुए मगर रेडियो स्टेशनों से प्राप्त एक-एक पन्ना,पुरस्कार और प्रमाण-पत्र अब भी सुरक्षित हैं। आपकी रिपोर्ट ने पुराने दिनों की याद ताज़ा कर दी।
जवाब देंहटाएंsir, itni achhi jaankaari ke liye aap vastav me badhai ke paatr hai.shrota-diwas bhi hota hai iski jaakari mujhe aapke blog par hi aakar pata chala .ek baar fir se badhai.
जवाब देंहटाएंpoonam
यहां भी आपका इंतजार हो रहा है।
जवाब देंहटाएंआह इतना प्रेम! दरिया फ़ूट पड़ा प्रेम का
वास्तव मे प्रेम का दरिया बह रहा था .रोचक पोस्ट . खूब समीक्षा की आपने. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंश्रोता सम्मेलन सामुदायिकता की भावना जगाते थे। अनजान के प्रति एकजुटता का यह आलम देखते ही बनता था।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद और बधाई.
जवाब देंहटाएंआज के वक्त में रेडियो का महत्व बरकरार रखने में आपकी भूमिका निश्चित ही सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंप्रियंका कौशल